😟-बीमारी के इमोशंस
-प्रत्येक मनुष्य का लक्ष्य है, उसके जीवन में सुख शांति हो ।
- दुनिया में सात सुखों का गायन है । पहला सुख – निरोगी काया, दूजा सुख – घर में हो माया, तीजा सुख – सुलक्षणा नारी, चौथा सुख – हो पुत्र आज्ञाकारी, पाँचवां सुख – हो सुन्दर वास, छठा सुख – हो अच्छा पास, साँतवां सुख – हो मित्र घनेरे, और नहीं जगत में दुखः बहुतेरे !
- श्रेष्ट जीवन जीने के लिए निरोगी काया का होना बहुत जरूरी है। अगर हम इस पहले सुख से ही वंचित रहेगें ,तो दुनिया का कोई सुख नहीं भोग सकेगें ।
-एक अस्वस्थ व्यक्ति का मन, मस्तिष्क, स्वभाव सभी अस्त−व्यस्त रहते हैं।
- एक निरोगी व्यक्ति अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए, रोटी कमाने से लेकर, विद्या अर्जित करने और कला-कौशल क्षेत्र में प्रवेश कर, कहीं भी सफलता प्राप्त कर सकता है ।
- एक रोगी व्यक्ति सभी प्रकार की सुख सुविधायें होते हुए भी, उनका उपयोग नहीं कर सकता। इसलिए निरोग रहना जीवन की प्रथम आवश्यकता मानी गई है। यदि व्यक्ति निरोग है, तो वह अपनी प्रसन्नता बनाये रह सकता है, और उसे दूसरों को भी बाँट सकता है।
-बीमारी से लड़ने के लिये बहुत साहस क़ी जरूरत होती है ।
-बड़े बड़े शूरवीर, संत, महात्मा, महान योगी भी बीमारी से हार मान लेते हैं।
-लकवा, कैंसर जैसी नामुराद बीमारिया, घर क़ी अर्थव्यवस्था को चौपट कर देती हैं। व्यक्ति कोई काम धंधा नहीं कर सकता ।
-बीमारी क्यो होती है । इसके अनेको कारण बताए जाते हैं । परन्तु शोध यह बताते हैं, कि प्रत्येक बीमारी का कारण मन है !
-डॉक्टर सब से बड़ी भूल यह करता है, कि वह सिर्फ शरीर का इलाज करता है ।
-सचाई यह है कि मन और शरीर दोनो एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। दोनो का इलाज साथ साथ करना चाहिए ।
-मनुष्य को अपने फोड़े और गांठों से ज्यादा चिंतित, अपने नकारात्मक विचारो के लिये होना चाहिए ।
-गांठ या फोड़े तो उसी अंग को प्राभावित करते है, जहां यह स्थित होते हैं ।
-लोगो को दवाइयां खिलाना सब से आसान है ! परहेज करना उस से मुश्किल है तथा। विचारो को बदलना सब से मुश्किल है !
-विचारो को बदलना उतना ही जरूरी है, जितना खेती के लिये घास फूस !
-विचारों को योग से ही बदल सकते हैं, और बीमारियों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं..!!
🙏🏼🙏🙏🏻जय जय श्री राधे🙏🏿🙏🏽🙏🏾