क्या कोई चौदह लाख योनियों के नाम बता सकता है?
हिन्दू धर्म में धर्मग्रंथो की मान्यता के अनुसार जीवात्मा 84 लाख योनियों में भटकने के बाद मनुष्य जन्म पाती है। 84 लाख योनियां निम्नानुसार मानी गई हैं। यह मनुष्य जीवन अनमोल है जिसमे भक्ति विवेक से मनुष्य इन योनियों के बंधन से छुटकारा पा कर मोक्ष प्राप्त कर सकता है | मनुष्य को अपने इस जीवन में मानवीय , नैतिक और आध्यातिमिक जीवन पर निर्वाह करके प्रभु भक्ति में जीवन यापन करना चाहिए |
कौन कौन सी है यह 84 लाख योनियां :
पदम् पुराण में हमें एक श्लोक मिलता है जो इस धरती पर जलचर, नभचर , स्थलचर एककोशिकीय, बहुकोशिकीय, और अन्य कोटि के जीव जंतु की संख्या बतायी गयी है।
श्लोक इस तरह है।
जलज नव लक्षाणी, स्थावर लक्ष विम्शति, कृमयो रूद्र संख्यकः
अर्थ : पानी के जीव जंतु 9 लाख , स्थिर प्राणी यानि पेड़ 20 लाख ,11 लाख सर्प समान जहरीले
पक्षिणाम दश लक्षणं, त्रिन्शल लक्षानी पशवः, चतुर लक्षाणी मानवः
अर्थ : पक्षी 10 लाख, पशु स्थल वाले 30 लाख और 4 लाख मनुष्य समान प्राणी ,
जलीय जीव – 9 लाख
स्थिर पेड़ पोधे – 20 लाख
सरीसृप/कृमी/कीड़े-मकोड़े – 11 लाख
नभचर– 10 लाख
स्थलीय/थलचर – 30 लाख
मानवीय नस्ल के बन्दर वनमानुष आदि – 4 लाख
कुल प्रजातिया = 84 लाख योनियां ।
आधुनिक विज्ञान का मत : हमारे वैज्ञानिक अभी तक 13 लाख जीवो की खोज कर चुके है और अभी भी उनका शोध चालू है | हर साल उनकी शोध में नए नए जीव सामने आ रहे है | हमारे पुराणों ने कई युगों पहले ही जो बात बता दी थी , उस बात के करीब धीरे धीरे वैज्ञानिक और खोजकर्ता पहुँच रहे है |
प्राचीन भारत में विज्ञान और शिल्प’ ग्रंथ में शरीर रचना के आधार पर प्राणियों का वर्गीकरण किया गया है जिसके अनुसार,
1- एक शफ (एक खुर वाले पशु)- खर (गधा), अश्व (घोड़ा), अश्वतर (खच्चर), गौर (एक प्रकार की भैंस), हिरण इत्यादि।
2- द्विशफ (दो खुर वाले पशु)- गाय, बकरी, भैंस, कृष्ण मृग आदि।
3- पंच अंगुल (पांच अंगुली) नखों (पंजों) वाले पशु- सिंह, व्याघ्र, गज, भालू, श्वान (कुत्ता), श्रृंगाल आदि।
इस प्रकार शास्त्रों में कुल 84 लाख योनियों का वर्णन मिलता है।