Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM

♦️जन्मकुंडली द्वारा मारकेश का विचार👇🏼👇🏼

🔸कुंडली के दूसरे भाव, सातवे भाव, बारहवे भाव, अष्टम भाव आदि को समझना आवश्यक है।
🔸जन्मकुंडली के आठवे भाव से आयु का विचार किया जाता है।
🔸जन्मकुंडली के तीसरे भाव को भी आयु स्थान माना जाता है क्योंकि यह आठवे से आठवा भाव है।
🔹 द्वितीय भाव तथा सप्तम भाव को मारक मारक स्थान कहते है इसमें से दूसरा भाव प्रबल मारक होता है।बारहवां भाव व्यय भाव, हानि भाव होता है।
🔸 मारकेश की दशा में जातक को थोडा सावधान रहने की आवश्यकता होती है क्योंकि इस दशा में जातक को
🔹मानसिक,शारीरिक परेशानियां हो सकती है मारक दशा समय में दुर्घटना, बीमारी, तनाव, आदि जैसी दिक्कते परेशान कर सकती है।
🔸यदि अष्टमेश लग्नेश भी हो तो पाप ग्रह नही रहता, अर्थात् उसे अष्टमेश का दोष नही लगता।
🔹मेष लग्न में मंगल और तुला लग्न में शुक्र आठवें भाव के स्वामी होने पर भी अष्टमेश के दोष से मुक्त होते है अर्थात् अष्टम भाव का अशुभ फल नही देते।
🔸सप्तम स्थान मारक स्थान है यदि गुरु,शुक्र सप्तम स्थान के स्वामी हो तो प्रबल मारक हो जाते है।
🔹मारक स्थानों में द्वितीयेश के साथ वाला पाप ग्रह सप्तमेश के साथ वाले पाप ग्रह से अधिक मारक होता है। द्वाददेश और उसके साथ वाला पाप ग्रह षष्ठेश और एकादशेश भी कभी-कभी मारकेश हो जाते है।
🔹मारकेश में द्वितीय भाव सप्तम भाव की अपेक्षा अधिक प्रभावशाली है। मारकेश ग्रह के बलाबल का विचार करना भी आवश्यक होता है। मारकेश का विचार चंद्र लग्न से करना भी आवश्यक होता है।

Recommended Articles

Leave A Comment