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गुड़ खाने के बे‍हतरीन लाभ :-
★ गन्ने के रस से गुड़ बनाया जाता है। गुड़ में सभी खनिज द्रव्य और क्षार सुरक्षित रहते हैं।
★ गुड़ का सेवन करने से शरीर में होने वाले कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं। मिठाई और चीनी की अपेक्षा गुड़ अधिक लाभकारी है।
★ गुड़ से कई प्रकार के पकवान बनाये जाते हैं जैसे- हलुआ, चूरमा तथा लपसी आदि।
★ गुड़ खाने से थकावट मिट जाती है। परिश्रमी लोगों के लिए गुड़ खाना अधिक लाभकारी है। मटके में जमाया हुआ गुड़ सबसे अच्छा होता है।
★ पुराना गुड़ का गुण : पुराना गुड़ हल्का तथा मीठा होता है। यह आंखों के रोग दूर करने वाला, भुख को बढ़ने वाला, पित्त को नष्ट करने वाला, शरीर में शक्ति को बढ़ाने वाला और वात रोग को नष्ट करने वाला तथा खून की खराबी को दूर करने वाला होता है।
★ अदरक के साथ गुड़ खाने से कफ खत्म होता है। हरड़ के साथ इसे खाने से पित्त दूर होता है तथा सोंठ के साथ गुड़ खाने से वात रोग नष्ट होता है।

आधुनिक विज्ञान के अनुसार : 100 ग्राम गुड़ में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग खनिज द्रव्य होता है। चीनी में खनिज द्रव्यों और क्षारों का अभाव होता है। इसलिए चीनी की अपेक्षा गुड़ खाना अधिक लाभकारी होता है। गुड़ में बिटामिन बी´-1,बी´-2, विटामिन सी´ और अल्पमात्रा में विटामिनए` होता है।
प्रकृति : गुड़ की प्रकृति गर्म होती है।

गुड के औषधीय गुण / Gud ki gun :गुड़ पेट को हल्का तथा साफ करता है। यह आंतों के घावों को ठीक करने में लाभकारी है तथा सर्दी-जुकाम की अवस्था में इसका सेवन करना अधिक फायदेमन्द होता है। यह कफ को नष्ट करता है तथा हाजमें को बढ़ाता है। गुड़ खांसी और सांस को रोकता है। इसका जला हुआ खार खांसी को दूर करता है।

गुड़ सेवन से रोगों का उपचार (औषधीय प्रयोग): Gud Ke Ayurvedic Nuskhe

१) जीभ और मुंख का सूखापन: गुड़ में जायफल 360 से 480 मिलीग्राम मिलाकर खायें। प्रतिदिन सुबह शाम इसके सेवन से जीभ और चेहरे का सूखापन दूर हो जाता है।
२) कब्ज: 2 से 4 ग्राम गुड़ के साथ हरीतकी का चूर्ण सुबह और शाम सेवन करने से कब्ज की समस्या दूर होती है।
३) कैन्सर: 2 चम्मच गुड का शीरा 1 कप पानी में मिलाकर दिन में 3 बार पिलायें, 90 दिन तक लगातार ऐसा करने से कैंसर ठीक हो जाता है।
४)गला बैठना:
• 250 मिलीग्राम से 950 मिलीग्राम गुग्गुल को गुड़ के साथ रोजाना 3 से 4 बार सेवन करने से गले का बैठना ठीक हो जाता है।
• 10 ग्राम उबले हुए चावल, 10 ग्राम गुड़ और 40 मिलीलीटर पानी एक साथ मिलाकर पका लें और पकने पर उसमें घी मिलाकर दिन में सुबह और शाम बार सेवन करने से आराम मिलता है।
५) अग्निमान्द्य (अपच):
• गुड़ के साथ जीरा मिलाकर सेवन करने से भुख का कम लगना (अग्निमान्द्य), शीत, और वात रोग में लाभ मिलता है।
• गुड़ और सोंठ का चूर्ण मिलाकर खाने से अपच की समस्यां दूर हो जाती है।
६) सर्दी, खांसी तथा जुकाम:
• 10 ग्राम गुड़ को 40 ग्राम ताजे दही और 3 ग्राम काली मिर्च के चूर्ण के साथ रोजाना सुबह 3 दिनों तक नियमित लेने से जुकाम ठीक हो जाता है।
• सर्दी के मौसम में ठण्ड से बचने के लिये गुड़ और काले तिल के लड्डू खाने चाहिये। इसको खाने से जुकाम और खांसी आदि रोग नहीं होते हैं।
• 100 ग्राम गुड़ में 1 चम्मच पिसी हुई सोंठ और 1 चम्मच कालीमिर्च मिलाकर इसके 4 भाग कर लें। इसे दिन में 4 बार खाने से खांसी व जुकाम में लाभ मिलता है।
• सर्दी के मौसम में काले तिल के साथ गुड़ मिलाकर खाने से खांसी, जुकाम और ब्रोंकाइटिस जैसे कष्टकारी रोगों नहीं होते हैं।
• यदि जुकाम की अवस्था अधिक गंभीर हो तो 30 ग्राम पुराना गुड़, 6 ग्राम पिसी हुई काली मिर्च और 60 ग्राम दही को एक साथ मिलाकर सुबह और शाम को खाने से जुकाम ठीक होकर दुबारा नहीं होता है। जुकाम बिगड़ जाने के कारण हल्का बुखार, अरुचि (खाने का मन नहीं करना), बलगम गिरना, खांसी, नाक में से बदबूदार पानी निकलना, सिर दर्द आदि लक्षण उत्पन्न हो तो गुड़ का सेवन करने से लाभ मिलता है।
• सर्दी के मौसम में गुड़ और काले तिल के लड्डू बनाकर खाने से जुकाम, खांसी, दमा व ब्रांकाइटिस आदि रोग दूर हो जाते हैं। ये रोग न होने की अवस्था में भी तिल-गुड़ के लड्डू खाने से शरीर स्वास्थ्य रहता है और खांसी, जुकाम जैसे रोग नहीं होते हैं।
७) दमा:
• दमा रोग होने पर 3 ग्राम से 10 ग्राम तक की मात्रा में गुड़ और इसके बराबर ही सरसों का तेल इसमें मिलाकर 21 दिनों तक सेवन करें इससे लाभ मिलेगा।
• 15 ग्राम गुड़ और 15 ग्राम सरसों का तेल मिलाकर चाटने से लाभ दमा व सूखी खांसी का रोग ठीक होता है।
• 10 ग्राम गुड़ तथा 10 ग्राम सरसों का तेल मिलाकर खाने से 30 दिन अथवा 40 दिन में श्वास रोग ठीक हो जाता है।
• 10 ग्राम गुड़ तथा 10 ग्राम सरसों का तेल को आपस में मिलाकर लेप जैसा बना लें और इसे कम से कम 40 से 60 दिनों तक प्रतिदिन सुबह तथा शाम को चाटें। इसी प्रकार 40 या 60 दिनों तक चाटने से श्वास रोग जड़ से नष्ट हो जाता है।
• दमे के रोगियों को सर्दी के मौसम में गुड़ और काले तिल के लड्डू का सेवन कराएं इससे उसे अधिक लाभ मिलेगा। दमा न होने पर भी इसका सेवन करने से कई प्रकार के रोग नहीं होते हैं जैसे- दमा, खांसी तथा जुकाम आदि।
८) कफ, विसर्प और हृदय रोग:
• कफ, विसर्प और हृदय के रोग होने पर गुड़ और घी को बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है।
• हृदय रोगियों को गुड़ का सेवन कराना लाभकारी होता है इससे यह रोग ठीक हो जाता है।
• हृदय की कमजोरी तथा शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए गुड़ खाना लाभकारी होता है।
९) मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट या जलन): गुड़ को आंवले के चूर्ण के साथ सेवन करने से वीर्य की वृद्धि होती है, कीड़े खत्म होते हैं व प्यास भी मिट जाती है। इसके सेवन करने से पेशाब करने पर कष्ट तथा जलन होने की समस्यां दूर हो जाती है।
१०) पेट के रोग:
• गुड़ के साथ बेलगिरी का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से खूनी दस्त, दर्द, मल का रूक कर आना और पेट का बड़ा होना आदि आदि रोग ठीक हो जाते हैं।
• गुड़ में एक चम्मच अजवायन मिलाकर चाटने से पेट दर्द ठीक हो जाता है।
• भोजन करने के बाद छोटी-सी गुड़ की डली 10 ग्राम की मात्रा में मुंह में रखकर धीरे-धीरें चूसने से मुंह में खट्टा पानी आना बंद हो जाता हैं, इससे अम्लपित्त, पेट की गैस, मुंह के छाले, हृदय की कमजोरी और शरीर का ढ़ीलापन दूर हो जाता है।
• गुड़ में काकजंगा मिलाकर खाने से पेट की बीमारीयां ठीक हो जाती हैं।
• गुड़ के साथ लालमिर्च का सेवन करने से पेट दर्द में आराम मिलता है।
• 10 ग्राम गुड़ को खाना खाने के बाद लेने से पेट में गैस बनने की समस्यां दूर हो जाती है।
• गुड़ और मेथी दाना को पानी में उबालकर इस पानी को पीने से पेट में गैस बनने की शिकायत दूर हो जाती है।
• खाने के बाद 25 ग्राम गुड़ प्रतिदिन खाने से पेट का गैस, पेट का बढ़ना आदि रोग ठीक हो जाता है तथा शरीर का स्वास्थ्य भी बना रहता है।
११) खून में दोष: गुड़ के साथ अजवायन का चूर्ण मिलाकर सेवन करने या गुड़ को पानी में डालकर काढ़ा बनाकर 7 दिनों तक सेवन करने से खून में उत्पन्न दोष दूर हो जाते हैं।
१२) गुर्दे में दर्द: गुर्दे में दर्द होने पर 10 ग्राम गुड़ और बुझा हुआ चूना आधा ग्राम दोनों को मिलाकर 2 गोलियां बना लें। पहले 1 गोली गर्म जल से लें। यदि इससे दर्द दूर न हो तो दूसरी गोली फिर लें, इससे दर्द ठीक हो जाएगा।
१३) पुत्रोत्पत्ति:
• जिनके बार-बार कन्या (बेटी) पैदा होती है, यदि वे पुत्र उत्पन्न करना चाहते हैं तो एक मोर के पंख का चंद्रमा की शक्ल वाला भाग काट-पीसकर इसे थोड़ा गुड़ में मिलाकर 1 गोली बना लें। इसी प्रकार से मोर के तीन पंखों की तीन गोलियां बना लें। गर्भ के दूसरे महीने के अंत में, जब स्त्री का दाहिना स्वर चल रहा हो, अर्थात दाहिने नथुने से श्वांस चल रहा हो तो प्रतिदिन प्रात: 1 गोली तीन दिन तक जीवित बछड़े वाली गाय के दूध में मिलाकर खिला दें। उस दिन केवल गाय के दूध का ही सेवन करें। खाना न खाएं शाम को चावल खा सकते हैं। ऐसा करने से निश्चय ही पुत्र उत्पन्न होगा और चांद जैसा गोरा बच्चा पैदा होगा। यह हजारों बार परीक्षित है।
• जिस स्त्री के कन्या ही कन्या जन्म लेती हो उसे मासिकधर्म में पलास (ढाक) का एक पत्ता दूध में पीसकर पिला दें। ऐसा करने के बाद जो सन्तान होगा, वह पुत्र ही होगा।
१४) आधे सिर में दर्द (माइग्रेन): दर्द सूर्य के निकलने तथा अस्त होने के साथ घटे-बढे़ उसे दूर करने के लिए 12 ग्राम गुड़ को 6 ग्राम घी के साथ मिलाकर सुबह सूर्योदय से पहले तथा रात को सोते समय खाएं। इससे लाभ मिलेगा।
१५) आंखों का रोग:
• गुड़ को रात के समय में पानी में भिगोंकर रखें और सुबह साफ कपड़े से छान लें। इस पानी को 100 बार छानकर पीने से आंखों का दर्द ठीक हो जाता है। गुड़ को जितनी अधिक बार छाना जाएगा, वह उतना ही अधिक ठंडा होगा और उतना ही अधिक लाभ प्रदान करेगा।
• गुड़ या चीनी मिलाकर अंजन (काजल) बना लें। इस काजल को आंखों में लगाने से आंखों में से पानी झर जाता है और धुंऐ से होने वाला आंखों का रोग ठीक हो जाता है।
१६) कनखजूरे के काटने के कारण आई सूजन: गुड़ को जलाकर कनखजूरे के काटे हुए स्थान पर लगाने से लाभ मिलता है। काटने के कारण सूजन आई हो तो वह भी मिट जाती है।
१७) उर:क्षत (छाती में जख्म): यदि छाती के अन्दर का मांस फट गया हो और जख्म हो गया हो तो इसे ठीक करने के लिए दिन में 3 बार गुड़ का सेवन करें इससे लाभ मिलेगा।
१८) पेशाब साफ न आना: गर्म दूध में गुड़ मिलाकर पीने से पेशाब साफ और खुलकर आता है। पेशाब की रुकावट दूर हो जाती है। इसका प्रयोग प्रतिदिन 2 बार करने से लाभ मिलता है।
१९) हिचकी:
• पुराना सूखा गुड़ पीसकर इसमें पिसी हुई सोंठ मिलाकर सूंघने से हिचकी का आना बंद हो जाता है।
• पुराना सूखा गुड़ तथा इसमें सोंठ मिलाकर छोटी-छोटी गोली बना लें फिर एक-एक गोली चूसने से हिचकी में आराम मिलता है ।
• रोज़ाना दिन में सुबह और शाम गुड के साथ लगभग 4 ग्राम सज्जीखार का 21 दिन तक सेवन करने से हिचकी आना बंद हो जाता है।
२०) पेट के कीडे:
• पेट के कीड़े मारने के लिए पहले रोगी को गुड़ खिलायें इससे आंतों में चिपके कीड़े निकलकर बाहर आ जाएंगे फिर कृमिनाशक औषधि लेने से कीड़े सरलता से बाहर निकल आते हैं।
• 20 ग्राम गुड़ को खाने के बाद 1 ग्राम खुरासानी अजवायन को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें फिर इसे पानी के साथ लें इससे पेट की आंतों में मौजूद कीड़े मरकर मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
• 25 ग्राम से लेकर 40 ग्राम की मात्रा में गुड़ खाने के बाद लगभग 15-20 मिनट के बाद कबीला या वायविंडग के चूर्ण को 10 ग्राम की मात्रा के रूप में गर्म पानी के साथ पीने से आंतों के कीड़े मरकर मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
• पुराना गुड़ 60 ग्राम में 3 ग्राम कमीला को मिलाकर सेवन 3 दिन तक सेवन करने से लाभ मिलता है।
• 10 ग्राम गुड और 1 ग्राम खुरासानी अजवायन को शीतल पानी के साथ पीने से लाभ मिलता है।
• 1 चम्मच अजवायन को पीसकर चूर्ण बना लें इसको गुड़ में मिलाकर रोजाना खाने से पेट के कीड़ें मर जाते हैं।
२१) कांच, कांटा व पत्थर चुभन: शरीर के किसी भी भाग के त्वचा में यदि कांटा चुभ गया हो तो उसे बाहर निकालने के लिये गुड़ और अजवाइन गर्म करके उसे स्थान पर बांधे जहां कांटा चुभा पड़ा हो और इससे कांटा बाहर निकल जाएगा तथा दर्द भी ठीक हो जाएगा।
२२) शरीर में रसोली का बनना: आधे कप पानी में 1 चम्मच गुड़ का शीरा मिलाकर दिन में 3 बार देने से शरीर के अन्दर की रसोली, कैंसर की गांठ (फोड़ा) ठीक हो जाता है। इस प्रयोग से रक्त की गांठे पिघल जाती हैं और रोग जल्दी ठीक हो जाता है।
२३) मलेरिया का बुखार: 10 ग्राम गुड़, 3 ग्राम काला जीरा मिलाकर दिन में 4 बार 2 घण्टे के अंतर से 2-3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मलेरिया बुखार की अवस्था में लाभ मिलता है।
२४) बुखार:
• गुड़ की शर्बत के साथ अर्जुन पेड़ की छाल का चूर्ण सेवन करने से जीर्ण बुखार में बहुत लाभ मिलता है।
• गुड़ के साथ अजवायन खाने से कब्ज़ दूर होती है। पूरे शरीर में फैले दर्द से उत्पन्न बुखार ठीक हो जाता है।
• 10 ग्राम गुड़ के साथ 10 आंवले का चूर्ण सुबह और शाम सेवन करने से बुखार में लाभ मिलता है।
२५) एलर्जिक का बुखार: पुराने गुड़ में अदरक का रस मिलाकर सुबह और शाम पीने से शीत पित्त के एलर्जिक का बुखार में आराम मिलता है। इससे भूख न लगने की शिकायत भी दूर हो जाती है।
२६) सूखी खांसी: सूखी खांसी वाले रोगी को 15 ग्राम गुड़ के साथ 15 ग्राम सरसों के तेल मिलाकर सेवन कराएं इससे सूखी खांसी ठीक हो जाती है।
२७) मुंह की दुर्गन्ध: मूली खाने के बाद गुड़ खाने से डकार में बदबू नहीं आती है।
२८) बहरापन (सुनाई न देना): 10 ग्राम पानी में 2 ग्राम गुड़ और 2 ग्राम शुंठी के चूर्ण को अच्छी तरह मिलाकर कान में बूंद-बूंद करके डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।
२९) खूनी अतिसार– 2 से 4 ग्राम गुड़ के साथ हरीतकी चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से खूनी अतिसार में लाभ मिलता है।
३०) नष्टार्तव (मासिकधर्म का बंद हो जाना): गुड़ के साथ काले तिल मिलाकर काढ़ा बना लें। इसे ठंडा करके पीने से बहुत समय का रुका हुआ मासिकधर्म शुरू हो जाता है।
३१) भगन्दर: पुराना गुड़, नीलाथोथा, गन्दा बिरोजा तथा सरेस इन सबको बराबर मात्रा लेकर थोड़े से पानी में घोंटकर मलहम बना लें तथा उसे कपड़े पर लगाकर भगन्दर के घाव पर रखने से कुछ दिनों में ही यह रोग ठीक हो जाता है।
३२) नहरूआ (स्यानु): नहरूआ के रोगी को कबूतर की बीट के साथ गुड़ मिलाकर देने से रोग में आराम मिलता है।
३३) नाखूनों का अन्दर की ओर बढ़ना:गन्ने के गुड़ में पिसी हुई हल्दी मिलाकर नाखून पर बांधने से दर्द व जलन में आराम मिलता है।
३४) नासूर (पुराना घाव): गुड़ में सांप की कांचली 120 मिलीग्राम मिलाकर घाव पर लगाने से घाव से खून का निकलना बंद हो जाता है।
३५) पैरों की नस फूल जाना: पैरों की नशें फूल जाने पर रोगी को एक चम्मच गुड़ शीरा एक कप पानी में मिलाकर दिन में तीन बार पीयें। इससे नसों का फूलना ठीक हो जाता है।
३६) फीलपांव (गजचर्म):
• फीलपांव के रोगी का रोग ठीक करने के लिए 10 ग्राम हल्दी का चूर्ण 20 ग्राम गुड़ में मिलाकर कांजी के साथ प्रतिदिन खायें।
• 2 से 4 ग्राम हल्दी और गुड़ को गाय के पेशाब के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से फीलपांव ठीक हो जाता है।
३७) होठों का फटना: मोम, गुड़ और राल को बराबर मात्रा में मिलाकर इसमें तेल या घी डालकर पका लें। इसको होठों पर लगाने से होठों की कठोरता और फटना ठीक हो जाता है।
३८) सिर का दर्द: लगभग 10 ग्राम गुड़ को और 5 ग्राम घी में मिलाकर सेवन करने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
३९) बालरोग हितकर: अगर बच्चे को जल्दी बढ़ाना हो, तो गु़ड़ और प्याज को मिलाकर कुछ दिन तक खिलायें। अगर बच्चे की चेतन्यता (दिमागी शक्ति) बढ़ानी हो तो मक्खन और छुहारे खिलायें।
४०)पैर का फटना: अगर पैर फट गये हों तो औरत का दूध, गुड़, घी, शहद और गेरू बराबर मात्रा में लेकर लेप बना लें और इसे पैर के फटे हुए स्थान पर लगाएं इससे पैर कमल और मुलायम हो जायेंगें।
४१) सफेद प्रदर: 2 ग्राम पुराना गुड़ रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से सफेद प्रदर ठीक हो जाता है।
४२) यकृत का बढ़ना: 1.5 ग्राम पुराना गुड़ और बड़ी (पीली) हरड़ के छिलके का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर गोली बनायें और यह गोली दिन में 2 बार सुबह-शाम हल्के गर्म पानी के साथ 1 महीने तक लें। इससे यकृत (लीवर) और प्लीहा (तिल्ली) यदि दोनों ही बढे़ हुए हों तो यह रोग ठीक हो जाता है।
४३) शीतपित्त: गुड़ के साथ अदरक का रस 1 चम्मच से 2 चम्मच की मात्रा में सेवन करें। इसके 2 से 3 मात्रायें प्रतिदिन सेवन करें। इससे शीत-पित्त रोग ठीक हो जाता है।
४४) गिल्टी (ट्यूमर): गुड़ में 10-10 ग्राम गुगल और सुहागा एक साथ मिलाकर गिल्टी पर लेप करने से लाभ मिलता है।
४५) गुल्म: गुड़, भांरगी और छोटी पीपल को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर छान लें। इस चूर्ण को 2 से 4 ग्राम तक की मात्रा में काले तिलों के काढ़े के साथ सेवन करने से खूनी गुल्म ठीक हो जाते हैं।
४६) पेशाब करने में रुकावट: 10 ग्राम गुड़ और एक चम्मच कच्ची अजवाइन 15 दिन तक खाने से पेशाब के रोग दूर होते हैं।
४७) खाज-खुजली: जिन व्यक्तियों को रक्त विकार (खून मे खराबी) हो उन्हे चाय, दूध, लस्सी आदि में चीनी की जगह गुड़ का सेवन करना चाहिये। ऐसा करने से खून साफ होकर खुजली दूर होती है।

भोजन के बाद गुड़ खाने से भोजन को गुड़ पचाता है और चीनी खाने से भोजन पचने के बाद उत्प्पन शक्ति से चीनी को पचाना पड़ता है

गुड़ खाने के नुकसान : गुड़ का अधिक मात्रा में सेवन करना गर्म प्रकृति वाले व्यक्तियों के लिए हानिकारक हो सकता है। बसन्त ऋतु में गुड़ नहीं खाना चाहिए क्योंकि इस मौसम में इसका सेवन हानिकारक हो सकता है। पित्त प्रकृति वालों को भी नया गुड़ कभी नहीं खाना चाहिए। मोटापन, बुखार, भूख कम लगना, जुकाम और मधुमेह आदि रोगों की अवस्था में गुड़ नहीं या कम खाना चाहिए या खाने के बाद निम्बू का उपयोग या त्रिफला,दालचिनी या आँवला के साथ करना चाहिए। उड़द, दूध के साथ कभी भी गुड़ का सेवन साथ में नहीं करना चाहिए उसके पहले या बाद में करना उत्तम होता है।

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