बालतोड़ के कारण, लक्षण और घरेलू उपचार
आज हम आपको बालतोड़ के बारे में बताने जा रहे हैं वैसे आजकल एक आम धारणा बन चुकी है कि जब शरीर के किसी भी हिस्से का बाल अचानक टूट जाता है, तो बालतोड़ हो जाता है। हां, यह बात सही है कि जहां बालतोड़ होता है, वहां एक गांठ जरूर बन जाती है, लेकिन हम स्पष्ट कर दें कि बालतोड़ एक प्रकार का संक्रमण होता है।
यह लाल रंग के फोड़े के रूप में बाल कूप (हेयर फॉलिकल) या फिर तैलीय ग्रंथियों से शुरू होता है। करीब चार-पांच दिन बाद इसका रंग लाल से सफेद हो जाता है और मवाद बनने लगती है। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह गंभीर रूप ले सकता है और असहनीय दर्द भी होता है। कभी ये ऐसी जगह हो जाती है कि जिसे ना हम दिखा सकते हैं ना छुपा सकते हैं
राहत की बात यह है कि इसे आसानी से घर बैठे-बैठे ही ठीक किया जा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार घर की रसोई में ऐसी कई चीजें मौजूद हैं, जिससे बालतोड़ का इलाज किया जा सकता है। इस लेख में हम ऐसे ही घरेलू सामग्रियों के बारे में बताएंगे, जो बालतोड़ का घरेलू इलाज साबित हो सकती हैं।
बालतोड़ (फोड़े, फुंसी) के कारण –
पहला और अहम कारण स्टेफिलोकोकस ऑरियस जीवाणु है। यह छोटे से घाव या फिर चोट के रास्ते शरीर में पहुंचता है और बाल कूप में जाकर इंफेक्शन को फैलाता है, जिससे बालतोड़ होता है।
यह डायबिटीज के कारण भी हो सकता है।
नाक के अंदर जीवाणु जमा होने से भी यह हो सकता है। खराब रोग प्रतिरोधक प्रणाली और शरीर में पोषक तत्वों की कमी होना भी एक अहम कारण है।
त्वचा की साफ-सफाई पर ध्यान न देना और रसायन युक्त उत्पादों के प्रयोग से भी बालतोड़ हो सकता है।
बालतोड़ के लक्षण –
आमतौर पर बालतोड़ चेहरे, गर्दन, अंडरऑर्म्स, कूल्हों या फिर जांघों पर होते हैं। इसकी शुरुआत एक छोटी-सी फुंसी के साथ होती है। इसका आकार चेरी से लेकर अखरोट जितना हो सकता है। कई बार फोड़े और बालतोड़ में अंतर करना मुश्किल हो जाता है। हम यहां कुछ ऐसे लक्षण बता रहे हैं, जिनकी मदद से बालतोड़ की पहचान की जा सकती है।
फोड़े के चारों ओर त्वचा लाल रंग की नजर आती है।
फोड़े और उसके आसपास सूजन आ जाती है।
इसके कारण असहनीय दर्द होता है।
कुछ दिनों के बाद इसमें गांठ बनने लगती है।
फिर इसमें मवाद भरनी शुरू हो जाती है।
कुछ लोगों को इससे बुखार भी आ सकता है।
पीड़ित व्यक्ति को कमजोरी व थकावट महसूस हो सकती है।
बालतोड़ (फोड़े, फुंसी) के घरेलू इलाज –
टी ट्री तेल :
इसके लिए टी ट्री तेल की सात बूंदें, आधा कप विच हेजल और सूती कपड़ा चाहिए पड़ता है बालतोड़ होने पर तेल को विच हेजल के साथ मिक्स कर लें। फिर सूती कपड़े को इसमें भिगोकर प्रभावित जगह पर लगाएं। आप इसे रोज दिन में तीन बार लगाएं, जब तक कि बालतोड़ पूरी तरह से ठीक न हो जाए।
संवेदनशील त्वचा के लिए टी ट्री तेल बेहद गुणकारी है। आयुर्वेद में इसका प्रयोग कील-मुंहासों, बालतोड़ व त्वचा से संबंधित अन्य समस्याओं के लिए किया जाता है। इस तेल में एंटीसेप्टिक व एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो किसी भी प्रकार के संक्रमण और बालतोड़ को ठीक करने में सक्षम हैं। फुंसी हटाने के उपाय के रूप में आप टी ट्री आयल का प्रयोग कर सकते हैं। किन्तु अकेले टी ट्री ऑयल को त्वचा पर नहीं लगाना चाहिए, अन्यथा इससे जलन हो सकती है।
हल्दी :
हल्दी पाउडर में इतना पानी डालें कि पेस्ट बन जाए। अब इस पेस्ट को प्रभावित जगह पर लगाकर छोड़ दें। बालतोड़ के इलाज के रूप में आप दिन में दो बार यह पेस्ट लगाएं। साथ ही रात को सोने से पहले हल्दी वाला दूध पी सकते हैं।
शरीर में कहीं भी चोट लगी हो या फिर संक्रमण हुआ हो, इनके लिए हल्दी से बेहतर और कुछ नहीं हो सकता। बालतोड़ के इलाज के रूप में हल्दी का प्रयोग किया जा सकता है। हल्दी में एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल जैसे प्रभावी गुण पाए जाते हैं हल्दी के अधिक सेवन से रक्त के थक्के बन सकते हैं या फिर गुर्दे की पथरी भी हो सकती है।
लहसुन :
लहसुन की कलियों को अच्छी तरह मसलकर पेस्ट बना लें। फिर यह पेस्ट बालतोड़ पर लगाकर 15 मिनट के लिए छोड़ दें। इसके बाद साफ पानी से धो लें। आप लहसुन की कलियों को काटकर उनका जूस निकालकर भी संक्रमित जगह पर लगा सकते हैं। कम से कम दिन में एक बार जरूर करें।
लहसुन के प्रयोग से बालतोड़ के सबसे अहम जीवाणु स्टेफिलोकोकस ऑरियस को बढ़ने से रोका जा सकता है। लहसुन में एलिसिन नामक तत्व पाया जाता है, जो एंटीऑक्सीडेंट व एंटीबैक्टीरिया की तरह काम करता है।
प्याज :
प्याज को अच्छी तरह से पीसकर पेस्ट तैयार कर लें। फिर इसमें शहद डालकर अच्छी तरह से मिक्स करें। इसके बाद यह पेस्ट बालतोड़ पर लगाकर 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर साफ पानी से धो लें। जब तक मवाद पूरी तरह से निकल न जाए, इस प्रक्रिया को रोज दिन में दो से तीन बार करें।
प्याज में एंटीबैक्टीरियल व एंटीमाइक्रोबियल तत्व होते हैं, जो विभिन्न तरह के संक्रमण खासकर स्टेफिलोकोकस ऑरियस से निपटने में काम आते हैं। साथ ही इसमें फेनोलिक एसिड भी होता है, जो किसी भी प्रकार के संक्रमण को पनपने से रोकता है
अरंडी का तेल :
कॉटन बॉल पर अरंडी का तेल लगाकर फोड़े पर रख दें। ध्यान रहे कि रूई को न तो दबाएं और न ही रगड़ें। कुछ देर बाद रूई को हटा दें। इसके बाद घाव को धोएं नहीं। जब तब आराम न मिले, प्रतिदिन में कम से कम तीन बार ऐसा करते रहें।
इस तेल में रिसिनोलिक एसिड होता है, जो एंटीइंफ्लेमेटरी की तरह काम करता है। यही कारण है कि बालतोड़ या फिर किसी अन्य संक्रमण के कारण त्वचा में आई सूजन को कम करने में यह तेल सक्षम है। अरंडी के तेल में एंटीबैक्टीरियल गुण भी होते हैं, जो किसी भी तरह के संक्रमण को पनपने से रोकते हैं। फोड़े फुंसी का इलाज इस तेल की मदद से किया जा सकता है।
नीम :
नीम की पत्तियों को हल्दी और पानी के साथ पीसकर पेस्ट बना लें। फिर इस पेस्ट को प्रभावित जगह पर लगाकर छोड़ दें। जब पेस्ट सूख जाए, तो साफ पानी से उसे धो लें। नीम तेल की विधि को दिन में चार-पांच बार करें। वहीं, नीम पेस्ट को दिन में दो बार लगाएं, जब तक कि फोड़ा ठीक न हो जाए।
भारत में नीम के पेड़ किसी भी घर के बाहर या फिर गली-मोहल्ले में मिल जाएंगे। नीम के पत्ते एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल के प्रमुख स्रोत हैं। नमी के पत्तों को सदियों से मुंहासे और बालतोड़ जैसे त्वचा संबंधी संक्रमण के लिए प्रयोग किया जा रहा है। नीम का तेल संक्रमण के कारण पैदा होने वाले बैक्टीरिया व सूजन को कम करने और घाव को भरने में मदद करता है।
गर्म सिकाई :
सबसे पहले गर्म पानी में कपड़े को भिगोकर निचाड़ लें। इसके बाद गर्म कपड़े को प्रभावित जगह पर करीब 15-20 मिनट तक रखें। इस दौरान फोड़े पर न तो दबाव डालें और न ही उसे दबाएं। जब तक फोड़ा पूरी तरह से ठीक न हो जाए, इस प्रक्रिया को दिन में तीन बार करें।
गर्म कपड़े से सिकाई करने से शरीर में रक्त प्रवाह बेहतर हो जाता है, जिससे संक्रमण को दूर किया जा सकता है। साथ ही सिकाई करने से दर्द में भी आराम मिलता है। बालतोड़ के घरेलू इलाज के लिए यह सबसे सरल और आसान उपाय है।
पान का पत्ता :
अरंडी के तेल को पान के पत्तों पर लगा दें और फिर इन्हें पैन में रखकर थोड़ा गर्म कर लें। फिर इसे फोड़े के ऊपर रख दें। इससे फोड़े में जमा सारी मवाद बाहर निकल जाएगी। इसके बाद साफ कपड़े या फिर रूई से जख्म को साफ कर दें। इसे दिन में दो बार तब तक करें, जब तक कि घाव पूरी तरह से भर न जाए।
आयुर्वेद में सदियों से त्वचा संबंधी रोगों के लिए पान के पत्ते का प्रयोग किए जा रहे हैं। पान के पत्तों में एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। ये संक्रमित जगह से विषैले जीवाणुओं को साफ कर सूजन को कम कर सकते हैं।
बालतोड़ (फोड़े, फुंसी) से बचाव के उपाय –
इस लेख में हमने उन तमाम घरेलू उपचारों के बारे में बात की, जिनके प्रयोग से बालतोड़ को ठीक किया जा सकता है। अब हम बात करेंगे उन खास उपायों के बारे में जिनका पालन करने से बालतोड़ होने जैसी स्थिति से बचा जा सकता है।
ध्यान रहे कि बालतोड़ संक्रमण के कारण होता है। अगर किसी शख्स को बालतोड़ है और आप अंजाने में बालतोड़ को छू लेते हैं, तो तुरंत हाथों को साबुन व पानी से अच्छी तरह धोएं।
अगर परिवार में किसी को बालतोड़ है, तो उसके कपड़े और बिस्तर को गर्म पानी में धोएं। धोते समय डिटर्जेंट के साथ ब्लिच को जरूर मिलाएं।
अगर आपको छोटी-सी भी चोट लग जाए या कट लग जाए, तो उसे अच्छी तरह साफ करें और दवा लगाएं।
हमेशा खुद को साफ-सुथरा रखें, ताकि संक्रमण आपके आसपास भी न फटके।
संतुलित भोजन करें और नियमित व्यायाम करें, ताकि आप हमेशा स्वस्थ रहें।