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⚪🔴🟡 वात, पित्त और कफ 👉 किन पदार्थों से होते हैं और क्या सेवन करने से वे जाते हैं – 📜संपूर्ण जानकारी

⚪📈📈 वायु बढ़ानेवाले पदार्थ :

जौ, ज्वार, मक्का, राजमा, मोठ, मसूर, चना, मटर, अरहर, सेम, सरसों, चौलाई, पालक, पत्तागोभी, लौकी, तुरई, टिंडा, ग्वारफली, अरवी, आलू, ककड़ी, तरबूज, जामुन, अमरूद, सिंघाड़ा, नाशपाती, गन्ना, शहद |

⚪📉📉 वायुशामक पदार्थ :

साठी के चावल, गेहूँ, बाजरा, उड़द, कुलथी, तिल, बथुआ, पुनर्नवा, परवल, पोई, कोमल मूली, पेठा, सहजन की फली, जीवंती (डोडी), भिंडी, गाजर, शलगम |

अखरोट, काजू, बादाम, पिस्ता, चिलगोजा, चिरौंजी, मुनक्का, किशमिश, खजूर, अंजीर,
फॉलसा, बेल, देशी (बीजू) आम, मीठा बेर,
व अनार, आँवला, बिजौरा नींबू, नारंगी, केला, शेहतूत, अंगूर, नारियल, सेब, खरबूज, सीताफल, लीची, पपीता, इमली, लहसुन, प्याज, अदरक, सोंठ, हींग, सौंफ, जीरा। काली मिर्च, मेथी, इलायची, दालचीनी, केसर, गुलाब। तिल, सरसों व अरण्डी का तेल, गाय, भैंस व बकरी का दूध, ताजा-मीठा दही, छाछ, मक्खना।

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🔴📈📈 पित्तवर्धक पदार्थ :

बाजरा, उड़द, तिल, सेम,/सरसों, पकी मूली व ककड़ी, सूरन (जमींकंद), गाजर, आलू, अरवी, अखरोट, काजू, बादाम, पिस्ता, चिलगोजा, चिरौंजी, बेल, खट्टे फल, अदरक, अजवायन, सौंफ, लहसुन, प्याज, काली मिर्च, मेथी, तिल एवं सरसों को तेल, छाछ | |

🔴📉📉 पित्तशामक पदार्थ :

चावल, जौ, गेहूँ, ज्वार,
मक्का, मूँग, राजमा, मोठ, मसूर, चना, अरहर, चौलाई, करेला, बथुआ, पुनर्नवा,-परवल, पोई, पालक, पत्तागोभी, पका पेठा, लौकी, तुरई, कोमल ककड़ी व खीरा, टिंडा, कोमल बैंगन व मूली, डोडि, भिंडी, ग्वारफली, शलगम, मुनक्का, किशमिश, खजूर, अंजीर, फालसा, देशी आम, जामुन, अनार, शहतूत, अंगूर, मोसंबी, नारियल, सेब, सिंघाड़ा, खरबूज, अमरूद, सीताफल, कटहल, नींबू, हरा व सूखा धनिया, जीरा, लोंग, इलायची, दालचीनी, कैंसर, खस, गुलाब, शहद, गन्ना, दूध, घी, पुराना गुड़, मक्खन, मिश्री l

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🟡📈📈 कफवर्धक पदार्थ :

उड़द, तिल, पोई, लौकी, तुरई, ककड़ी, खीरा, भिंडी, अखरोट, काजू, बादाम, पिस्ता, चिलगोजा, चिरौंजी, मुनक्का, केला, सिंघाड़ा, सेब, अनन्नास, अमरूद, सीताफल, लीची, आलू बुखारा, कटहल, गन्ना, सफेद गाय व भैस
का दूध, ठीक-से न जमा हुआ दही, घी, मक्खन, मिश्री l

🟡📉📉 कफशामक पदार्थ :

साठी के चावल, जौ ज्वार, बाजरा, मक्का, मूँग, राजमा, कुलथी, मोठ, मसूर, चना, मटर, अरहर, सेम, चौलाइ, करेला, बथुआ, पुनर्नवा, परवल, पालक, मूली, फूल गोभी, पत्ता गोभी, सहज़न की फली व फूल, टिंडा, बैंगन, सूरन, गाज़र, शलगम, डोडि, खजूर, बेल, जामुन, आँवला, हरें, मीठे अंगूर व अनार, तरबूज, पपीता, अदरक, सोंठ, सौंफ, अजवायन, हरा व सूखा धनिया, लहसुन, हिंग, काली मिर्च, जीरा, मेथी, जायफल, लौंग, इलायची, दालचीनी, केसर, खस, गुलाब, तिल एवं सरसों का तेल, शहद, बकरी का दूध व दही, छाछ, गोमूत्र, एक वर्ष पुराना घी व पुराना गुड़ ।
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👉📌 विशेष :

1️⃣. वायुशामक पदार्थों में तिल का तेल, पित्तशामक में गाय का घी व कफशामक में 🍯शहद सर्वश्रेष्ठ है ।

2️⃣

⚪❌ वायु नाशक 💦जल 👉
चार भाग जल में से 1 भाग-जल औटाकर (सुखाकर), शेष 3 भाग जल ⚪❌वायुनाशक हैं l

🔴❌ पित्त नाशक 💦जल 👉
2 भाग औटाकर आधा शेष जल 🔴❌ पित्तनाशक हैं l

🟡❌ कफ नाशक 💦जल 👉
3 भाग औटाकर एक चौथाई शेष जल 🟡❌कफनाशक होता है।

3️⃣ मीठा, खट्टा व खारा रस वात शामक, कड़वा, कसैला व मीठा रस पित्तशामक तथा कड़वा, कसैला व तीखा रस कफशामक होता है l

4️⃣ वर्षा ऋतु वातवर्धक, शरद ऋतु पित्तवर्धक व वसंत ऋतु कफवर्धक है, अतः इन दिनों में विशेष सावधानी रखनी चाहिए l

5️⃣🍈 “भोजन के आदि, अंत व मध्य में सर्वदोषनाशक, फलों में श्रेष्ठ 🍈आँवले का (या आँवला चूर्ण का) निरंतर सेवन मनुष्यों के लिए उत्तम है l’
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