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जन्माष्टमी पर पंजीरी बनाये जाने के
पीछे भी है आयुर्वेदीय मत
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मित्रों नमस्कार!सर्वप्रथम आप सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें मैने हमेशा कोशिश की है कि हर भारतीय त्योहार व उससे जुडे खान-पान का वैग्यानिक विश्लेशण किया जाएl जन्माष्टमी के इस पावन पर्व पर अपने पिछले लेख में मैने बताया था कि किस प्रकार सजग रहकर हम मिलावटी कुट्टू आदि से दूर रह सकते हैं l
आज इस लेख के द्वारा मैं जन्माष्टमी पर पंजीरी बनने के विधान पर प्रकाश डालना चाहूँगा👇👇👇👇👇

🚩वर्षा काल में वात प्रकोप होता है व विभिन्न वात विकार उत्पन्न होते हैं। वर्षा काल में मनाये जाने वाले उत्सव से मन उल्लासित रहता है, चिन्ता, शोक भय से वायु की वृद्धि होती है एवं हर्ष, उल्लास, प्रसन्नता, उत्साह से वायु का नाश होता है अत: ऐसे त्यौहार मनाने से शारीरिक एवं मानसिक प्रसन्नता प्राप्त होती है।

🚩 जन्माष्टमी पर बनायी जाने वाली #पंचजीरी जिसका #अपभ्रंश #पंजीरी हो गया, वात का शमन करने वाली है इसमें धनियाँ, अजवाइन सौंफ, जीरा एवं सोया बराबर मात्रा में लिया जाता है इनको पीसकर चूर्ण बना इसमें बूरा व शुद्ध घी मिलाते हैं, जो वात का शमन एवं अनुमोलन करने वाला होता हैइसी के साथ पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) अत्यन्त पौष्टिक एवं वातशामक होता है।

🚩इस अवसर पर पायी जाने वाली नीम एवं पंच-पल्लव(आम,कैथ,बेल,जामुन,
बिजोरा के पत्ते)की बाँदनवार भी जीवाणु नाशक होती है। यें पाँचो प्रकार के पेड इस समय फल रहित होकर विसर्ग काल होने के कारण नई ऊर्जा प्राप्त करते हैं और बदले में उसे हमारे वातावरण में प्रतिपादित करते हैं जन्माष्टमी के बाद 10 दिन तक पंचजीरी चूर्ण 20 ग्राम की मात्रा में तथा पंचामृत का सेवन करने का विधान था जिसका स्वरूप स्वादिष्ट-गरिश्ठ लड्डू-पेडो ने ले लियाl इस आधुनिक युग में पूरे वर्ष मिश्ठान-पकवान मे रहते हुए भी क्या हमे उपवास वाले त्योहार उसके सच्चे स्वरूप में नही मनाने चाहियें

🚩लेकिन धीरे-धीरे हर प्रचलन,हर कारण का स्वरूप बदल जाता है और वह अपनी सुविधा,अपने स्वादानुसार विकृत कर दिया जाता हैl
🙏ईश्वर आपको स्वस्थ् रखें
🔴🔴🔴🔴🔴🔴🔴
गुलाब के अदभुत स्वास्थ्य लाभ :
गुलाब को फूलों का राजा कहा जाता है। लाल गुलाब के फूल हमारी ऊर्जा में वृद्धि करते हैं। ये हमारी ‘एड्रीनल ग्रंथि’ को प्रभावित करते हैं। लाल गुलाब की पंखुड़ियों से निर्मित गुलकंद हमारे उदर विकारों को दूर कर शरीर की गर्मी को कम करता है। इसके नियमित सेवन से हमारे होंठ गुलाब की पंखुड़ी जैसे ही लाल बनते हैं। गुलाब के द्वारा बनाएं जाने वाले दो पदार्थ अधिक प्रसिद्ध हैं एक तो गुलकंद और दूसरा गुलाबजल।
तासीर : इसकी प्रकृति ठंडी होती है।
गुलाब की सेवन की जाने वाली मात्रा :
• फूल का काढ़ा 25 से 50 मिलीलीटर।
• गुलकंद 10-30 ग्राम।
• गुलाब के फूलों का रस 20-40 ग्राम।
• गुलाब के ताजे फूल 10 ग्राम से 30 ग्राम तक।
• शुष्क फूलों का चूर्ण 3 से 6 ग्राम।

गुलाब के औषधीय गुण

★ गुलाब का फूल जितना दिखने में सुन्दर होता है उसमें उतना ही औषधीय गुण पाए जाते हैं।
★ आयुर्वेदिक मतानुसार गुलाब के रस का स्वाद तीखा, चिकना, कषैला और मीठा होता है।
★ गुलाब का उपयोग करने से दिल, दिमाग और आमाशय की शक्ति में वृद्धि होती है जिसके फलस्वरूप इनकी क्रिया भी ठीक प्रकार से होने लगती है।
★ गर्मी से होने वाले उन्माद रोग को ठीक करने के लिए गुलाब का उपयोग करना लाभदायक होता है। यह मन के प्रसन्न करता है तथा पाचन शक्ति की क्रिया को ठीक करता है।
★ यह वात-पित्त को नष्ट करता है।
★ यह शरीर की जलन, अधिक प्यास तथा कब्ज को भी नष्ट कर सकता है।
★ गुलाब में विटामिन सी की बहुत अधिक मात्रा पाई जाती है। गर्मी के मौसम में इसके फूलों को पीसकर शर्बत में मिलाकर पीना लाभकारी होता है तथा इसको पीने से हृदय व मस्तिष्क को शक्ति मिलती है।
★ गुलाब का सेवन करने से चेहरे पर चमक आ जाती है तथा शरीर का खून साफ हो जाता है।

रोगों निवारण में गुलाब में घरेलू नुस्खे

१. थकावट: थकान को दूर करने के लिए 4 चम्मच गुलाबजल में 1 बूंद चंदन का तेल मिलाकर इससे शरीर की मालिश करें लाभ मिलेगा।
२. हाथ-पैरों की जलन:
• गर्मी के कारण हाथ-पैरों में जलन, पेट में गड़बड़ी, एसीडिटी आदि समस्यां हो तो गुलाब का शर्बत बनाकर पीएं इससे लाभ मिलेगा।
• हथेली और तलुवों में जलन हो तो चंदन पावडर और गुलाबजल मिलाकर इससे हथेली और तलुवों पर लेप करें।
३. पायरिया:
• गुलाबी रंग का गुलाब फूल खाने से मसूढ़े मजबूत होते हैं। मसूढ़ों से खून और मवाद आना भी बंद हो जाता है तथा पायरिया भी ठीक हो जाता है।

• गुलाब के फूलों की पंखुड़ियां चबाकर खाते रहने से मसूड़े और दांत मजबूत होते हैं। इसके सेवन करने से मुंह की बदबू दूर होकर पायरिया की बीमारी ठीक हो जाती है।
४. लू (गर्मी):
• 1 गिलास ठंडे पानी में 1 चम्मच गुलाबजल मिलाकर उसमें कपड़ा भिगों दें और इसे निचोड़कर सिर पर रखें इससे लू का प्रकोप शांत हो जाता है।
•गुलाब के गुलकंद का सेवन करने से पूरे शरीर में ठंडक आ जाती है और लू का प्रकोप भी इससे शांत हो जाता है।
• लू लगने पर गुलकंद और गुलाब का शर्बत पीना चाहिए इससे लाभ मिलेगा।
• गर्मी से बचने के लिए एक 1 गुलाब के शर्बत में 2 चम्मच गुलकंद मिलाकर सुबह भूखे पेट और शाम को सोते समय पीएं इससे लाभ मिलेगा।
५. चेहरे के कील-मुंहासें: गुलाब के गुलकंद का सेवन प्रतिदिन दो बार करने से कील-मुंहासें ठीक हो जाते हैं तथा इसके साथ ही सिर दर्द, यकृत रोग, कोलाइटिस, चिकन पोक्स व अन्य छूत के रोग, गर्भावस्था के समय में कब्ज की समस्यां तथा स्तनों में दूध की कमी आदि प्रकार के कष्ट भी दूर हो जाते हैं।
६. खूनी बवासीर: खूनी बवासीर में गुलाब के 3 ताजा फूलों को मिश्री के साथ मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है।
७. मासिकधर्म में अधिक खून बहना: अगर मासिकधर्म में खून ज्यादा मात्रा में आ रहा हो तो मासिकधर्म शुरू होने से 20 दिन पहले से ही सुबह-शाम 1-1 चम्मच गुलाब का गुलकंद खाने से लाभ मिलता है।
८. अधिक प्यास लगना:– अगर प्यास बहुत लगती हो तो दिन में 2 बार गुलाब का शर्बत पीना चाहिए।
९. होंठों का कालापन:
• गुलाब की पंखुड़ियों को पीसकर उसमें थोड़ा सा ग्लिसरीन अच्छी तरह से मिला लें और इसे दिन में 3-4 बार होठों पर लगाएं इससे होंठों का कालापन दूर होता है।
• गुलाब के एक फूल को पीसकर उसमें थोड़ी सी मलाई मिला लें, फिर इसे 10 मिनट तक होंठों पर लगायें इसके बाद होंठों को धो दें। कुछ दिनों तक इस प्रकार से उपचार करने पर होंठों का कालापन दूर हो जाएगा।
• गुलाब की पंखुड़ियों को पीसकर उसमें थोड़ी सी ग्लिसरीन मिला लें। इस मिश्रण को रोजाना होठों पर लगाने से होठ सुन्दर बनते हैं और होंठों का कालापन भी दूर हो जाता है।
१०. मुंह के छाले:
• गुलाब के फूलों का काढ़ा बनाकर उससे कई बार गरारा करने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
• गुलाब के 2 फूलों को पानी में उबालें और इस पानी से कुल्ला करें। इस प्रकार से उपचार कुछ दिनों तक करने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
• गुलाब के पत्तों को चबाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
• मुंह में छाले हो तो गुलाबजल से कुल्ला करें अथवा गुलाब के 2 फूल को 1 गिलास पानी में उबालें और इस पानी को ठण्डा करके इससे कुल्ला करें इससे लाभ मिलेगा।
• पेट की गर्मी के कारण से मुंह में छाले हो जाए तो गुलाब के सूखे फूलों को रात के समय में 1 गिलास पानी में भिगने के लिए रख दें और सुबह इसे मसलकर छान लें, फिर इस पानी में 2 चम्मच चीनी मिलाकर पीयें। इस प्रकार से उपचार करने से पेट की गर्मी दूर होती है जिसके फलस्वरूप मुंह के छाले भी ठीक हो जाते हैं।
• गुलाब की 10 पंखुड़ी, 3 इलायची, 5 कालीमिर्च तथा 10 ग्राम मिश्री को एक साथ पीसकर एक कप पानी में मिलाकर रखें और 4-4 घंटों के बाद इस पानी को पीएं इससे मुंह के छाले ठीक हो जाएंगे।
११. कान का दर्द: गुलाब के फूलों का निकाला हुआ ताजा रस कानों में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।
१२. होंठों का फटना: गुलाब के एक फूल को पीसकर उसमें थोड़ी सी मलाई मिलाकर इससे होठों पर लेप करें। आधे घंटे के बाद इसे धो लें। कुछ ही दिनों तक यह लगाने से होंठ फटेंगे नहीं और होंठों का रंग बिल्कुल गुलाब जैसा लाल हो जायेगा।
१३. दाद:
• नींबू का रस तथा गुलाब का रस बराबर मात्रा में लेकर मिला लें। इस रस को प्रतिदिन दाद पर लगाएं इससे लाभ मिलेगा।
• 50 ग्राम गुलाबजल में 1 नींबू का रस मिलाकर रोजाना 3 बार दाद पर लगाऐं इससे दाद ठीक हो जाता है।
• दाद और मुंहासों पर गुलाब का रस लगाएं तथा 1-1 चम्मच दिन 3 बार इसे पीएं इससे दाद ठीक हो जाता है।
१४. आंखों के रोग:
• गुलाब का रस 2-2 बूंद सुबह-शाम आंखों में डालने से आंखों के रोगठीक हो जाते हैं।
• गुलाबजल आंखों में डालने से आंखों की जलन और किरकिरापन दूर हो जाता है।
• 50 ग्राम गुलाब जल में 1 ग्राम फिटकरी डालकर 1 से 2 बून्दे रोजाना 2 से 3 बार आंखों में डालने से आंखों के कई प्रकार के रोग जैसे- आंखें लाल होना, आंखों में कीचड़ जमना, आंखों में जलन होना आदि रोग ठीक हो जाते हैं।
१५. अतिसार (दस्त):
• 10 ग्राम गुलाब के फूल और 5 ग्राम मिश्री को मिलाकर दिन में 3 बार खाएं इससे लाभ मिलेगा।
• अतिसार (दस्त) होने की स्थिति में गुलाब के फूलों के बीच लगने वाले छोटे-छोटे दाने जिसे जीरा कहते हैं उसे दिन में 3 बार 1 ग्राम की मात्रा में सेवन करें।
१६. श्वेतप्रदर:
• 2 चम्मच शुष्क गुलाब के फूलों का चूर्ण और 1 चम्मच मिश्री को एक साथ मिलाकर दूध के साथ रोजाना सुबह-शाम सेवन करें तथा गुलाब के ताजे पिसे हुए फूल को सोते समय योनि में रखें इससे श्वेत प्रदर में जल्दी लाभ मिलेगा।
• गुलाब के फूलों को छाया में अच्छी तरह से सुखाकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें फिर इसमें से लगभग 3 से 5 ग्राम की मात्रा में एक दिन में सुबह और शाम (दो बार) दूध के साथ सेवन करने से श्वेत प्रदर ठीक हो जाता है।
• श्वेत प्रदर रोग होने के साथ ही पेशाब में जलन हो तो ऐसी स्थिति में उपचार करने के लिए गुलाब के ताजा फूल और 50 ग्राम मिश्री दोनों को पीसकर, आधा गिलास पानी में मिलाकर रोजाना 10 दिनों तक सेवन करें इससे लाभ मिलेगा।
• श्वेत प्रदर रोग में गुलाब के 10 ग्राम पत्तों को पीसकर मिश्री में मिलाकर दिन में 2-3 बार सेवन करें।
• 50 ग्राम गुलाब के फूलों की कोमल पंखुड़ियों में मिश्री मिलाकर खाने तथा इसके बाद दूध पीने से श्वेत प्रदर रोग में फायदा मिलता है।
१७. प्रदर रोग: गुलाब के ताजे फल में 50 ग्राम मिश्री पीसकर इसे आधा गिलास पानी में मिला लें और फिर इसे पी लें। इस प्रकार से सुबह और शाम रोजाना 10 दिनों तक इस प्रकार से उपचार करने पर प्रदर रोग ठीक हो जाता है।
१८. पेट के रोग:
• भोजन करने के बाद 2 चम्मच गुलकंद को रोजाना 2 बार खोन से पेट के सभी रोग ठीक हो जाते हैं।
• गुलाब 5 ग्राम की मात्रा में तथा मुलहठी 5 ग्राम की मात्रा में लेकर, इसे 500 मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बना लें फिर इसमें से 100 मिलीलीटर काढ़ा पीएं। सुबह-शाम इसका सेवन करें इससे कब्ज तथा पेट के कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं।
• सौंफ का रस, पुदीने के रस तथा गुलाब के रस को मिला लें और इसमें से 4-4 बूंदों को पानी में मिलाकर सेवन करें इससे पेट के कई रोग ठीक हो जाएंगे।
१९. खुजली: चमेली का तेल, नींबू का रस और गुलाब का रस बराबर मात्रा में मिलाकर जहां पर खुजली हो वहां पर इसे लगाएं इससे खुजली दूर हो जाती है।
२०. शीतपित्त:
• चंदन के तेल तथा गुलाब के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर शीतपित्त पर लगाएं इससे लाभ मिलेगा।
• गुलाब के रस में थोड़ा सा चंदन का तेल मिलाकर इससे शीतपित्त पर मालिश करें इससे शीतपित्त ठीक होती है।
• 25 ग्राम गुलाब के जल में 25 ग्राम सिरका मिलाकर शरीर पर लगायें इससे शीत पित्त में बहुत अधिक लाभ मिलता है।
• चौथाई कप गुलाबजल में एक बूंद चंदन का तेल मिलाकर इससे शरीर की मालिश करें इससे शीतपित्त ठीक हो जाती है।
• पित्ती उछलने पर गुलाबजल में चंदन का पाऊडर मिलाकर लेप करने से आराम मिलता है।
२१. सिर दर्द:
• 10 ग्राम गुलाब की पंखुड़ियों को 2 इलायची के साथ चबाकर खाने सेसिर दर्द ठीक होता है।
• गर्मी के कारण से सिर दर्द हो तथा जी मिचलाएं तो सफेद चंदन को गुलाबजल में पीसकर माथे लेप करें इससे लाभ मिलेगा।
• गुलाब का इत्र माथे पर लगाने से सिर दर्द में लाभ मिलता है।
• गुलाबजल की 2-3 बूंद दोनों नथुने (नाक के छेद) में डालने से सिर दर्द कम होता है।
• बुखार होने के साथ ही सिर दर्द हो तो 2 चम्मच गुलाबजल को इतने ही पानी मिलाकर हर 3 घंटे में 3 बार पीएं इससे सिर दर्द ठीक हो जाता है।

२२. आधासीसी (माइग्रेन):
• आधासीसी (आधे सिर का दर्द) के दर्द की अवस्था में उपचार के लिए 2 दाने इलायची, 1 चम्मच मिश्री और 10 ग्राम गुलाब की पत्तियों को पीसकर सुबह खाली पेट सेवन करें इससे लाभ मिलेगा।
• आधासीसी के दर्द में 1 ग्राम नौसादर को 12 ग्राम गुलाबजल में मिला लें। इस जल को रोगी के नाक में 4-5 बूंद की मात्रा में डालकर, रोगी नाक से इस दवा को अन्दर की ओर खींचने के लिए कहें इससे फायदा मिलेगा।
२३. सीने की जलन व जी मिचलाना: 1 कप गुलाबजल को चौथाई कप पानी में मिलाकर दिन में 2-3 बार सेवन करें इससे सीने की जलन तथा जी मिचलाने की अवस्था में आराम मिलेगा।
२४. अम्लपित्त: गुलाबजल में गुलाब का फूल, 1 इलायची और 1 चम्मच धनिये के चूर्ण को मिलाकर पीस लें। भोजन करने के बाद इसे सेवन करें इससे अम्लपित्त रोग में लाभ होता है।
२५. धूप से झुलसना: 1 भाग ग्लिसरीन, आधा भाग नींबू का रस और आधा भाग सेब का रस तथा 2 भाग गुलाबजल इन सब को मिलाकर फ्रिज में रख दें। इस लेप को धूप से झुलसी हुई त्वचा पर लगाएं इससे लाभ मिलेगा।
२६. घमौरियां, पसीना: गर्मी के मौसम में शरीर में अलाइयां तथा घमौरियां अधिक निकलती है तथा शरीर से पसीना भी बहुत अधिक निकलता है। इस प्रकार के कष्टों को दूर करने के लिए नहाते समय 1 बाल्टी पानी में 20 बूंद गुलाबजल डालकर स्नान करें। रात को 4 चम्मच गुलाब का गुलकंद खाकर ऊपर से गर्म दूध पी लें इससे भी लाभ मिलेगा।
२७. त्वचा के रोग: पानी में गुलाबजल डालकर प्रतिदिन स्नान करें इससे त्वचा के सभी रोग ठीक हो जाते हैं तथा शारीरिक सौन्दर्य बढ़ता है और इसकी सुगंध से दिमाग को ताजगी मिलती है।
२८. कब्ज:
• गुलाब का रस पीने से कब्ज दूर होती है। यह आंतों में छिपे हुए मल को बाहर निकाल देता है।
• 2-2 चम्मच गुलकंद सुबह-शाम को सोते समय गुनगुने दूध या पानी के साथ सेवन करने से कब्ज पूरी तरह से नष्ट हो जाती है। इससे पेट व आंतों की गर्मी भी शांत होती है।
• गुलकंद तथा अमलतास के गूदे को 1-1 चम्मच की मात्रा में या गुलकंद को सनाय की पत्ती के साथ सेवन करने से कब्ज दूर होती है।
• गुलाब की पत्ती, सनाय तथा हर्रे को 3 : 2 : 1 के अनुपात में लेकर 50 मिलीलीटर पानी में उबालें। उबलने पर जब चौथाई हिस्सा पानी बाकी रह जाए तो रात के समय में हल्का गर्म करके पी जाएं इससे कब्ज शिकायत दूर हो जाती है।
• 2 बड़े चम्मच गुलकंद, 4 मुनक्का व आधा चम्मच सौंफ को साथ-साथ एक साथ लेकर उबालें, जब आधा पानी बच जाये तो रात में सोते समय पी लें इससे पुरानी कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।
• सनाय 10 ग्राम, सौंफ 10 ग्राम, गुलाब के फूल 10 ग्राम और मुनक्का 20 ग्राम को 250 मिलीलीटर पानी में डालकर उबालें, जब पानी 50 ग्राम की मात्रा में बच जाएं तब इस काढ़े को छानकर पी लें इससे कब्ज़ (कोष्ठबद्धता) पुरी तरह से समाप्त हो जाएगी।
• गुलाब की पत्तियां 10 ग्राम, सनाय का 1 चम्मच पीसा हुआ चूर्ण, 2 छोटी हरड़ को लेकर दो कप पानी में डालकर उबाल लें। पानी जब एक कप बच जायें, तब इस बनें काढ़े का सेवन करें इससे लाभ मिलेगा।
• गुलाब 10 ग्राम, मजीठ 10 ग्राम, निसोत की छाल 10 ग्राम, हरड़ 10 ग्राम और सोनामाखी 10 ग्राम आदि को 80 ग्राम चीनी में मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में से साढ़े तीन ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करें इससे लाभ मिलता है।
२९. सांप का जहर: गुलाबजल में चंदन को घिसकर कपूर मिलाकर लेप बना लें और इस लेप को सांप के डंक लगे स्थान पर लगाएं इससे लाभ मिलेगा।
३०. आंखों के चारों ओर कालापन छा जाना: 1 चम्मच देशी गुलाब के फूलों का गुलकंद शाम के समय लें इससे आंखों के चारों ओर का कालापन दूर हो जाता है।
३१. योनि रोग: गुलाब का रस लगभग 10 मिलीलीटर और रोगन गुल 10 ग्राम को मिलाकर खाने से योनि की खुजली मिट जाती है।
3२. नंपुसकता: 3 बोतल गुलाबजल में 10 ग्राम सोने का बुरादा डालकर मिला लें जब सब गुलाबजल में अच्छी तरह से मिल जाए तब इसके बाद बुरादे को निकाल कर रख लें। इसमें से 0.12 ग्राम या 0.24 ग्राम मलाई को मिलाकर खाने से  शक्ति में वृद्धि होती है।
३३. मुंह की दुर्गंध: गुलाब की ताजी पंखड़ियां चबाने से एवं मसूढ़ों पर मलने से मसूढ़ें तथा अन्य करणों से आने वाली मुंह की दुर्गन्ध नष्ट हो जाती है।
३४. घाव: घाव पर गुलाब के पंखुड़ियों का चूर्ण डालने और सूजन पर गुलाब की पंखुड़ियों को पीसकर लेप लगाने से घाव जल्दी ठीक हो जाता है।
३५. अरूंषिका (वराही): ताजे गुलाब के फूलों को पीसकर सिर में लेप करने से अरूंषिका रोग ठीक हो जाता है।
३६. नकसीर: गुलाब जल में किशमिश के 20 दानों को मिलाकर सेवन करने से नकसीर (नाक से खून बहना) के रोग में आराम मिलता है।
३७. मुर्च्छा (बेहोशी):
• गुलाबजल को रोगी को पिलाने और पंखे से हवा करने से बेहोशी दूर हो जाती है।
• गुलाब जल के छींटे आंखों पर मारने से गर्मी के कारण होने वाली बेहोशी दूर हो जाती है।
३८. हृदय की धड़कन:
• सफेद गुलाब की पंखड़ियों का रस 10 से 20 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से हृदय की धड़कन में लाभ मिलता है।
• एक गुलाब के फूल को बासी मुंह चबाकर खा जाएं इससे हृदय की अनियमित धड़कन ठीक हो जाती है।
• 50 ग्राम गुलाब के सूखे फल, 100 ग्राम मिश्री को एकसाथ मिलाकर पीस लें। इस चूर्ण के 2-2 चम्मच सुबह-शाम गर्म दूध के साथ सेवन करने से दिल का धड़कना सही हो जाता है।
• यदि दिल बहुत धड़कता हो तो गुलाब के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिला लें। इस चूर्ण में से 1-1 चम्मच गाय के दूध के साथ दिन में 2 बार सेवन करने इससे लाभ मिलेगा।
३९. नहरूआ:
• 3 ग्राम भुने चने और 3 ग्राम हींग को गुलाब के साथ पीसकर चूर्ण बनाकर लें। यह चूर्ण सुबह-शाम 7 दिन तक सेवन करने से नहरूआ रोग ठीक हो जाता है।
• 10 ग्राम शुद्ध सुहागा को गुलाब के तेल में मिलाकर तीन दिन तक खाने से नहरूआ रोग नष्ट हो जाता है तथा सूजन मिट जाती है।
४०. मिर्गी (अपस्मार): गुलाबजल में लगभग 0.48 ग्राम गोरोचन दिन में 3 बार मिलाकर रोगी को पिलाने से मिर्गी के कारण आने वाले दौरे दूर हो जाते हैं।
४१. बच्चों की आंखों के लिए हितकर: अगर आंखों में जलन हो तो गुलाब-जल के छींटे आंखों में मारे अथवा केसर को घोटकर शहद में मिलाकर आंख में लगाएं इससे लाभ मिलेगा।
४२. शरीर में सूजन: शरीर में सूजन आने पर गुलाब के फूलों की पंखुड़ियों को पीसकर पानी में डालकर पतला करके सारे शरीर पर लेप करें या इससे मालिश करें तथा इसके एक घंटे बाद रोगी को स्नान कराएं इससे फायदा मिलेगा।
४३. गुलकंद बनाने की विधि: गुलाब के फूल की पंखुड़ियों में बराबर की मात्रा में चीनी मिलाकर 2 सप्ताह धूप में रखने से गुलकंद बनता है। यदि गुलाब के फूल की ताजी पंखुड़ियां न मिले तो सूखी पंखुड़ियों को साफ करके थोड़ी देर पानी में भिगोकर इसे बना सकते हैं।
४४. शरीर की रक्षा करने के लिए: गुलाब के फूल और पत्तियों में विटामिन सी, ई, कैरोटीन, फ्रूट, एसिड वसायुक्त तेल तथा निकोटिनेमाइड पाया जाता है जो हमारे शरीर के लिए लाभकारी होता है। गुलाब शरीर की रोगप्रतिरोधक (रोगों से लड़ने की ताकत) शक्ति को बढ़ाता है जिसके फलस्वरूप कई प्रकार के रोग नहीं होते हैं।
४५. बदबूदार पसीना आना:
• बदबूदार पसीना आने पर गुलाब के फूलों को पीसकर शरीर में लेप करना चाहिए तथा थोड़ी देर बाद स्नान कर लेना चाहिए इससे लाभ मिलेगा।
• एक बाल्टी पानी में 10 ग्राम गुलाबजल व एक नींबू का रस निचोड़कर स्नान करें इससे शरीर की बदबू दूर होती है।
• गुलाब की लाल या सफेद पंखुड़ियों के चूर्ण को शरीर पर मलने से पसीना निकलना कम हो जाता है और शरीर की बदबू भी मिट जाती है।
४६. स्तनों में दर्द: अगर स्तनों में सूजन हो तो गुलाबजल में रुई भिगोंकर स्तनों पर रखें तथा आधे घंटे तक इसी अवस्था में आराम करें इससे स्तनों का दर्द ठीक हो जाता है तथा सूजन भी दूर हो जाती है।
४७. नींद: अच्छी गहरी नींद लेने के लिए पानी में गुलाबजल मिलाकर स्नान करें तथा सोते समय तकिये के किनारे पर 2 बूंद गुलाब का इत्र (प्रफ्यूम) छिड़क दें इससे नींद अच्छी आती है।
४८. हृदय की कमजोरी: हृदय की कमजोरी को दूर करने के लिए गुलाब का सेवन करना लाभकारी होता है।
४९. यकृत के रोग: यकृत (जिगर) बढ़ा हुआ हो और इसमें सूजन तथा दर्द हो रहा हो तो गुलाब के 4 ताजे फूलों को पीसकर यकृत (जिगर) वाले स्थान पर लेप करें इससे लाभ मिलेगा।
५०. यौवनशक्तिवर्द्धक: रोजाना 2 गुलाब के ताजे फूलों का सेवन करने से यौवन शक्ति में वृद्धि होती है।
५१. स्मरणशक्ति: गुलाब का गुलकंद रोजाना 2-3 बार 3 चम्मच की मात्रा में खाने से स्मरणशक्ति में वृद्धि होती है। गुलाब का इत्र माथे पर लगाने से मन प्रसन्न होता है। गुलाब का तेल बालों में लगाने से दिमाग ठण्डा रहता है।
५२. दर्द: गुलाब के उपयोग से किसी भी प्रकार का दर्द ठीक हो जाता है जैसे- हृदय में दर्द, सिर दर्द तथा आमाशय का दर्द आदि।
५३. चेहरे की सुन्दरता:
• गुलाब की ताजा पंखुड़ियों को पानी में उबाल लें और जब भी चेहरा साफ करना हो तब इस पानी से चेहरे को धोएं इससे चेहरे की चमक में वृद्धि होती है तथा ताजगी महसूस होता है।
• गुलाब की कुछ पंखुड़ियों को पीस लें और चेहरे को साफ करके लेप लगाएं और बीस मिनट बाद चेहरे को धो लें इससे चेहरे पर रोनक आ जाएगी।
५४. पुत्रोत्पत्ति: लड़की को अपना मासिकधर्म शुरू होने पर 3 दिन तक लगातार सुबह और शाम सफेद गुलाब के फूलों का गुलकंद बनाकर 125-ग्राम की मात्रा में खाना चाहिए और ऐसे ही लगातार 3 दिन में 750 ग्राम गुलकंद खाने से अधिक लाभ मिलता है।
५५. नेत्रज्योति वर्द्धक (आंखों की रोशनी बढ़ने के लिए):
• गुलाबजल आंखों में डालने से आंखों की रोशनी में वृद्धि होती है तथा आंखों के कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं।
• आंखों पर गुलाबजल के छीटें मारने या रुई का फोया गुलाबजल में भिगोंकर आंखों पर रखने से आंखों का दर्द ठीक होता है। इसके उपयोग से आंखों की लाली और सूजन भी कम हो जाती है।
• काले सुरमे के साथ ताजा गुलाब के फूलों के रस को आंखों में डालने से आंखों की जलन कम हो जाती है और आंखों की रोशनी भी बढ़ जाती है।

५६. गुलाब के अन्य देसी नुस्खे :
• गुलाब का फूल सौन्दर्य, स्नेह और प्रेम का प्रतीक है। गुलाब के फूलों से ठंडक मिलती है। शरीर के रंग-रूप में निखार आ जाता है। यह हृदय के लिए लाभकारी और त्रिदोषनाशक होता है।
• गुलाब का इत्र उत्तेजक होता है। गुलाबजल को गुलाब के रस के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। गुलाबजल मिठाइयों पर छिड़का जाता है या पानी में खुशबू के लिए डाला जाता है।
• गुलाबी गुलाब सौन्दर्य, चाहत, खुशी, आवेग, सादगी तथा प्रेम का प्रतीक माना जाता है।
• लाल और सफेद गुलाब जब एक साथ रखा जाता है तो यह मिलन का प्रतिक होता है।
• मासिकधर्म के रोग, रजोनिवृत्ति (मेनोपाज) तथा मासिकस्राव आने से पूर्व की समस्याओं (पीएमएस) के समय होने वाले कष्टप्रद लक्षणों को दूर करने के लिए गुलाब का तेल का उपयोग किया जाता है।
• 25 ग्राम गुलकंद में 5 ग्राम पिसी हुई सौंफ मिलाकर खाने से शरीर की जलन शांत हो जाती है।
• नकसीर, मासिकधर्म में अधिक रक्तस्राव होना, पेट और आंखों में जलन आदि रोग को ठीक करने के लिए गुलाब का उपयोग किया जा सकता है।
• गुलाब आंतों के रुखेपन और कब्ज को दूर करने में उपयोगी है।
• गर्मी में दिनों में जिन लोगों की त्वचा पर घमौरियां या फुंसियां होती हैं उनके इन कष्टों को दूर करने के लिए गुलाब का उपयोग करना लाभकारी हो सकता है।
• सफेद गुलाब को रोशनी का फूल, कोमलता, पवित्रता, सौम्यता, आध्यात्मिकता का प्रतीक माना जाता है। सफेद गुलाब की कली लड़कपन का प्रतीक होता है।
• गुलाब के फूलों का गुलदस्ता तोहफे के रूप में भेंट किया जाता है। आज कल प्रेमियों के बीच गुलाब के फूलों का लेन-देन करने का प्रचलन अधिक है क्योंकि यह प्रेम का प्रतिक होता है।

हानिकारक प्रभाव :
• गुलाब का अधिक मात्रा में सुघंने से जुकाम हो सकता है।
• गुलाब के फूल का ज्यादा मात्रा मे सेवन करने से संभोग करने की शक्ति में कमजोरी आती है।
• जिन रोगियों का पेशाब करने की नली कमजोर हो उन्हें गुलकंद का सेवन नहीं करना चाहिये क्योंकि इससे उन्हें अधिक हानि हो सकती है।
दोषों को दूर करने वाला : मिश्री गुलाब के गुणों को सुरक्षित रखता है तथा इसके दोषों को दूर करता है।

वन्देमातरम
[ पपीते से स्वास्थ्य लाभ

नाटे,अविकसित एवं दुबले-पतले बालकों को रोज पका हुआ पपीता उचित मात्रा में खिलाने से उनकी लम्बाई बढ़ती है,शरीर मजबूत व तंदुरुस्त बनता है।

वात रोग में मेथी दाना,अजवाइन,02 सबूत काली मिर्च रात को कटोरी में भिगो दें । पानी उतना रखे ,जिस में भीग जाए । सुबह खाली पेट चबा कर खा ले,पानी पी ले । 040 दिन के भीतर वात रोग मिट जाएगा ।

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: मल्टीग्रेन आटे में छिपा है सेहत का खजाना, ऐसे करें घर पर तैयार कि शुद्धता की हो जाए गारंटी

1 अगर आप मोटापे से परेशान है, तो इस प्रकार से अपने लिए मल्टीग्रेन आटा तैयार करें -पांच किलो गेहूं में एक किलो चना, एक किलो जौ, 250 ग्राम अलसी और 50 ग्राम मेथीदाना मिलाकर पिसवाएं

  1. अगर आप दुबलापन से निजात चाहते है, तो इस प्रकार से मल्टीग्रेन आटा तैयार करें -पांच किलो गेहूं में एक किलो चना, एक किलो जौ, 500 ग्राम सोयाबीन, एक किलो चावल का आटा डाल कर पिसवाएं। इस आटे के इस्तेमाल से आपको वजन बढ़ाने में मदद मिलेगी।
  2. अगर गर्भवती हैं तो इस प्रकार से मल्टीग्रेन आटा तैयार करें -पांच किलो गेहूं में एक किलो सोयाबीन, 250 ग्राम तिल, डेढ़ किलो चना, 500 ग्राम जौ मिलाकर पिसवाएं। इससे गर्भावस्था के दौरान आपको भरपूर पौष्टिकता मिलेगी।
  3. अगर आपको कब्ज की शिकायत रहती हो तो इस प्रकार से मल्टीग्रेन आटा तैयार करें -पांच किलो गेहूं में एक किलो चना, आधा किलो मक्का, एक किलो जौ और 250 ग्राम अलसी पिसवाएं। इससे कब्ज से मुक्ति पाने में आपको मदद मिलेगी।
  4. जिन्हें डायबिटीज हैं वे इस प्रकार से मल्टीग्रेन आटा तैयार करें -पांच किलो गेहूं में डेढ़ किलो चना, 500 ग्राम जौ, 50 ग्राम मेथी, 50 ग्राम दालचीनी डालकर पिसवाएं।
  5. घर में बढ़ते बच्चे हो, तो उनके लिए इस प्रकार से मल्टीग्रेन आटा तैयार करें -पांच किलो गेहूं में 250 ग्राम सोयाबीन, एक किलो चना और 500 ग्राम जौ मिलाकर पिसवाएं। इससे बच्चों की अच्छी ग्रोथ होगी।

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🌻🍀टाइफाइड के घरेलू इलाज :

🌻🍀गिलोय का काढ़ा को शहद में मिलाकर दिन में 2-3 बार पिला ना लाभकारी है ।

🌻🍀अजमोद का चूर्ण 2 से 4 ग्राम तक शहद के साथ सुबह शाम चाटने से लाभ होता है।

🌻🍀नीम के बीज पीसकर 2-2 घंटे के बाद पिलाने से आन्त्रिक ज्वर उतर जाता है । यह योग मल निकालता है। शरीर में ताजा खून बनाता है, नयी शक्ति का संचार करता है । यदि मलेरिया बुखार से टायफाइड बना हो तो नीम जैसी औषधि के अतिरिक्त अन्य कोई सस्ता और सहज शर्तिया उपचार नहीं है ।

🌻🍀 जीरे को जल के साथ महीन पीसकर 4-4 घंटे के अंतर से ओष्ठों (होंठ के किनारों पर लेप करने से ज्वर उतरने के पश्चात् ज्वरजन्य ओष्ठ-प्रकोप बुखार का मूतना) अर्थात् होठों का पकना व फूटना ठीक हो जाता है ।

🌻🍀जीरा सफेद 3 ग्राम 100 मि. ली. उबलते जल में डाल दें । इसे 15-20 मिनट के बाद छानकर थोड़ी शक्कर मिलाकर रोगी को दें। 10-15 दिनों तक निरन्तर प्रात:काल में पीने से ज्वर उतरने के पश्चात् आने वाली कमजोरी व अग्निमान्द्य नष्ट होकर भूख खुलकर लगने लगती है।

🌻☘️टाइफाइड के बाद सावधानी :

1- पहले लक्षण दिखलायी देने के 8 सप्ताह तक रोगी को दूसरे स्वस्थ एवं निरोगी व्यक्तियों से अलग रखना चाहिए।

2- रोगी के सम्पर्क में आने वालों को टीका लगवायें, दूध और पानी उबाल कर दें, कच्चे फल एवं शाक आदि न दें तथा रोगी द्वारा छुई हुई (पकड़ी या प्रयोग में लाई गई) प्रत्येक वस्तु का शुद्ध करना चाहिए।

3- रोगी को पूर्ण विश्राम दें। 2-घूमने-फिरने न दें।

4- रोगी के बिस्तर एवं कमरे में स्वच्छता बनाये रखें। विशेषतः रोगी का बिस्तर 1-1 दिन बाद बदलवा दें तथा रोगी द्वारा प्रयोग में लाया गया बिस्तर को पूरे दिन की धूप दिखला दें। रोगी के कमरे में सूर्य का प्रकाश (रोशनी) एवं शुद्ध वायु आनी जरूरी है।

5-रोगी को अकेला न छोड़ें किन्तु उसके कमरे में अधिक भीड़-भाड़ भी न हो ।

6- रोगी के पेट, मल-मूत्र, पीठ, नाड़ी, तापमान तथा दिन में पिये जल की मात्रा का पूर्ण विवरण बनाये रखें। 7-रोगी का मुख खूब अच्छी तरह कुल्ले करवाकर शुद्ध रखना चाहिए।

8- मुँह आने और होंठ पकने पर ‘बोरो गिलेसरीन’ लगावें। रोगी की अन्तड़ियों का वायु से बहुत अधिक फूल जाना इस रोग का बुरा लक्षण है।

9- दालचीनी का तेल 2-3 बूंद पेट फूलने, पेट में दर्द तथा पेट में वायु पैदा होने के लिए अत्यन्त लाभकारी है।

🌻🍀टाइफाइड में क्या खाएं क्या न खाए :

1- रोगी को तरल, पुष्टिकर, लघुपाकी, आहार जैसे गाय के दूध में ग्लूकोज मिलाकर दें।

2- पेट बहुत अधिक फूल जाने पर तथा समय से सही चिकित्सा न करने पर रक्त में विषैले प्रभाव फैल जाने या अन्तड़ियों में छेद हो जाने का डर उत्पन्न हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में-कम मात्रा में भोजन खिलायें। 3-दही का मट्ठा पानी में घोलकर दूध के स्थान पर दें।

4- मीठे सेव का रस पिलायें।

5- दूध के स्थान पर दही का मट्ठा थोड़ी मात्रा में बार-बार पिलाते रहने से दस्तों में भी आराम आ जाता है।

6- तीन-चार बूंद दालचीनी का तेल’ ग्लूकोज आदि में मिलाकर रोगी को 2-2 घन्टे बाद खिलाते रहने से दस्तों की बदबू, पेट की वायु और कई दूसरे कष्ट दूर हो जाते है।

7- रोगी को रोग की प्रथमावस्था में सादा सुपाच्य भोजन दें।

8- यदि पतले दस्त न हों तो दूध दें।

9- अफारा हो तो ग्लूकोज दें।

10-रोगी को किसी भी कड़ी वस्तु का पथ्य न दें।

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       *अच्छी नींद के लिए घरेलू नुस्खे*

🌹(1)—- अच्छी नींद लेना स्वास्‍थ्‍य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। अगर आप भरपूर नींद लेते हैं तो कई बीमारियों से दूर रहते हैं। लेकिन अगर आपको भरपूर नींद नहीं आती है तो कई बीमारियां होना शुरू हो जाती हैं। नींद न आने के कारण शरीर उतना फुर्तीला और ऊर्जावान नहीं रहता है। अच्छी नींद न आने से दिनभर सिरदर्द, मन न लगना, थकान लगने जैसी समस्याएं होती हैं। नींद न आने की मुख्य वजह व्यस्त, दिनचर्या और असंतुलित खान-पान होता है। अगर आपको अच्छी नींद नहीं आ रही है तो हम आपको कुछ घरेलू नुस्खे बता रहे हैं जिन्हें अपनाकर आप भरपूर नींद ले सकते हैं।

अच्छी नींद के लिए घरेलू उपचार—-

🌹(1)—- सर्पगंधा, अश्वगंधा और भांग तीनों को बराबर मात्रा में ले लीजिए। इसको पीसकर चूर्ण बना लीजिए। रात में सोते वक्त 3-5 ग्राम मात्रा में यह चूर्ण पानी के साथ लेने से अच्छी नींद आती है।

🌹(2)—- अश्वगंधा, ब्राह्मी, शंखपुष्पी, शतावरी, मुलहटी, आंवला, जटामासी, खुरासानी, अजवायन इन सबको लगभग 50-50 ग्राम लेकर बारीक चूर्ण बना लीजिए। रात को सोने से पहले लगभग 5 ग्राम चूर्ण दूध के साथ लीजिए। एक सप्ताह के अंदर इसका प्रभाव दिखेगा और आपको अच्छी नींद आएगी।

🌹(3)—- रात में सोने से पहले तलवों पर सरसों के तेल से मालिश करनी चाहिए। इससे दिमाग शांत और स्थिर होता है और अच्छी नींद आती है।

🌹(4)—- रात में सोने से पहले अपने हाथ, मुंह, पैर को अच्छी तरह से साफ पानी से धोकर सोने से नींद अच्छी आती है। सोने से पहले चाय या कॉफी आदि का सेवन न करें। क्योंकि, इनसे दिमाग की शिराएं उत्तेजित हो जाती हैं जिनके कारण अच्छी और गहरी नींद नहीं आ पाती है।

🌹(5)—- अगर तनाव के कारण नींद नहीं आ रही है तो अपने मन पसंद का संगीत सुनें या फिर अच्छा साहित्य पढें। ऐसा करने से मन शांत होगा और अच्छी नींद आएगी।

🌹(6)—- मन-मुताबिक अपना पलंग चुनें और जिस मुद्रा में आपको सोने में आराम हो, उसी मुद्रा में पहले सोने की कोशिश करें। अनचाही मुद्रा में सोने से शरीर की थकावट रहती है, जो नींद आने में बाधा पैदा करती है।

🌹(7)—- सोने से पहले हाथ-पैर ठीक से साफ करें और अपने तलवों की मसाज करें। इससे रक्त बेहतर होता है और थकान दूर होती है। अच्छी नींद के लिए रोज सोने से पहले तलवों की मसाज से आपकी अनिद्रा की समस्या दूर हो जाएगी।

🌹(8)—- यूं तो सेहतमंद शरीर के लिए योग और व्यायाम असरदार माना जाता है पर कुछ ऐसे भी योग हैं जिन्हें करने से नींद भी अच्छी आती है। जैसे शवासन, वज्रासन, भ्रामरी प्राणायम आदि ऐसे ही आसन हैं। नियमित रूप से इन आसनों को करने से अनिद्रा की समस्या से छुटकारा मिलेगा और थकान पूरी तरह दूर हो जाएगी।

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घरेलू उपायों से घुटनों और कोहनी का कालापन दूर करें

नींबू और संतरा

नींबू व संतरे के छिलकों को सुखाकर इनका चूर्ण बना लीजिए, इस पाउडर को दिन में एक बार बिना मलाई के दूध में मिलाकर घुटनों और कोहनी में लगाएं। कुछ ही दिनों में इनकी कालिमा दूर हो जायेगी।

हल्दी लगायें

घुटनों और कोहनी की कालिमा दूर करने के लिए हल्‍दी का प्रयोग कीजिए। इसका पेस्ट बनाने के लिए हल्दी और बेसन या फिर आटे का प्रयोग कीजिए। हल्दी में ताजी मलाई, दूध और आटा मिला कर इसका गाढ़ा पेस्ट बनाएं, इस पेस्ट को घुटनों पर लगायें और इसे 10 मिनट तक लगा रहने दीजिए। दिन में दो बार इसका प्रयोग करने से कालपन दूर हो जाएगा।

बादाम का प्रयोग

बादाम न केवल खाने में प्रयोग होता है बल्कि इसका प्रयोग त्‍वचा को निखारने में भी किया जाता है। रात को 10 बादाम पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उन्‍हें छील कर पीस लें। इस पेस्ट में थोड़ा सा शहद मिलाकर घुटनों और कुहनों में लगायें, फिर देखिये कितनी जल्‍दी आपकी त्‍वचा में निखार आ जाता है।

चंदन लगायें

चंदन त्‍वचा की कालिमा दूर करने के अलावा एलर्जी और पिंपल की समस्‍या को भी दूर करता है। इसका पेस्ट बनाने के लिए चंदन पाउडर में 1 चम्मच नींबू और टमाटर का रस मिलाएं और इस पेस्‍ट को घुटनों और कोहनी पर दिन में दो बार लगायें।

केसर लगायें

केसर का उबटन बना लीजिये, इसके लिए आपको दही और क्रीम में थोड़ा सा केसर मिलाना पड़ेगा। इस पेस्ट को अपने घुटनों और कहनी के काले हिस्‍से पर दिन में एक बार लगायें।

चिरौंजी

घुटनों और कोहनियों की कालिमा दूर करने के लिए चिरौंजी का प्रयोग कीजिए। हल्दी, चिरौंजी और मजीठ का पाउडर लें, इसमें थोड़ा सा शहद, नींबू और गुलाब जल मिलाकर इसका पेस्ट बना लीजिए। इस पेस्ट को दिन में एक बार घुटनों और कुहनों पर लगायें, फिर देखिये कुछ ही दिनों में आपके घुटनों और कोहनियों की त्‍वचा में निखार आ जायेगा।

मसूर की दाल

मसूर की दाल का पाउडर लीजिए, इसमें अंडे की जर्दी, नींबू का रस व कच्चा दूध मिलाकर इसका पेस्ट बना लें। इस पेस्‍ट को दिन में एक बार घुटनों और कोहनियों पर लगायें।

बेसन

बेसन का उबटन बनाकर त्‍वचा की कालिमा दूर कीजिए, इसके लिए 2 चम्मच बेसन, 1 चम्‍मच सरसों का तेल और थोड़ा सा दूध मिला कर इसका पेस्ट बना लें। इसे घुटनों और कोहनियों पर दिन में एक बार लगायें।

बेकिंग सोडा

इसका प्रयोग करके आसानी से काली त्‍वचा की समस्‍या से निजात पा सकती हैं। एक चम्‍मच बेकिंग सोडा लेकर इसे दूध में मिला लीजिए। इसके पेस्‍ट को घुटनों और कोहनियों पर लगाइये। दिन में 2 बार इसका प्रयोग करने से त्‍वचा में निखार आता है।

ऑलिव ऑयल

इसका प्रयोग करने से त्‍वचा में प्राकृतिक रूप से निखार आता है। यह त्‍वचा को मुलायम बनाकर उसकी रंगत निखारता है। ऑलिव ऑयल लेकर घुटनों और कोहनियों की काली त्‍वचा पर 10 मिनट तक मालिश कीजिए।

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—-पेट गैस समस्या उपचार—-

                          (1)-----परिचय-----

🌹(1)—– पेट की गैस की बीमारी बहुत ही आम सी समस्‍या है जो बिना उम्र देखे किसी को भी हो जाती है।

🌹(2)—–गैस ना केवल पेट में ही रहती है बल्कि यह पूरे शरीर में घूमती रहती है यहां तक की सीने तक भी पहुंच जाती है।

🌹(3)—-पेट में गैस तभी बनती है जब आप सुबह भर पेट नाश्‍ता नहीं करते। यदि आपका भी पेट भूल जाता है तो आपको कुछ ऐसे उपाय आजमाने चाहिये जिससे आपको इससे छुटकारा मिल सके।

🌹(4)—– कहीं आप ऐस भोजन का अधिक सेवन तो नहीं करते हैं जिससे गैस बनती हो।

🌹(5)—–भोजन जैसे- सेम, मटर, केक, कार्बोनेट युक्त सामग्री, खट्टा फल, फूलगोभी, बंदगोभी, काजू, मुनक्का, सुपारी आदि से अधिक गैस बनती है।

🌹(6)—–क्‍या आप जानते हैं कि सेधा नमक गैस को भगाने के लिये बहुत ही लाभकारी हो सकता है।

🌹 (7)—-खैर इसी तरह और भी कई तरीके हैं जिससे आप गैस को बनने से रोक सकते हैं। यहां तक की वज्रासन करने से भी पेट में गैस नहीं बनती।

🌹(8)—- यह योग करने के लिये आपको खाने के बाद घुटने मोड़कर बैठ जाना चाहिये और दोनों हाथों को घुटनों पर रख लेना चाहिये। यह आसन 5 से 15 मिनट तक करें। गैस पाचन शक्ति कमजोर होने से होती है।

🌹(9)—-यदि पाचन शक्ति बढ़ा दें तो गैस नहीं बनेगी। योग की अग्निसार क्रिया से आंतों की ताकत बढ़कर पाचन सुधरेगा।

                       👲------कारण------👧🏻

🌹(1)—– बैक्टीरिया का पेट में ओवरप्रोडक्‍शन होना ।

🌹(2)—–जिस आहार में बहुत ज्‍यादा फाइबर होता है।

🌹(3)—–मिर्च-मसाला, तली-भुनी चीजें ज्यादा खाने से।

🌹(4)—–पाचन संबधी विकार

🌹(5)—–बींस, राजमा, छोले, लोबिया, मोठ, उड़द की दाल, फास्ट फूड, ब्रेड और किसी-किसी को दूध या भूख से ज्यादा खाने से। खाने के साथ कोल्ड ड्रिंक लेने से क्‍योंकि इसमें गैसीय तत्व होते हैं। इसके साथ बासी खाना खाने से और खराब पानी पीने से भी गैस हो जाती है।

                     👲------लक्षण-----👧🏻

🌹(1)—–उदर-वायु एक आम तथा कभी न कभी हर किसी को होने वाली समस्‍या है।

🌹(2)——पेट गैस को अधोवायु बोलते हैं। यह तब होती है जब शरीर में भारी मात्रा में गैस भर जाती है। इसे पेट में रोकने से कई बीमारियां हो सकती हैं।

🌹(3)—– जैसे एसिडिटी, कब्ज, पेटदर्द, सिरदर्द, जी मिचलाना, बेचैनी आदि।

🌹(4)—– पेट में गैस बनने के कई कारण हो सकते हैं जिसके बारे में हम यहां आज चर्चा करेगें।

              👲------घरेलू उपचार------👧🏻

🌹(1)—–भोजन के साथ सलाद के रूप में टमाटर का प्रतिदिन सेवन करना लाभप्रद होता है। यदि उस पर काला नमक डालकर खाया जाए तो लाभ अधिक मिलता है। पथरी के रोगी को कच्चे टमाटर का सेवन नहीं करना चाहिए।

🌹(2)—-1/2 चम्‍मच सूखा अदरक पाउडर लें और उसमें एक चुटी हींग और सेंधा नमक मिला कर एक कप गरम पानी में डाल कर पीएं।

🌹 (3)—–गैस के कारण सिर दर्द होने पर चाय में कालीमिर्च डस्ट डालें। वही चाय पीने से लाभ मिलता है।

🌹(4)—–कुछ ताजा अदरक स्‍लाइस की हुई नींबू के रस में भिगो कर भोजन के बाद चूसने से राहत मिलेगी।

🌹(5)—–पेट में या आंतों में ऐंठन होने पर एक छोटा चम्मच अजवाइन में थोड़ा नमक मिलाकर गर्म पानी में लेने पर लाभ मिलता है। बच्चों को अजवायन थोड़ी दें।

🌹(6)—– भोजन के एक घंटे बाद 1 चम्‍मच काली मिर्च, 1 चम्‍मच सूखी अदरक और 1 चम्‍मच इलायची के दानो को 1/2 चम्‍मच पानी के साथ मिला कर पिएं।

🌹(7)—–वायु समस्या होने पर हरड़ के चूर्ण को गुड के साथ मिक्स कर खाना चाहिए।

🌹(8)—–अजवायन, जीरा, छोटी हरड़ और काला नमक बराबर मात्रा में पीस लें। बड़ों के लिए दो से छह ग्राम, खाने के तुरंत बाद पानी से लें। बच्चों के लिए मात्रा कम कर दें।

🌹(9)—-अदरक के छोटे टुकड़े कर उस पर नमक छिड़क कर दिन में कई बार उसका सेवन करें। गैस परेशानी से छुटकारा मिलेगा, शरीर हलका होगा और भूख खुलकर लगेगी।

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: ब्रेन-हेमरेज, ब्रेन-स्ट्रोक (मस्तिष्क आघात) अर्थात दिमाग़ की नस का फटना।

मस्तिष्क आघात के मरीज़ को कैसे पहचानें?

एक पार्टी चल रही थी, एक महिला को थोड़ी ठोकर सी लगी और वह गिरते गिरते संभल गई, मगर उसने अपने आसपास के लोगों को यह कह कर आश्वस्त कर दिया कि- “सब कुछ ठीक है, बस नये बूट की वजह से एक ईंट से थोड़ी ठोकर लग गई थी”
(यद्यपि आसपास के लोगों ने ऐम्बुलैंस बुलाने की पेशकश भी की…)
साथ में खड़े मित्रों ने उन्हें साफ़ होने में मदद की और एक नई प्लेट भी आ गई! ऐसा लग रहा था कि महिला थोड़ा अपने आप में सहज नहीं है! उस समय तो वह पूरी शाम पार्टी एन्जॉय करती रहीं, पर बाद में उसके पति का लोगों के पास फोन आया कि उसे अस्पताल में ले जाया गया जहाँ उसने उसी शाम दम तोड़ दिया!!

दरअसल उस पार्टी के दौरान महिला को ब्रेन-हैमरेज हुआ था!
अगर वहाँ पर मौजूद लोगों में से कोई इस अवस्था की पहचान कर पाता तो आज वो महिला हमारे बीच जीवित होती!!

माना कि ब्रेन-हैमरेज से कुछ लोग मरते नहीं है, लेकिन वे सारी उम्र के लिये अपाहिज़ और बेबसी वाला जीवन जीने पर मजबूर तो हो ही जाते हैं!!

स्ट्रोक की पहचान-
बामुश्किल एक मिनट का समय लगेगा, आईए जानते हैं-

न्यूरोलॉजिस्ट कहते हैं-
अगर कोई व्यक्ति ब्रेन में स्ट्रोक लगने के, तीन घंटे के अंदर, अगर उनके पास पहुँच जाए तो स्ट्रोक के प्रभाव को पूरी तरह से समाप्त (reverse) किया जा सकता है।
उनका मानना है कि सारी की सारी ट्रिक बस यही है कि कैसे भी स्ट्रोक के लक्षणों की तुरंत पहचान होकर, मरीज़ को जल्द से जल्द (यानि तीन घंटे के अंदर-अंदर) डाक्टरी चिकित्सा मुहैया हो सके, और बस दुःख इस बात का ही है कि अज्ञानतावश यह सब ही execute नहीं हो पाता है!!!

मस्तिष्क के चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार स्ट्रोक के मरीज़ की पहचान के लिए तीन अतिमहत्वपूर्ण बातें जिन्हें वे STR कहते हैं, सदैव ध्यान में रखनी चाहिए। अगर STR नामक ये तीन बातें हमें मालूम हों तो मरीज़ के बहुमूल्य जीवन को बचाया जा सकता है।
ये 3 बातें इस प्रकार हैं-

1) S = Smile अर्थात उस व्यक्ति को मुस्कुराने के लिये कहिए।

2) T = Talk यानि उस व्यक्ति को कोई भी सीधा सा एक वाक्य बोलने के लिये कहें, जैसे- ‘आज मौसम बहुत अच्छा है’ आदि।
और तीसरा…
3) R = Raise अर्थात उस व्यक्ति को उसके दोनों बाजू ऊपर उठाने के लिए कहें।

अगर उस व्यक्ति को उपरोक्त तीन कामों में से एक भी काम करने में दिक्कत है, तो तुरंत ऐम्बुलैंस बुलाकर उसे न्यूरो-चिकित्सक के अस्पताल में शिफ्ट करें और जो आदमी साथ जा रहा है उसे इन लक्षणों के बारे में बता दें ताकि वह पहले से ही डाक्टर को इस बाबत खुलासा कर सके।

इनके अलावा स्ट्रोक का एक लक्षण यह भी है-
उस आदमी को अपनी जीभ बाहर निकालने को कहें। अगर उसकी जीभ सीधी बाहर नहीं आकर, एक तरफ़ मुड़ सी रही है, तो यह भी ब्रेन-स्ट्रोक का एक प्रमुख लक्षण है।

एक सुप्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट का कहना है कि अगर इस मैसेज़ को पढ़ने वाला, इसे ज्यादा नही तो आगे, कम से कम अगर दस लोगों को भी भेजे, तो निश्चित तौर पर, कुछ न कुछ बेशकीमती “जानें” तो बचाई ही जा सकती हैं!!!

जी हाँ मित्रों,

समय गूंगा नहीं,
बस मौन है!!
ये तो वक्त ही बताता है,
कि किसका कौन है??
🙏🌹🤝🌹🙏
कैल्शियम की कमी है तो पूरा करने के लिए खाने में ज़रूर शामिल करें ये चीज़ें

कैल्शियम हमारे शरीर के लिए एक बहुत ही ज़रूरी खनिज है। यह हमारी हड्डियों और दाँतों को मज़बूती देने के साथ ही हृदय, माँसपेशियों के कार्य और तंत्रिका संकेतन में भी योगदान देता है।

विशेष रूप से 70 वर्ष से कम आयु के पुरुषों और 50 वर्ष के कम उम्र की महिलाओं को रोज़ाना 1,000mg कैल्शियम की आवश्यकता होती है।

अगर आपके शरीर में कैल्शियम की कमी है, तो पूरा करने के लिए अपने आहार में ये चीज़ें शामिल करें।

No.1

दूध

आपने अक्सर देखा होगा कि माँ अपने बच्चों को दूध पीने के लिए मजबूर करती हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि दूध में भरपूर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है।

अगर आप भी चाहते हैं कि आपके शरीर में कैल्शियम की कमी न हो, तो रोज़ाना दूध का सेवन करें।

एक कप गाय के दूध में 276-325mg कैल्शियम पाया जाता है। इसके अलावा इसमें प्रोटीन, विटामिन A और D भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है।

No.2

पनीर (चीज़)

ज़्यादातर प्रकार के पनीर में कैल्शियम और प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। परमेसन पनीर के सिर्फ़ एक औंस (28 ग्राम) से आपको 331mg कैल्शियम मिलता है।

शरीर के लिए यह रोज़ाना कैल्शियम की आवश्यकता का 33% होता है। इसके अलावा हार्ड, एजेड चीज़ में प्राकृतिक रूप से लैक्टोज़ कम होता है, जिससे उन्हें पचाने में आसानी होती है।

इसलिए, इन्हें अपने आहार में शामिल करके लंबे समय तक स्वस्थ रहा जा सकता है।

No.3

दही

दही के फ़ायदों के बारे में किसी को बताने की ज़रूरत नहीं है। यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा तो होता ही है, साथ ही इसमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम भी पाया जाता है।

केवल एक कप दही (245 ग्राम) के सेवन से आपको शरीर की आवश्यकता का 45% कैल्शियम मिल जाता है।

इसके अलावा इसमें फ़ास्फोरस, पोटैशियम और विटामिन B-2 और B-12 भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह पेट संबंधी सभी समस्याओं के लिए रामबाण इलाज है।

No.4

बादाम

नट्स में बादाम सबसे पौष्टिक और कैल्शियम का अच्छा स्त्रोत होता है। बादाम के एक औंस (22 नट्स या 28 ग्राम) के सेवन से आपको दिनभर के कैल्शियम की आवश्यकता का लगभग 8% मिल जाता है।

इसके साथ ही बादाम के सेवन से फाइबर, पौष्टिक वसा, मैग्नीशियम, प्रोटीन और विटामिन E की भी पूर्ति हो जाती है।

साथ ही इसके सेवन से ब्लड प्रेशर, शरीर की वसा और चयापचय रोगों के जोखिम का ख़तरा भी कम होता है।

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हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ

पालक, केल, ब्रोकली, आजवाइन और ओकरा जैसी कुछ हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ कैल्शियम से भरपूर होती है।

इन सब्ज़ियों को अपने आहार का हिस्सा बनाने से 336mg कैल्शियम प्राप्त होता है, जो एक दिन में शरीर के लिए आवश्यक कैल्शियम का 33% होता है।

कैल्शियम के साथ ही हरी पत्तेदार सब्ज़ियों में पोटैशियम और मैग्नीशियम भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसलिए, अगर स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो अपने आहार में इन्हें ज़रूर शामिल करें।

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