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ज्योतिष ज्ञान
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बोलनेमेंरहीसमस्याक्यादूर_होगी ।

बोलना मतलब वाणी/आवाज या अपनी बात कहना/ बात करना आदि।कुछ बच्चों या बड़ो को भी बोलने में बहुत समस्या आती है, बोल ठीक से नही पाते आदि जो की वाणी दोष के कारण होता है, जीवन में सफल होने के लिए बोलना बहुत जरुरी है जैसे किसी नौकरी के लिए भी  इंटरव्यू देने जाये तब बोलकर ही दिया जाता है।कुंडली द्वितीय भाव और इस भाव का स्वामी साथ ही वाणी/बोलने का कारक बुध होता है।जिन भी जातक/जातिकाओ का दूसरा भाव, इसका स्वामी और बुध ख़राब स्थिति में बैठ जाते है तब बोलने में समस्या, बोल न पाना या देर से बोलना की स्थिति बनेगी दूसरे भाव दूसरे भाव स्वामी पर जब छठे, आठवे, 12वे भाव का अशुभ सहित अशुभ शनि राहु केतु का असर होता है और बुध भी पीड़ित होगा तब बोलने में बहुत आयेगी,अब यदि ऐसी स्थिति वाली समस्या कुंडली में है लेकिन दूसरे भाव और दूसरे भाव स्वामी बलवान होकर बृहस्पति, शुक्र, बुध चन्द्र जैसे शुभ ग्रहों के प्रभाव में हुआ और बुध बलवान है तब व्यक्ति देर से बोलने जरूर लगता है, दूसरे भाव या दूसरे भाव स्वामी का किसी भी तरह शुभ स्थिति में थोड़ा भी होना और बुध बलवान है तब व्यक्ति जरूर बोलेगा।यदि लग्न कुंडली में बोलने की समस्या का निवारण न ही रहा हो लेकिन नवमांश कुंडली का दूसरा भाव और भावेश शुभ ग्रहों के साथ संबंध में है और नवमांश कुंडली में बुध बलवान है तब स्पष्ट व्यक्ति जरूर बोलेगा, साथ जो लोग बोल नही पाते है वह भी देर सबेर बोलने लगते है वरना ऐसी स्थिति में दूसरे भाव/दूसरे भाव स्वामी और बुध को बलवान करने के उपाय करके न बोलने की।समस्या, वाणी से सम्बंधित समस्या हल कक जा सकती है।।                                                                                                

अब कुछ उदाहरणों से समझते है कैसे व्यक्ति बोल पायेगा , और कब तब और क्या ऐसी स्थिति ऐसी है कि नही बोल पायेगा तो क्या उपाय करें जिससे व्यक्ति बोल सके,स्पष्ट बोले??                                                                                          

उदाहरण_सिंह_लग्न1:-👇
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 सिंह लग्न में दूसरे भाव(वाणी भाव) स्वामी बुध बनता है जो वाणी का नैचुरली कारक भी है अब बुध यहाँ षष्ठम भाव में राहु के साथ बैठ जाये ,और दूसरे भाव पर अशुभ शनि की दृष्टि पड़े साथ ही बुध नवमांश में भी पीड़ित हो जाये तब बोलने में दिक्कत, बोल न आना आदि जैसी समस्या होगी, लेकिन यहाँ बुध के साथ गुरु शुक्र भी साथ संबंध में हो या गुरु शुक्र दूसरे भाव को दृष्टि दे तब देर से व्यक्ति जरूर बोलेगा, स्पष्ट न बोलने वाला व्यक्ति भी स्पष्ट बोल लेगा।
                                                          उदाहरण_तुला_लग्न2:-👇
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 तुला लग्न में दूसरे भाव का स्वामी मंगल बनता है अब मंगल12वे भाव में जाकर अस्त शनि के साथ बैठे, राहु की दृष्टि मंगल और दूसरे भाव दोनों पर हो और बुध भी  पीड़ित तब बोलने में दिक्कत, बोल न पाना, जन्मजात बोल न पाना, जैसी समस्या होगी, ऐसी स्थिति में यहाँ मंगल पर शुक्र गुरु का शुभ प्रभाव पड़ता हो या वाणी स्वामी और वाणी कारक बुध दोनों नवमांश कुंडली में बलवान और शुभ स्थिति में है तब व्यक्ति जरूर बोल लेगा लेकिन यहाँ उपायो करने से ज्यादा लाभ होगा।।                                                                                    

उदाहरण_मकर_लग्न3:- 👇
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मकर लग्न में दूसरे भाव का स्वामी शनि बनता है अब शनि यहाँ अस्त हो जाये और राहु और अशुभ मंगल के साथ बैठकर दूषित हो जाये तब बोलने में दिक्कत आयेगी, लेकिन बुध बलवान है तब शनि के उपाय करके यहाँ बोलने में आ रही समस्या, या बोलने से सम्बंधित किसी भी तरह की समस्या से मुक्ति मिलकर व्यक्ति बोलने लगेगा देर से।                                                                             इस तरह से बोलने में आ रही समस्या, या बोल न पाना, और क्या व्यक्ति बोल पायेगा, और कब, आदि यह सब जातक/जातिका की कुंडली के वाणी भाव और बुध अच्छे तब जरूर व्यक्ति बोलने लगेगा, स्पष्ट न बोलने पर भी उपाय करके स्पष्ट व्यक्ति बोलने लगेगा।

 

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