निम्न रक्तचाप
निम्न रक्तचाप की बीमारी के लिए दवा :- निम्न रक्तचाप की बीमारी के लिए सबसे अच्छी दवा है गुड। ये गुड पानी में मिलाकर, नमक डालकर, नीबू का रस मिलाकर पिलो । एक ग्लास पानी में 25 ग्राम गुड, थोडा नमक नीबू का रस मिलाकर दिन में दो तीन बार पिने से लो रक्तचाप सबसे जल्दी ठीक होगा । और एक अच्छी दवा है ..अगर आपके पास थोड़े पैसे है तो रोज अनार का रस पियो नमक डालकर इससे बहुत जल्दी लो रक्तचाप ठीक हो जाती है, गन्ने का रस पीये नमक डालकर ये भी लो रक्तचाप ठीक कर देता है, संतरे का रस नमक डाल के पियो ये भी लो रक्तचाप ठीक कर देता है, अनन्नास का रस पीये नमक डाल कर ये भी लो रक्तचाप ठीक कर देता है । निम्न रक्तचाप के लिए और एक बढिया दवा है मिस्री और मख्खन मिलाकरे खाओ – ये निम्न रक्तचाप की सबसे अच्छी दवा है । निम्न रक्तचाप के लिए और एक बढिया दवा है दूध में घी मिलाकर पियो, एक ग्लास देशी गाय का दूध और एक चम्मच देशी गाय की घी मिलाकर रात को पीने से निम्न रक्तचाप बहुत अच्छे से ठीक होगा । और एक अच्छी दवा है निम्न रक्तचाप की और सबसे सस्ता भी वो है नमक का पानी पियो दिन में दो तीन बार, जो गरीब लोग है ये उनके लिए सबसे अच्छा है ।
लो बीपी की छुट्टी करदेंगे यह घरेलू उपाय
लो ब्लड प्रेशर के कारण :
1) इस रोग के मुख्य कारणों में दुर्बलता, अधिक उपवास, पौष्टिक भोज्य पदार्थों तथा जल की कमी है |
2) शारीरिक व मानसिक परिश्रम की अधिकता, यक्ष्मा, मानसिक आघात, शरीर से अधिक रक्त बह जाना आदि हैं।
3) लो ब्लड प्रेशर विटामिन बी तथा सी की कमी के कारण भी हो जाता है।
4) गुर्दे तथा आंते पूरी तरह सक्षम न रहने से भी यह रोग सिर उठाने लगता है।
5) यह जीवन से रूखापन तथा परिवारिक संबंधों में आत्मीयता की कमी हो जाने से भी हो जाता है।
6) जो जीवन में निराश रहने लगे, अपने लक्ष्य में बार-बार असफल होता रहे, उसे भी निम्न रक्तचाप की तकलीफ हो सकती है।
लो ब्लड प्रेशर(लो बीपी) के लक्षण
1) इस रोग में रोगी की नब्ज धीमी और छोटी हो जाती है।
2) रोगी थोड़ा सा परिश्रम करने से ही थक जाता है और उसे गश (चक्कर) आ जाता है।
3) रोगी का श्वास फूलने लगता है|
4) रक्त भार मापक यन्त्र द्वारा देखने पर रक्त चाप 110 से 30 तक हो जाता है। उचित चिकित्सा से जीवन आराम से कट जाता है,
5) रोग पुराना होने पर सदैव सिरदर्द बना रहता है तथा सिर चकराता रहता है।
6) काम में मन नहीं लगता। सब-कुछ छोड़ देने को मन करता है।
7) थोड़ी सी मेहनत से भी चिड़चिड़ा पन होना
8) याददाश्त की कमी |
9) इस रोग के रोगी का आलस्य, अनुत्साह, शरीर का दुर्बल होना प्रमुख लक्षण होते हैं।
10) मानसिक अवसाद|
लो बीपी के घरेलू उपाय /उपचार :
रोग का मूल कारण दूर करें तथा कब्ज न होने दें। हृदय, जिगर, तिल्ली तथा आँतों को स्वस्थ रखें, मनोविकारों से बचें।
1) 5-8 गुरबंदी बादाम व 3-4 काली मिर्ची को पीसकर एक चम्मच देसी घी में भूनें। जब भून कर लाल हो जाए तो ऊपर से 7-8 किशमिश भी घी में छोड़ दें। ऊपर से लगभग 400 ग्राम दूध बरतन में डाल दें। दस-पन्द्रह मिनट उबलने के बाद उतार लें। गुनगुना रह जाए तो पहले काली मिर्च, बादाम व किशमिश खूब चबाकर खाएं, ऊपर से दूध पी लें। यह प्रयोग सुबह-शाम करें। पहले दिन से ही रक्तचाप सामान्य होना शुरू हो जाएगा।
2) ताजा चुकंदर का रस भी बड़ा लाभकारी रहता है। एक छोटा गिलास चुकंदर का ताजा रस प्रात: और इतना ही सायं के समय पिएं। 10 दिनों तक पीने से आप इस रोग से बच जाएंगे।
3) संतरे का रस नमक डालकर पीने से लाभ करता है।
4) आधा कप पानी में आंवले का रस तथा नमक डालकर पीने से निम्न रक्तचाप ठीक हो जाता है।
5) निम्न रक्तचाप को पौष्टिक आहार लेना चाहिए। दूध, दही, मट्ठा,मक्खन, घी आदि जितना आसानी से पचा सके, सेवन करें।
6) निम्न रक्तचाप में नमक की मात्रा सामान्य से बढ़ा दें। फायदा होगा।
7) निम्न रक्तचाप में नीबू-पानी भी लाभ देता है। दिन में तीन बार एक-एक गिलास नमक मिला नीबू-पानी पीना चाहिए। रोग काबू में रहेगा।
8) मट्ठा बड़ा उपयोगी रहता है। एक भरा हुआ गिलास प्रात: और एक दोपहर बाद पीना शुरू करें। दो सप्ताह से ही इस रोग के लक्षण खत्म होने लग जाएंगे।
9) आंवलों का रस और शहद दो-दो चम्मच मिलाकर सुबह शाम चाटें
10) 15-20 तुलसी की पत्तियों का रस व एक चम्मच शहद, एक कटोरी दही में मिलाकर लें।
11) टमाटर, अंगूर, पालक, गाजर, संतरा, चुकंदर का प्रयोग करें।
लो ब्लड प्रेशर की आयुर्वेदिक दवा / उपचार :
- लौह भस्म, नवायस लौह, पुनर्नवा मंडूर; लोहासव, अभ्रक भस्म, हीरा भस्म आदि का प्रयोग निम्न रक्तचाप की चिकित्सा हेतू किया जा सकता है।
लो ब्लड प्रेशर में क्या खाएं :
1) हृदय की अधिक कमजोरी के लिए पौष्टिक तथा लघुपाकी आहार दें।
2) कोमल शैय्या इस्तेमाल करायें तथा रोगी को पूर्ण विश्राम हेतु निर्देशित करें।
3) रोग ठीक होने के बाद शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हेतु हल्के व्यायाम, सुबह की सैर तथा महा नारायण तैल की सम्पूर्ण शरीर पर मालिश कराना अतीव गुणकारी है।
लो ब्लड प्रेशर होने पर क्या नहीं खाएं
1) अधिक तला हुआ, मसालेदार भोजन ना करे।
2) ज्यादा समय तक धूप में रहना आपके लिए हानिकारक हो सकता ही इससे बचें।
3) चाय या कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए।
4) एक बार में भरपेट भोजन ना करे, थोड़े-थोड़े अंतराल में भोजन करे।
5) अधिक परिश्रम से बचें ।
प्राणायाम :-
1) भ्रामरी, 2) शशकासन, 3) ॐ उच्चारण , 4) लम्बी श्वास प्राणायाम (उज्जायी) 5) सूर्य नमस्कार !
प्रात: का भोजन :-
1) भीगा चना, टमाटर, ककड़ी सेंधा नमक के साथ
2) नर्इ मूली + सेंधा नमक मिलाकर खाना
3) परवल , मूंग, कुलत्थ की भाजी
4) पुराने चावल का प्रयोग
शाम का भोजन :- मूंग + चावल की खिचड़ी (सेंधा नमक) डालकर !
पथ्य :- पुराना चावल, गेहूँ, आम, अनार, सेंधा नमक, केला, प्रात: काल नंगे पैर घाँस पर घूमना ।
अपथ्य :- ज्यादा तनाव, वेग धारण, मैदे वाले सभी पदार्थ।
रोग मुक्ति के लिये आवश्यक नियम :
पानी के सामान्य नियम :
१) सुबह बिना मंजन/कुल्ला किये दो गिलास गुनगुना पानी पिएं ।
२) पानी हमेशा बैठकर घूँट-घूँट कर के पियें ।
३) भोजन करते समय एक घूँट से अधिक पानी कदापि ना पियें, भोजन समाप्त होने के डेढ़ घण्टे बाद पानी अवश्य पियें ।
४) पानी हमेशा गुनगुना या सादा ही पियें (ठंडा पानी का प्रयोग कभी भी ना करें।
भोजन के सामान्य नियम :
१) सूर्योदय के दो घंटे के अंदर सुबह का भोजन और सूर्यास्त के एक घंटे पहले का भोजन अवश्य कर लें ।
२) यदि दोपहर को भूख लगे तो १२ से २ बीच में अल्पाहार कर लें, उदाहरण – मूंग की खिचड़ी, सलाद, फल और छांछ ।
३) सुबह दही व फल दोपहर को छांछ और सूर्यास्त के पश्चात दूध हितकर है ।
४) भोजन अच्छी तरह चबाकर खाएं और दिन में ३ बार से अधिक ना खाएं ।
अन्य आवश्यक नियम :
१) मिट्टी के बर्तन/हांडी मे बनाया भोजन स्वस्थ्य के लिये सर्वश्रेष्ठ है ।
२) किसी भी प्रकार का रिफाइंड तेल और सोयाबीन, कपास, सूर्यमुखी, पाम, राईस ब्रॉन और वनस्पति घी का प्रयोग विषतुल्य है । उसके स्थान पर मूंगफली, तिल, सरसो व नारियल के घानी वाले तेल का ही प्रयोग करें ।
३) चीनी/शक्कर का प्रयोग ना करें, उसके स्थान पर गुड़ या धागे वाली मिश्री (खड़ी शक्कर) का प्रयोग करें ।
४) आयोडीन युक्त नमक से नपुंसकता होती है इसलिए उसके स्थान पर सेंधा नमक या ढेले वाले नमक प्रयोग करें ।
५) मैदे का प्रयोग शरीर के लिये हानिकारक है इसलिए इसका प्रयोग ना करें ।