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त्राटक संमोहन यौगिक साधना

 हमारे ऋषिमुनियों ने योग साधना के भी अलग अलग कही मार्ग प्रस्तुत किये है । उपासक अपनी रुचि के अनुसार विषय पसंद करके साधना करते है । अष्टांग योग , हठ योग , लय योग , सहज योग , ज्ञान योग .......

त्राटक द्वारा मन ओर दृष्टि को एकाग्र करके आत्मशक्ति की प्रचंड शक्तिओ का जागरण किया जाता है । कोई योगी सूर्य , चंद्र , दीप , इष्टमूर्ति ऐसे कोई भी प्रतीक पर त्राटक उपासना करके आत्मशक्ति का जागरण कर सकता है
इस साधनामे कोई पूजा मंत्र विधान नही है ,ये शरीर से की जानेवाली एक यौगिक प्रक्रिया है और हरेक व्यक्ति को आत्मशक्ति के साथ अनेक स्वरूप फलदायी है

त्राटक अर्थात अपने मन को नियंत्रण में रखना, उसे भटकने से बचाना | दरअसल साधारण अर्थों में यह एक ऐसी साधना है जिसमें साधक अपने मन को बांध कर अपने अन्तर्मन को जगाता है, मन को स्थिर कर लेता है | इसके लिए साधक किसी एक ही वस्तु पर अपनी दृष्टि को एकत्रित कर देता है और वह लगातार दीर्घकाल तक उसे देखता रहता है | इसी क्रिया को त्राटक कहते हैं | इससे दृष्टि की शक्ति जागृत हो जाती है अर्थात सक्रिय हो जाती है आप की तीसरी आंख पूर्ण रुप से और आपको दिव्यदृष्टि की प्राप्ति होती है |

त्राटक साधना कैसे करे

यह साधना विभिन्न तरीकों से की जा सकती है | इसके लिए आप किसी देवता की एक तस्वीर, किसी बिंदु, दीपक की लौ, दीवार पर चिन्ह बनाकर अथवा किसी दर्पण के सामने बैठकर अपनी भ्रकुटी पर ध्यान एकत्रित कर इस साधना को कर सकते हैं |

विधि— सबसे पहले एक एकांत कमरे को जहां किसी भी तरह की कोई आवाज न हो बंद करके एक आसन बिछाकर बैठ जाए | बगल में एक नरम रुमाल रखे | कमरे में अंधेरा सम्भव हो तो अच्छा है | आप रात्रि के समय भी इस क्रिया को कर सकते हैं | अब आप अपने सामने दर्पण या दीपक की लौ रखें अथवा आप दिवार में एक चिन्ह भी बना सकते है | अब अगर आप कांच के सामने बैठे हैं तो अपनी भृकुटि पर अपने ध्यान को केंद्रित करें या दीपक की लौ अथवा दिवार पर बने हुए चिन्ह पर अपनी दृष्टि को केंद्रित करें | लेकिन, ध्यान रहे आपने इस साधना के लिए जिस माध्यम का चुनाव किया है वह एकदम आपके नेत्रों के सामने और कम से कम दो फुट की दूरी पर हो | अब बिना पलक झपकाए उस माध्यम की ओर टकटकी लगाकर देखे | अभ्यास न होने की वजह से आरम्भ में कुछ तकलीफ होगी, आंख में पानी भर जाएगा और पलक झपकाने की इच्छा भी करेगी | लेकिन जितना संभव हो सके आप पलक को ना झपकने दे | आँखों में जलन भी होगी , पानी भी गिरेगा | पानी गिर रहा हो तो नरम रुमाल से उसे हल्के से पोंछ ले |

अगर ज्यादा जलन हो तो कुछ पलों के लिए आँखे बन्द कर लें ,लेकिन तुरन्त वापस न खोलें | कुछ देर बाद वापस इसी क्रिया को दोहराए | आरम्भ में दिनों में इस क्रिया को कुछ देर करे, फिर इसकी समय-सीमा बढ़ाते जाए | जब इसकी अवधि दस-पन्द्रह मिनटों तक पहुँच जाए तो आप त्राटक करने के बाद आँख बन्द कर उसी माध्यम को देखने का प्रयत्न करें | कुछ दिनों तक यह आपको अस्थिर नजर आएगा | त्राटक की समय सीमा बढ़ने के साथ-साथ इस माध्यम का कुछ स्थिर होना आरंभ हो जाएगा और आपको महसूस होगा कि एक पीली ज्योति उस माध्यम पर जा रही है | उस वक्त मध्यम के अगल-बगल आपको पीले रंग का धब्बा भी नजर आ सकता है जो कभी दिखेगा और कभी गायब हो जाएगा | जब यह धब्बा आपको स्थयी रूप में नजर आए त्राटक के वक्त और आपको लगे कि आपके आंखों से पीली रोशनी निकलकर उसके ऊपर पीला धब्बा बना रही है तब अभ्यास की अवधि और बढ़ा दें | अभ्यास बढ़ने पर पीले रंग के धब्बे के बदले कभी-कभी हल्का लाल या हरा रंग भी दिखाई पड़ सकता है | कभी इस धब्बे का रंग नीला या कभी चमकदार भी हो सकता है | जब यह नीले रंग का स्पष्ट नजर आए तब समझना चाहिए कि साधक के मन में भी स्थिरता आ गई है | अब साधक को नीली रोशनी अपनी आंखो द्वारा दिखाई पड़ने लगेगी और उसके अंदर आसाधारण शक्ति समाहित होने लगेगी | हाँ, अपने योग का समय और स्थान निश्चित रखें |

तंत्र क्रिया का संमोहन वशीकरण इस क्रिया से सर्वथा अलग है जिसे तंत्र मंत्र से प्राप्त द्वारा प्राप्त किया गया हो | त्राटक सम्मोहन को सौम्य सम्मोहन भी कहा जा सकता है और इससे साकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है | त्राटक का साधक सामने वाले को सम्मोहित करने की ताकत रखता है |

त्राटक सिद्धि से लाभ

( 1 )यह साधना करने से नकारात्मक उर्जा दूर होती है |

( 2 )याददाश्त और मानसिक क्षमता में बढ़ोतरी होती है |
साधक की एकाग्रता और अधिक बढ़ जाती है किसी भी कार्य को करने की |

( 3 )यह साधना सम्मोहन शक्ति को जागृत करती है |
बहुत सारी सिद्धियों की भी प्राप्ति होती ह इस साधना द्वारा |

( 4 )त्राटक-साधना को करने वाला भविष्यदृष्टा बनने लगता है | साधक को शक्ति आने लगती है किसी के भूतकाल के संबंध में जानने की |

( 5 )इस साधना के द्वारा मनुष्य अपने जीवन को परिवर्तित कर सकता है |

( 6 )इस साधना से विद्यर्थी बहुत लाभान्वित होते हैं |
साधक में गंभीरता आती है और सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है |

( 7 )इस साधना को करने वाले का चेहरा कांतिमय और व्यक्तित्व आकर्षक हो जाता है |

त्राटक साधना सिद्धि से नुकसान

यदि आंखों की समस्या हो तो इस साधना को नहीं करना चाहिए क्योंकि एकटक लगातार देखने से यह समस्या बढ़ जाती हैं और जिनके आंखों की समस्या ना हो उनके भी यह होने लगती है | साधना के पश्चात तुरंत देखने में तकलीफ होती है अत: साधना करने के पश्चात किसी योग्य आंखों के चिकित्सक से अपने आंखों की जांच पड़ताल करवाएं |
साधना करते वक्त अचानक से कोई तेज आवाज होने पर साधक अचेतावस्धा में पहुँच सकता है | कभी-कभी उसके हृदय की गति में भी रुकावट आ सकती हैं और उसे अपने प्राणों से भी हाथ धोना पड़ सकता है | इसलिए मजबूत मनोबल हो तो ही ये उपासना करें ।

         

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