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🌸”कब्ज के कारण ओर निवारण”

🍁हर एक रोगी आहार विहार में असंयम के कारण कब्ज का शिकार होता है।

कब्ज से ही दुनिया-भर की बीमारियाँ होती हैं।

अपना आहार विहार संयमित कर लें तो कभी कोई बीमारी नहीं होगी।

असंयम के कारण कभी कोई रोग हो भी जाये तो।

प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से उसका धैर्य पूर्वक इलाज कराना चाहिए।

ऐसा कोई रोग नहीं जो प्राकृतिक चिकित्सा से अच्छा नहीं किया जा सकता हो।

प्राकृतिक चिकित्सा प्राणी मात्र के लिए वरदान है।

अतः पहले संयम से रहकर कब्ज मिटाइए।

पहला प्रयोगः

रात का रखा हुआ सवा लीटर पानी हर रोज सुबह सूर्योदय से पूर्व बासी मुँह पीने से।

कभी कब्जियत नहीं होगी तथा अन्य रोगों से सुरक्षा मिलेगी।

दूसरा प्रयोगः

रात्रि में पानी के साथ 2 से 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से।

अथवा 3-4 तोला 40-50 ग्राम मुनक्का काली द्राक्ष को रात्रि में ठण्डे पानी में भीगोकर।

सुबह उन्हें मसलकर छान कर थोड़े दिन पीने से कब्जियत मिटती है।

तीसरा प्रयोगः

एक हरड़ खाने अथवा 2 से 5 ग्राम हरड़ के चूर्ण को गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज मिटती है।

शास्त्रों में कहा गया हैः

यस्य माता गृहेनास्ति तस्य माता हरीतकी।

कदाचित्कुप्यते माता न चोदरस्था हरीतकी।।

जिसकी माता नहीं है उसकी माता हरड़ है।

माता कभी क्रुद्ध भी हो सकती है किन्तु पेट में गई हुई हरड़ कभी कुपित नहीं होती।’

चौथी प्रयोगः

गुडुच का सेवन लंबे समय तक करने से कब्ज के रोगी को लाभ होता है।

पाँचवाँ प्रयोगः 

कड़ा मल होने व गुदा विकार की तकलीफ में जात्यादि तेल या मलहम को शौच जाने के बाद अंगुली से गुदा पर लगायें।

इससे 7 दिन में ही रोग ठीक हो जायगा।

साथ में पाचन ठीक से हो ऐसा ही आहार लें।

छोटी हरड़ चबाकर खायें।

छठा प्रयोगः

एक गिलास सादे पानी में एक नींबू का रस एवं दो तीन चम्मच शहद डालकर पीने से कब्ज मिट जाता है।

सातवाँ प्रयोगः

एक चम्मच सौंफ का चूर्ण और 2-3 चम्मच गुलकन्द।

प्रतिदिन दोपहर के भोजन के कुछ समय पश्चात् लेने से कब्ज दूर होने में सहायता मिलती है।

सावधानीः

कब्ज सब रोगों का मूल है।

अतः पेट को सदैव साफ रखना चाहिए।

रात को देर से कुछ भी न खायें तथा भोजन के बाद दो घंटे तक न सोयें।

मैदे से बनी वस्तुएँ एवं दही अधिक न खायें।

बिना छने चोकरयुक्त आटे का सेवन।

खूब पके पपीते का सेवन एवं भोजन के पश्चात् छाछ का सेवन करने से कब्जियत मिटती है।🍂🍃

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