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किसी भी तरह के पैरालिसिस (लकवा) को काटते हैं ये प्राकृतिक इलाज

आपने देखा होगा कि आपके घर के आसपास कई लोग ऐसे होगे जो जिनके हाथ पैर टेढ़े हो जाते है और उनको कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। लकवा को आयुर्वेद में पक्षाघात रोग भी कहते हैं। इस रोग में रोगी के एक तरफ के सभी अंग काम करना बंद कर देते हैं जैसे बांए पैर या बाएं हाथ का कार्य न कर पाना। थायराइड है आपके लिए खतरनाक, ऐसे करें बचाव और जाने इसके कारण साथ ही इन अंगों की दिमाग तक चेतना पहुंचाना भी निष्क्रिय हो जाता है। और इस रोग की वजह से अंगों का टेढापन शरीर में गर्मी की कमीं और कुछ याद रखने की क्रिया भी नष्ट हो जाती है। लकवा रोग में इंसान असहाय सा हो जाता है। और दूसरों पर हर काम के लिए निर्भर होना पड़ता है। आयुर्वेद में लकवा के प्रभाव को कम करने के अनेक उपाय दिए गए हैं। लकवा एक बहुत ही घातक रोग। इस रोग के होने से रोगी के शरीर के कुछ अंग या फिर पूरा शरीर काम करना बंद कर देता है।

कारण : युवावस्था में अत्यधिक भोग विलास, नशीले पदार्थों का सेवन, आलस्य आदि से स्नायविक तंत्र धीरे-धीरे कमजोर होता जाता है। जैसे-जैसे आयु बढ़ती जाती है, इस रोग के आक्रमण की आशंका भी बढ़ती जाती है। सिर्फ आलसी जीवन जीने से ही नहीं, बल्कि इसके विपरीत अति भागदौड़, क्षमता से ज्यादा परिश्रम या व्यायाम, अति आहार आदि कारणों से भी लकवा होने की स्थिति बनती है।

  1. बला मूल (जड़) का काढ़ा सुबह-शाम पीने से आराम होता है।
  2. उड़द, कौंच के छिलकारहित बीज, एरण्डमूल और अति बला, सब 100-100 ग्राम ले कर मोटा-मोटा कूटकर एक डिब्बे में भरकर रख लें। दो गिलास पानी में 6 चम्मच चूर्ण डालकर उबालें। जब पानी आधा गिलास बचे तब उतारकर छान लें और रोगी को पिला दें। यह काढ़ा सुबह व शाम को खाली पेट पिलाएं।
  3. लहसुन की 4 कली सुबह और शाम को दूध के साथ निगलकर ऊपर से दूध पीना चाहिए। लहसुन की 8-10 कलियों को बारीक काटकर एक कप दूध में डालकर खीर की तरह उबालें और शकर डालकर उतार लें। यह खीर रोगी को भोजन के साथ रोज खाना चाहिए।
  4. एक चम्मच काली मिर्च को पीसकर उसमें तीन चम्मच देसी घी में मिला लें। अब इन दोनों को अच्छी तरह मिलाकर लेप तैयार कर लें। इस लेप को लकवाग्रसित अंगों पर लगाकर मालिश करें। एेसा करने से लकवा ग्रस्त अंगों का रोग दूर हो जाएगा।
  5. अगर नियमित रूप से करेले की सब्जी या करेले का रस का सेवन किया जाए तो लकवा से प्रभावित अंगों में सुधार होने लगता है।
  6. प्याज खाते रहने से और प्याज का रस का सेवन करते रहने से लकवा रोगी ठीक हो जाता है।
  7. कली लहसुन को पीसकर उसमें एक चम्मच मक्खन मिला लें और रोज इसका सेवन करें। लकवा ठीक हो जाएगा।
  8. तुलसी के पत्ते, दही और सेंधा नमक को बराबर मात्रा में मिलाकर लेप तैयार कर लें। इस लेप को लकवाग्रसित अंगों पर लगाकर मालिश करें। एेसा करने से लकवा ग्रस्त अंगों का रोग दूर हो जाएगा।
  9. गरम पानी में तुलसी के पत्तों को उबालें और उसका भाप लकवा ग्रस्ति अंगों को देते रहने से लकवा ठीक होने लगता है।
  10. आधा लीटर सरसों के तेल में 50 ग्राम लहसुन डालकर लोहे की कड़ा में ही पका लें। जब पानी जल जाए उसे ठंडा होने दें फिर इस तेल को छानकर किसी डिब्बे में डाल लें। और इस तेल से लकवा वाले अंगों पर मालिश करें

लकवा के मरीज क्या ना खाएं

अनाज: नया अनाज, मैदा

दालें: अरहर, मटर, चना

फल एवं सब्जियां: आलू, टमाटर, नींबू, जामुन, करेला, केला, भिंडी, फूलगोभी

अन्य: तैल एवं घी का अत्यधिक सेवन, सुपारी, अत्यधिक नमक, पूरी, समोसा, चाट-पकोड़ा, मक्खन, आइसक्रीम, चाय, काफी।

भारी भोजन (छोले, राजमा, उड़द चना मटर सोयाबीन, बैंगन, कटहल) ठंडा भोजन, पनीर, चॉकलेट, तला हुआ एवं कठिनाई से पचने वाला भोजन

सख्त मना- तैलीय मासलेदार भोजन, मांसाहार एवं मांसाहार सूप, अचार, अधिक नमक, कोल्ड ड्रिंक्स, बेकरी उत्पाद, शराब, फ़ास्ट फ़ूड, शीतल पेय, डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ, जंक फ़ूड

      

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