Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM

🌷🌻🌷🌻🌷🌻🌷


गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को कहते हैं कि केवल मूर्ति में मेरा दर्शन करने वाला नहीं अपितु सारे संसार में प्रत्येक जीव के भीतर और कण-कण में मेरा दर्शन करने वाला ही मेरा भक्त है। प्रत्येक वस्तु परमात्मा की है, अपनी मानते ही वह अशुद्ध हो जाती है। तुम भी परमात्मा के ही हो, परमात्मा से अलग अपना अस्तित्व स्वीकार करते ही तुम भी अशुद्ध हो जाते हो।
प्रकृति में परमात्मा नहीं, अपितु ये प्रकृति ही परमात्मा है। जगत और जगदीश अलग-अलग नहीं, एक ही तत्व हैं। परमात्मा का जो हिस्सा दृश्य हो गया है वह जगत है और जगत का हो हिस्सा अदृश्य रह गया वह जगदीश है।
संसार से दूर भागकर कभी भी परमात्मा को नहीं पाया जा सकता है। संसार को समझकर ही भगवान् को पाया जा सकता है। जगत में कहीं दुःख, अशांति, भय नहीं है। यह सब तो तुम्हें अपने मनमाने आचरण, असंयमता और विवेक के अभाव के कारण प्राप्त हो रहा है।

🚩जय श्रीराधे कृष्णा🚩

🌷🌻🌷🌻🌷🌻🌷

दोस्तो ,

अग्नि चाहे दीपक की हो, चिराग की हो अथवा मोमबत्ती की लौ से हो, इसके दो ही कार्य है जलना और प्रकाश करना। यह हमारे विवेक के ऊपर निर्भर करता है कि हम इसका कहाँ उपयोग करें।

यही लौ मनुष्य के शरीर को शांत भी कर देती है, यही लौ अन्धकार को दूर कर सम्पूर्ण जगत को प्रकाशमय कर देती है। चिन्तन की बात यह है कि उपयोग करने के ऊपर निर्भर है वो उसी वस्तु से पुण्यार्जन कर सकता है तो थोड़ी चुक होने पर पापार्जन भी कर सकता है।

संसार में किसी भी वस्तु को, व्यक्ति को, स्थिति को कोसने की आवश्यकता नही है। जरुरत है उसका गुण, स्वभाव और प्रकृति समझकर समाज के हित में उपयोग करने की। दुनिया बड़ी खूबसूरत है इसे अपने विवेक, चिन्तन और शुभ आचरण से और अधिक सुन्दर बनाया जाए, यही सच्चा यज्ञ होगा।


[ प्रसन्नता कोई तुम्हें नहीं दे सकता, ना ही बाजार में किसी दुकान पर जाकर पैसे देकर आप खरीद सकते हैं। अगर पैसे से प्रसन्नता मिलती तो दुनिया के सारे अमीर खरीद लेते।। प्रसन्नता जीवन जीने के ढंग से आती है। जिंदगी भले ही खूबसूरत हो लेकिन जीने का अंदाज खूबसूरत ना हो तो जिंदगी को बदसूरत होते देर नहीं लगती। झोंपड़ी में भी कोई आदमी आनन्द से लबालब मिल सकता है और कोठियों में भी दुखी, अशांत, परेशान आदमी मिल जायेगा।।। आज से ही सोचने का ढंग बदल लो जिंदगी उत्सव बन जायेगी। स्मरण रखना संसार जुड़ता है त्याग से और बिखरता है स्वार्थ से। त्याग के मार्ग पर चलोगे तो सबका अनुराग बिना माँगे ही मिलेगा और जीवन बाग़ बनता चला जायेगा।।

जय श्री कृष्ण🙏🙏
[: प्रत्येक जीव को चाहिए कि वह अपना जीवन लक्ष्य निश्चित करे क्योंकि लक्ष्य विहीन जीवन, बिना नाविक की नौका जैसा है।। लक्ष्य निर्धारित करके उसे सिद्ध करने के लिए साधन करें। लक्ष्य निर्धारित करते ही आधा काम हो जाता है। साधन के बिना सिद्धि की प्राप्ति नहीं हो सकती।। साधन सिद्ध हो जाने पर भी साधन को नहीं छोड़ना चाहिए। कलियुग में एक मात्र साधन हरे कृष्ण महामंत्र का जप हैं। इसी एक साधन पर श्रद्धा रखो।।

   🙏🙏

Recommended Articles

Leave A Comment