इस संसार में अज्ञानी- ज्ञानी , तपस्वी , शूरवीर , कवि , विद्वान और गुणवान , ज्यादातर लोभ के कारण ही उपहास के पात्र बने हुए हैं। लोभ के कारण ही नाना प्रकार के पाप जीव के द्वारा होते हैं। लोभ- एक ऐसी प्रवृत्ति जिसमें इंसान को वस्तु तो मिल जाती है पर संतुष्टि फिर भी नहीं होती है।
धन तो मिल जाता है पर निर्धनता बनी रहती है। प्राप्त के प्रति अहोभाव ही नहीं उठता और अप्राप्त के प्रति चाह बनी रहती है। सब कुछ होने के बाद भी चिंता बनी रहती है।
इस लोभ के कारण ही संसार में बड़े- बड़े लोगों का पतन हुआ है। स्मरण रखने की बात है कि संसार के समस्त भोग भी यदि हमें मिल जाएँ तो भी हमारी संतुष्टि नहीं होती है। क्योंकि लोभ हमें तृप्त होने ही नहीं देता है।
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