Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM

फेफड़े स्वस्थ हों तो दिमाग़ स्वस्थ व तेज़ बना रहता है।

40 से 85 के बीच की आयु वाले 832 लोगों पर हुआ शोध।

धूम्रपान, तम्बाकू और वायु प्रदूषण फेंफड़ों के सबसे बड़े दुष्मन।

अनुलोम-विलोम के बाद कपालभाति करने से होता है लाभ।

अगर आपके फेफड़े अच्‍छी तरह काम कर रहे हैं तो आपका मस्तिष्‍क भी बेहतर काम करेगा। एक ताजा शोध में इस बात की ओर इशारा भी किया गया है। इसमें कहा गया है कि यदि स्‍वस्‍थ फेफड़े हों, तो उम्र बढ़ने के साथ-साथ दिमाग की कमजोरी होने की रफ्तार भी धीमी हो जाती है। समस्या को सुलझाने के रूप में इस तरह के मानसिक क्षमताओं को रखने के लिए एक महत्वपूर्ण तरीका हो सकता है। फेफड़ों के स्वास्थ्य में गिरावट, याद्दाश्त में कमजोरी से संबंधित होती है।

दरअसल फेंफड़े हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग होते हैं। इसके खराब होने से अस्थमा, टीबी, दमा या फेंफड़े से संबंधित अन्य कोई भी गंभीर रोग हो सकता है। और उपरोक्त खबर के अनुसार याद्दाश्त भी। फेंफड़ों के स्वस्थ्य रहने से जहां संपूर्ण शरीर स्वस्थ्य रहता है वहीं यह दिमाग को भी सेहतमंद बनाए रखता है। एक शोध से पता चला है कि फेंफड़ों का स्वास्थ्य का असर दिमाग पर पड़ता है। फेंफड़ों में भरपूर शुद्ध हवा होने से दिमाग में ऑक्सिजन की पूर्ति भी होती रहती है।

ये तथ्य लगभग दो दशकों तक मरीजों पर किये गए एक स्वीडिश अध्ययन से सामने आये। समय के साथ यह संज्ञान में आया कि फेफड़े के कार्य करने की क्षमता कम होने पर ये संज्ञानात्मक नुकसान का कारम बन सकते हैं। इसका विपरीत होता है या नहीं इस बात के कोई तथ्य नहीं है (कि कमजोर दिमाग को फेफड़ों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है या नहीं)।

इस अध्ययन में 40 से 85 के बीच की आयु वाले 832 लोगों को शामिल किया गया। शोधकर्ताओं ने देखा कि एक सेकेंड में एक व्यक्ति फेंफड़ों से कितनी हवा बाहर फैंक सकता है। साथ ही यह भी देखा कि गहरी सांस लेने के बाद छोड़ी हुई हवा की मात्रा क्या थी। इसके साथ-साथ ही शोधकर्ताओं ने इन लोगों के मस्तिष्क के संग्रहीत ज्ञान, स्मृति, और लिखने की क्षमता आदि को भी मापा। परिणामों में ये साफ पता चला कि फेफड़ों में कमजोरी और दिमाग की क्षमता (प्रोब्लम सोल्विंग क्षमता) में संबंध है।

क्यों होते हैं फेंफड़े खराब

फेंफड़े आमतौर पर धूम्रपान, तम्बाकू और वायु प्रदूषण के अलावा फंगस, ठंडी हवा, भोजन में कुछ पदार्थ, ठंडे पेय, धुएं, मानसिक तनाव, इत्र और रजोनिवृत्ति जैसे कारणों से रोग ग्रस्त हो सकते हैं। और जब किसी व्यक्ति के नाक, गला, त्वचा आदि पर इसका प्रभाव होता है तो इसे एलर्जी कहा जाता है।

कैसे रखें फेंफड़े को स्वस्थ

फेंफड़ों को स्वस्थ्य और मजबूत बनाए रखने के लिए धूम्रपान से दूर रहना चाहिए, खान-पान का ध्यान रखना चाहिए और अनुलोम-विलोम का अभ्यास करना चाहिए। अनुलोम-विलोम के बाद कपालभाति, भस्त्रिका और कुम्भक प्राणायाम भी करने चाहिए। इससे फेंफड़े स्वस्थ बने रहते हैं और दिमाग भी दुरुस्त रहता है।

फेफड़ों के रोगों से बचाव

फेफड़ों की कमजोरी दूर करेंगे यह रामबाण घरेलु उपचार

१] पालक : खांसी, गले की जलन व फेफड़ों(fefdo) में सूजन होने पर पालक के रस से कुल्ला करना चाहिए।

२] दूध : दूध में 5 पीपल व चीनी मिलाकर गर्म करके प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से खांसी तथा फेफड़ों(fefdo) की कमजोरी दूर होती है।

३] तुलसी : तुलसी के सूखे पत्ते, कत्था, कपूर और इलायची समान मात्रा में लेकर 9 गुना चीनी मिलाकर बारीक पीस लेते हैं और यह चुटकी भर की मात्रा में लेकर प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करें। इससे फेफड़ों में जमा कफ नष्ट होकर निकल जाता है। नोट :- तुलसी के पत्तों की जगह “तुलसी अर्क “का प्रयोग भी किया जा सकता है |

४] मुनक्का : मुनक्का के ताजे और साफ 15 दाने को रात में 150 मिलीलीटर पानी में भिगों दे। सुबह इसके बीज निकालकर फेंक दें और गूदा एक-एक करके खूब चबा-चबाकर खाएं। बचे हुए पानी में थोड़ी सी चीनी मिलाकर या बिना चीनी मिलाएं ही पी लें। 1 महीनें तक मुनक्का का सेवन करने से फेफड़ों (fefdo)की कमजोरी और विषैले मवाद नष्ट हो जाते हैं। इसके फलस्वरूप दमा के दौरे भी बन्द होते हैं। इससे पुरानी खांसी, नजला और पेट की खराबियां दूर होती है। कब्ज, बवासीर, नकसीर तथा मुंह के छालों के लिए भी यह बहुत लाभकारी है। इसके सेवन से मूत्र खुलकर आता है तथा खून में लाल कणों की मात्रा बढ़ जाती है। खून शुद्ध होता है और खून, वीर्य व बल बढ़ता है।

५] शहद : शुद्ध “शहद ” एक चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से व्यक्ति के फेफड़े (fefdo)मजबूत होते हैं। इसका 1-2 महीने उपयोग करना चाहिए। ध्यान रहें कि रोग के नष्ट होने के बाद केवल स्वाद के लिए बिना किसी आवश्यकता के शहद का सेवन न करें।

६] अंगूर : फेफड़ों के सभी प्रकार के रोग जैसे यक्ष्मा, खांसी, जुकाम और दमा आदि के लिए अंगूर का सेवन करना बहुत लाभकारी होता है।

७] अंजीर : फेफड़ों के रोगों में 5 अंजीर को एक गिलास पानी में उबालकर पीना चाहिए। इसका सेवन प्रतिदिन सुबह-शाम करने से फेफड़ों का रोग नहीं होता।

८] लहसुन : लहसुन के प्रयोग से कफ नष्ट होता है। इसलिए खाना खाने के बाद लहसुन का सेवन करना चाहिए।

९] मुलहठी : मुलहठी फेफड़ों की सूजन, गले में खराश, सूजन, सूखी कफ वाली खांसी में लाभ करती हैं। मुलहठी फेफड़ों को बल देती है अत: फेफड़ों सम्बंधी रोगों में लाभकारी हैं। इसको पान में डालकर खाने से लाभ होता हैं। टी.बी. (क्षय) रोग में भी इसका काढ़ा बनाकर उपयोग किया जाता है।

१०] गुलाब : 1 कप गुलाब जल को चौथाई कप पानी के साथ दिन में 2-3 बार पीने से सीने में जलन तथा जी मिचलाना आदि रोग दूर हो जाते हैं।

११] शहतूत के पत्ते : शहतूत के पत्तों से लीवर, फेफड़ों (fefade)के रोग, फेफड़ों की जलन जिससे ज्वर, सिरदर्द, कण्ठ दर्द, खांसी दूर होती है। आंखों में दर्द, ललाई, पानी आता हैं और खून की उल्टी आदि में लाभ होता है।

विशेष :

★ गहरे श्वास की प्रक्रिया के फलस्वरूप फेफड़ों द्वारा रक्तकोष तथा मस्तिष्क का अधिकाधिक ऑक्सीजन मिलती है तथा अवांछित जलीय और गैसीय तत्वों को निष्कासन होता है। इससे सम्पूर्ण शरीर शुद्ध और तरोताजा हो आकर्षक हो जाता है।

★ वर्तमान समय में आज लम्बी दौड़ के स्थान पर टहलने और खतरों भरे भारी व्यायाम की जगह हल्के व्यायाम का चलन बढ़ रहा है।

★ भारतीय ऋषियों ने स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए सूर्योदय से पहले ब्रहममुहूर्त में उठने और सुबह के समय टहलने पर बहुत जोर दिया है।

★ आजकल पैदल चलना छोड़कर अधिकाधिक वाहन निर्भरता ही हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसे रोगों को प्रमुख कारण बन गया है।

★ प्रतिदिन 3-4 किलोमीटर पैदल चलने वाले व्यक्तियों को दिल की बीमारी और डायबिटीज नहीं होती है।

टहलने के बाद गहरी सांस की प्रक्रिया :

★ टहलने के बाद गहरी सांस की प्रक्रिया से फेफड़े(fefade) रोग नहीं होते हैं बल्कि सदाबहार यौवन से युक्त रहते हैं।

★ इसके लिए सुबह टहलते समय आपको केवल इस क्रिया का अहसास करना है कि जब श्वास भीतर लें तब श्वास सरलता पूर्वक नाक के अन्दर खींचे और जब श्वास छोड़े तब मुंह से लंबी फूंक मारते हुए बलपूर्वक आधिकाधिक श्वास बाहर निकाले।

★ मुंह से बलपूर्वक अधिक लंबा सांस छोड़ने के बाद जब आप मुंह बन्दकर नाक श्वास से आसानीपूर्वक लेंगे तो श्वास स्वत: ही गहरी हो जाएगी।

Recommended Articles

Leave A Comment