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: सत्य को सुनना ही पर्याप्त नहीं होता अपितु सत्य को चुनना भी जरुरी है। सत्य की चर्चा करना एक बात है।। और सत्य का चर्या बन जाना एक बात है। आदर्शों का वाणी का आभूषण मात्र बनने से कल्याण नहीं होता, आदर्श आचरण के रूप में घटित हों, तब कल्याण निश्चित है।। क्या मिश्री का स्मरण करने मात्र से मुँह में मिठास घुल जायेगी। मिश्री का आस्वादन करना पड़ेगा। प्यास तो तभी बुझती है जब कंठ में शीतल जल उतर जाए। यद्यपि परमात्मा के नाम की ऐसी दिव्य महिमा है कि वह स्मरण मात्र से भी कल्याण करने में समर्थ हैं।।। भगवान राम और कृष्ण इसलिए आज तक हर घर में और ह्रदय में विराजमान हैं क्योंकि उन्होने आदर्शों को, मूल्यों को अपने जीवन में उतारा दुनिया का सबसे प्रभावी उपदेश वही होता है। जो जीभ से नहीं जीवन से दिया जाता है।।
[: अगर आपसे अनायास एक गलती हो जाती है। तो जरूर वह क्षम्य है।। मगर उसे छुपाने के लिए झूठ बोलकर दूसरी गलती करना यह जरूर दंडनीय है। भूल होना कोई समस्या नहीं, बिना भूल किये कुछ सीखने को नहीं मिलता।। एक भूल को कई बार करना यह जरूर चिंता का विषय है। भूल को छिपाना यह और भी खतरनाक है।। झूठ उस कवर की तरह है जिसमें उस समय तो दोष ढक जरूर जाते हैं। मगर नष्ट नहीं हो पाते। समय आने पर वो छोटी भूल बड़ी गलतियों का कारण बन जाती हैं।। गलती हो जाए तो उसे स्वीकारना सीखो। आपका स्वीकारना ही आपको दूसरों की नजरों में क्षमा का अधिकारी बना देगा।।

भूल होना “प्रकृति” है, मान लेना “संस्कृति” है। सुधार लेना “प्रगति” है।।
[ राधे राधे ॥ आज का भगवद चिन्तन ॥

        *श्रावण मास शिव तत्व*

           

    *देवाधिदेव भगवान आशुतोष के जीवन से इस श्रावण मास में पूजन करते-करते कुछ सीखने और समझने योग्य है। ये महादेव कैसे हुए जो अमृत पीते हैं, वो देव बनते हैं।। जो रास्ट्र, समाज और प्रकृति की रक्षा के लिए विष को भी प्रेम से पी जाएँ वो महादेव बन जाते हैं। बिना विष को पीये, विषमता को पचाए कोई भी महान नहीं बन सकता।। आज के समय में अमृत की चाह तो सबको है पर विष की नहीं। बिना विष को स्वीकारे कोई अमृत तक नहीं पहुँच सकता है।। संघर्ष, दुःख, प्रतिकूल परिस्थिति, अभाव ये सब तुम्हें निखार रहे हैं। समस्या को स्वीकार करना ही समस्या का समाधान है। कोई भी समस्या तब तक ही है।। जब तक आप उससे डरते हो और उसका सामना करने से बचते हो। मनुष्य के संकल्प के सामने बड़ी से बड़ी चुनौती भी छोटी हो जाती है।।*




      

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