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: कद्दू के बीज के करामाती फायदे

नींद में सहायक

अगर आप या आपके परिवार का कोई भी सदस्‍य अनिद्रा की समस्‍या से ग्रस्‍त है तो कद्दू के बीज उसके लिए बहुत मददगार साबित हो सकते हैं। इसमें एमिनो एसिड ट्रीप्टोफन की मौजूदगी शरीर में सेरोटोनिन को परिवर्तित कर गहरी नींद में मदद करता है।

हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छा

आहार विशेषज्ञों के अनुसार, कद्दू के बीज हृदय रोगियों के लिए अत्यंत लाभदायक होते है। कद्दू के बीज मिनरल मैग्‍नीशियम का एक समृद्ध स्रोत है, जो दिल के उपचार में मदद करता है। इसलिए दिल की समस्‍याओं से पीड़‍ित लोगों को कद्दू के बीजों को सेवन करना चाहिए।

रक्त शर्करा पर नियंत्रण

इस चमत्कारिक बीज में सुपाच्‍य प्रोटीन होता है। जो शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है और अग्न्याशय को सक्रिय करता है। इसी कारण मधुमेह रोगियों को कद्दू के बीज खाने की सलाह दी जाती हैं।

प्रोस्टेटिक हाइपरट्रॉफी का खतरा कम करें

कद्दू के बीज के तेल में ओमेगा-3स बहुत अधिक मात्रा में होता है जो प्रोस्टेटिक अतिवृद्धि यानी बीपीएच के जोखिम को कम करने में मदद करता है।

पुरुषों का स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी

मिनरल जिंक का एक समृद्ध स्रोत कद्दू के बीज पुरुष स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी बहुत लाभकारी होता है। मिनरल जिंक प्रोस्‍टेट के विकास का रोकने में मदद करता है।

एनर्जी देता है

जिन लोगों में एनर्जी का लेवल कम होता है, उन लोगों के लिए कद्दू के बीज रामबाण की तरह काम करते हैं। इन बीजों के सेवन शरीर में रक्त और ऊर्जा के स्तर के निर्माण में मदद करता है।

एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण की मौजूदगी

कद्दू को प्राचीन काल से ही गुणों की खान माना जाता रहा है। कुछ अध्‍ययनों से यह बात साबित हुई है कि कद्दू के बीजों में भरपूर मात्रा में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण दर्द, बुखार, सूजन और जकड़न में इस्‍तेमाल होने वाली दवा (इंडोमेथासिन) के सामान ही प्रभावी होती है।

कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करती है

बुरे कोलेस्‍ट्रॉल को कम करने के लिए कद्दू के बीज फायदेमंद होते है। स्टेरॉल्‍स और फि‍टोस्टेरॉल नामक तत्‍व से भरपूर कद्दू के बीज शरीर में कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तर को कम करने में मदद करते है।

फाइबर का अच्छा स्रोत

कद्दू के बीज रेशा यानी फाइबर से उच्‍च होते है। जो शरीर में फाइबर की आवश्‍यकता को पूरा करता है। साथ ही इसके सेवन से कब्‍ज की समस्‍या नहीं होती और पेट हमेशा साफ रहता है।

एसिटिडी का इलाज

कद्दू के बीज में शरीर के पीएच को अल्कलाइजिंग करता है जिससे पेट में एसिड के गठन को रोकता है। एसिड की समस्‍या से बचने के लिए इसे अपने आहार में शामिल करें। इसे आप सब्जी, सूप, सलाद, जिसमें चाहे और जैसे चाहे खा सकते हैं।
सुखी खासी टिप्स

पान का पत्ता 1
अमरूद पत्ती 5 से 6
अदरक छोटा टुकडा कद्दूकस कर ले
2 बादाम दरदरा कर ले
लौंग 3 से 4
सौंफ आधा चम्मच
काली मिर्च 5 से 6 दरदरा की हुयी
तुलसी पत्ती 5 से 6
मुलाइठी थोडी सी

सभी को 3 गिलास पानी मे पका ले पानी गर्म होने तक गैस फुल रखे फिर 10 मीनट स्लो गैस पर पकाये

इस पानी को ढक कर रख दे गुनगुना हो जाये तो दिन मे 3 समय पिये आप चाहे तो इसमे शहद भी मीला सकती है यदि आप शहद नहि खाते है तो प्रसाद वाले 3 से 4 बताशे फोड कर मीला ले

सबसे जरूरी बात 1 जग मे पानी ले उसमे 4 लौग डाल दे जब भी पानी पिने मन हो वही पानी पिये मुंह मे लोंग या मुलाइठी या अदरक का छोटा पीस रखे इससे खांसी भी नही आयेगी ओर सुखी खांसी मे बहूत जल्दी आराम आता है दिन मे 1 बार गर्म पानी मे नमक डालकर गागल जरूर करे
: अल्‍फा-अल्‍फा (रिजका) के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ२

गठिया के लिए उपचार

हड्डियों के गठन और मजबूत बनाने के लिए मिनरल की आवश्‍यकता होती है। यह आवश्‍यक मिनरल अल्‍फा-अल्‍फा में भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसलिए इसे गठिया के उपचार के लिये बहुत फायदेमंद माना जाता है। अल्‍फा-अल्‍फा (विशेष रूप से इसके बीज से) से बनी चाय गठिया के उपचार में लाभदायक परिणाम देती है।

डायबिटीज में अल्‍फा-अल्‍फा का प्रयोग

अल्‍फा-अल्‍फा ब्‍लड शूगर के स्‍तर को कम करने के लिए भी जाना जाता है। इसलिए इसे डायबिटीज को दूर करने का एक प्राकृतिक उपचार माना जाता है। डा‍यबिटीज से पी‍ड़ि‍त व्‍यक्तियों को इसका सेवन करना चाहिए।

किडनी की पथरी के लिए उपाय

किडनी से पथरी को दूर करने के लिए भी अल्‍फा-अल्‍फा का उपयोग किया जा सकता है। किडनी की पथरी को गलाकर निकालने में विटामिन ए, सी, ई और जिंक मददगार साबित होते है। इन सब विटामिन और मिनरल को आप अल्फा-अल्‍फा पाउडर और अल्फा-अल्‍फा स्प्राउट में पा सकते हैं।

गंजेपन और बालों के झड़ने का प्राकृतिक उपचार

अल्‍फा-अल्‍फा का रस और बराबर मात्रा में ही गाजर और सलाद (लेटास) के पत्तों को मिलाकर नियमित रूप से बालों में लगाइए। इससे आपके बालों के विकास में मदद मिलती है। पोषक तत्‍वों से समृद्ध यह रस बालों के विकास और बालों के झड़ने की रोकथाम के लिए विशेष रूप से उपयोगी होता है।

मासिक धर्म से जुड़ी परेशानियों में लाभकारी

अल्‍फा-अल्‍फा का इस्‍तेमाल महिलाओं के लिए भी बहुत उपयोगी होता है। अल्‍फा-अल्‍फा में मौजूद एस्ट्रोजेनिक गुण के कारण यह महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान होने वाले लक्षणों और दर्द को कम करने का बहुत ही प्रभावी उपाय है।

श्वास संबंधी रोगों को इलाज

अल्‍फा-अल्‍फा का जूस क्‍लोरोफिल का बहुत अच्‍छा स्रोत है इसलिए यह सांस से जुड़ी परेशानियों के उपचार में भी कारगर होता है। सांस की तकलीफ विशेष रूप से फेफड़ो और साइनस के कारण होने वाली समस्‍याओं के समाधान के लिए इसके जूस का इस्‍तेमाल किया जाता है।

उच्‍च रक्तचाप में अल्‍फा-अल्‍फा

उच्च रक्तचाप का उपचार, अल्‍फा-अल्‍फा के स्‍वास्‍थ्‍य लाभों में से एक और लाभ है। इसके सेवन से कठोर धमनियों को नर्म करने में मदद मिलती है जिससे उच्‍च रक्तचाप को प्राकृतिक रूप से कम किया जा सकता है।

पेट के रोगों की औषधि

अल्‍फा-अल्‍फा का उपयोग पेट से संबधित बीमारियों के इलाज के लिए एक औषधि के रूप में किया जाता है। नियमित रूप से थोड़ी मात्रा में अल्‍फा-अल्‍फा के बीज का सेवन करने से भी पेट की बीमारियों से लड़ने के खिलाफ इम्युनिटी मजबूत होती है। आप अल्‍फा-अल्‍फा का इस्‍तेमाल चाय के रूप में भी कर सकते हैं।

मोटापा कम करें

अगर आप अपना वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं, तो अल्‍फा-अल्‍फा स्‍प्राउट्स आपके लिए स्वस्थ और स्वादिष्ट विकल्‍प हो सकता है। अल्‍फा-अल्‍फा स्‍प्राउट्स एक आदर्श कम कैलोरी आहार है। जो चीनी, वसा, संतृप्त वसा या कोलेस्ट्रॉल से मुक्त होता हैं। यह कुरकुरा खाद्य फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होता है इसलिए इसको खाने के बाद आपको परिपूर्णता का एहसास लंबे समय तक होता है।
: बार-बार पेशाब आने के 5 कारण और उपाय

कई लोगों के साथ यह समस्या होती है कि उन्हें बार-बार पेशाब के लिए जाना होता है। अगर आपके साथ भी यह समस्या है तो इसका कारण और उपाय आपको जरूर पता होना चाहिए। पहले जानिए इसके यह 5 कारण –

1 बार-बार पेशाब आने का सबसे बड़ा कारण हो सकता है मूत्राशय की अत्यधिक सक्रियता। ऐसी स्थिति में सामान्य रूप से व्यक्ति बार-बार पेशाब करने के लिए प्रेरित होता है।

2 मधुमेह भी बार-बार पेशाब आने का एक प्रमुख कारण है। रक्त व शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ने पर यह समस्या बढ़ जाती है।

3 अगर आपको यूरीनल ट्रैक्ट इंफेक्शन है, तो आपको इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इस स्थिति में बार-बार पेशाब आने के साथ ही पेशाब में जलन भी होती है।

4 प्रोटेस्ट ग्रंथि के बढ़ने पर भी यह समस्या पैदा हो सकती है।

5 किडनी में संक्रमण होने पर भी बार-बार पेशाब आना बेहद आम बात है, इसलिए अगर आपको यह परेशानी है, तो इसकी जांच जरूर कराएं।

👉🏻. उपाय –
1 भरपूर मात्रा में पानी पिएं ताकि किसी प्रकार का इंफेक्शन हो, तो वह पेशाब के माध्यम से निकल जाए और बाद में आपको इस तरह की परेशान न झेलनी पड़े।

2 दही, पालक, तिल, अलसी, मेथी की सब्जी आदि का रोजाना सेवन करना इस समस्या में फायदेमंद साबित होगा।

3 सूखे आंवले को पीसकर इसका चूर्ण बना लें और इसमें गुड़ मिलाकर खाएं। इससे बार-बार पेशाब आने की समस्या में लाभ होगा। विटामिन सी से भरपूर चीजों का सेवन करें।

4 अनार के छिलकों को सुखा लें और इसे पीसकर चूर्ण बना लें। अब सुबह-शाम इस चूर्ण का सेवन पानी के साथ करें। अगर चाहें तो इसका पेस्ट भी बना सकते हैं।

5 मसूर की दाल, अंकुरित अनाज, गाजर का जूस एवं अंगूर का सेवन भी इस समस्या के लिए एक कारगर उपाय है।


🌹पपीता सेवन से स्वास्थ्य लाभ

🌹पके हुए पपीते स्वाद में मधुर, रुचिकारक, पित्तदोषनाशक, पचने में भारी, गुण में गरम, स्निग्धतावर्धक, दस्त साफ लाने वाले, वीर्यवर्धक, हृदय के लिए हितकारी, वायुदोषनाशक, मूत्र साफ लानेवाले तथा पागलपन, यकृतवृद्धि, तिल्लीवृद्धि, अग्निमांद्य, आँतों के कृमि एवं उच्च रक्तचाप आदि रोगों को मिटाने में मददरूप होते हैं।

🌹आधुनिक विज्ञान के मतानुसार पपीते में विटामिन ए पर्याप्त मात्रा में होता है। इसका सेवन शारीरिक वृद्धि एवं आरोग्यता की रक्षा करता है।

🌹पके हुए पपीते में विटामिन सी की भी अच्छी मात्रा होती है। इसके सेवन से सूख रोग (स्कर्वी) मिटता है। बवासीर, कब्जियत, क्षयरोग, कैंसर, अल्सर, अम्लपित्त, मासिकस्राव की अनियमितता, मधुमेह, अस्थि-क्षय (Bone T.B.) आदि रोगों में इसके सेवन से लाभ होता है।

🌹बालकों का अल्पविकासः नाटे, अविकसित एवं दुबले-पतले बालकों को रोज उचित मात्रा में पका हुआ पपीता खिलाने से उनकी लम्बाई बढ़ती है, शरीर मजबूत एवं तंदरुस्त बनता है।

🌹मंदाग्नि, अजीर्णः रोज सुबह खाली पेट पपीते की फाँक पर नींबू, नमक एवं काली मिर्च अथवा संतकृपा चूर्ण डालकर खाने से मंदाग्नि, अरुचि तथा अजीर्ण मिटता है।

🌹पपीता खाने के बाद अजवाइन चबाने अथवा उसका चूर्ण लेने से फोड़े-फुंसी, पसीने की दुर्गन्ध, अजीर्ण के दस्त एवं पेट के कृमि आदि का नाश होता है। इससे शरीर निरोगी, पुष्ट एवं फुर्तीला बनता है।

🌹पपीते को शहद के साथ खाने से पोटैशियम तथा विटामिन ए, बी, सी की कमी दूर होती है।

🌹पके हुए पपीते में विटामिन सी की भी अच्छी मात्रा होती है। इसके सेवन से सूख रोग (स्कर्वी) मिटता है। बवासीर, कब्जियत, क्षयरोग, कैंसर, अल्सर, अम्लपित्त, मासिकस्राव की अनियमितता, मधुमेह, अस्थि-क्षय (Bone T.B.) आदि रोगों में इसके सेवन से लाभ होता है।

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: दादी नानी के 7 असरदार घरेलू नुस्खे, जो सेहत समस्या होने पर बड़े काम आएंगे
1 गैस की तकलीफ से तुरंत राहत पाने के लिए लहसुन की 2 कली छीलकर 2 चम्मच शुद्ध घी के साथ चबाकर खाएं। फौरन आराम होगा।
2 प्याज के रस में नींबू का रस मिलाकर पीने से उल्टियां आना बंद हो जाती हैं।
3 सूखे तेजपान के पत्तों को बारीक पीसकर हर तीसरे दिन एक बार मंजन करने से दांत चमकने लगते हैं।
4 हिचकी चलती हो तो 1-2 चम्मच ताजा शुद्ध घी, गरम कर सेवन करें।
5 ताजा हरा धनिया मसलकर सूंघने से छींके आना बंद हो जाती हैं।
6 प्याज का रस लगाने से मस्सों के छोटे-छोटे टुकड़े होकर जड़ से गिर जाते हैं।
7 यदि नींद न आने की शिकायत है, तो रात में सोते समय तलवों पर सरसों का तेल लगाएं।

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