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जड़ी-बूटियों से संभव है सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस का इलाज


गर्दन को दाएं-बाएं घुमाने में दर्द या जकड़न,
सिरदर्द के साथ चक्कर आना सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण हैं। ऐसे में रोगी को उठने-बैठने व चलने-फिरने में भी दिक्कत होती है। हाथ, पैर का अधिक इस्तेमाल करने पर दर्द बढ़ जाता है।

आयुर्वेद में इलाज:
समीरपन्नग रस पाउडर 30-40 मिग्रा शहद के साथ सुबह-शाम लें।
बलारिष्ट दवा समभाग पानी के साथ दिन में दो बार लें।
महारास्नादि काढ़ा लें
और
निर्गुंडी तेल व बला तेल से दर्द के अनुसार दिन में 2-3 बार मालिश करें।
एसिडिटी में शिलाजीत व दूध के साथ गुग्गल लेना फायदेमंद है।
दूध के साथ च्यवनप्राश लेने से वात विकारों दूर होते हैं।

व्यायाम करें :
समतल बिस्तर का प्रयोग करें।
सिर के नीचे तकिया न लगाएं।
सिर को दाएं-बाएं, बाएं-दाएं और गोलाकार रूप में घुमाएं।
सीधे खड़े होकर दोनों कंधों को सामने से पीछे की ओर गोलाकार घुमाने से लाभ मिलता है।
नाक में दो-दो बूंद गोघृत सुबह-शाम डालें।
हड्डी से जुड़ी परेशानियों को दूर करने में गिलोय-आंवला का प्रयोग लाभदायक है।
[🍁सीताफल

🌻परिचय :
      सीताफल की बेल होती है और इसे खेतों में लगाई जाती है। सीताफल गोला, छोटा बाहर की ओर उभरा हुआ होता है। सीताफल में काले और चिकने अनेक बीज होते हैं। इसके बीजों के इर्द-गिर्द मीठी गिरी होती है जिसका सेवन किया जाता है। सीताफल पौष्टिक और मीठा होता है। कुछ लोग सीताफल को रामफल के नाम से भी जानते हैं। सीताफल अधिक ठंडा होता है और ज्यादा सेवन करने से जुकाम हो जाता है।
🍁गुण :
      सीताफल स्वाद में मीठा एवं पौष्टिक होता है। सीताफल अत्यंत ठंडा, पित्त को नष्ट करने वाला, उल्टी को रोकने वाला, प्यास को शांत करने वाला, कफ पैदा करने वाला एवं गैस बनाने वाला होता है। यह मांसपेशियां व खून को बढ़ाता है। यह ताकत को बढ़ाता है, हृदय रोग को दूर करता है और शरीर को पुष्ट करता है। कच्चे सीताफल दस्त और पेट के दर्द में उपयोगी होता है। इसके बीज पशुओं के जख्म को ठीक करता है। सीताफल के बीज का चूर्ण सेवन करने से गर्भपात होता है। पके सीताफल के छिलके को पीसकर जख्म पर लगाने से कीटाणु नष्ट होते हैं। इसके पत्तों को पीसकर फोड़ो पर बांधने से फोड़े ठीक होते हैं।
     🍃शरीर कमजोर होने, दिल की धड़कन बढ़ जाने, बेचैनी होने, दिल की मांसपेशियां ढ़ीली होने आदि रोग में सीताफल का सेवन करना लाभदायक है। इससे भस्मक रोग (बार-बार भूख लगना) ठीक होता है।
🌺वैज्ञानिकों के अनुसार : सीताफल में लोह, थायामिन, कैल्शियम, रीबोफ्लेबिन, नियासिन और विटामिन बी1, बी2 और विटामिन `सी´ तथा शर्करा काफी मात्रा में होता है।
🌷सावधानी :
      सीताफल का ज्यादा सेवन करने से ठंड लगकर बुखार हो जाता है। जिनकी पाचन क्रिया मंद हो या जुकाम हो उसे सीताफल का सेवन नहीं करना चाहिए। सीताफल के बीज आंखों में जाने पर जलन होती है।
🥀विभिन्न रोगों का उपचार :
🌻1. पित्तरोग : पके सीताफल को रात में औंस में रखकर सुबह सेवन करने से पित्त की जलन समाप्त होती है।
🌷2. पागलपन : सीताफल की जड़ का चूर्ण पागलपन में दिया जाता है। इससे दस्त लगकर पागलपन दूर होता है।
3🌾. पेशाब न आना : सीताफल की बेल की जड़ को पानी में घिसकर पीने से रुका हुआ पेशाब आना शुरू हो जाता है।
🍃4. मासिकधर्म का बंद होना : मासिकस्राव बंद हो गया हो तो सीताफल के बीज को पीसकर बत्ती बना लें और इस बत्ती को योनि में रखें। इसके प्रयोग से बंद मासिकस्राव शुरू हो जाता है।
🍂5. हिस्टीरिया : हिस्टीरिया से पीड़ित स्त्री को यदि बार-बार बेहोशी के दौरे पड़ते हो तो सीताफल के पत्तों का रस निकालकर नाक में कुछ बूंदे डालना चाहिए। इससे बेहोशी दूर होती है।
🍁6. घाव में कीड़े पड़ना : सीताफल के पत्तों को पीसकर चटनी बनाएं और इसमें सेंधानमक मिलाकर पोटली बना लें। यह पोटली घाव पर बांधने से घाव में पड़े हुए कीड़े नष्ट होते हैं।
🌻7. श्वास रोग : सीताफल की छाल का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से श्वास (दमा) रोग ठीक होता है।

8💐. जुएं अधिक होना : सीताफल के बीजों को पीसकर सिर पर लगाने से जुएं मर जाती है।
🌸9. अतिक्षुधा भस्मक रोग : सीताफल का सेवन प्रतिदिन करने से भस्मक (बार-बार भूख लगना) रोग ठीक होता है।
1🌷0. गर्भपात : सीताफल के बीजों का चूर्ण 5 से 10 ग्राम की मात्रा में या काढ़ा लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में दिन में 4 बार सेवन करने से गर्भपात होता है।
🌷11. पित्त पथरी : पित्त पथरी के रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन सीताफल के 25 मिलीलीटर रस में सेंधा नमक मिलाकर पीना चाहिए। इससे पथरी गलकर समाप्त होती है।
🌸12. एलर्जी : सीताफल के बीजों को पीसकर शहद के साथ दिन में 3 बार चाटने से एलर्जी दूर होती है।
🌻13. नहरूआ : नहरूआ रोग के रोगी को सीताफल के पत्ते को पीसकर टिकियां बनाकर घाव पर लगाएं। इससे घाव से बाल निकलकर घाव ठीक होता है।
[ 🌾सब्जियों का रस क्यों जरूरी?
🥀परिचय-
       ताजा सब्जियों के रस का सेवन करने से मनुष्य की उम्र लम्बी तो होती ही है, साथ ही उसे बुढ़ापे का एहसास भी देरी से होता हैं। ज्यादातर ऐसे चिकित्सक है जो प्राकृतिक चिकित्सा में विश्वास रखते हैं, उनका कहना है कि सब्जियों के रस का सेवन करने से जीर्ण (पुराने) रोग ठीक हो जाते हैं, आम रोग की बात ही क्या है। अनेक अनुसंधानों के बाद यह पाया गया है कि अंकुरित गेंहूं का रसपान करने से कैंसर जैसे खतरनाक रोगों पर भी रोक लगाई जा सकती है l
      💐वैसे भी हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए यह आवश्यक है कि हमारे रोजाना के भोजन में कम से कम 20 से 30 प्रतिशत तक सब्जियां होनी चाहिए। किसी भी रोग में दिए गए निर्देशों के अनुसार यदि इनका रस सेवन किया जाए तो सोने पर सुहागा वाली कहावत चरितार्थ होते देर नहीं लगेगी। जिन सब्जियों को हम अक्सर घास-फूस समझकर नकार देते हैं, उनमें अनेक ऐसे गुण रहते हैं, जो शरीर के रोगग्रस्त होने पर संजीवनी का काम करते हैं। आज पश्चिमी देशों में रसाहार के प्रति बहुत ज्यादा जागरूकता है, लेकिन हमारे देश में अभी भी इस क्षेत्र में बहुत सुधार किए जाने की आवश्यकता हैं।
      🍂 हमारे देश में सब्जी पकाने का जो तरीका अपनाया जाता है, उससे सब्जियों के ज्यादातर गुण खत्म हो जाते हैं। मूलरूप से सब्जियों का सेवन किया जाए, तो अनेक रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है। सब्जियां हमारे आहार का एक आवश्यक हिस्सा हैं। रसाहार के रूप में सब्जियों का सेवन करने से उनके गुणों को हमारा शरीर ग्रहण कर लेता हैं। अक्सर रोगियों को मसालारहित सादी उबली हुई सब्जियां खाने की सलाह दी जाती है।
[आयुर्वेदिक देशी चाय

सोंठ भुनी – 500 ग्राम
दालचीनी – 200 ग्राम
इलाईची छोटी – 100 ग्राम
लौंग। – 100ग्राम
जावित्री। – 100 ग्राम
कालीमिर्च – 100ग्राम
सोंफ। – 50 ग्राम
मलेठी – 100 ग्राम
जायफल – 25 ग्राम
तुलसी पत्तियां – 100 ग्राम
बड़ी इलाईची। – 50 ग्राम

सभी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों को पीस कर मिलाए।
सेवन विधि-
2 cup चाय में 1 ग्राम भर मिलाएं कर उबाले
चाय स्वादिष्ट ओर गुणकारी होगी
फायदे- जुकाम, खाँसी, गैस, कफ़, सर्दी और
हाजमे के लिए फायदेमंद है।
: 🌹याददाश्त बढ़ाने उपाय –

🍁बार-बार भूलने की समस्या केवल बूढ़े लोगों के साथ ही नहीं बल्कि जवान लोगों के साथ भी होती है। दरअसल भूलने का मुख्य कारण एकाग्रता की कमी है। स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए दिमाग को सक्रिय रखना आवश्यक है। अगर आपके साथ भी यही समस्या है कमजोर स्मरण शक्ति आपके लिए परेशानी का कारण बनी हुई है, तो नीचे लिखे घरेलू उपायों को जरुर अपनाएं।
-🌺 अखरोट स्मरण शक्ति बढाने में सहायक है। 20 ग्राम अखरोट और साथ में 10 ग्राम किशमिश रोजाना लेना चाहिये।

  • 🌸अलसी का तेल आपकी एकाग्रता बढाता है, आपकी स्मरण शक्ति तेज करता है तथा सोचने समझने की शक्ति को भी बढ़ाता है। नियमित रूप से अलसी के तेल के सेवन से आपको मष्तिष्क सम्बन्धी कोई विकार नहीं रहेगा।
    🌻- ब्रह्मी दिमागी शक्ति बढाने की मशहूर जड़ी-बूटी है। इसका एक चम्मच रस नित्य पीना हितकर है। इसके 7 पत्ते चबाकर खाने से भी वही लाभ मिलता है। ये दिमाग की शक्ति घटने पर रोक लगती है।
    -🌻 बादाम 9 नग रात को पानी में गलाएं। सुबह छिलके उतारकर बारीक पीस कर पेस्ट बना लें। अब एक गिलास दूध गरम करें और उसमें बादाम का पेस्ट घोलें। इसमें 3 चम्मच शहद भी डालें। जाने पर उतारकर मामूली गरम हालत में पीएं। यह मिश्रण पीने के बाद दो घंटे तक कुछ न लें।
    [खट्टी डक्‍कार का उपचार

1 अदरक :-

अदरक के स्लाइस करके उसे पानी में डालकर लगभग 10 मिनट तक उबाल – थोडा ठंडा होने पर इसमें थोड़ी – थोड़ी मात्रा में नींबू और शहद मिलाकर दिन में 2 से 3 बार पिएं !

2 दही मट्ठा

लंच में दही मट्ठा को शामिल करें !

3 सौंफ :-

सौंफ खाने को आसानी से डाइजेस्ट करता है – साथ ही डक्‍कार ~ सीने में जलन जैसी कई बीमारियों से भी दूर रखता है

आधा चम्मच सौंफ को खाने के बाद जरूर खाएं – पेट से संबंधित कई सारी समस्याओं का समाधान है सौंफ ~ पानी के साथ उबालकर भी इसे पीना उतना ही लाभकारी होगा !

  1. हींग :-

चुटकी भर हींग का इस्तेमाल पेट से जुड़ी कई सारी परेशानियों का बेहतरीन इलाज होता है ~ खासतौर से जब खट्टी डक्‍कार आएं तो तुरंत इसे फांकें !

दिन में 2 से 3 बार गुनगुने पानी के साथ इसका इस्तेमाल करें – हींग को सब्जी बनाने से लेकर दाल में तड़का लगाते वक्त भी इस्तेमाल करें !

5 पुदीना :-

खट्टी डक्‍कार की समस्या को दूर करने में पुदीना भी एक अच्छा ऑप्शन है इसका एंटीस्पेमॉडिक गुण डाइजेशन को सही रखता है जिससे पेट में गैस नहीं बनती – जो डक्‍कार की वजह होती है !

पानी को अच्छे से गर्म करें और उसमें पुदीने की सूखी पत्तियों को डालकर लगभग 10 मिनट तक ढ़ककर उबालें – चाय की तरह 2 – 3 बार पिएं !

6 इलायची :-

खाने में इलायची की मात्रा डाइजेशन के लिए जरूरी जूस बनाने का काम करती है जिससे गैस नहीं बनती ~ पेट दर्द के साथ – मरोड़ जैसी समस्या कोसों दूर रहेगी!

लंच हो या डिनर – हर मील के बाद इलायची को अच्छे से चबाकर खाएं !
इसे पानी के साथ लगभग 5 – 10 मिनट उबालें फिर उसमें शहद मिला पीना भी फायदेमंद होता है !

  1. जीरा :-

तड़का लगाने से ले – मसाले के तौर पर इसका इस्तेमाल करके डक्‍कार की समस्या से झट से राहत पाई जा सकती है – दही में भूना जीरा ~ जल – जीरा जैसे कई ऑप्शन मौजूद हैl
एक साथ नहीं खानी चाहिए( असात्म्य आहार ) ❎

•चाय के साथ कोई भी नमकीन चीज नहीं खानी चाहिए। दूध और नमक का संयोग सफ़ेद दाग या किसी भी स्किन डीजीज को जन्म दे सकता है, बाल असमय सफ़ेद होना या बाल झड़ना भी स्किन डीजीज ही है।

•सर्व प्रथम यह जान लीजिये कि कोई भी आयुर्वेदिक दवा खाली पेट खाई जाती है और दवा खाने से आधे घंटे के अंदर कुछ खाना अति आवश्यक होता है, नहीं तो दवा की गरमी आपको बेचैन कर देगी।

•दूध या दूध की बनी किसी भी चीज के साथ दही, नमक, इमली, खरबूजा, बेल, नारियल, मूली, तोरई, तिल, तेल, कुल्थी, सत्तू, खटाई, नहीं खानी चाहिए।

•दही के साथ खरबूजा, पनीर, दूध और खीर नहीं खानी चाहिए।

•गर्म जल के साथ शहद कभी नही लेना चाहिए।

•ठंडे जल के साथ घी, तेल, खरबूज, अमरूद, ककड़ी, खीरा, जामुन, मूंगफली कभी नहीं।

•शहद के साथ मूली, अंगूर, गरम खाद्य या गर्म जल कभी नहीं।

•खीर के साथ सत्तू, शराब, खटाई, खिचड़ी, कटहल कभी नहीं।

•घी के साथ शहद भूल कर भी नहीं खाना चाहिए | ये तुरंत जहर का काम करेगा।

•तरबूज के साथ पुदीना या ठंडा पानी कभी नहीं।

•चावल के साथ सिरका कभी नहीं।

•चाय के साथ ककड़ी खीरा भी कभी मत खाएं।

•खरबूज के साथ दूध, दही, लहसून और मूली कभी नहीं।

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कुछ चीजों को एक साथ खाना अमृत का काम करता है जैसे–
•खरबूजे के साथ चीनी
•इमली के साथ गुड
•गाजर और मेथी का साग
•बथुआ और दही का रायता
•मकई के साथ मट्ठा
•अमरुद के साथ सौंफ
•तरबूज के साथ गुड
•मूली और मूली के पत्ते
•अनाज या दाल के साथ दूध या दही
•आम के साथ गाय का दूध
•चावल के साथ दही
•खजूर के साथ दूध
•चावल के साथ नारियल की गिरी
•केले के साथ इलायची

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कभी कभी कुछ चीजें बहुत पसंद होने के कारण हम ज्यादा बहुत ज्यादा खा लेते हैं। ऎसी चीजो के बारे में बताते हैं जो अगर आपने ज्यादा खा ली हैं तो कैसे पचाई जाएँ —-
•केले की अधिकता में दो छोटी इलायची
•आम पचाने के लिए आधा चम्म्च सोंठ का चूर्ण और गुड
•जामुन ज्यादा खा लिया तो 3-4 चुटकी नमक
•सेब ज्यादा हो जाए तो दालचीनी का चूर्ण एक ग्राम
•खरबूज के लिए आधा कप चीनी का शरबत
•तरबूज के लिए सिर्फ एक लौंग
•अमरूद के लिए सौंफ
•नींबू के लिए नमक
•बेर के लिए सिरका
•गन्ना ज्यादा चूस लिया हो तो 3-4 बेर खा लीजिये
•चावल ज्यादा खा लिया है तो आधा चम्म्च अजवाइन पानी से निगल लीजिये
•बैगन के लिए सरसो का तेल एक चम्म्च
•मूली ज्यादा खा ली हो तो एक चम्म्च काला तिल चबा लीजिये
•बेसन ज्यादा खाया हो तो मूली के पत्ते चबाएं
•खाना ज्यादा खा लिया है तो थोड़ी दही खाइये
•मटर ज्यादा खाई हो तो अदरक चबाएं
•इमली या उड़द की दाल या मूंगफली या शकरकंद या जिमीकंद ज्यादा खा लीजिये तो फिर गुड खाइये
•मुंग या चने की दाल ज्यादा खाये हों तो एक चम्म्च सिरका पी लीजिये
•मकई ज्यादा खा गये हो तो मट्ठा पीजिये
•घी या खीर ज्यादा खा गये हों तो काली मिर्च चबाएं
•खुरमानी ज्यादा हो जाए तोठंडा पानी पीयें
•पूरी कचौड़ी ज्यादा हो जाए तो गर्म पानी पीजिये
अगर सम्भव हो तो भोजन के साथ दो नींबू का रस आपको जरूर ले लेना चाहिए या पानी में मिला कर पीजिये या भोजन में निचोड़ लीजिये; 80% बीमारियों से बचे रहेंगे।

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गले में दर्द

🌹250 मिलीलीटर पालक के पत्ते लेकर 2 गिलास पानी में डालकर उबाल लें और जब उबलने के बाद पानी आधा बाकी रह जाये तो उसे छान लें। इसके गर्म-गर्म पानी से गरारे करने से गले का दर्द ठीक हो जाता है।

🌹एक गिलास पानी में एक नींबू को निचोड़कर उससे कुल्ला और गरारे करने से आराम आता है या गर्म पानी में नींबू निचोड़कर पीने से भी आराम आता है।

🌹एक छोटे चम्मच नींबू के रस में एक बड़ा चम्मच शहद मिलाकर दिन में 2 से 3 बार थोड़ा-थोड़ा खाने से गले का दर्द ठीक हो जाता है।

🌹निर्गुण्डी के पत्तों का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से लाभ होता है।

🌹2 चम्मच नीम की पत्तियों के रस को एक गिलास गर्म पानी में, आधा चम्मच शहद को मिलाकर रोजाना गरारे करने से गले में जमा हुआ कफ दूर होता है।

🌹पानी में नमक को मिलाकर गरारे करने से टॉन्सिल, गले में दर्द, सूजन, दांत के दर्द आदि रोगों में आराम मिलता है।

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🌹जीरा के औषधीय प्रयोग

🌻जिरा त्रिदोषशामक, वायुनाशक, वेदनाहारक और मात्रृदुग्धवर्धक है |

🌻 जिरा व मिश्री समभाग पीसकर ५-६ ग्राम मिश्रण सुबह-श्याम दूध के साथ लेने से माताएँ के  दूध बढ़ जाता है|२-३ ग्राम जीरे गुड के साथ खाने से भी माँ का दूध बढ़ जाता है |

🌻सफेद जिरा ऊबाल के उस पानी से कुछ दिन मुँह धोने से फोड़ो-फंसी, के दाग दूर होते है |

🌻जिरा और मिश्री समभाग पीसकर २ से ५ ग्राम मिश्रण चावल के पानी के साथ लेने से श्वेतपदर (ल्यूकोरिया) में लाभ होता है |

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दादी माँ के कुछ प्रभावी घरेलू नुस्खे – पुराने समय से चली आ रही कुछ जानकारियां, जिन्हें आज की पीढ़ी भुला रही है – SIMPLE EFFECTIVE, TRADITIONAL HOME-REMEDIES – DADI MA KE NUSKHE –

अक्सर घर के बुजुर्गों के पास ही हर समस्या का समाधान मिल जाता था, जो रामबाण इलाज होता था। ऐसी ही कुछ छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याएं को हल करने के लि‍ए दादी मां के यह रामबाण घरेलू नुस्खे ही काफी हैं. पिछले कुछ दिनों में, पहले दो भागों में हमने ऐसे 22 घरेलू नुस्खे लिखे. 21 और 24 अगस्त को भाग-3 और 4 में बालों के झड़ने पर नियंत्रण के लिए 10 सरल उपाय लिखे. इसमें आज भाग-5 में त्वचा और चेहरे के सौंदर्य के लिए कुछ उबटन और प्राकृतिक घरेलू चीजें बता रहे हैं :

बेदाग व निखरी त्‍वचा के लिए कुछ उबटन :

हल्दी :
हल्‍दी त्‍वचा के लिए कितनी अच्‍छी होती है इस बारे में हम आपको समय-समय पर बताते रहते हैं। जी हां, हल्‍दी में मौजूद एंटी-ऑक्‍सीडेंट और करक्यूमिन नामक तत्‍व ना केवल हेल्‍थ के लिए, बल्कि आपको सुंदर बनाने में भी मददगार होते है। आपने देखा ही होगा, दुल्‍हन को शादी से पहले हल्‍दी लगाई जाती है, ताकि उस की त्‍वचा निखरी हुई दिखाई दें। हल्‍दी का उबटन बनाने के लिए आपको हल्‍दी, बेसन या आटा, ताजी मलाई, थोड़ा सा सरसों का तेल और दूध की जरूरत होती है। सबसे पहले हल्‍दी में बेसन या आटा मिला लें। फिर इसमें ताजी मलाई, दूध और थोड़ा सा सरसों का तेल मिलाकर गाढ़ा पेस्‍ट बना लें। इसे 10 मिनट चेहरे पर लगाकर ऐसे ही छोड़ दें। जब ये थोड़ा सूख जाए, तो इसे हल्‍का सा रगड़कर साफ कर लें। फिर चेहरे को पानी से धो लें।

ग्रीन-टी :
हल्‍दी की तरह ग्रीन टी में भी एंटी-ऑक्‍सीडेंट भरपूर मात्रा में होते है। इसलिए, इसका इस्‍तेमाल वेट लॉस के लिए किया जाता है। लेकिन क्‍या आप जानती हैं, कि आप ग्रीन टी का उबटन बनाकर भी अपने चेहरे पर लगा सकती हैं। ग्रीन टी का उबटन बनाने के लिए आपको 2 ग्रीन टी के बैग, 1 छोटा चम्‍मच नींबू के रस और 1 छोटा चम्‍मच शहद की जरूरत होती है। सबसे पहले 2 ग्रीन-टी बैग को पानी में अच्छी तरह डिप करें और फिर उसमें से पाउडर निकाल लें। अब इसमें नींबू का रस और शहद मिक्स कर लें। इसे अपने चेहरे पर लगाकर 15 मिनट के लिए ड्राई होने दें और फिर इसे पानी से धो लें।

चंदन पाउडर :
चंदन पाउडर हमारी त्‍वचा के लिए बहुत अच्‍छा होता है। इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल तत्व चेहरे को बूढ़ा होने से बचाते हैं। ये त्‍वचा को टाइट कर उसे जवां बनाए रखने में मदद करता है। इसके अलावा चंदन में हर्बल एंटीसेप्टिक गुण होते है। इसके अलावा अगर यह सनटैन को भी ठीक करता है। चंदर का उबटन बनाने के लिए आापको थोड़े से चंदन पाउडर, 1 छोटा चम्‍मच टमाटर और नींबू के रस की जरूरत होती है। सबसे पहले चंदन पाउडर में इन दोनों चीजों को अच्‍छी तरह से मिलाकर पेस्‍ट बना लें। फिर इसे अपने चेहरे पर 10-15 मिनट लगाएं और फिर ताजे पानी से धो लें। आप इसका इस्‍तेमाल रोजाना कर सकती हैं। ऐसा करने से ना केवल आपकी स्किन ग्‍लोइंग होगी बल्कि यह एलर्जी व पिंपल्स जैसी समस्याओं को भी दूर करेगा।

बादाम :
बादाम में विटामिन, प्रोटीन और मिनरल्स का खजाना छुपा होता है. इसलिए ये स्किन के लिए काफी फायदेमंद होता है। बरसों से स्किन केयर में बादाम का इस्‍तेमाल किया जा रहा है। इसे लगाने से एजिंग से निजात और स्किन से कालेपन दूर होने की समस्या कम होती है। इसके अलावा, बादाम में कई तरह के एंटी ऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं, जो चेहरे में निखार लाते हैं और स्किन का रूखापन भी दूर करते हैं। रात को 10-15 बादाम को भिगो दे और सुबह उठकर इसे छील कर इसका पेस्ट बना लें। फिर इसमें हल्‍का सा दूध और शहद मिला कर आप स्क्रब की तरह इस्तेमाल करें। रेगुलर ऐसा करने से आपको खुद फर्क महसूस होगा।

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आप का आज का दिन मंगलमयी हो – आप स्वस्थ रहे, सुखी रहे – इस कामना के साथ।

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