टी.बी. की बीमारी के लिये
पहला प्रयोगः
घी-मिश्री के साथ बकरी के दूध का सेवन करने से, स्वर्णमालती तथा च्यवनप्राश के सेवन करने से क्षय रोग में लाभ होता है।
दूसरा प्रयोगः
अडूसे के पत्तों के 10 से 50 मि.ली. रस में 9 से 10 ग्राम शहद मिलाकर दिन में दो बार नियमित पीने से क्षय में लाभ होता है।
फेफड़ों का क्षय
लहसुन के ताजे रस में रूई डुबोकर नाक पर बाँध दें ताकि अंदर जानेवाली श्वास के साथ मिलकर वह रस फेफड़ों तक पहुँचे।
लहसुन का रस सूख जाने पर बार-बार रस छींटकर रूई को गीला रखना चाहिए। ऐसा करने से फेफड़ों का क्षय मिटता..
क्षय रोग में बकरी का दूध, चावल,मूँग की खिचड़ी परमल आदि का सेवन करें..
दमा
श्लेष्मीय, दुर्बल व्यक्ति जिनके फेफड़े श्लेष्मा से भरे रहते हैं और सांस लेना कठिन होता है।
उनको दो चम्मच प्याज का रस या एक प्याज को कूट – कूटकर गूदा बना कर,
इसे दो चम्मच शहद में मिलाकर देना एक पुराना नुस्खा है।
दमा और फेफड़े के रोग शहद सेवन करने से दूर होते हैं। शहद फेफड़ो को ताकत देता है।
खांसी, गले की खुश्की तथा स्नायु कष्ट दूर करता है। छाती की घ….र…र..घरर दूर होती है।