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हमारे प्राचीन आयुर्वेद में भी सर्दियों में कई जड़ी बूटियों व औषधीय गुणों से बनाये जाने वाले खाध्य पदार्थों का सेवन करने का विस्तृत वर्णन किया गया है.

उनमें से एक चोबचीनी, तोपचीनी, चोपचीनी (Chobchini, Smilax china) के बारे में प्राय हम सभी जानते है.

भारतीय घरों में इसे मसाले के रूप में एवं आयुर्वेद में इसे औषध उपयोग में लिए जाता है. यह एक प्रकार की लता होती है जो जमीन पर फ़ैल कर बढती है. विशेष रूप से चीन देश में पायी जाती है. चोपचीनी वचा प्रजाति की होती है. चीन के अलावा ताइवान, कोरिया, जापान एवं अब भारत में भी आसाम , बंगाल , सिलहट एवं चिटगांव के पास उगाई जाने लगी है.

चोपचीनी के पौधे की जड़ रक्ताभ वृण की होती है जिसे ही औषध एवं मसाले के रूप में काम लिया जाता है.

आयुर्वेद के अनुसार चोपचीनी शर्करा, सेपोनिन, वसा, गौंद एवं स्टार्च आदि तत्वों से पूर्ण होती है. इसका रस तिक्त, गुणों में यह उष्ण, दीपन, मलमूत्रादिशोधन होती है.

चोपचीनी उष्ण वीर्य व कटु विपाक के गुणों से युक्त होती है. अपने इन्ही गुणों के कारण यह वात व्याधि , फिरंग, उपदंश , अपस्मार, उन्माद, वातिकशूल आदि विकारो में काफी फायदेमंद होती है.

आयुर्वेद के अनुसार रोग प्रभाव में चोबचीनी वात एवं कफघन होती है. औषध उपयोग में इसके कंद (जड़) का इस्तेमाल किया जाता है. चोपचीनी की सेवन मात्रा 500mg से 1 ग्राम तक सेवन किया जा सकता है.

चोबचीनी के योग से आयुर्वेद में चोपचीन्यादी चूर्ण एवं वातारिपाक आदि औषधियों का निर्माण किया जाता है.

चोपचीनी के फायदे:
बढ़ी हुई यूरिक एसिड को नियत्रण में लाने के लिए.. चोपचीनी का एक ग्राम चूर्ण सुबह – शाम गुनगुने पानी के साथ लगातार सेवन करने से यूरिक एसिड लेवल में आता है.

यूरिक एसिड के लिए ही दूसरा प्रयोग आप चोबचीनी 50 ग्राम, गिलोय चूर्ण, अर्जुन छाल का चूर्ण व् मेथी दाना इन सभी को 50-50 ग्राम की मात्रा में लेकर सभी को पीसकर चूर्ण बना ले. तैयार चूर्ण में से नित्य 2 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से यूरिक एसिड की समस्या जड़ से खत्म होती है.

स्वप्नदोष की समस्या में चोबचीनी व मिश्री को बराबर की मात्रा में मिलाकर नित्य सुबह – शाम 2 ग्राम की मात्रा में गाय का एक चम्मच देशी घी के साथ सेवन करने से स्वप्नदोष से छुटकारा मिलता है.

वात व्याधियों में चोपचीन्यादी चूर्ण का सेवन लाभकारी होता है.

अस्थमा रोग में चोपचीनी का काढ़ा बना कर सेवन करना लाभकारी होता है. चोबचीनी उष्ण वीर्य की होने के कारण कफ एवं वात व्याधियों में फायदेमंद होगी.

गावजबान एवं चोबचीनी का काढ़ा बना कर घुटनों पर मालिश करने से घुटनों के दर्द से आराम मिलता है. इस प्रयोग को आप गठिया रोग में भी अपना सकते है.

सर्दियों में देशी घी में बना गुड़ व आटे का हलवा बनाकर अंत में आंच बंद करके उसमें आधा छोटा चम्मच चोबचीनी पाउडर डालकर अच्छी तरह से मिक्स करके गरमागरम खाने से गठिया रोग, कमर दर्द व जोड़ों के दर्द से बहुत ही आराम मिलता है.

चोपचीनी की जड़ या पावडर आप किसी भी आयुर्वेद की दुकान या प्रतिष्ठित पंसारी की दुकान से खरीद सकते हैं.

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