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संसार में चार प्रकार के मनुष्य
होतें है–उत्तम,मध्यम,कनिष्ठ व
नीच।
1-उत्तम मनुष्य वे है,जो अपने
साथ बुराई करनेवालों के प्रति
भी बुराई न करके सदा भलाई
ही करतेंहै।ये मनुष्य प्रथम दर्जे
के है।
2 दूसरी श्रेणी के मध्यम मनुष्य
वे है,जो अपने प्रति बुराई
करनेवालों के साथ न तो
भलाई करतें हैऔर न बुराई
ही।उनका निश्चय होता है कि
हमारा जो कुछ अनिष्ट हुआ
है या हो रहा है,इसमें प्रारब्ध
ही कारण है,किसी का कोई
दोष नहीं है,वे निमित्त मात्र है
3 तीसरी श्रेणी के वे कनिष्ठ
मनुष्य है ,जो अपने प्रति
बुराई करनेवालों के साथ
बुराई करतें है और उनसे
बदला लेने का यत्न करतें है
4 चतुर्थ श्रेणी के नीच मनुष्य
वे है,जो भलाई करनेवालों
के साथ भी बुराई ही किया
करतें है।ऐसे लोगों के द्वारा
किसीका भला होना संभव
नहीं।उपर्युक्त चारों श्रेणियों
के मनुष्योंके साथ अपना
भला चाहने वाले पुरुषको
सदा सद्व्यवहार ही करना
चाहिए।।
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