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जब किसी के पास धन अधिक होता है , या बल, या सत्ता , अधिकार, या ऊंचा पद इत्यादि कोई भी विशेषता होती है , तो प्रायः उसे इन चीजों से अभिमान आता ही है ।
उस अभिमान के कारण वह व्यक्ति भूल जाता है, कि उसको ये सब संपत्तियां ईश्वर की व्यवस्था से प्राप्त हुई हैं। वह अपनी विद्या या मूर्खता के कारण ईश्वर दी हुई सारी संपत्तियों को अपनी मानकर अभिमान में डूब जाता है । इसका परिणाम यह होता है कि उसकी बुद्धि नष्ट हो जाती है ।
जिस व्यक्ति के पास इस प्रकार की अधिक संपत्तियाँ नहीं होतीं, अर्थात वह आर्थिक दृष्टि से कमजोर होता है , उसके पास धन बल विद्या बुद्धि सत्ता अधिकार आदि कम होते हैं , तो वह अभिमानी व्यक्ति ऐसे कमजोर व्यक्ति को मक्खी मच्छर की तरह समझता है , तथा उस पर अन्याय करता है ।
उस अभिमानी व्यक्ति को यह सदा याद रखना चाहिए कि , संसार में एक ईश्वर भी है , जो यह सारी व्यवस्था देखता है.ईश्वर ने उसको धन बल विद्या बुद्धि सत्ता अधिकार आदि जो कुछ भी दिया है, वह कमजोर व्यक्तियों पर अन्याय करने के लिए नहीं दिया।
और यदि वह अन्याय करता है , तो कमजोर गरीब व्यक्ति का रक्षक स्वयं ईश्वर होता है , और समय आने पर उस अभिमानी अन्यायकारी को ऐसा खतरनाक दंड देता है, कि उसको सब नानी याद आ जाए।
इसलिए आप ईश्वर की इस व्यवस्था को समझें और गरीब कमजोर पर अन्याय न करें । अन्यथा ईश्वर आपको समय आने पर देख ले लेगा

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