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पवित्र शंख के चमत्कारी रहस्य।
शंखनाद से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी
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भारतीय हिंदू परिवार में शंख बजाना एक सुंदर प्राकृतिक कला का प्रतीक है और यह भगवान कृष्ण के साथ जुड़ा हुआ है। इसकी आवाज पर्यावरण में हानिकारक तत्वों को नष्ट करने और सकारात्मक ऊर्जा लाने में मदद करती है।

कोई भी पूजा एक शंख के बिना बिना अधूरी है। शंख के आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ इसके कई अन्य स्वास्थ्य लाभ भी हैं। हम आपको बता रहे हैं कि आपको रोजाना शंख क्यों बजाना चाहिए।

गुदाशय की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं
शंख बजाने से मूत्र पथ, मूत्राशय, निचले पेट, डायाफ्राम, छाती और गर्दन की मांसपेशियों के लिए बेहतर है, इससे इन अंगों की एक्सरसाइज होती है। सबसे बड़ी बात कि इससे आपके गुदे की मांसपेशियों एक्सरसाइज़ होती है। यानि इससे गुदाशय की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं आपको कई समस्याओं को रोकने में मदद मिलती है, जो गुदा की मांसपेशियों के कमजोर होने के कारण हो सकती हैं।

प्रोस्टेट स्वास्थ्य
चूंकि यह प्रोस्टेट क्षेत्र पर दबाव डालता है, यह प्रोस्टेट स्वास्थ्य में सुधार करता है और प्रोस्टेट वृद्धि को रोकने में मदद करता है। जब आप शंख बजाते हैं, तो आपके फेफड़े की मांसपेशियों का विस्तार होता है, उनकी हवाई क्षमता में सुधार होता है।

थायरॉयड ग्रंथियों में सुधार
शंख बजाने से आपकी थायरॉयड ग्रंथियों और वोकल कोड्स की एक्सरसाइज होती है और किसी भी स्पीच की समस्याओं को ठीक करने में मदद मिलती है।

चेहरे की झुर्रियां दूर होती हैं
जब आप एक शंख बजाते हैं, तो आपका चेहरे की मांसपेशियां में खिंचाव आता है, इसलिए आपको शंख बजाने से फाइन लाइन्स को अपनेआप दूर करने में मदद मिलती है।

स्‍किन के रोग दूर होते हैं
रात में शंख में पानी भरकर रखें और सुबह उसे अपनी त्वचा पर मालिश करें। इससे त्वचा संबंधी रोग दूर हो जाएंगे।

तनाव दूर करे
जिन लोगों को किसी वजह से तनाव रहता है, उन्हें भी शंख बजाना चाहिए। शंख बजाते समय दिमाग से सारे विचार चले जाते हैं। इससे तनाव काम करने में मदद मिलती है।

नकारात्मकता दूर रहती है
जिन घरों में शंख बताया जाता है, वहां कभी नकारात्मकता नहीं आती है। कहते हैं कि जब शंख बजाया जाता है तो ओम की ध्वनि निकलती है।

दिल के दौरे से रहेंगे हमेशा दूर
नियमित शंख बजाने वाले को कभी हार्ट अटैक नहीं आएगा। शंख बजाने से सारे ब्लॉकेज खुल जाते हैं। इसी तरह बार-बार श्वास भरकर छोड़ने से फेंफड़े भी स्वस्थ्य रहते हैं। हकलाने वाले बच्चों से शंख बजवाया जाए, तो उनकी हकलाहट दूर हो सकती है।

इन बातों का रखें ध्यान
1) सुनिश्चित करें कि आप एक विशेषज्ञ से शंख बजाना सीखें क्योंकि लापरवाह से बजाने से कभी कभी आपके कान और आंख की मांसपेशियों को नुकसान पहुंच सकता है और आपका डायाफ्राम भी टूट सकता है।

पवित्र शंख के जानिए चमत्कारिक रहस्य…
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क्या शंख हमारे सभी प्रकार के कष्ट दूर कर सकता है? भूत-प्रेत और राक्षस भगा सकता है? क्या शंख में ऐसी शक्ति है कि वह हमें धनवान बना सकता है? क्या शंख हमें शक्तिशाली व्यक्ति बना सकता है? पुराण कहते हैं कि सिर्फ एकमात्र शंख से यह संभव है। शंख की उत्पत्ति भी समुद्र मंथन के दौरान हुई थी।

शिव को छोड़कर सभी देवताओं पर शंख से जल अर्पित किया जा सकता है। शिव ने शंखचूड़ नामक दैत्य का वध किया था अत: शंख का जल शिव को निषेध बताया गया है।

शंख के नाम से कई बातें विख्यात है जैसे योग में शंख प्रक्षालन और शंख मुद्रा होती है, तो आयुर्वेद में शंख पुष्पी और शंख भस्म का प्रयोग किया जाता है। प्राचीनकाल में शंक लिपि भी हुआ करती थी। विज्ञान के अनुसार शंख समुद्र में पाए जाने वाले एक प्रकार के घोंघे का खोल है जिसे वह अपनी सुरक्षा के लिए बनाता है।

शंख से वास्तुदोष ही दूर नहीं होता इससे आरोग्य वृद्धि, आयुष्य प्राप्ति, लक्ष्मी प्राप्ति, पुत्र प्राप्ति, पितृ-दोष शांति, विवाह आदि की रुकावट भी दूर होती है। इसके अलावा शंख कई चमत्कारिक लाभ के लिए भी जाना जाता है। उच्च श्रेणी के श्रेष्ठ शंख कैलाश मानसरोवर, मालद्वीप, लक्षद्वीप, कोरामंडल द्वीप समूह, श्रीलंका एवं भारत में पाये जाते हैं।

त्वं पुरा सागरोत्पन्नो विष्णुना विधृत: करे।
नमित: सर्वदेवैश्य पाञ्चजन्य नमो स्तुते।।
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वर्तमान समय में शंख का प्रयोग प्राय: पूजा-पाठ में किया जाता है। अत: पूजारंभ में शंखमुद्रा से शंख की प्रार्थना की जाती है। शंख को हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण और पवित्र माना गया माना गया है। शंख कई प्रकार के होते हैं। शंख के चमत्का‍रों और रहस्य के बारे में पुराणों में विस्तार से लिखा गया है। आओ जानते हैं शंख और शंख ध्वनि के रहस्य

अर्थात् शंख दो प्रकार के होते हैं:- दक्षिणावर्ती एवं वामावर्ती। लेकिन एक तीसरे प्रकार का भी शंख पाया जाता है जिसे मध्यावर्ती या गणेश शंख कहा गया है।

  • दक्षिणावर्ती शंख पुण्य के ही योग से प्राप्त होता है। यह शंख जिस घर में रहता है, वहां लक्ष्मी की वृद्धि होती है। इसका प्रयोग अर्घ्य आदि देने के लिए विशेषत: होता है।
  • वामवर्ती शंख का पेट बाईं ओर खुला होता है। इसके बजाने के लिए एक छिद्र होता है। इसकी ध्वनि से रोगोत्पादक कीटाणु कमजोर पड़ जाते हैं।
  • दक्षिणावर्ती शंख के प्रकार : दक्षिणावर्ती शंख दो प्रकार के होते हैं नर और मादा। जिसकी परत मोटी हो और भारी हो वह नर और जिसकी परत पतली हो और हल्का हो, वह मादा शंख होता है।
  • दक्षिणावर्ती शंख पूजा : दक्षिणावर्ती शंख की स्थापना यज्ञोपवीत पर करनी चाहिए। शंख का पूजन केसर युक्त चंदन से करें। प्रतिदिन नित्य क्रिया से निवृत्त होकर शंख की धूप-दीप-नैवेद्य-पुष्प से पूजा करें और तुलसी दल चढ़ाएं।

प्रथम प्रहर में पूजन करने से मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। द्वितीय प्रहर में पूजन करने से धन- सम्पत्ति में वृद्धि होती है। तृतीय प्रहर में पूजन करने से यश व कीर्ति में वृद्धि होती है। चतुर्थ प्रहर में पूजन करने से संतान प्राप्ति होती है। प्रतिदिन पूजन के बाद 108 बार या श्रद्धा के अनुसार मंत्र का जप करें।

विविध नाम : शंख, समुद्रज, कंबु, सुनाद, पावनध्वनि, कंबु, कंबोज, अब्ज, त्रिरेख, जलज, अर्णोभव, महानाद, मुखर, दीर्घनाद, बहुनाद, हरिप्रिय, सुरचर, जलोद्भव, विष्णुप्रिय, धवल, स्त्रीविभूषण, पांचजन्य, अर्णवभव आदि।

अगले पन्ने पर चौथा रहस्य…

महाभारत यौद्धाओं के पास शंख : महाभारत में लगभग सभी यौद्धाओं के पास शंख होते थे। उनमें से कुछ यौद्धाओं के पास तो चमत्कारिक शंख होते थे। जैसे भगवान कृष्ण के पास पाञ्चजन्य शंख था जिसकी ध्वनि कई किलोमीटर तक पहुंच जाती थी।

पाञ्चजन्यं हृषीकेशो देवदत्तं धनञ्जय:।
पौण्ड्रं दध्मौ महाशंखं भीमकर्मा वृकोदर:।।-महाभारत

अर्जुन के पास देवदत्त, युधिष्ठिर के पास अनंतविजय, भीष्म के पास पोंड्रिक, नकुल के पास सुघोष, सहदेव के पास मणिपुष्पक था। सभी के शंखों का महत्व और शक्ति अलग-अलग थी। कई देवी देवतागण शंख को अस्त्र रूप में धारण किए हुए हैं। महाभारत में युद्धारंभ की घोषणा और उत्साहवर्धन हेतु शंख नाद किया गया था।

अथर्ववेद के अनुसार, शंख से राक्षसों का नाश होता है- शंखेन हत्वा रक्षांसि। भागवत पुराण में भी शंख का उल्लेख हुआ है। यजुर्वेद के अनुसार युद्ध में शत्रुओं का हृदय दहलाने के लिए शंख फूंकने वाला व्यक्ति अपिक्षित है।

अद्भुत शौर्य और शक्ति का संबल शंखनाद से होने के कारण ही योद्धाओं द्वारा इसका प्रयोग किया जाता था। श्रीकृष्ण का ‘पांचजन्य’ नामक शंख तो अद्भुत और अनूठा था, जो महाभारत में विजय का प्रतीक बना।

नादब्रह्म : शंख को नादब्रह्म और दिव्य मंत्र की संज्ञा दी गई है। शंख की ध्वनि को ॐ की ध्वनि के समकक्ष माना गया है। शंखनाद से आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का नाश तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। शंख से निकलने वाली ध्वनि जहां तक जाती है वहां तक बीमारियों के कीटाणुओं का नाश हो जाता है।

धन प्राप्ति में सहायक शंख : शंख समुद्र मंथन के समय प्राप्त चौदह अनमोल रत्नों में से एक है। लक्ष्मी के साथ उत्पन्न होने के कारण इसे लक्ष्मी भ्राता भी कहा जाता है। यही कारण है कि जिस घर में शंख होता है वहां लक्ष्मी का वास होता है।

*यदि मोती शंख को कारखाने में स्था‍पित किया जाए तो कारखाने में तेजी से आर्थिक उन्नति होती है। यदि व्यापार में घाटा हो रहा है, दुकान से आय नहीं हो रही हो तो एक मोती शंख दुकान के गल्ले में रखा जाए तो इससे व्यापार में वृद्धि होती है।

*यदि मोती शंख को मंत्र सिद्ध व प्राण-प्रतिष्ठा पूजा कर स्थापित किया जाए तो उसमें जल भरकर लक्ष्मी के चित्र के साथ रखा जाए तो लक्ष्मी प्रसन्न होती है और आर्थिक उन्नति होती है।

*मोती शंख को घर में स्थापित कर रोज ‘ॐ श्री महालक्ष्मै नम:’ 11 बार बोलकर 1-1 चावल का दाना शंख में भरते रहें। इस प्रकार 11 दिन तक प्रयोग करें। यह प्रयोग करने से आर्थिक तंगी समाप्त हो जाती है।
इसी तरह प्रत्येक शंख से अलग अलग लाभ प्रा‍प्त किए जा सकते हैं।

शंख पूजन का लाभ : शंख सूर्य व चंद्र के समान देवस्वरूप है जिसके मध्य में वरुण, पृष्ठ में ब्रह्मा तथा अग्र में गंगा और सरस्वती नदियों का वास है। तीर्थाटन से जो लाभ मिलता है, वही लाभ शंख के दर्शन और पूजन से मिलता है

सेहत में फायदेमंद शंख : शंखनाद से सकारात्मक ऊर्जा का सर्जन होता है जिससे आत्मबल में वृद्धि होती है। शंख में प्राकृतिक कैल्शियम, गंधक और फास्फोरस की भरपूर मात्रा होती है। प्रतिदिन शंख फूंकने वाले को गले और फेफड़ों के रोग नहीं होते।

शंख बजाने से चेहरे, श्वसन तंत्र, श्रवण तंत्र तथा फेफड़ों का व्यायाम होता है। शंख वादन से स्मरण शक्ति बढ़ती है। शंख से मुख के तमाम रोगों का नाश होता है। गोरक्षा संहिता, विश्वामित्र संहिता, पुलस्त्य संहिता आदि ग्रंथों में दक्षिणावर्ती शंख को आयुर्वद्धक और समृद्धि दायक कहा गया है।

पेट में दर्द रहता हो, आंतों में सूजन हो अल्सर या घाव हो तो दक्षिणावर्ती शंख में रात में जल भरकर रख दिया जाए और सुबह उठकर खाली पेट उस जल को पिया जाए तो पेट के रोग जल्दी समाप्त हो जाते हैं। नेत्र रोगों में भी यह लाभदायक है। यही नहीं, कालसर्प योग में भी यह रामबाण का काम करता है।

सबसे बड़ा शंख : विश्व का सबसे बड़ा शंख केरल राज्य के गुरुवयूर के श्रीकृष्ण मंदिर में सुशोभित है, जिसकी लंबाई लगभग आधा मीटर है तथा वजन दो किलोग्राम है

*गणेश शंख: इस शंख की आकृति भगवान श्रीगणेश की तरह ही होती है। यह शंख दरिद्रता नाशक और धन प्राप्ति का कारक है।

*अन्नपूर्णा शंख : अन्नपूर्णा शंख का उपयोग घर में सुख-शान्ति और श्री समृद्धि के लिए अत्यन्त उपयोगी है। गृहस्थ जीवन यापन करने वालों को प्रतिदिन इसके दर्शन करने चाहिए।

*कामधेनु शंख : कामधेनु शंख का उपयोग तर्क शक्ति को और प्रबल करने के लिए किया जाता है। इस शंख की पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

*मोती शंख : इस शंख का उपयोग घर में सुख और शांति के लिए किया जाता है। मोती शंख हृदय रोग नाशक भी है। मोती शंख की स्थापना पूजा घर में सफेद कपड़े पर करें और प्रतिदिन पूजन करें, लाभ मिलेगा।

ऐरावत शंख : ऐरावत शंख का उपयोग मनचाही साधना सिद्ध को पूर्ण करने के लिए, शरीर की सही बनावट देने तथा रूप रंग को और निखारने के लिए किया जाता है। प्रतिदिन इस शंख में जल डाल कर उसे ग्रहण करना चाहिए। शंख में जल प्रतिदिन 24 – 28 घण्टे तक रहे और फिर उस जल को ग्रहण करें, तो चेहरा कांतिमय होने लगता है।

*विष्णु शंख : इस शंख का उपयोग लगातार प्रगति के लिए और असाध्य रोगों में शिथिलता के लिए किया जाता है। इसे घर में रखने भर से घर रोगमुक्त हो जाता है।

*पौण्ड्र शंख : पौण्ड्र शंख का उपयोग मनोबल बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग विद्यार्थियों के लिए उत्तम है। इसे विद्यार्थियों को अध्ययन कक्ष में पूर्व की ओर रखना चाहिए।

*मणि पुष्पक शंख : मणि पुष्पक शंख की पूजा-अर्चना से यश कीर्ति, मान-सम्मान प्राप्त होता है। उच्च पद की प्राप्ति के लिए भी इसका पूजन उत्तम है।

*देवदत्त शंख : इसका उपयोग दुर्भाग्य नाशक माना गया है। इस शंख का उपयोग न्याय क्षेत्र में विजय दिलवाता है। इस शंख को शक्ति का प्रतीक माना गया है। न्यायिक क्षेत्र से जुड़े लोग इसकी पूजा कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

*दक्षिणावर्ती शंख : इस शंख को दक्षिणावर्ती इसलिए कहा जाता है क्योंकि जहां सभी शंखों का पेट बाईं ओर खुलता है वहीं इसका पेट विपरीत दाईं और खुलता है। इस शंख को देव स्वरूप माना गया है। दक्षिणावर्ती शंख के पूजन से खुशहाली आती है और लक्ष्मी प्राप्ति के साथ-साथ सम्पत्ति भी बढ़ती है। इस शंख की उपस्थिति ही कई रोगों का नाश कर देती है। दक्षिणावर्ती शंख पेट के रोग में भी बहुत लाभदायक है। विशेष कार्य में जाने से पहले दक्षिणावर्ती शंख के दर्शन करने भर से उस काम के सफल होने की संभावना बढ़ जाती है।

समुद्र मंथन और शंख?
समुद्र मंथन से प्राप्त चौदह रत्नों में एक रत्न शंख है। माता लक्ष्मी के समान शंख भी सागर से उत्पन्न हुआ है इसलिए इसे माता लक्ष्मी का भाई भी कहा जाता है

हिन्दू धर्म और शंख?
हिन्दू धर्म में शंख को बहुत ही शुभ माना गया है, इसका कारण यह है कि माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों ही अपने हाथों में शंख धारण करते हैं। जन सामान्य में ऐसी धारणा है कि, जिस घर में शंख होता है उस घर में सुख-समृद्धि आती है।

वास्तु विज्ञान और शंख?
वास्तु विज्ञान भी इस तथ्य को मानता है कि शंख में ऐसी खूबियां है जो वास्तु संबंधी कई समस्याओं को दूर करके घर में सकारात्मक उर्जा को आकर्षित करता है जिससे घर में खुशहाली आती है।

शंख की ध्वनि?
शंख की ध्वनि जहां तक पहुंचती हैं वहां तक की वायु शुद्ध और उर्जावान हो जाती है। वास्तु विज्ञान के अनुसार सोयी हुई भूमि भी नियमित शंखनाद से जग जाती है।

रोग-कष्ट और शंख?
भूमि के जागृत होने से रोग और कष्ट में कमी आती है तथा घर में रहने वाले लोग उन्नति की ओर बढते रहते हैं। भगवान की पूजा में शंख बजाने के पीछे भी यह उद्देश्य होता है कि आस-पास का वातावरण शुद्ध पवित्र रहे।

शंख के प्रकार?
शंख मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं -दक्षिणावर्ती, मध्यावर्ती और वामावर्ती। इनमें दक्षिणावर्ती शंख दाईं तरफ से खुलता है, मध्यावर्ती बीच से और वामावर्ती बाईं तरफ से खुलता है। मध्यावर्ती शंख बहुत ही कम मिलते हैं।

शंख-अति चमत्कारिक?
शास्त्रों में इसे अति चमत्कारिक बताया गया है। इन तीन प्रकार के शंखों के अलावा और भी अनेक प्रकार के शंख पाए जाते हैं जैसे लक्ष्मी शंख, गरुड़ शंख, मणिपुष्पक शंख, गोमुखी शंख, देव शंख, राक्षस शंख, विष्णु शंख, चक्र शंख, पौंड्र शंख, सुघोष शंख, शनि शंख, राहु एवं केतु शंख।

शंख से वास्तु दोष मुक्ति का तरीका
शंख किसी भी दिन घर में लाकर पूजा स्थल में रखा जा सकता है। लेकिन शुभ मुहूर्त विशेष तौर पर होली, रामनवमी, जन्माष्टमी, दुर्गा पूजा, दीपावली के दिन अथवा रवि पुष्य योग या गुरू पुष्य योग में इसे पूजा स्थल में रखकर इसकी धूप-दीप से पूजा की जाए घर में वास्तु दोष का प्रभाव कम होता है। शंख में गाय का दूध रखकर इसका छिड़काव घर में किया जाए तो इससे भी सकारात्मक उर्जा का संचार होता है।

क्या रहस्य है शंख बजाने का?
मंदिर में आरती के समय शंख बजते सभी ने सुना होगा परंतु शंख क्यों बजाते हैं? इसके पीछे क्या कारण है यह बहुत कम ही लोग जानते हैं। शंख बजाने के पीछे धार्मिक कारण तो है साथ ही इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है और शंख बजाने वाले व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है।
शंख की उत्पत्ति कैसे हुई

धर्म ग्रंथ और शंख?👇👇👇👇👇
इस संबंध में हमारे धर्म ग्रंथ कहते हैं सृष्टी आत्मा से, आत्मा आकाश से, आकाश वायु से, वायु अग्रि से, आग जल से और जल पृथ्वी से उत्पन्न हुआ है और इन सभी तत्व से मिलकर शंख की उत्पत्ति मानी जाती है। शंख की पवित्रता और महत्व को देखते हुए हमारे यहां सुबह और शाम शंख बजाने की प्रथा शुरू की गई है

शंख बजाने का स्वास्थ्य लाभ?
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शंख बजाने का स्वास्थ्य लाभ यह है कि यदि कोई बोलने में असमर्थ है या उसे हकलेपन का दोष है तो शंख बजाने से ये दोष दूर होते हैं। शंख बजाने से कई तरह के फेफड़ों के रोग दूर होते हैं जैसे दमा, कास प्लीहा यकृत और इन्फ्लून्जा आदि रोगों में शंख ध्वनि फायदा पहुंचाती है।

शंख के जल से शालीग्राम?
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शंख के जल से शालीग्राम को स्नान कराएं और फिर उस जल को यदि गर्भवती स्त्री को पिलाया जाए तो पैदा होने वाला शिशु पूरी तरह स्वस्थ होता है। साथ ही बच्चा कभी मूक या हकला नहीं होता।यदि शंखों में भी विशेष शंख जिसे दक्षिणावर्ती शंख कहते हैं इस शंख में दूध भरकर शालीग्राम का अभिषेक करें। फिर इस दूध को नि:संतान महिला को पिलाएं। इससे उसे शीघ्र ही संतान का सुख मिलता है।

शंख और लाभ?
🧫🧫🧫🧫🧫शंख एक
लाभ अनेक, रोज सुबह दक्षिणावर्ती शंख में थोड़ा सा गंगा-जल डालकर सारे घर में छिड़कें भूत-प्रेत व दुरात्माओं से मुक्ति मिलती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती हैं। एक कांच के कटोरे में लघु मोती शंख रखकर उसे अपने बिस्तर के नजदीक रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर प्रगाढ़ दाम्पत्य-सुख की अनुभूति होगी। पति-पत्नी इससे जल आचमन करके अपने माथे पर अभिषेक करे तो परस्पर वैमनस्य दूर होता है।

घर में दक्षिणावर्ती शंख?
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घर में दक्षिणावर्ती शंख का वास होने से लक्ष्मी का स्थायी वास होता है। दक्षिणावर्ती शंख का विधिपूर्वक पूजन करें तथा अपने व्यवसाय-स्थल पर रखें तो आप सदैव ऋण मुक्त रहेंगे। आप अपनी माता से चावल से भरा एक मोती शंख प्राप्त करें तथा उसे विदेश यात्रा संबंधी कागजात के स्थान पर रखे तो आपके समस्त विघ्न दूर हो जायेंगे। व्यापार स्थान में भगवान विष्णु की मूर्ति के नीचे एक दक्षिणावर्ती शंख रख कर इससे रोज पूजन करके गंगा जल अपने कार्यालय में छिड़कें तो समस्त बाधाएं समाप्त होकर व्यापार में उन्नति होने लगेगी। रात भर शंख में रखे जल का रोज सेवन करने से रोगों से स्वतः मुक्ति मिल जाती है। वह इस बात पर निर्भर है कि शंख कितनी शुद्धता व गुणवत्ता का है।

दिक्कते और शंख?
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शंख घिस कर नेत्र में लगाने से आंख की सूजन दूर होती है। शंख भस्म उचित अनुपात में सेवन करने से गुल्म शूल, पित्त, कफ, रूधिर प्लीहा आदि विकार नष्ट हो जाते हैं।
💍💍💍💍💍💍💍💍💍💍💍💍💍💍💍 फसलों को पानी देते समय किसी शुभ मुहूर्त में 108 शंखोदक भी मिला लें, फसल बढ़ेगी, अनाज बढ़ेगा। अनाज भंडार में कीड़ें-मकोड़ों से बचाने के लिए मंगलवार को शंखनाद करना चाहिए। त्वचा रोगों में शंख की भस्म को नारियल तेल में मिलाकर आक्रांत जगह पर नित्य लगा दें। स्नान करने के पश्चात थोड़ा पानी वहीं लगाकर पोछ दें।

शंख के फायदे?
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यदि विष्णु शंख में गंगा जल भरकर रोहिणी, चित्रा व स्वाती नक्षत्रों में गर्भवती को पान करायें तो प्रसव में कोई कष्ट नहीं होगा। संतान भी स्वस्थ व पुष्ट होगी। अन्नपूर्णा शंख में गंगा जल भरकर सुबह-सबेरे पीने से स्वास्थ्य के विकार दूर होते हैं। वास्तव में शंख एक बहुत गुणी यंत्र है, उसे सदा घर में रखें। यदि शंख की पूजा नित्य तुलसी से ही करें तो घर में क्लेश, दुख-दारिद्रय तथा रोगों का प्रवेश नहीं होता। शंख का पानी यदि थोड़ा-थोड़ा पिया जाये तो हकलाना दूर होता है।

शंख अति लाभकारी?
गूंगे व्यक्तियों को नित्य दो घंटे शंख बजाना चाहिए। शंख भस्म का प्रयोग भी गूंगों के लिए लाभदायक है। शंख ध्वनि द्वारा रोगों, राक्षसों, पिशाचों से रक्षा होती है। इसीलिए कहा भी गया है ‘‘शंख बाजे बलाय भागे’’। शंख ध्वनि से दरिद्रता व दुख दूर होते हैं। आयु-दीर्घायु होती है। शंख बजाने के कई विशेष लाभ हैं। शंख बजाने से योग की तीन क्रियाएं यथापूरक, कुंभक और प्राणायाम एक साथ संपन्न होती हैं जिससे स्वास्थ्य का विकास, आरोग्यता के साथ आसुरी शक्तियां परेशान नहीं करती हैं। भोग एवं मोक्षदायक अद्भुत अलौकिक दुर्लभ शंखों का विवरण इस प्रकार हैं।

शांतिदायक व कष्ट निवारक दक्षिणावर्ती शंख:
दक्षिणावर्ती शंख प्रकृति की अद्भुत भेंट है जो दुर्लभ रूप से प्राप्त होता है। दक्षिणावर्ती शंख सीधे हाथ (दायें हाथ) की तरफ खुलता हुआ दिखाई पड़ता है। वैसे प्रकृति म अधिकतर शंख वामावर्ती उत्पन्न होते हैं। लेकिन कुछ मात्रा में दक्षिणावर्ती शंख प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होते हैं। आजकल नकली दक्षिणावर्ती शंख अधिक मिलते हैं। प्राकृतिक रूप से उत्पन्न दक्षिणावर्ती शंख ही प्रभावकारी होता है।

शांति-प्रदायक-विष्णु शंख:
शरीर की तरह घर भी अस्वस्थ, अशांत और बीमार होता रहता है जिससे घर में रहने वाले सदस्यों की स्थिति से घर प्रभावित होता है। घर के लोगों की मनोदशा सुधारने के टिप्स इस प्रकार हैं। घर में अगर लड़ाई-झगड़े बढ़ गये हों तो विष्णु शंख की स्थापना करें। मकान के मुख्य द्वार पर शीशा कभी न लगायें। मकान के ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व भाग में फर्श पर दरी या कालीन कभी न बिछायें। घर के सामने सहारा लेकर चढ़ने वाली बेलें कभी न लगाएं। घर में बंद घड़ी न रखें तथा अंदर-बाहर कांटेदार पौधे न लगाएं।

ऐरावत शंख:
ऐरावत शंख नारद मुनि ने सिद्ध कर लिया था। इसीलिए वे मनचाहे रूप में संसार में कहीं भी भ्रमण कर सकते थे। यदि यह शंख किसी को प्राप्त हो सके तो उसके सारे मनोरथ पूर्ण हो सकते हैं।

नीलकंठ शंख:
यदि किसी को कोई विषैला कीड़ा यथा सांप या बिच्छू काट ले तो इस शंख में देशी गाय का मूत्र भरकर काटे हुए स्थान पर उस गो मूत्र को लगाया जाये तो विष शीघ्र उतर जाता है। जिस घर में यह शंख होता है, वहां सांप-बिच्छू जैसा कोई भी जहरीला कीड़ा नहीं रह पाता

कामधेनु गोमुखी शंख:
कामधेनु गोमुखी शंख के ऊपर का भाग गाय के सींग जैसा प्रतीत होता है। इसकी आकृति के कारण इसको बजाना आसान नहीं होता, परंतु जो लोग इसमें से ध्वनि निकाल सकते हैं उनके फेफड़े बहुत मजबूत हो जाते हैं

(विष्णु शंख): इसकी आकृति अर्ध-चंद्राकार होने के कारण इसे चंद्र शंख भी कहते हैं। इसको रखने वाला व्यक्ति दरिद्रता और गरीबी से निश्चित त्राण पाता है।
तो पेट में कभी कोई विकार नहीं होता।

💎💍 मोती शंख:💍💍🧫🧫🧫🧫🧫
उच्चकोटि की गुणवत्ता वाला मोती भी इसी शंख से पैदा होता है। इस शंख में भरकर गंगाजल पान करने हृदय व श्वांस में रखेंगे तो और संपन्न रहेंगे।

शंख बजाइये और रोगों से छुटकारा पाइये
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अगर आपको खांसी, दमा, पीलिया, ब्लडप्रेशर या दिल से संबंधित मामूली से लेकर गंभीर बीमारी है तो इससे छुटकारा पाने का एक सरल-सा उपाय है – शंख बजाइए और रोगों से छुटकारा पाइए। शंखनाद से आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का नाश तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। शंख से निकलने वाली ध्वनि जहां तक जाती है वहां तक बीमारियों के कीटाणुओं का नाश हो जाता है।

शंखनाद और सेहत?
शंखनाद से सकारात्मक ऊर्जा का सर्जन होता है जिससे आत्मबल में वृद्धि होती है। शंख में प्राकृतिक कैल्शियम, गंधक और फास्फोरस की भरपूर मात्रा होती है। प्रतिदिन शंख फूंकने वाले को गले और फेफड़ों के रोग नहीं होते। शंख से मुख के तमाम रोगों का नाश होता है। शंख बजाने से चेहरे, श्वसन तंत्र, श्रवण तंत्र तथा फेफड़ों का व्यायाम होता है। शंख वादन से स्मरण शक्ति बढ़ती है।

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