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: हिन्दू धर्म में ॐ का महत्त्व

“ॐ” और स्वस्तिक सनातन धर्म के प्रतीक हैं और इसे प्रथम प्राकृतिक ध्वनि कहा गया है| “ॐ” ब्रह्मांड की आवाज़ है | दैनिक जीवन में हम इस ध्वनि के प्रति सजग नहीं होते लेकिन ‘ॐ’ का जाप मनुष्य को पुरे ब्रह्माण्ड से जोड़ता है | खास कर योगक्रिया का अभ्यास करते समय ॐ का उच्चारण करना लाभदायक है| अक्सर ‘ॐ’ के उच्चारण को ले कर आप ने बहस सुनी होगी| ॐ को समझने के लिए “प्रणव बोध” और “ओमकार निर्णय”  ऐसी  पुस्तकें लिखी गई  है |

ओम (ॐ ) शब्द हिन्दुओं का सर्वाधिक पवित्र शब्द तथा  ईश्वर  का वाचक कहा गया है।  यजुर्वेद ४० / १७ में कहा गया है “ओम ख़म ब्रह्म ” – ओम ही सर्वत्र व्याप्त परम ब्रह्म है।

आइये हम जानने की कोशिश करते है ‘ॐ’ अर्थ और उसका महत्त्व| ‘ॐ’ एक पवित्र ध्वनि नाद या मंत्र है जिसकी उद्गम भाषा है संस्कृत | ‘ॐ’ का अर्थ है उच्चतम, श्रेष्ठ या सर्वोच्च| इस पवित्र मंत्र का उच्चारण से एक प्रकार का कम्पन निर्माण होता है जिसे महसुस किया जा सकता है| सामान्य से दिखने वाले यह एकाक्षरी मंत्र में पुरे ब्रह्माण्ड को नियंत्रित करने की जबरदस्त क्षमता है|   

एकाक्षरी मन्त्र ‘ॐ’ को ‘अ’, ‘उ’ और ‘म’ ऐसे तीन अंश में विभाजीत किया गया है | ‘अ’ और ‘उ’ को जोड़कर ‘ओ’ बनता है और आखिर में ‘म’ का उच्चारण होता है | ‘अ’ का उच्चारण गले के पीछे से किया जाता है| जबकि ‘म’ का उच्चारण होठों को जोड़ता है और मुह पूरी तरह बंद हो जाता है| ‘ॐ’ की अन्य व्याख्या भी है जैसेकि अ = ब्रह्मा (सर्जक), उ = विष्णु (पोषक), म = शिव (विध्वंसक)|

कैसे करे ॐ का उच्चारण:
वैदिक नियमो के अनुसार किसी भी ध्वनि का अनुनाद अर्थ से जुडा हुआ है इसलिए ‘ॐ’ का उच्चारण भी पारंपरिक निर्देशों के मुताबिक किया जाना चाहिए|  पतंजलि सूत्र के अनुसार ‘ॐ’ का जाप करते हुए इष्टदेव का ध्यान धरना आवश्यक है क्योकि ‘ॐ’ इश्वर की ध्वनि और प्रतिक है|

प्रातः उठकर पवित्र होकर ओमकार ध्वनि का उच्चारण करें। पद्मासन, सुखासन, वज्रासन या किसी भी आरामदायक आसन में बैठ जाइये| गर्दन और सिर सीधी रेखा में रखे| अब आँखे बंद कर एक गहरी सांस ले और फिर सांस छोड़ते हुए ‘ॐ’ का उच्चारण करे| ‘ॐ’ के उच्चारण से होने वाली कम्पन को आप नाभि से गले की ओर बढ़ता हुआ महसूस करेगे| जब गले में कम्पन पहुचे तब ध्वनि को “म” में परिवर्तित करे| जब कम्पन सिर तक पहुचे तब मंत्र को फिर से दोहराए| इस जाप प्रक्रिया को उदित प्राणायाम भी कहा जाता है|
[: ॐ उच्चारण के लाभ :

ॐ का उच्चारण करने वाला और इसे सुनने वाला दोनों ही लाभांवित होते हैं, ॐ के उच्चारण से यह निम्नलिखित लाभ होते हैं।

1 पाचन – ओम की शक्ति केवल मानसिक रोगों को ठीक करने तक ही सीमित नहीं है। यह आंतरिक परेशानियों खास तौर से पाचन क्रिया पर सकारात्मक असर डालता है, और पाचन तंत्र को सुचारु बनाए रखता है।

2  नींद – अगर आप भी नींद नहीं आने की समस्या से परेशान हैं तो ओम का उच्चारण शुरू कीजिए। कुछ ही देर में आपका दिमाग शांत हो जाएगा और आप बेफिक्र होकर अच्छी नींद ले सकेंगे।

3  तनाव – मानसिक रोगों के लिए तो ओम का उच्चारण करना कमाल का असर करता है। कुछ समय तक लगातार ओम का उच्चारण करने पर आप पाएंगे कि आपका तनाव रफूचक्कर हो चुका है।

4  घबराहट – ओम का उच्चारण आपके मन और आत्मा को बिल्कुल शांत कर देता है, जिससे घबराहट अपने आप ही चली जाती है। घबराहट का मतलब है व्याकुलता, और जहां शांति होती है वहां व्याकुलता कभी नहीं टिकती।

5  थायरॉइड – थायरॉइड ग्रंथि‍ की किसी भी प्रकार की समस्या में ओम का उच्चारण काफी लाभप्रद होता है। यह आपके स्वर और गले में कंपन्न पैदा करता है जिसका असर थायरॉइड ग्रंथि‍ पर भी सकारात्मक रूप से पड़ता है

6 रक्त संचार – ओम का उच्चारण करना आपके रक्त संचार को सही करता है एवं संतुलन बनाए रखता है। इस तरह से आपको उच्च व निम्न रक्तचाप संबंधी समस्याएं नहीं होती। 

7 ताजगी – जी हां, आलस्य को दूर कर, ओम का उच्चारण मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से आपको ताजगी देता है और स्फूर्ति का संचार करता है। इस तरह से आप चुस्त-दुरुस्त भी रह सकते हैं। 

8  थकान – अगर आप किसी भी प्रकार के काम से थकान महसूस कर रहे हैं, तो आपके लिए ओम का उच्चारण दवा का काम करेगा। बस कुछ देर आंखें बंद करके किजिए ओम का उच्चारण और आप महसूस करेंगे थकान से आजादी।

9  आंतरिक स्वास्थ्य – ओम का उच्चारण करने से उत्पन्न कंपन शरीर के आंतरिक अंगों को स्वस्थ रखने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह रीढ़ की हड्डी को भी मजबूत बनाता है, और तंत्रिका तंत्र को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए सहायक होगा।

10  सांस की तकलीफ – प्रतिदिन ओम का उच्चारण करना उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद है, जो सांस संबंधी तकलीफों से परेशान होते हैं। इससे आपके फेफड़े स्वस्थ व मजबूत होंगे और आप भी। 

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