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रुद्राक्ष एवं भद्राक्ष
श्रीमद्- देवीभागवत में लिखा है :
रुद्राक्षधारणाद्य श्रेष्ठं न किञ्चिदपि विद्यते।
अर्थात संसार में रुद्राक्ष धारण से बढ़कर श्रेष्ठ कोई
दूसरी वस्तु नहीं है।
रुद्राक्ष की दो जातियां होती हैं-
रुद्राक्ष एवं भद्राक्ष
रुद्राक्ष के मध्य में भद्राक्ष धारण करना महान फलदायक
होता है।
भिन्न-भिन्न संख्या में पहनी जाने
वाली रुद्राक्ष की माला निम्न प्रकार से
फल प्रदान करने में सहायक होती है जो इस
प्रकार है
1 रुद्राक्ष के सौ मनकों की माला धारण करने से मोक्ष
की प्राप्ति होती है।
2 रुद्राक्ष के एक सौ आठ मनकों को धारण करने से समस्त
कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। इस
माला को धारण करने
वाला अपनी पीढ़ियों का उद्घार करता है।
3 रुद्राक्ष के एक सौ चालीस
मनकों की माला धारण करने से साहस, पराक्रम और
उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
4 रुद्राक्ष के बत्तीस
दानों की माला धारण करने से धन, संपत्ति एवं आयु में
वृद्धि होती है।
5 रुद्राक्ष के 26 मनकों की माला को सर पर धारण
करना चाहिए।
6 रुद्राक्ष के 50 दानों की माला कंठ में धारण
करना शुभ होता है।
7 रुद्राक्ष के पंद्रह मनकों की माला मंत्र जप तंत्र
सिद्धि जैसे कार्यों के लिए
उपयोगी होती है।
8 रुद्राक्ष के सोलह मनकों की माला को हाथों में
धारण करना चाहिए।
9 रुद्राक्ष के बारह दानों को मणि बंध में धारण करना शुभदायक
होता है।
10 रुद्राक्ष के 108, 50 और 27
दानों की माला धारण करने या जाप करने से पुण्य
की प्राप्ति होती है।

   

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