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हस्तरेखा बताती है जीवन का हाल.


हस्त रेखा व्यक्ति के अतीत, वर्तमान और भविष्य जानने की एक प्राचीन विज्ञान है। नारद, वाल्मीकि, गर्ग, भृगु, पराशर, कश्यप, अत्री, बृहस्पति, प्रहलाद, कात्यायन, वराहमिहिर आदि ऋषि मुनियों ने इस पर बहुत काम किया है। इसके बारे में स्कंध पुराण, भविष्य पुराण, बाल्मीकि रामायण, महाभारत, हस्तसंजीवनी आदि ग्रंथो में वर्णन है। ऐसा कहा जाता है कि सबसे पहले समुद्र नामक ऋषि ने इसका व्यापक प्रचार प्रसार किया, इसीलिए इसे सामुद्रिक शास्त्र के नाम से भी जाना जाने लगा। हस्तरेखा विज्ञान बहुत प्राचीन विज्ञान है। किसी भी व्यक्ति के हाथ के गहन अध्ययन द्वारा उस व्यक्ति के भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों कालों के बारे में आसानी से बताया जा सकता है। हस्तरेखा में उंगलियों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है। उंगलियों के द्वारा व्यक्ति का पूरी तरह एक्स-रे किया जा सकता है। उंगलियां छोटी-बड़ी, मोटी-पतली, टेढ़ी-मेढ़ी, गाँठ वाली तथा बिना गांठ वाली कई प्रकार की होती हैं। प्रत्येक उंगुली तीन भागों में बंटी होती है, जिन्हें पोर कहते हैं। पहली उंगली को तर्जनी, दूसरी उंगली को मध्यमा, तीसरी उंगुली को अनामिका तथा चौथी उंगुली को कनिष्ठा कहा जाता है। ये उंगलियां क्रमशः बृहस्पति, शनि, सूर्य तथा बुध के पर्वतों पर आधारित होती हैं। प्रत्येक उंगली की अलग-अलग परीक्षा की जाती है। लम्बाई के हिसाब से अधिक लम्बी उंगलियों वाला व्यक्ति दूसरे के काम में हस्तक्षेप अधिक करता है। लम्बी और पतली उंगलियों वाला व्यक्ति चतुर तथा नीतिज्ञ होता है। छोटी उंगलियों वाला व्यक्ति अधिक समझदार होता है। बहुत छोटी उंगलियों वाला व्यक्ति सुस्त, स्वार्थी तथा क्रूर प्रवृति का होता है। जिस व्यक्ति की पहली उंगली यानी अंगूठे के पास वाली उंगली बहुत बड़ी होती है, वह व्यक्ति तानाशाही अर्थात् लोगों पर अपनी बातें थोपने वाला होता है। यदि उंगलियों मिलाने पर तर्जनी और मध्यमा के बीच छेद हो तो व्यक्ति को 35 वर्ष की उम्र तक धन की कमी रहती है। यदि मध्यमा और अनामिका के बीच छिद्र हो तो व्यक्ति को जीवन के मध्य भाग में धन की कमी रहती है। अनामिका और कनिष्का के बीच छिद्र बुढ़ापे में निर्धनता का सूचक है। जिस व्यक्ति की कनिष्ठा उंगली छोटी तथा टेड़ी-मेड़ी हो तो वह व्यक्ति जल्दबाज तथा बेईमान होता है। यदि उंगलियों के अग्र भाग नुकीले हों और उंगलियों में गांठ दिखाई न दे, तो व्यक्ति कला और साहित्य का प्रेमी तथा धार्मिक विचारों वाला होता है। काम करने की क्षमता इनमें कम होती है।
🙏🏻🚩 जय माता दी🚩🙏🏻

कल नवरात्रि के तृतीय दिन का उपाय🙏🏻
नवरात्रि के तृतीय दिवस साधक 7 काली मिर्च के दाने ले ।और सिर से लेकर पैरों तक 7 बार उसारे,और काले कपड़े में लपेटकर माता के चरणों मेंअर्पित करें,फिर इस मंत्र का जाप कम से कम 30 मिनट तक करै।।। ऊं क्रीं सर्व दोष निवारण कुरू क्रीं फट् ।।इस प्रयोग से किसी भी प्रकार की तन्त्र बाध दूर होगी और मां भगवती मनोकामना पूरी करेगी।काली मिर्च को अंतिम दिन आप बहते पानी में डालनी है।और कल आप माता रानी को खीर या सफेद मिठाई का भोग लगाएं।
🌹उपाय अपने मिलने वालों को जरूर बताएं🌹🙏🏻

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