बालो की समस्या व सफल कारगर घरेलू उपचार जरूरत है नियंमित करने की
आँवला, रीठा, शिकाकाई तथा ब्राह्मी बराबर-बराबर वज़न में लेकर कूट-पीसकर एक में मिलाकर रख लें लोहे की कढ़ाई में थोड़ा सा पानी गर्म करके इसमें 25 ग्राम यह चूर्ण तथा 5 ग्राम मेथी दाना डालकर अच्छी तरह चला दें और कढ़ाई उतारकर ढककर रख दें। दूसरे दिन इस पानी को छानकर इससे बालों को धोएं। धीरे-धीरे बाल लंबे, मुलायम, काले, घने और खुबसूरत दिखने लगेंगे।
आँवला, शिकाकाई, रीठा, नीम की छाल, मुलतानी मिट्टी, अच्छी जगह से निकाली हुई काली मिट्टी 250-250 ग्राम तथा मेथी दाना 150 ग्राम, चंदन चूर्ण 100 ग्राम, छबीला पाउडर 150 ग्राम, मेंहदी 150 ग्राम व ब्राह्मी 100 ग्राम लेकर कूट-पीसकर कपड़छन चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें।
इसमें से 4-5 चम्मच चूर्ण लेकर पानी में गाढ़ा लेप बनाकर बालों में मसलें। आधा घण्टा बाद हल्के गर्म पानी से बालों को धोएं। इस प्रयोग के साथ रात में सोते समय शुद्ध नारियल तेल या सूर्यतप्त नीला नारियल तेल बालों की जड़ों में मालिश करके लगभग 100 बार कंघी करें। कुछ दिनों तक लगातार यह प्रयोग करके चाहें तो एक दो दिन के अंतराल पर करते रहें। धीरे-धीरे बाल लंबे, मुलायम, काले, घने और खुबसूरत दिखने लगेंगे।
इन प्रयोग को करते रहने से बाल लंबे, घने, काले बने रहते हैं।
पिसी हुई सूखी मेंहदी 1 कप, कत्था 1 चम्मच, दही 1 चम्मच, नींबू का रस 1 चम्मच,पिसा कॉफी पाउडर 1 चम्मच, आँवला चूर्ण 1 चम्मच, ब्राह्मी बूटी का चूर्ण 1 चम्मच ,सूखे पोदीने का चूर्ण 1 चम्मच ।
इन सभी चीज़ो़ं को एक में मिलाकर गाढ़ा लेप बन सके, इतने पानी में भिगो दें ।
दो-ढाई घण्टे बाद इस लेप को सिर में बालों की जड़ों तक लगाएं और धण्टे भर बाद सूख जाने पर सिर को मुलतानी मिट्टी या बेसन से धो दें। इस प्रयोग से आपके बाल काफ़ी सुंदर दिखेंगे । बालों में रंग न लाना हो तो कत्था और कॉफी़ पाउडर का इस्तेमाल न करें । बालों को सुंदर,लंबे,घने और काले बनाए रखने का यह एक अच्छा उपाय है, बशर्ते साबुन का प्रयोग बंद कर दिया जाए
गाय का गोबर 2 चम्मच, गोमूत्र 5 चम्मच, सूखे आंवले का चूर्ण 1 चम्मच, शतावरी का चूर्ण 1 चम्मच, अदरक का रस 1 चम्मच तथा ज़रूरत भर मुल्तानी मिट्टी लेकर सबका गाढ़ा लेप तैयार करें तथा बालों में जड़ों तक अच्छी तरह लगा लें। एकाध घण्टे बाद इसे धो दें।
यदि किसी विशेष रोग से ग्रस्त न होंगे तो इस प्रयोग से सिर के उड़े हुए बाल पुन: उग आएंगे।
बशर्ते साबुन शेंपू चाय का प्रयोग बंद कर दिया जाए
साइनस (नाक के एक रोग)
साइनस नाक का एक रोग है। आयुर्वेद में इसे प्रतिशय नाम से जाना जाता है। सर्दी के मौसम में नाक बंद होना, सिर में दर्द होना, आधे सिर में बहुत तेज दर्द होना, नाक से पानी गिरना इस रोग के लक्षण हैं। इसमें रोगी को हल्का बुखार, आंखों में पलकों के ऊपर या दोनों किनारों पर दर्द रहता है।
तनाव, निराशा के साथ ही चेहरे पर सूजन आ जाती है। इसके मरीज की नाक और गले में कफ जमता रहता है। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति धूल और धुवां बर्दाश्त नहीं कर सकता। साइनस ही आगे चलकर अस्थमा, दमा जैसी गंभीर बीमारियों में भी बदल सकता है। इससे गंभीर संक्रमण हो सकता है।
क्या होता है साइनस रोग : साइनस में नाक तो अवरूद्ध होती ही है, साथ ही नाक में कफ आदि का बहाव अधिक मात्रा में होता है। भारतीय वैज्ञानिक सुश्रुत एवं चरक के अनुसार चिकित्सा न करने से सभी तरह के साइनस रोग आगे जाकर ‘दुष्ट प्रतिश्याय’ में बदल जाते हैं और इससे अन्य रोग भी जन्म ले लेते हैं। जिस तरह मॉर्डन मेडिकल साइंस ने साइनुसाइटिस को क्रोनिक और एक्यूट दो तरह का माना है। आयुर्वेद में भी प्रतिश्याय को नव प्रतिश्याय ‘एक्यूट साइनुसाइटिस’ और पक्व प्रतिश्याय ‘क्रोनिक साइनोसाइटिस’ के नाम से जाना जाता है।
आम धारणा यह है कि इस रोग में नाक के अंदर की हड्डी का बढ़ जाती है या तिरछा हो जाती है जिसके कारण श्वास लेने में रुकावट आती है। ऐसे मरीज को जब भी ठंडी हवा या धूल, धुवां उस हड्डी पर टकराता है तो व्यक्ति परेशान हो जाता है।
चिकित्सकों अनुसार साइनस मानव शरीर की खोपड़ी में हवा भरी हुई कैविटी होती हैं जो हमारे सिर को हल्कापन व श्वास वाली हवा लाने में मदद करती है। श्वास लेने में अंदर आने वाली हवा इस थैली से होकर फेफड़ों तक जाती है। इस थैली में हवा के साथ आई गंदगी यानी धूल और दूसरे तरह की गंदगियों को रोकती है और बाहर फेंक दी जाती है। साइनस का मार्ग जब रुक जाता है अर्थात बलगम निकलने का मार्ग रुकता है तो ‘साइनोसाइटिस’ नामक बीमारी हो सकती है।
वास्तव में साइनस के संक्रमण होने पर साइनस की झिल्ली में सूजन आ जाती है। सूजन के कारण हवा की जगह साइनस में मवाद या बलगम आदि भर जाता है, जिससे साइनस बंद हो जाते हैं। इस वजह से माथे पर, गालों व ऊपर के जबाड़े में दर्द होने लगता है।
इसका उपाय : इस रोग में सर्दी बनी रहती है और कुछ लोग इसे सामान्य सर्दी समझ कर इसका इलाज नहीं करवाते हैं। सर्दी तो सामान्यतः तीन-चार दिनों में ठीक हो जाती है, लेकिन इसके बाद भी इसका संक्रमण जारी रहता है। अगर वक्त रहते इसका इलाज न कराया जाए तो ऑपरेशन कराना जरूरी हो जाता है। लेकिन इसकी रोकथाम के लिए योग में क्रिया और प्राणायाम को सबसे कारगर माना गया है। नियमित क्रिया और प्राणायाम से बहुत से रोगियों को 99 प्रतिशत लाभ मिला है।
इस रोग में बहुत से लोग स्टीम या सिकाई का प्रयोग करते हैं और कुछ लोग प्रतिदिन विशेष प्राकृतिक चिकित्सा अनुसार नाक की सफाई करते हैं। योग से यह दोनों की कार्य संपन्न होते हैं। प्राणायाम जहां स्टीम का कार्य करता है वही जलनेति और सूत्रनेती से नाक की सफाई हो जाती है। प्रतिदिन अनुलोम विलोम(नाड़ीशोधन) के बाद पांच मिनट का ध्यान करें। जब तक यह करते रहेंगे साइनस से आप कभी भी परेशान नहीं होंगे।
शुद्ध भोजन से ज्यादा जरूरी है शुद्ध जल और सबसे ज्यादा जरूरी है शुद्ध वायु। साइनस एक गंभीर रोग है। यह नाक का इंफेक्शन है। इससे जहां नाक प्रभावित होती है वहीं, फेंफड़े, आंख, कान और मस्तिष्क भी प्रभावित होता है इस इंफेक्शन के फैलने से उक्त सभी अंग कमजोर होते जाते हैं।
योग पैकेज : क्रियाओं में रबड़नेति,सूत्रनेती और जल नेति, कपालभांति,
प्राणायाम में अनुलोम-विलोम(नाड़ीशोधन) और भ्रामरी, भस्त्रिका प्रायाणाम।