टेलीपैथी क्या है यह किस प्रकार कार्य करता है❓❓
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❒ टेलीवपैथी का तात्पर्य होता है – टेली +पैथी।
टेली मतलब होता है डिस्टेंस या दुरी और पैथी मतलब होता है फीलिंग, परसेप्शन अर्थात ट्रांसमिशन, एक स्थान से कहीं भी सुचनाओ का स्थानांतरण।अर्थात मनुष्य का एक दूसरे से कांटेक्ट बनाना।
❒ माना जाता है कि टेलीपैथी शब्द का सबसे पहला इस्तेमाल 1882 में फैड्रिक डब्लू एच मायर्स ने किया था। टेलीपैथी के कई प्रकार होते हैं। इस क्षेत्र में बहुत से प्रयोग हो चुके हैं। कुछ लोग टैक्नोपैथी की बात भी करते हैं। उनका मानना है कि भविष्य में ऐसी तकनीक विकसित हो जाएगी जिससे टेलीपैथी संभव हो सकती है। मिरर में छपी खबर के मुताबिक सांइस हमेशा से इस बात की जांच करने में लगा हुआ था कि ये चीज कितनी सच है? अब, उन्होंने अपने इस शोध से साबित कर दिया कि टेलिपैथी होती है। परामनोविज्ञान के अनुसार टेलीपैथी ऐसी विद्या है, जिससे हम दूसरों के मन को जान सकते है।
❒ टेलीपैथी क्या हैं ?
टेलीपैथी एक ऐसी शक्ति है जिससे दूर बैठे किसी भी व्यक्ति की मानसिक स्थिति से संपर्क किया जा सकता हैं l प्राचीन काल में सिद्ध लोग एक दूसरे से वार्तालाप किया करते थे।
❒ टेलीपैथी को हिंदी में दूरानुभूति कहते हैं। टेली शब्द से ही टेलीफोन, टेलीविजन आदि शब्द बने हैं ये सभी दूर के संदेश और चित्र को पकड़ने वाले यंत्र हैं। आदमी के मस्तिष्क में भी इस तरह की क्षमता होती है। बस उस क्षमता को पहचानकर उसका उपयोग करने की बात है।
❒ टेलीपैथी अर्थात बहुत दूर तक विचारों को एक दूसरे से कनेक्ट करना।
❒ कोई व्यक्ति जब किसी के मन की बात जान ले या दूर घट रही घटना को पकड़ कर उसका वर्णन कर दे तो उसे पारेंद्रिय ज्ञान से संपन्न व्यक्ति कहा जाता है। महाभारत काल में संजय के पास यह क्षमता थी। उन्होंने दूर चल रहे युद्ध का वर्णन धृतराष्ट्र को सुनाया था।
❒ भविष्य का आभास कर लेना भी टेलीपैथी विद्या के अंतर्गत ही आता है। किसी को देखकर उसके मन की बात भांप लेने की शक्ति हासिल करना बहुत ही आसान है।
टेलीपैथी दो व्यक्तियों के बीच विचारों और भावनाओं के उस आदान-प्रदान को भी कहते हैं।
❒ इस विद्या में हमारी पांच ज्ञानेंद्रियों का इस्तेमाल नहीं होता, यानि इसमें देखने, सुनने, सूंघने, छूने और चखने की शक्ति का इस्तेमाल नहीं किया जाता। यह हमारे मन और मस्तिष्क की शक्ति होती है और यह ध्यान तथा योग के अभ्यास से हासिल की जा सकती है। कहते हैं कि जिस व्यक्ति में यह छठी ज्ञानेंद्रिय होती है वह जान लेता है कि दूसरों के मन में क्या चल रहा है।
❒ टेलीपैथी एक बहुत ही शक्तिशाली पावर की तरह कार्य करती है क्योंकि इसको यूज़ करने के लिए हमें किसी साधन की आवश्यकता नही होती है और यह अभी के बुद्धिजीवी मनुष्य की एक खोज है परंतु वास्तव में ये तो इस दुनिया में हज़ारों सालो से विधमान है अपितु समय की गिरावट और आगे बढ़ने की और भौतिकता में इन सबको भूलते गए।
❒ वही आध्यत्मिक ज्ञान के अनुसार टेलिपैथी वह प्रक्रिया है जिसमें हम अपने संकल्पों की शक्ति को इतना पावरफुल बना देते है कि हमारे मन, बुद्धि के वाइब्रेशन इतने शक्तिशाली हो जाते कि बस हमने किसी से बात करने का या कुछ सन्देश देने का सोचा और अपनी एकाग्रता की अवस्था में स्थित होकर आत्मिक स्वरुप में होकर उस आत्मा के प्रति संकल्प किया तो हमारे से पॉवरफुल वाइब्रेशन उस आत्मा को टच करेंगे।उस आत्मा को ये अनुभव होगा कि मुझे किसी की वाइब्रेशन आ रहे है।और वह भी एकाग्र होकर उसको कैच करती है।इस प्रकार ऐसे भी हम टेलिपैथी का यूज़ करते है।
❒ हमें हमेशा संकल्पों की शक्ति को बढ़ाने पर जोर देते रहना है।क्योंकि जब कोई साधन नही होगा तो हमें ऐसे ही कार्य करने होंगे।और सृस्टि के अंतिम समय में भी हम इस संकल्प की शक्ति से आत्माओ को शक्ति व उनका कल्याण कर पायेंगे।
❒ जिस प्रकार इसकी विधि बुद्धि जीवी मनुष्यों द्वारा बताई और उसी प्रकार संकल्पों की शक्ति को यूज़ करने के लिए हमे स्वयं को साफ़ बुद्धि और एक परमात्म प्यार में समायी हुई हो। क्योंकि हमें बाबा से ही पावर मिलती रहती है क्योंकि वो है ही सर्वशक्तिमान विश्व पॉवर हाउस
❒ इस प्रक्रिया द्वारा हम किसी को मानसिक रूप से ठीक कर सकते है।या इस टेलीपैथी का उपयोग होता है।जैसे—
~Thought Reading..
~ Case Studies..
~ Parapsychology..
~ Scientific receptions..
~ Psychiatrist आदि ….
❒ कभी- कभी ऐसा होता है ना कि हम किसी आत्मा के बारे में कुछ सोच रहे होते है तो सामने वाले के मन में भी हमारे विचार चलते हैं और जब हम फोन से बात करते है तो एक दूसरे के विचारों की सच्चाई से भी अवगत हो जाते है।कई बार तो सामने वाले का फोन तक आ जाता है; तो वहीं हम भी सामने वाली आत्मा को फोन करते है, तो वो यही कहती है कि हम आपको ही याद कर रहे थे । जैसे हम फोन से बात करते है और टीवी से देखते है वैसे ही हम मन से सामने वाली आत्मा से बात (बिना तार के) करते है और बुद्धि द्वारा उसे देखते है और सामने वाली आत्मा भी ऐसा ही अनुभव करती है तो इसको ही विज्ञान की भाषा में टेलीपैथी कहते है।
❒ प्राचीन काल में ऋषि मुनि भी दुसरों की मन की बातों को जान लेते थे और उसके आदि-मध्य-अंत को देख लेते थे, जिसे दुनियां में दिव्य दृष्टि, त्रिकालदर्शी, रिद्धि-सिद्धि (चमत्कार) के नाम से जाना जाता था और आज उसे ही विज्ञान में टेलीपैथी के नाम से जानते है।
❒ पांच ज्ञानेद्रियों के अलावा जब हमारी छठी इन्द्रिय जागृत हो जाती है तो हमें कई वर्तमान एवं भविष्य की घटनाओं का ज्ञान होने लगता है। इस इन्द्रिय को विज्ञान ने अतीन्द्रिय ज्ञान( एक्स्ट्रा सेंसरी पर्सेप्सन ) का नाम दिया है। अब इस शब्द की महत्ता को केवल अध्यात्म ही नहीं बल्कि विज्ञान ने भी मान लिया है।
❒ वैज्ञानिको का मानना है कि टेलीपैथी के सिद्धांत पर ऐसी टॅकनोलॉजी विकसित हो जायेगी जो हमारे लिये संम्पर्क का प्रमुख साधन बन जायेगी l इंग्लैण्ड के रैडिंग विश्वविद्यालय के केविन वॉरिक का शोध इसी विषय पर चल रहा है कि किस तरह एक व्यवहारिक और सुरक्षित उपकरण तैयार किया जावे जो मानव के स्नायु तंत्र को कम्प्युटरों से और एक दूसरे से जोड़े।
❒ ❒ टेलीपैथी कैसे कार्य करती है :
❒ अमेरिकी व अन्य देशो के मनौवैज्ञानिको ने मस्तिष्क में उठ रही तरंगो पर काफी शोध किया है फलस्वरूप वे इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि अवचेतन मन को यदि क्रियाशील बनाया जाय तो बिना किसी आधुनिक उपकरणो, बिना किसी संचार माध्यमो के मन की तरंगों को पढ़ कर, किसी व्यक्ति के मन के रहस्यो को जाना जा सकता हैं l एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के मन पर प्रभाव डाल सकता हैं l और उसे अपने मनोकुल कार्य करने को बाध्य कर सकता हैं l
❒ इसी आधार पर मनोवैज्ञानिको ने अतिद्रिंय शक्तियों से सम्पन्न व्यक्ति पर परिक्षण कर पता लगाया हैं कि मनुष्य के मस्तिष्क में विचार उत्पन्न होते ही सारे आकाश मंडल में अल्फा तरंगों के रूप में फैल जाती है जिसे कोई भी व्यक्ति अपने अंतर्मन को जागृत कर उन अल्फा तरंगों को पकड़ कर किसी व्यक्ति के मन में उठ रहे विचारों को पढ़ सकता हैं l दूर घट रही घटनाओं को स्पष्ट देख सकता हैं l भूत, भविष्य व वर्तमान की जानकारियाँ दे सकता हैं।
❒ ❒ टेलीपैथी और साधना :
❒ मानव मस्तिष्क में छिपी हुई रहस्यमयी शक्तियों पर शोध कर पता लगाया है कि मनुष्य के अवचेतन मन में अलौकिक, अविश्वसनीय और अकल्पनीय शक्तियां विद्यमान हैं।यदि अवचेतन मन की उन शक्तियों को योग आदि क्रियाओं द्वारा जागृत कर लिया जाए तो अनेकानेक चमत्कार खुद-ब-खुद होने लगते हैं। वह स्वत: ही किसी के मन तक पहुँच जाता है चाहे वह पास हो या दूर l ऐसी चमत्कारिक घटनाओं को अतिद्रिंय शक्ति का चमत्कार कहा जाता हैं।
❒ इस शक्ति का उपयोग करने के लिए आत्मिक बल या कहें गुण एवम् शक्तियों की आवश्यकता है, जिसमें पवित्रता की शक्ति प्रमुख है।पवित्रता माना मनसा वाचा कर्मणा विकार व व्यर्थ मुक्त स्थिति। इसमें ब्रह्मचर्य व खान पान की शुद्धि भी अनिवार्य होती है। जितना जितना हम Degree of Purity % बढ़ाते जाते हैं, टैलीपैथी उतना ही प्रखर व स्पष्ट कार्य करती जाती है।
जैसा की हम जानते है कि कोई भी एनर्जी में 3 पावर्स होती हैं:
Magnetic power
Radiation power
Vibration power
पवित्रता इन 3 पावर्स को बढ़ाती है।क्योंकि जब हम कोई संकल्प करते हैं तो ये तीनों एनर्जी एक साथ ट्रैवल करती हैं।