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वास्तु : यह 12 बातें जरूर पढ़ें नया मकान बनवाने से पहले…

  1. किसी भी गली या आवास स्थल की कतार में अंतिम मकान कभी नहीं खरीदना चाहिए। सड़क के किनारे बना हुआ मकान भी शुभ नहीं होता है।
  2. वास्तु के स्थान पर गंदा नाला, वर्कशॉप आदि नहीं होना चाहिए।
  3. ढलान वाले स्थान, डूब वाले स्थान में मकान नहीं बनाना चाहिए।
  4. हवा, पानी, प्रकाश, चौड़ी गली तथा अपने नाम राशि के अनुकूल नगर एवं कॉलोनी में ही बसना चाहिए।
  5. तीन कोणों से युक्त तिकोनी भूमि कभी नहीं खरीदना चाहिए। एक तरफ अधिक चौड़ा एवं एक तरफ कम चौड़ा भी अशुभ होता है।
  6. किचन, गार्डन, फव्वारा आदि मुख्य द्वार के सामने नहीं बनाना चाहिए।
  7. मुख्य द्वार के सामने बाउंड्री वॉल नहीं होना चाहिए।
  8. सार्वजनिक टंकी की छाया घर पर पड़े तो वह मकान निवास करने योग्य नहीं होता।
  9. दो बड़े मकानों के बीच में एक छोटा मकान हो तो छोटा मकान रहने वालों के लिए हानिकारक होता है।
  10. मकान से 1,800 फुट के अंदर मंदिर, मस्जिद, धर्मशाला, स्कूल, कॉलेज नहीं होना चाहिए। मकान के मुख्य द्वार के सामने शिव, विष्णु, दुर्गा का मंदिर भी नहीं होना चाहिए।
  11. भवन निर्माण के सभी कार्य एवं लेन-देन जहां तक हो सके शुभ महीने, शुभ वार, शुभ तिथि को ही करना चाहिए एवं योग्य ज्योतिषी की सलाह से ही कार्य करें।
  12. मकान के आसपास मंदिर, मस्जिद, मीनार या नाला शुभ नहीं है।
    याद रखें यह 5 वास्तु मंत्र, हर संकट का होगा अंत
  • वास्तु के अनुसार घर में पेड़-पौधे लगाने पर वे मानसिक शांति देते हैं। ये ध्वनि और विकिरणों को भी ग्रहण कर लेते हैं। ऐसा ही एक पौधा है मनीप्लांट जिसे किसी कोने में लगाकर उस जगह की उदासीनता (नकारात्मक ऊर्जा) को कम किया जा सकता है।
  • अपना निवास, कारखाना, व्यावसायिक परिसर अथवा दुकान के ईशान कोण में उस परिसर का कचरा अथवा जूठन नहीं रखना चाहिए।
  • स्वच्छता के लिए निर्धारित मशीनरी उपकरण तथा झाडू को भी ईशान कोण में नहीं रखना चाहिए। इससे परिसर में आपसी तनाव एवं मतभेद होने लगेंगे। हताशा की भावना आ सकती है। संतुष्टि तथा प्रगति के लिए ईशान कोण स्वच्छ एवं आकर्षक रखना चाहिए।
  • दुकान या शोरूम में ग्राहकों की आवक बढ़ाने के लिए ध्यान रखें कि दुकान पूर्वमुखी हो तो प्रवेश करने की सीढ़ियां ईशान कोण में हों। यदि पश्चिममुखी है तो पश्चिमी भाग से उत्तर की ओर अर्थात वायव्य दिशा की तरफ सीढ़ियां होनी चाहिए।
  • नैऋत्य के स्थान पर आग्नेय कोण अर्थात दक्षिण-मध्य से पूर्व की तरफ के कोण में दुकान में प्रवेश करने के लिए सीढ़ी रखनी चा‍हिए। उत्तर दिशा का मुंह होने पर ईशान एवं वायव्य दोनों तरफ दुकान में प्रवेश करने की सीढ़ी रखी जा सकती है, इससे बिक्री बढ़ेगी।

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