Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM


सेवा धर्म एक साधु स्वामी विवेकानन्द जी के पास आया।। अभिवादन करने के बाद उसने स्वामी जी को बताया कि वह उनके पास किसी विशेष काम से आया है। स्वामी जी, मैने सब कुछ त्याग दिया है।। मोह माया के बंधन से छूट गया हूँ, परंतु मुझे शांति नहीं मिली। मन सदा भटकता रहता है।। एक गुरु के पास गया था जिन्होंने एक मंत्र भी दिया था और बताया था कि इसके जाप से अनहदनाद सुनाई देगा और फिर शांति मिलेगी।। बड़ी लगन से मंत्र का जाप किया, फिर भी मन शांत नहीं हुआ। अब मैं परेशान हूँ।। इतना कहकर उस साधु की आँखे गीली हो गई। क्या आप सचमुच शान्ति चाहते हैं।।विवेकानन्द जी ने पूछा। बड़े उदासीन स्वर में साधु बोला इसीलिये तो आपके पास आया हूँ। स्वामी जी ने कहा अच्छा, मैं तुम्हें शान्ति का सरल मार्ग बताता हूँ।। इतना जान लो कि सेवा धर्म बड़ा महान है। घर से निकलो और बाहर जाकर भूखों को भोजन दो,प्यासों को पानी पिलाओ, विद्या रहितों को विद्या दो और दीन, दुर्बल, दुखियों एवं रोगियों की तन, मन और धन से सहायता करो।। सेवा द्वारा मनुष्य का अंतः करण जितनी जल्दी निर्मल, शान्त, शुद्ध एवं पवित्र होता है, उतना किसी और काम से नहीं। ऐसा करने से आपको सुख,शान्ति मिलेगी।। साधु एक नए संकल्प के साथ चला गया। उसे समझ आ गयी कि मानव जाति की निः स्वार्थ सेवा से ही मनुष्य को शान्ति प्राप्त हो सकती है।।

   *जय श्री राधेकृष्णा*

🍃🌾😊
ध्यान दें अगर आप भीतर जाना चाहते हैं, तो कोई न कोई द्वार कहीं न कहीं पृथ्वी पर सदा खुला है। बस आपकी आँखें खुली होनी चाहिये। आँखों को शास्त्रों से न भर लें।। शब्दों से बोझिल न कर लें, अपने मन से सिध्दान्तों के पत्तों को हटा कर जीवंत धारा को देखने की कोशिश करें।। तो कहीं न कहीं किसी रूप में आपको कोई सद्गुरु मिल ही जायेगा जो आपके भीतर जाने के भय को मिटायगा और आपका काम बन जाएगा। अगर आप घंटियां बजाने, पूजा को, शास्त्रों के अध्ययन को सब कुछ मान बैठे हैं।। तो आप किसी धोखे में हैं। किसी के मन को समझना हो तो उसके शब्दों पर ध्यान दो और अगर किसी के हृदय को समझना हो तो उसके कर्मों पर ध्यान दो।।

!! जीवन का सत्य !!:::::::

बहुत से लोग जीवन में सुखी रहते हैं, प्रसन्न रहते हैं मस्त रहते हैं। और बहुत से लोग जीवन में दुखी रहते हैं, चिंतित और परेशान रहते हैं। क्या कारण है..?

बहुत सारे कारण हो सकते हैं। उनमें से एक कारण है- आलस्य।

जो लोग आलसी हैं, पुरुषार्थ करना नहीं चाहते, बैठे-बैठे सब कुछ प्राप्त करना चाहते हैं, वे लोग सदा दुखी रहते हैं, परेशान रहते हैं, असंतुष्ट रहते हैं, हमेशा शिकायत करते रहते हैं, कि यह नहीं मिला, वह नहीं मिला।

परंतु जो पुरुषार्थी होते हैं, वे लोग ईश्वर की कृपा और अपने पुरुषार्थ से बहुत कुछ प्राप्ति मे रहते हैं। और जो कुछ भी मिल रहा होता है उतने में संतुष्ट रहते हैं। इस संतोष के कारण वे सदा सुखी रहते हैं..!!

नारी एक माँ है उसकी पूजा करो
नारी एक पत्नी है उससे प्रेम करो
नारी एक बहन है उससे स्नेह करो
नारी एक भाभी है उसका आदर करो
नारी एक औरत है उस का सम्मान करो
🙏🏼🙏🏻🙏🏽जय जय श्री राधे🙏🙏🏿🙏🏾

Recommended Articles

Leave A Comment