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🌹आंखों के नीचे काले घेरे का आसान घरेलू इलाज | 

🌹टमाटर के रस में नींबू की कुछ बूंदे मिलाकर आंखों के नीचे लगाएं और कुछ देर बाद धो लें। एक हफ्ता लगातार इसका इस्तेमाल करने से काले घेरे से छुटकारा मिलेगा।

🌹आलू के रस में नींबू की कुछ बूंदे डालें और इसे आंखों के नीचे कुछ देर के लिए लगा कर रखने से फायदा होगा। इसके साथ ही आप आलू के टुकड़ें को आंखों के नीचे हल्का हल्का रब भी कर सकते हैं।

🌹काले घेरो से छुटकारा पाना है तो संतरे के छिलकों को सूखाकर पाउडर बना लें। इसके बाद पाउडर में गुलाब जल मिलाकर पेस्ट तैयार करें और आंखों के नीचे लगाएं।

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[: निरोगी रहने के लिए जानिये , कुछ अतिमहत्वपूर्ण अनमोल जीवनोपयोगी जानकारियाँ

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*दूध और नमक का संयोग किसी भी स्किन डीजीज को जन्म दे सकता है, बाल असमय सफ़ेद… होना या बाल झड़ना भी स्किन डीजीज ही है !
*दही के साथ खरबूजा, पनीर, दूध और खीर नहीं खानी चाहिए !
*ठंडे जल के साथ घी, तेल, खरबूज, अमरूद, ककड़ी, खीरा, जामुन ,मूंगफली कभी नहीं !
*शहद के साथ मूली , अंगूर, गरम खाद्य कभी नहीं !
*खीर के साथ सत्तू, शराब, खटाई, खिचड़ी ,कटहल कभी नहीं !
*घी के साथ बराबर मात्र में शहद और चीनी भूल कर भी नहीं खाना चाहिए ये तुरंत जहर का काम करेगा !
*तरबूज के साथ पुदीना या ठंडा पानी कभी नहीं !
*चावल के साथ सिरका कभी नहीं !
*चाय के साथ ककड़ी खीरा भी कभी मत खाएं !
*खरबूज के साथ दूध, दही, लहसून और मूली कभी नहीं !

कुछ चीजों को एक साथ खाना अमृत का काम करता है जैसे
*खरबूजे के साथ चीनी !
*इमली के साथ गुड !
*गाजर और मेथी का साग !
*बथुआ और दही का रायता !
*मकई के साथ मट्ठा !
*अमरुद के साथ सौंफ !
*तरबूज के साथ गुड !
*मूली और मूली के पत्ते !
*अनाज या दाल के साथ दूध या दही !
*आम के साथ गाय का दूध !
*चावल के साथ दही !
*खजूर के साथ दूध !
*चावल के साथ नारियल की गिरी !
*केले के साथ इलायची !
*कभी कभी कुछ चीजें बहुत पसंद होने के कारण , हम उसे बहुत ज्यादा खा लेते हैं।

जानिये अगर ज्यादा खा ली हैं तो , उसे कैसे पचाया जाएँ
*केले की अधिकता में दो छोटी इलायची !
*आम पचाने के लिए आधा चम्म्च सोंठ का चूर्ण और गुड !
*जामुन ज्यादा खा लिया तो 3-4 चुटकी नमक !
*सेब ज्यादा हो जाए तो दालचीनी का चूर्ण एक ग्राम !
*खरबूज के लिए आधा कप चीनी का शरबत !
*तरबूज के लिए सिर्फ एक लौंग !
*अमरूद के लिए सौंफ !
*नींबू के लिए नमक !
*बेर के लिए सिरका !
*गन्ना ज्यादा चूस लिया हो तो 3-4 बेर खा लीजिये !
*चावल ज्यादा खा लिया है तो आधाचम्म्च अजवाइन पानी से निगल लीजिये !
*बैगन के लिए सरसो का तेल एक चम्म्च !
*मूली ज्यादा खा ली हो तो एक चम्म्च काला तिल चबा लीजिये !
*बेसन ज्यादा खाया हो तो मूली के पत्ते चबाएं !
*खाना ज्यादा खा लिया है तो थोड़ी दही खाइये !
*मटर ज्यादा खाई हो तो अदरक चबाएं !
*इमली – उड़द की दाल – मूंगफली – शकरकंद या जिमीकंद ज्यादा खा लीजिये तो फिर गुड खाइये !
*मुंग या चने की दाल ज्यादा खालिये हों तो एक चम्म्च सिरका पी लीजिये !
*मकई ज्यादा खा गये हो तो मट्ठा पीजिये !
*घी या खीर ज्यादा खा गये हों तो काली मिर्च चबाएं !
*पूरी कचौड़ी ज्यादा हो जाए तो गर्म पानी पीजिये !
*अगर सम्भव हो तो भोजन के साथ ,दो नींबू का रस आपको जरूर ले लेना चाहिए या पानी में मिला कर पीजिये या भोजन में निचोड़ लीजिये ,
80% बीमारियों से बचे रहेंगे !

अब ये जानिये कि किस महीने में क्या नही खाना चाहिए और क्या जरूर खाना चाहिए
*चैत में गुड बिलकुल नहीं खाना ,नीम की पत्ती /फल, फूल खूब चबाना !
*बैसाख में नया तेल नहीं खाना ,चावल खूब खाएं !
*जेठ में दोपहर में चलना मना है, दोपहर में सोना जरुरी है !
*आषाढ़ में पका बेल खाना मना है, घर की मरम्मत जरूरी है !
*सावन में साग खाना मना है, हर्रे खाना जरूरी है !
*भादो मे दही मत खाना, चना खाना जरुरी है !
*कुवार में करेला मना है, गुड खाना जरुरी है !
*कार्तिक में जमीन पर सोना मना है, मूली खाना जरूरी है !
*अगहन में जीरा नहीं खाना , तेल खाना जरुरी है !
*पूस में धनिया नहीं खाना, दूध पीना जरूरी है !
*माघ में मिश्री मत खाना ,खिचड़ी खाना जरुरी है !
*फागुन में चना मत खाना, प्रातः स्नान और नाश्ता जरुरी है !
[27/08, 23:10] Daddy: 🍃 आरोग्यं :
वजन नियंत्रित रखने के लिए घरेलु उपचार –

स्ट्रॉबेरी –
स्ट्रॉबेरी में फैट फ्री और लो कैलोरी वाली होती है जिसमें ना तो शक्‍कर होती है और ना ही सोडियम। रोजाना डेढ़ कप स्‍ट्रॉबेरी खाने से आपको बाहर का कोई स्‍नैक्‍स खाने की जरुरत नहीं पडे़गी जिससे वजन नियंत्रण में रहेगा।

अनार –
हर रोज एक लाल अनार खाकर आप न केवल वजन कम कर सकते हैं बल्क‍ि ये शारीरिक कमजोरी को भी दूर करने में सहायक होता है।
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[खसखस के 10 करिश्माई फायदे

खसखस का इस्तेमाल सब्जी की ग्रेवी और सर्दी के दिनों में स्वादिष्ट हलवा बनाने के लिए किया जाता है। यह स्वाद और सेहत से भरपूर है, इसलिए स्वास्थ्य समस्याओं का उपचार करने के लिए भी इसे दवा के रूप में प्रयोग करते हैं। जानिए, खसखस के 10 बेहतरीन गुण – 

1  खसखस को दर्द निवारक के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसमें पाया जाने वाला ओपियम एल्कलॉइड्स सभी प्रकार के दर्द को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खास तौर से इसका प्रयोग मांसपेशियों के दर्द में किया जाता है। खसखस का तेल भी बाजार में उपलब्ध होता है, जिसका प्रयोग दर्द वाले स्थान पर किया जाता है।

2 सांस संबंधी तकलीफ होने पर भी खसखस काफी फायदेमंद होता है। इसके साथ ही यह खांसी को कम कर सांस संबंधी समस्याओं में लंबे समय तक आराम दिलाने में भी मदद करता है।

3 अगर आप नींद न आने की समस्या से परेशान हैं, तो सोने से पहले खसखस का गर्म दूध पीना आपके लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है। यह अनिद्रा की समस्या को दूर करता है। यह आपको नींद लेने के लिए प्रेरित करेगा।

4  खसखस फाइबर का बेहतरीन स्त्रोत है, जिसका प्रयोग करने से कब्ज की समस्या नहीं होती। इसके अलावा यह बेहतर पाचन में भी मदद करता है और शरीर को उर्जा देने के लिए भी बहुत लाभदायक होता है।

5  गुर्दे की पथरी में इलाज के तौर पर भी खसखस को सेवन किया जाता है। इसमें पाया जाने वाला ओक्सलेट्स, शरीर में मौजूद अतिरिक्त कैल्शियम का अवशोषण कर गुर्दे में पथरी बनने से रोकता है। 

6  खसखस मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाने के साथ-साथ त्वचा पर होने वाली झुर्रियों को भी कम करने में मदद करता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो आपको जवां बनाए रखने में मदद करते है। 

7  खसखस त्वचा को नमी प्रदान करने में भी सहायक होता है। यह त्‍वचा की जलन व खुजली को कम करने के साथ ही एक्जिमा जैसी समस्याओं से लड़ने में मदद करता है।

8 ओमेगा-6 फैटी एसिड, प्रोटीन, फाइबर से भरपूर होने के साथ ही खसखस में फाइटोकेमिकल्स, विटामिन बी, थायमिन, कैल्शियम और मैंगनीज भी पाया जाता है, जो पोषण के लिहाज से बहुत फायदेमंद है।  

9  त्वचा को खूबसूरत बनाने के लिए खसखस का इस्तेमाल दूध में पीसकर फेसपैक के रूप में किया जाता है। यह त्वचा को नमी प्रदान करने के साथ ही प्राकृतिक चमक लाता है, और चेहरा दमक जाता है।

10  इसके अलावा कई तरह की छोटी-छोटी समस्याओं जैसे अधि‍क प्यास लगना, बुखार, सूजन या पेट में होने वाली जलन से राहत पाने के लिए खसखस का प्रयोग किया जाता है। यह पेट में बढ़ने वाली गर्मी को भी शांत करने में सहायक है।
[जय श्री कृष्ण

चाहे कैसा भी जोड़ों का दर्द हो या फिर हड्डियों का दर्द हो, रात को ये उपाय कर लिया तो कभी नही होगा दर्द, जरूर पढ़े


आज हम जो बताने जा रहे है उस प्राक्रतिक नुस्खे को अजमाने में जरा भी संकोच न करें और शरीर में जोड़ो, घुटनो और अन्य मांसपेशियों के असहनीय दर्द से छुटकारा पायें। ये एक बहुत ही आसान औषधि है इसे रात को सोने से पहले करे।

चाहे कैसा भी जोड़ों का दर्द हो या फिर हड्डियों का दर्द हो ये उपाय कर लिया तो कभी नही होगा दर्द।
➡ आवश्यक सामग्री :
5 सूखे आलूबुखारा
1 सुखी खुबानी
1 सुखी अंजीर

इसे इस्तेमाल करना बेहद आसान है 2 महीने तक सिर्फ सोने से पहले इन को खाए और आपका दर्द प्राक्रतिक तरीके से ख़तम हो जाएगा।

सुखा आलूबुखारा :

सूखे आलूबुखारा में पाए जाने वाले जैविक सक्रिय पदार्थ रेडियोथेरेपी या अन्य विकिरण आवरण से होने वाले अस्थि क्षति को रोकने में प्रभावी होते हैं सूखा आलूबुखारा विकिरण से हड्डियों की रक्षा करता है। फाइबर से भरपूर होने के कारण ये कब्ज से छुटकारा दिलाता है और पाचन शक्ति बढ़ता है।

सुखी खुबानी :

ये फल antioxidants, potassium, non-heme iron, और dietary fiber का बहुत हे अच्छा स्रोत है। खुबानी में पाए जाने वाले anti oxidants हमारे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता , सेल की वृद्धि और आँखों के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। Non-heme iron शरीर में iron की कमी को पूरा करता है , जो के संसार में सबसे आम पाई जाने वाली समस्या है।

सुखी अंजीर :

इस में फाइबर होता है जो हमारे पाचन तन्त्र को मज़बूत करता है और दिल को सेहतमंद रखने में मदद करता है। फाइबर से कब्ज़ भी ठीक होती है। ये फल कई खनिज पदार्थो से भरपूर होता है जैसे के magnesium, iron, calcium, और potassium. ये खनिज हड्डियों की मजबूती के लिए ज़रूरी होते हैं साथ ही प्रतिरोधक क्षमता और चमडी के लिए भी फायदेमंद होता है। अंजीर शरीर से हानिकारक estrogen को स्वतः ही निकालने में मदद करता है। शरीर में estrogens के ज़यादा मत्रा कई समस्याओं को उत्पन्न करती है जैसे के सर दर्द, uterine और breast cancer भी हो सकता है।
[🙍स्त्री सेहत संबंधी सनातनी सत्य:

स्त्रियों के 90% रोग मासिक-धर्म की गड़बड़ी से⁉
कुछ बातें समझ लेने जैसी है~
यह बात सच है कि मासिक धर्म के कारण स्त्रियों को बहुत सी अड़चनें होती हैं, बहुत से रोग होते हैं। लेकिन दूसरी बात भी खयाल रखना, कि मासिक धर्म के कारण स्त्रियों को कुछ सुविधाएं हैं जो पुरुष को नहीं हैं।

इस जगत में कांटे अकेले नहीं आते, फूलों के साथ आते हैं। न फूल अकेले आते हैं, फूल भी कीटों के साथ आते हैं। यहां हर कड़वाहट में कोई मिठास छिपी होती है।

मासिक धर्म के चार दिन, पांच दिन स्त्रियों के लिए बड़ी नकारात्मक दशा के दिन हैं। सारा चित्त निषेध से भर जाता है। रुग्ण हो जाता है, क्रोध से भर जाता है, विषाद से भर जाता है, जीवन बोझिल मालूम होता है। जैसे एक छोटी सी मौत घटने लगी। ऐसी तकलीफ पुरुष को नहीं आती।
लेकिन ये चार— दिन में जो नकारात्मकता पैदा हो जाती है, वह बह भी जाती है चार दिन में और बाकी जो महीना है वह ज्यादा प्रफुल्लता का होता है। वैसी प्रफुल्लता पुरुष की नहीं होती। उसकी नकारात्मकता निकलने में तीस ही दिन लगते हैं। थोड़ी— थोड़ी निकलती है, इकट्ठी नहीं निकलती। स्त्रियों का रोग इकट्ठा चार दिन में निकल जाता है। क्योंकि अंततः तो दोनों के रोग एक जैसे हैं, निकलना तो पड़ेगा ही।

स्त्री चार दिन में थोक रूप से परेशान हो लेती है, पुरुष तीस दिन फुटकर रूप से परेशान रहता है। इसलिए पुरुष की पीड़ा कभी उतनी प्रगाढ़ नहीं दिखती जितनी स्त्री की दिखती है। लेकिन पुरुष की प्रफुल्लता भी उतनी प्रगाढ़ नहीं दिखती जितनी स्त्री की दिखती है।
स्त्री की कोमलता, स्त्री का सौंदर्य, उसी मासिक धर्म के कारण है। वह जो मासिक धर्म सारे विषाद को, सारे जहर को बहा देता है, तो बाकी शेष महीने में स्त्री हल्की हो जाती है। पुरुष पूरे महीने उसी बेचैनी में रहता है। धीरे—धीरे करके उसकी बेचैनी निकलती है।

अगर बेचैनी की पूरी मात्रा खयाल में लो तो स्त्री—पुरुष में कोई भेद नहीं है, बेचैनी की मात्रा तो बराबर है। जैसे समझ लो कि सौ का आकड़ा है, तो चार दिन में स्त्री सौ का आकड़ा निकाल लेती है, और पुरुष को निकालने में तीस दिन लगते हैं। स्वभावत: रोज की मात्रा पुरुष पर कम पड़ती है, स्त्री की चार दिन में मात्रा बहुत हो जाती है।

स्त्रियों का जो गीत है, स्त्रियों का जो सौंदर्य है, स्त्रियों की जो कोमलता है, स्त्रियों का जो प्रसाद है, वह कहां से आ रहा है। वह चार दिन में जो निकल गया जहर, तो फिर से एकदम हल्कापन हो गया, बोझ उतर गया।
अगर यह बात खयाल में रहे, तो चार दिन का बोझ बहुत बोझ नहीं मालूम पड़ेगा। उसका लाभ भी ध्यान में रखना जरूरी है,~ एक बात।

दूसरी बात~
मासिक धर्म के कारण उतनी गड़बड़ी नहीं हो रही है, जितनी गड़बड़ी होती है स्त्रियों के शरीर—तादात्म के कारण। स्त्रिया अपने को बहुत शरीर मानती हैं, इतना पुरुष नहीं मानता। पुरुष अपने को मन के साथ तादात्म करता है। स्त्री अपने को शरीर के साथ तादात्म करती है।

स्त्री की उत्सुकता शरीर में होती है, दर्पण के सामने खड़ी है घंटों! पुरुष को समझ में ही नहीं आता कि दर्पण के सामने अपनी ही सूरत घंटों देखने का क्या प्रयोजन है! घंटों वस्त्र सम्हाल रही है। ऐसा कोई मौका ही नहीं होता जब कि स्त्री समय पर कहीं पहुंच जाए, क्योंकि वह उसका बार—बार मन बदल जाता है कि दूसरी साड़ी पहन लूं, कि इस तरह कर लूं कि उस तरह के बाल सजा लूं। पति हार्न बजा रहा है नीचे और वह तैयार ही नहीं हो पाती। हर तैयारी कम मालूम पड़ती है।
स्त्री का शरीर—बोध बहुत प्रगाढ़ है।

मनुष्य के भीतर तीन तत्व हैं—आत्मा, मन और शरीर।
पुरुष का रोग मन से जुड़ा है, स्त्री का रोग शरीर से जुड़ा है। इसलिए पुरुष के झगड़े और ढंग के होते हैं। पुरुष का झगड़ा होता है सिद्धात का, शास्त्र का, हिंदू का, मुसलमान का, राजनीति का; इस विचार का, उस विचार का, हम इस विचार को मानते, आप उस विचार को मानते।
स्त्री को समझ में नहीं आता कि क्या बकवास कर रहे हो! वह मन में कहती है अरे, कुरान मानो कि बाइबिल मानो, कुछ भी मानो, रखा क्या है, सब बराबर है। असली सवाल तो शरीर है—सुंदर कौन है? कीमती साड़ी किसने पहनी है? बहुमूल्य हीरे—जवाहरात किसके पास हैं?

स्त्री इसमें बेचैन नहीं होती, जब एक दूसरी स्त्री उसके सामने से निकलती है, तो वह यह नहीं देखती कि यह हिंदू है कि मुसलमान है कि ईसाई है कि पारसी है, वह देखती है~
अच्छा, तो यह साड़ी इसने खरीद ली! तो ये गहने इसने बना लिए! तो मैं पिछड़ गयी!
स्त्रियों की चर्चाएं सुनते हो? बैठकर जब वे चर्चाएं करती हैं तो वे इसी तरह की चर्चाएं हैं, बहुत शरीर से जुड़ी हैं, शरीर से बंधी हैं।
इस कारण रोगों सम्बंधी अड़चन आती है।

मासिक धर्म में शरीर बड़ी पीड़ा से गुजरता है और स्त्रियों का बहुत जोर शरीर से है कि हम शरीर हैं, इसलिए अड़चन होती है। अड़चन असली में मासिक धर्म के कारण नहीं हो रही है, शरीर के साथ जुड़े होने के कारण हो रही है।

तो अड़चन से बाहर होना हो तो धीरे— धीरे शरीर से अपना जोड़ कम करना चाहिए।
यह बोध धीरे—धीरे लाना चाहिए कि मैं शरीर नहीं हूं। यह औषधि। खासकर मासिक धर्म के चार दिनों में तो निरंतर यह चिंतन और भाव करना चाहिए कि मैं शरीर नहीं हूं।
बाकी समय भी यह चिंतन चलना चाहिए, यह भाव चलना चाहिए। यह भाव जितना घना होकर भीतर बैठ जाएगा कि मैं शरीर नहीं हूं—और इस भाव को घना करने के लिए जो—जो जरूरी हो, वह भी करना चाहिए।
वैसे भी आप शरीर नही हो। शरीर अलबत्ता आपका है, लेकिन आप तो आप हो। वो हो जिसने शरीर को पहन रखा है।

दर्पण के सामने भी खड़े होकर यही खयाल करो कि यह शरीर मैं नहीं हूं। तो कोई हर्जा नहीं, तीन घंटे दर्पण के सामने खड़े होना है तो खड़े रहो, मगर यही खयाल करो कि यह शरीर मैं नहीं हूं। इस खयाल की गहराई के बढ़ने के साथ ही साथ मासिक धर्म की पीड़ा एकदम कम होती चली जाएगी।

मासिक धर्म की बात कुछ नयी नहीं है। धर्म शास्त्रों में बड़ा विचार हुआ है। बुद्ध—महावीर को भी विचार करना पड़ा है। क्योंकि यह प्रश्न प्राचीन है। यह सदा से है। कोई आज की ही स्त्री शरीर से नहीं जुड़ गयी है, सदा से जुड़ी रही है। स्त्री का रोग है शरीर, पुरुष का रोग है मन।
चाहे शरीर से जुड़े रहो, चाहे मन से, दोनों हालत में आत्मा से यानी स्व से, अंतस से चूकते हो। मन से जुड़े हो तो भी आत्मा से चूक जाओगे, शरीर से जुड़े हो तो भी आत्मा से चूक जाओगे।

पुरुष को छोड़ना है मन के साथ अपना लगाव, स्त्री को छोड़ना है तन के साथ अपना लगाव। दोनों को बराबर मेहनत करनी है।
तन के साथ लगाव छोड़ने में उतनी ही मेहनत है जितनी मन के साथ लगाव छोड़ने में हैं। और दोनों से लगाव छूट जाने पर जो शेष रह जाता है, अ—लगाव की जो दशा, असंग दशा, वहीं आत्मबोध है। वही आत्मबोध स्वास्थ्य है।

स्वस्थ होने की एक ही औषधि है, इस बात की प्रतीति कि मैं आत्मा हूं—न शरीर, न मन। मन के रोग हैं, शरीर के रोग हैं।

स्त्रिया कम पागल होती हैं पुरुषों की बजाय, संख्या पुरुषों की दुगुनी है। पुरुष दोगुने ज्यादा पागल होते हैं। क्यों?
क्योंकि स्त्रियों का पागलपन थोक मात्रा में निकल जाता है, पुरुषों का पागलपन अटका रह जाता है। फिर स्त्रियां कम पागल होती हैं, क्योंकि उनका लगाव तन से है, तन थोड़े ही पागल होता है। पुरुष पागल होते हैं, क्योंकि उनका लगाव मन से है, मन पागल होता है। ज्यादा पुरुष आत्म हत्याएं करते हैं—दुगुने पुरुष।

आमतौर से स्त्रियों को ज्यादा धमकी देते पाओगे आत्महत्या की। करतीं नहीं, धमकी देती हैं, उनकी धमकी की बहुत चिंता मत लेना। और अगर करती भी हैं तो इतने इंतजाम से करने की कोशिश करती हैं कि बचा ली जाएं।
अगर नींद की गोली भी खाएंगी तो पांच—छह—सात से ज्यादा नहीं खातीं। वह सिर्फ धमकी है। दस स्त्रियां चेष्टा करती हैं आत्महत्या की, नौ बच जाती हैं।
दस पुरुष चेष्टा करते हैं, पांच बच पाते हैं। पुरुष की चेष्टा, वह हिम्मत से घुस ही जाता है अंदर एकदम, फिर वह सोचता ही नहीं कि यह अब क्या करना है! वह बिलकुल पागल हो जाता है।

दुगुने पुरुष आत्महत्या से मरते हैं, दुगुने पुरुष पागल होते हैं। और इस सबके मूल में मासिक धर्म का सहारा है स्त्री को। चार दिन में उसका सारा पागलपन निकल जाता है—रों लेती, धो लेती, पीड़ा में तडफ लेती, सब तरह के विषाद से भर जाती, फिर हल्की हो जाती।

स्त्री का तन कष्ट पाता है, पुरुष का मन कष्ट पाता है। और कष्ट तो जारी रहेगा, जब तक आत्मा से जोड़ न हो जाए।
फिर पुरुष का कष्ट हो, स्त्री का कष्ट हो, इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता—बराबर हैं दोनों।_

जैसे—जैसे तन और मन से अपने को तोड़ते चलोगे, वैसे—वैसे स्वस्थ होते चलोगे। स्व में डूब जाना ही स्वस्थ होने का उपाय है !

[: हाथ की पांच उंगलिया

हमारे हाथ की पांचो उंगलिया शरीर के अलग अलग अंगों से जुडी होती है | इसका मतलब आप को दर्द नाशक दवाइयां खाने की बजाए इस आसान और प्रभावशाली तरीके का इस्तेमाल करना करना चाहिए | आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बतायेगे के शरीर के किसी हिस्से का दर्द सिर्फ हाथ की उंगली को रगड़ने से कैसे दूर होता है |

हमारे हाथ की अलग अलग उंगलिया अलग अलग बिमारिओ और भावनाओं से जुडी होती है | शायद आप को पता न हो, हमारे हाथ की उंगलिया चिंता, डर और चिड़चिड़ापन दूर करने की क्षमता रखती है | उंगलियों पर धीरे से दबाव डालने से शरीर के कई अंगो पर प्रभाव पड़ेगा |

1. अंगूठा
– The Thumb
हाथ का अंगूठा हमारे फेफड़ो से जुड़ा होता है | अगर आप की दिल की धड़कन तेज है तो हलके हाथो से अंगूठे पर मसाज करे और हल्का सा खिचे | इससे आप को आराम मिलेगा |

2. तर्जनी
– The Index Finger
ये उंगली आंतों gastro intestinal tract से जुडी होती है | अगर आप के पेट में दर्द है तो इस उंगली को हल्का सा रगड़े , दर्द गयब हो जायेगा।

3. बीच की उंगली
– The Middle Finger
ये उंगली परिसंचरण तंत्र तथा circulation system से जुडी होती है | अगर आप को चक्कर या आपका जी घबरा रहा है तो इस उंगली पर मालिश करने से तुरंत रहत मिलेगी |

4. तीसरी उंगली
– The Ring Finger
ये उंगली आपकी मनोदशा से जुडी होती है | अगर किसी कर्ण आपका मनोदशा अच्छा नहीं है या शांति चाहते हो तो इस उंगली को हल्का सा मसाज करे और खिचे, आपको जल्द ही इस के अच्छे नतीजे प्राप्त हो जयेगे, आप का मूड खिल उठे गा।

5. छोटी उंगली
– The Little Finger
छोटी उंगली का किडनी और सिर के साथ सम्बन्ध होता है | अगर आप को सिर में दर्द है तो इस उंगली को हल्का सा दबाये और मसाज करे, आप का सिर दर्द गायब हो जायेगा | इसे मसाज करने से किडनी भी तंदरुस्त रहती है |

पोस्ट अच्छी लगे तो कम से कम अपने मित्रो और परिचित तक भेजे और स्वस्थ भारत के निर्माण मैं अपना पूर्ण योगदान दे।

🌸 धन्यवाद 🌸
[📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝📝

                  *कटु - सत्य*

पर्रिकर जी चले गये,
सुषमा जी चली गई,
जेटली जी चले गये

इन सब घटनाओं से आपने क्या सीखा ?

ये सब #बुढापेकीमौत नहीं गये, ये सब किसी ना किसी बीमारी से ग्रसित थे।

आप ये भी नहीं कह सकते कि

  • इनके #खानपान में #कमी होगी
  • 24 घंटे #अत्याधुनिक चिकित्सा_सुविधाएं उपलब्ध थी
  • विश्व के सब #ऐशो_आराम इनको उपलब्ध थे

फिर आखिर क्या हुआ कि इनकी मौत समय से पहले हो गई ।

इस शरीर के 3 बहुत बड़े #घुन हैं –

  • एक अत्यधिक #शारारिक_आराम
  • दूसरी #चिंता और
  • तीसरी अत्यधिक #मानसिक_थकान

बस इन्ही उपरोक्त से अपने आप को बचाइये जीवन में #व्याधि नहीं आयेंगी।

किसी के लिए भी कभी –

#भूखा-प्यासा रहकर कार्य ना करें, अपने बच्चों के लिए भी नही, क्योंकि आपका शरीर स्वस्थ है तो आप हैं और आप हैं तो उनको भी सहारा दे ही सकते हैं।

याद रखें प्रत्येक व्यक्ति अपना #भाग्य और #कौशल साथ लेकर आता है,इसलिए किसी के लिए भी अत्यधिक चिंता ना करें।

#इच्छाओंकाअंत नही होता अतः #संतुष्ट रहना भी सीखें ।

जीवन मे #पद महत्वपूर्ण वस्तु है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण आपका अपना #शरीर है।

आपकी #महत्ता तभी तक है जब तक आपका शरीर स्वस्थ है। यही आपका वास्तविक जीवन साथी है क्योंकि जब तक आपका शरीर #स्वस्थ है, आपका जीवन #सार्थक है ।

               *जय जयसियाराम*

                   *👍👌👍*

[ मुस्कुराहट का महत्व

_अगर आप एक अध्यापक हैं और जब आप मुस्कुराते हुए कक्षा में प्रवेश करेंगे तो देखिये सारे बच्चों के चेहरों पर मुस्कान छा जाएगी।

_अगर आप डॉक्टर हैं और मुस्कराते हुए मरीज का इलाज करेंगे तो मरीज का आत्मविश्वास दोगुना हो जायेगा।

_अगर आप एक ग्रहणी है तो मुस्कुराते हुए घर का हर काम किजिये फिर देखना पूरे परिवार में खुशियों का माहौल बन जायेगा।

_अगर आप घर के मुखिया है तो मुस्कुराते हुए शाम को घर में घुसेंगे तो देखना पूरे परिवार में खुशियों का माहौल बन जायेगा।

_अगर आप एक बिजनेसमैन हैं और आप खुश होकर कंपनी में घुसते हैं तो देखिये सारे कर्मचारियों के मन का प्रेशर कम हो जायेगा और माहौल खुशनुमा हो जायेगा।

_अगर आप दुकानदार हैं और मुस्कुराकर अपने ग्राहक का सम्मान करेंगे तो ग्राहक खुश होकर आपकी दुकान से ही सामान लेगा।

_कभी सड़क पर चलते हुए अनजान आदमी को देखकर मुस्कुराएं, देखिये उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ जाएगी।

मुस्कुराइए
क्यूंकि मुस्कराहट के पैसे नहीं लगते ये तो ख़ुशी और संपन्नता की पहचान है।

मुस्कुराइए
क्यूंकि आपकी मुस्कराहट कई चेहरों पर मुस्कान लाएगी।

मुस्कुराइए
क्यूंकि ये जीवन आपको दोबारा नहीं मिलेगा।

मुस्कुराइए
क्योंकि क्रोध में दिया गया आशीर्वाद भी बुरा लगता है और मुस्कुराकर कहे गए बुरे शब्द भी अच्छे लगते हैं।

मुस्कुराइए
क्योंकि दुनिया का हर आदमी खिले फूलों और खिले चेहरों को पसंद करता है।

मुस्कुराइए
क्योंकि आपकी हँसी किसी की ख़ुशी का कारण बन सकती है।

मुस्कुराइए
क्योंकि परिवार में रिश्ते तभी तक कायम रह पाते हैं जब तक हम एक दूसरे को देख कर मुस्कुराते रहते है
और सबसे बड़ी बात

मुस्कुराइए
क्योंकि यह मनुष्य होने की पहचान है। एक पशु कभी भी मुस्कुरा नही सकता।
इसलिए स्वयं भी मुस्कुराए और औराें के चहरे पर भी मुस्कुराहट लाएं.

यही जीवन है।
आनंद ही जीवन है।।
🥀स्त्री स्वस्थ्य का सम्पूर्ण विश्लेषण।
स्त्री-स्वास्थ्य और आयुर्वेद का बहुत गहरा सम्बन्ध रहा है । और हो भी सकता है अगर आधुनिक नारियां इसे गंभीरता से लें । आज कल 99% नारियां बीमार नज़र आ रही हैं और इसके कारण भी बहुत रोचक है ।

🌾पुराने वक्त में बुखार, हरारत, सर्दी, खांसी जैसी छोटी-छोटी बीमारियों के लिए अजवाईन का काढा दे दिया जाता था । लोग आराम से पी भी लेते थे नतीजा यह था की लोग लम्बे समय तक शारीरिक क्षमता के अत्यधिक उपयोग के साथ जी भी लेते थे ।

🍂किन्तु आज …… आज किसी महिला को आप अजवाइन फांकने को या काढा पीने को कहिये तो वह मुंह बना लेती हैं। अधिकाँश को तो उलटी होने लगेगी या उबकाई आ जाएगी। वे कहती हैं कि कोई टैबलेट या गोली दे दीजिये खा लेंगे। इन्हीं गोलियों और टैबलेट ने आज की बीमार नारियों को पैदा किया है । जहाँ पहले की महिलायें संयुक्त परिवार में रहकर ढेर सारे काम घर के भी, खेती के भी बिना थके कर लेती थी । वही आज सिर्फ अपने पति और बच्चे के साथ रहने वाली महिला थोड़ा सा काम करके ही थक जाती हैं और आये दिन बीमार रहती है ।

🌺तमाम शोधों से यह बात तो सामने आ ही चुकी है कि दर्द निवारक गोलियां या अंग्रेजी दवाएँ साइड इफ़ेक्ट जरूर पैदा करती है । ये इफ़ेक्ट जहाँ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम करते हैं वहीँ पाचन तंत्र पर भी बुरा प्रभाव डालते हैं । फिर अगर पेट ही बीमार हो तो सारे शरीर को बीमार होना ही है । इस बात को स्त्रियों को समझना होगी और उन्हें फिर से अपने घर की रसोई में मौजूद आयुर्वेदिक दवाओं की तरफ लौटना होगा ।

🍃यदि आपको बुखार हो या थकान या हरारत या हल्का सर दर्द महसूस हो तो 5 ग्राम अजवाइन सादे पानी से फांक लीजिये । अजवाइन बुखार को शरीर में रहने नहीं देती और दर्द को जड़ से ख़त्म कर देती है जबकि कोई भी दर्द निवारक गोली सिर्फ दर्द को दबाती है जो शरीर के किसी और भाग में उभर कर सामने आता है ।

💐गर्भवती स्त्रियाँ यदि साढ़े आठ महीने बाद 3 ग्राम हल्दी दिन में एक बार पानी से फांक लें तो 100% सामान्य प्रसव होगा । किसी आपरेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी।

🍁बच्चा पैदा होने के 5-6 दिन बाद मंगरैल का काढा जरूर 3-4 दिनों तक पिये । इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा की पेट बाहर नहीं निकलेगा, वरना 90% महिलायें यही बताती है कि बच्चा होने के बाद पेट निकलना शुरू हुआ ।

🌼बच्चा होने के बाद शरीर की मालिश बेहद जरुरी है और हल्दी के लड्डू खाने जरुरी है जो शरीर को नव जीवन तो देते ही हैं ज्वाइंट के रोग नहीं होने देते और ब्रेस्ट कैंसर और स्किन कैंसर से बचाते है ।

🌹सभी महिलाओं को बचपन से ही पानी ज्यादा पीने की आदत डालनी चाहिए। ये पानी आपके शरीर को तमाम बीमारियों से दूर जरूर रखता है । पथरी, बवासीर, कब्ज, गैस, मोटापा, जोड़ो का दर्द, इतनी सारी बीमारियाँ ये अकेला पानी ही नहीं होने देता ।

🌷ल्यूकोरिया या श्वेत-प्रदर की बीमारी शरीर को पूरी तरह खोखला कर देती है । किसी काम में मन नहीं लगता, कमर-दर्द, चेहरा निस्तेज हो जाना, हर वक्त बुखार सा रहना, ये सब ल्यूकोरिया के लगातार रहने की वजह से पैदा हो जाते है । किसी भी उम्र की महिला को सफ़ेद पानी गिरने की शिकायत हो रही है तो 2 केले, दो चम्मच देशी घी और आधा चम्मच शहद में मसल कर चटनी बना ले व एक महीने तक लगातार रोज खाएं ।

🌺चेहरे पर दाग-धब्बे, झाइयां हो जाएँ तो दो चम्मच मंगरैल को सिरके में पीस कर पेस्ट बनाएं और रोज रात में लगाकर सो जाएँ । 20-25दिन में चेहरा साफ़ हो जायेगा । कास्मेटिक्स के ज्यादा प्रयोग से चेहरे पर झुर्रियां जल्दी आ जाती हैं और चेहरे की ताजगी खत्म हो जाती है ।

🌺चेहरे पर कभी खीरे का रस लगाकर सो जाएँ, कभी टमाटर का रस, तो कभी हल्दी और बेसन का पेस्ट तो कभी फिटकरी के पानी से धो कर सोयें। ये ही सबसे अच्छे कास्मेटिक्स है ।बच्चे न होने के लिए खाई जाने वाली कन्ट्रासेप्टिव पिल्स आपको बाँझ भी बना सकती है । सेक्स के प्रति रूचि भी ख़त्म कर सकती है और गर्भाशय से सम्बंधित कुछ और बीमारियाँ भी पैदा कर सकती है । जबकि सबसे अच्छी पिल्स तो आपकी रसोई में ही मौजूद है । जिस दिन पीरियड ख़त्म हो उसी दिन एक अरंडी का बीज पानी से निगल लीजिये। पूरे महीने बच्चा नहीं रुकेगा । या एक लौंग पानी से निगल लीजिये यह भी महीने भर आपको सुरक्षित रखेगी।

🍂कोलेस्ट्राल बढ़ रहा हो तो रोज एक चम्मच मेथी का पाउडर पानी से निगल लीजिये ( सुबह सवेरे खाली पेट )।

🌾खून साफ़ रखने, प्रतिरोधक क्षमता बढाने और स्किन को जवान रखने के लिए आप एक चम्मच हल्दी का पाउडर ( लगभग ३-४ ग्राम) पानी से सुबह सवेरे निगल लीजिये, यह गले की भी सारी बीमारियाँ दूर कर देती है- टांसिल्स, छाले, कफ, आदि ख्त्म । आवाज भी सुरीली हो जायेगी।

🍁खुद को फिट रखने का सही तरीका ये होगा की एक महीना हल्दी का पाउडर निगलिये, एक महीना मेथी का पाउडर, एक महीने तक सवेरे नीम की 10 पत्तियां चबा लीजिये, एक महीना तुलसी की 10 पत्तियाँ 10 दाने काली मिर्च के साथ चबाएं । फिर एक महीना सुबह सवेरे 100 ग्राम गुड का शरबत पीयें। एक महीना कुछ मत लीजिये । फिर अगले महीने से यही रुटीन शुरू कीजिए, आपको आपके बाल सुन्दर, चेहरा सुन्दर, स्किन सुन्दर, शरीर में भी अजीब सी ताजगी और क्या क्या चमत्कार दिखाई देगा, ये खुद ही जान जायेंगी।

🌹खुद को प्रकृति के नजदीक रखिये और स्वस्थ रहिये । कभी आपको डाक्टर के पास जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी ।
[अच्छी नींद पाने के पांच घरेलू नुस्खे,
अच्छे खान-पान के साथ ही ये भी बेहद जरूरी है कि आप अच्छी नींद लें. नींद नहीं पूरी होने पर एक ओर जहां इंसान के स्वभाव पर असर पड़ता है वहीं उसकी सेहत पर भी बुरा असर होता है.

ऐसे में स्वस्थ जीवन जीने के लिए जरूरी है कि एक इंसान अच्छे पोषण के साथ ही अच्छी नींद भी ले. नींद केवल शारीरिक नहीं बल्क‍ि मानसिक जरूरत भी है.

कई लोग ऐसे होते हैं जो बिस्तर पर जाते ही सो जाते हैं पर कुछ ऐसे भी होते हैं जिन्हें नींद न आने, बेचैन रहने जैसी समस्याएं होती हैं. ऐसे लोग सोना तो चाहते हैं लेकिन किन्हीं कारणों से न तो उनकी नींद पूरी हो पाती है और न ही वो चैन की नींद ले पाते हैं. कच्ची नींद होने की कई वजहें हो सकती हैं.

ऐसी स्थिति में सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. यदि डॉक्टर इस बात के लिए आश्वस्त कर दे कि आपको कोई गंभीर बीमारी नहीं है तो निश्चित तौर इसकी वजह आपका लाइफस्टाइल होगा.

आजकल के अति व्यस्त लाइफस्टाइल में स्वस्थ रहना किसी चुनौती से कम नहीं है और अगर आपकी नींद भी पूरी नहीं हो रही है तो आगे चलकर ये आपके लिए गंभीर समस्या बन सकती है. ऐसे में ये कुछ बातें आपको अच्छी नींद लेने में मदद करेंगी:

  1. चेरी
    चेरी में प्रचुर मात्रा में मेलाटोनिन होता है जोकि शरीर के आंतरिक चक्र को नियमित करने में मदद करता है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि सोने से पहले एक मुट्ठी चेरी का सेवन अच्छी नींद लेने में मददगार साबित होता है. चेरी को जूस के रूप में भी लिया जा सकता है या फिर फ्रेश चेरी नहीं मिलने पर फ्रोजन चेरी भी फायदेमंद साबित होगी.
  2. दूध
    रात को बिस्तर पर जाने से पहले एक गिलास गर्म दूध पीना काफी फायदेमंद हो सकता है. दूध में मौजूद Tryptophan और serotonin अच्छी नींद लेने में मददगार होता है. साथ ही दूध कैल्शि‍यम का भी एक अच्छा स्त्रोत है. दूध तनाव दूर करने में भी सहायक होता है.
  3. केला
    केले में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो मांस-पेशि‍यों को तनावमुक्त करते हैं . इसमें मौजूद मैग्न‍िशि‍यम और पोटैशि‍यम अच्छी नींद को बढ़ावा देते हैं. साथ ही ये विटामिन बी6 का भी एक अच्छा माध्यम है जो सोने से जुड़े हार्मोन्स के स्त्रावण में सक्रिय भूमिका निभाते हैं.
  4. बादाम
    केले की तरह बादाम भी मैग्न‍िशयिम का बहुत अचछा स्त्रोत है. ये नींद को बढ़ावा देने के साथ ही मांस-पेशि‍यों में होने वाले खिंचाव और तनाव को कम करता है. जिससे चैन की नींद लेना आसान हो जाता है.
  5. हर्बल चाय
    अच्छी नींद के लिए कैफीन और एल्कोहोल से परहेज करना ही बेहतर है लेकिन अगर आप रात को सोने से पहले हर्बल चाय पीते हैं तो आप अपने लिए एक अच्छीनींद का इंतेजाम कर लेते हैं.

कुछ अन्य महत्वपूर्ण टिप्स:-

  • रात को सोने से पहले तलवे पर सरसो के तेल की मालिश से भी अच्छी नींद आती है और दिमाग शांत होता है.
  • रात को सोने से पहले अच्छी तरह अपने हाथ-पैर साफ कर लें. साथ ही ये भी निश्च‍ित कर लें कि आपके सोने की जगह साफ-सुथरी हो.
  • संगीत सुनते हुए सोने या किताब पढ़ते हुए सोने से भी अच्छी नींद आती है.
  • अपने दिमाग को शांत करें और सकारातमक सोच के साथ पलंग पर जाएं.
    : 🌻विटामिन डी की कमी से उत्पन्न होने वाले रोग-
    🍃मज्जा तंतुओं की कमजोरी।
    🌻क्षय रोग।
    🍃सर्दी जुकाम बार-बार होना।
    🌻शारीरिक कमजोरी।
    🌾खून की कमी।
    🍂🍂विटामिन डी युक्त खाद्यों की तालिका-
    निम्नलिखित खाद्य-पदार्थो में विटामिन डी´ पाया जाता है। जिन रोगियों के शरीर में विटामिनडी´ की कमी होती है उनको औषधियों से चिकित्सा करने के साथ-साथ इन खाद्यों का प्रयोग भी करना चाहिए। विटामिन डी´ प्राय: उन सभी खाद्यों में होता है जिनमें विटामिनए´ पर्याप्त मात्रा में मौजूद रहता है।
    💐ताजी साग-सब्जी।
    🌾पत्तागोभी।
    🌼पालक का साग।
    🌼सरसों का साग।
    🌻हरा पुदीना।
    🌻हरा धनिया।
    🌻गाजर।
    🌻चुकन्दर।
    🌻शलजम।
    🌻टमाटर।
    🌻नारंगी।
    🌼नींबू।
    🌻मालटा।
    🌼मूली।
    🌼मूली के पत्ते।
    🌼काड लिवर ऑयल।
    🌻हाली बुटलिवर ऑयल सलाद।
    💐सलाद।
    🌸चोकर सहित गेंहूं की रोटी।
    🌸सूर्य का प्रकाश।
    🌼नारियल।
    🌻मक्खन।
    🌺घी।
    🌼दूध।
    🌺केला।
    🌻पपीता।
    🌺शाकाहारी भोजन।
    🌻मछली का तेल।
    🌻शार्क लीवर ऑयल।

💐विटामिन डी´ से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें- 🌸विटामिनडी´ का आविष्कार विड्स ने 1932 में किया था।
🌻विटामिन ए´ की भांति विटामिनडी´ भी तेल और वसा में घुल जाता है पर पानी में नहीं घुलता।
💐जिन पदार्थो में विटामिन ए´ रहता है 🥀विशेषकर उन्हीं में विटामिनडी´ भी विद्यमान रहता है।
💐मछली के तेल में विटामिन डी´  अधिक पाया जाता है। 🌻विटामिनडी´ की कमी हो जाने पर आंतें कैल्शियम तथा फास्फोरस को चूसकर रक्त में शामिल नहीं कर पाती हैं।
🥀सूर्य के प्रकाश में विटामिन डी´ रहता है। कुछ चिकित्सक घावों, फोड़ों तथा रसौलियों की चिकित्सा सूर्य के प्रकाश से करते हैं। 🥀प्रातःकाल सूर्य के प्रकाश में लेटकर सरसों के तेल की मालिश पूरे शरीर पर की जाए तो शरीर को विटामिनडी´ पर्याप्त मात्रा में मिल जाता है।
सौर ऊर्जा से बने भोजन में पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी´ उपलब्ध होता है। 🥀भोजन को थोड़ी देर तक सूर्य के प्रकाश में रख दिया जाये तो उसमें विटामिनडी´ पर्याप्त मात्रा में आ जाता है।
🌻चर्म रोगों की चिकित्सा के लिए विटामिन डी´ अति उपयोगी है। इसलिए कई चर्म रोग सूर्य का प्रकाश दिखाने से ठीक हो जाते हैं। विटामिन डी का सूर्य से उतना ही सम्बंध है जितना शरीर का आत्मा से। 🌺विटामिनडी´ मजबूत चमकीले दांतों के लिए अति आवश्यक है।
🥀विटामिन डी´ हडि्डयों को मजबूत बनाता है। 🌻विटामिनडी´ की कमी से हडि्डयां मुलायम हो जाती हैं।
🏵️विटामिन डी´ कमी से त्वचा खुश्क हो जाती है। 🥀जो लोग अंधेरे स्थानों में निवास करते हैं वे 🌺विटामिनडी´ कमी के शिकार हो जाते हैं।
🥀विटामिन डी´ की कमी से कूबड़ निकल आता है। 💐विटामिनडी´ की कमी से पेडू और पीठ की हडि्डयां मुड़ जाती हैं या मुलायम हो जाती है।
ठण्डे मुल्कों के लोग विटामिन डी´ की कमी के शिकार रहते हैं। 🌻प्राचीनकाल में लोग खुले वातावरण में रहते थे इसलिए वे बहुत कम रोगों के शिकार होते थे। श्वास रोगों को दूर करने के लिए विटामिनडी´ बहुत असरकारक साबित होता है।
🌺गर्भावस्था में विटामिन डी´ की अत्यधिक आवश्यकता पड़ती है। यदि गर्भवती स्त्री को विटामिनडी´ की कमी हो जाये तो पैदा होने वाले बच्चे के दांत कमजोर निकलते हैं और जल्दी ही उनमें कीड़ा लग जाता है।
💐विटामिन डी´ के कारण दांतों में कीड़ा नहीं लगता। 🌺शरीर में विटामिनडी´ की कमी से हडि्डयों में सूजन आ जाती है।
🥀गर्म देश होने के बाद भी भारत के लोगों में सामान्यत: कमजोर अस्थियों का रोग पाया जाता है।
💐केवल अनाज पर निर्भर रहने वाले लोग अक्सर अस्थिमृदुलता (हडि्डयों का कमजोर होना) के शिकार हो जाते हैं।
🥀 की खोपड़ी की हडि्डयां तीन मास के बाद भी नर्म रहे तो समझना चाहिए कि विटामिन डी´ की अत्यधिक कमी हो रही है। 🌻विटामिनडी´ की प्रचुर मात्रा शरीर में रहने से चेहरा भरा-भरा, चमक लिए रहता है।
🌸पर्दे में रहने वाली अधिकांश स्त्रियां विटामिन डी´ की कमी की शिकार रहती हैं। 🌺जिन रोगियों को विटामिनडी´ की कमी से अस्थिमृदुलता तथा अस्थि शोथ रहता है वे अक्सर धनुवार्त के शिकार भी हो जाते हैं।
💐भारत में विटामिन डी´ की कमी को दूर करने के लिए बच्चे को बचपन से ही मछली का तेल पिलाना हितकारी होता है। 🍃बच्चों, गर्भावस्था और दूध पिलाने की अवस्था में विटामिनडी´ का सेवन बहुत जरूरी होता है।
🍃व्यक्ति को बचपन के बाद जवानी और बुढ़ापे में भी मछली का तेल नियमित रूप से पिलाते रहना चाहिए। इससे शरीर में विटामिन डी´ की पर्याप्त मात्रा बनी रहती है।स्नेहा आयुर्वेद ग्रुप 🍁बुढ़ापे में विटामिनडी´ की कमी हो जाने पर जोड़ों का दर्द प्रारंभ हो जाता है।
🌹विटामिन डी´ की कमी से हल्की सी दुर्घटना हो जाने पर भी हडि्डयां टूट जाती हैं। 🌺विटामिनडी´ की कमी से बच्चों की खोपड़ी बहुत बड़ी तथा चौकोर सी हो जाती है।
🌹विटामिन डी´ की कमी से बच्चों के पुट्ठे कमजोर हो जाते हैं। 🌼विटामिनडी´ की कमी से बच्चों का चेहरा पीला, निस्तेज, कान्तिहीन दृष्टिगोचर होने लगता है।
🌼विटामिन डी´ की कमी के कारण बच्चा बिना कारण रोता रहता है। 🍂विटामिनडी´ की कमी से बच्चे का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है तथा उसको कुछ भी अच्छा नहीं लगता है।
🌸यदि वयस्कों के शरीर में विटामिन डी´ की कमी हो जाये तो प्रारंभ में उनको कमर और कुल्हों की वेदना सताती है। 🌺यदि वयस्कों को विटामिन-डी की अत्यधिक कमी हो जाये तो उनके पेडू और कूल्हे की हडि्डयां मुड़कर कुरूप हो जाती हैं। 💐शरीर में विटामिनडी´ की कमी से सीढ़ियां चढ़ने पर रोगी को कष्ट होता है।
🌻शीतपित्त रोग के पीछे शरीर में विटामिन डी´ की कमी होती है अत: इस रोग की औषधियों के साथ विटामिनडी´ का प्रयोग भी लाभ प्रदान करता है।
🌻विटामिन डी´ की कमी को दूर करने के लिए कच्चा अण्डा प्रयोग करना हितकर होता है। सर्दियों तथा बरसात के मौसम में बच्चों, बूढ़ों तथा जवानों को समान रूप से विटामिनडी´ की अधिक आवश्यकता रहती है।
🌻विटामिन डी´ की अधिकता से दिमाग की नसें शक्तिशाली और लचीली हो जाती हैं। 🥀विटामिनडी´ सब्जियों में नहीं पाया जाता है।
अण्डा, मक्खन, दूध, कलेजी में विटामिन डी´ ज्यादा मात्रा में रहता है। 🥀ग्रामीण लोगों को सूर्य की किरणों से पर्याप्त विटामिनडी´ मिल जाता है।
🥀ग्रामीण लोगों की अपेक्षा शहरी लोग अधिक विटामिन डी´ की कमी के शिकार होते हैं। 🌻पुरुषों को प्रतिदिन 400 से 600 यूनिट विटामिनडी´ की आवश्यकता होती है। दूध पीते बच्चों को भी इतनी ही आवश्यकता होती है।
🌼अस्थिशोथ (रिकेट्स) तथा निर्बलता में 4 से 20 हजार अंतर्राष्ट्रीय यूनिट विटामिन `डी´ की आवश्यकता होती है।

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