🌹क्या होते हैं पाप और पुण्य? यहां जानिए 10 पाप और 10 पुण्य🌹
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⭕जानिए क्या है 10 पुण्य और 10 पाप
हिंदू धर्मग्रंथ वेदों का संक्षिप्त है उपनिषद और उपनिषद का संक्षिप्त है गीता। स्मृतियां उक्त तीनों की व्यवस्था और ज्ञान संबंधी बातों को क्रमश: और स्पष्ट तौर से समझाती है। पुराण, रामायण और महाभारत हिंदुओं का प्राचीन इतिहास है धर्मग्रंथ नहीं।
विद्वान कहते हैं कि जीवन को ढालना चाहिए धर्मग्रंथ अनुसार। यहां प्रस्तुत है धर्म अनुसार प्रमुख दस पुण्य और दस पाप। इन्हें जानकर और इन पर अमल करके कोई भी व्यक्त अपने जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है।
🚩धृति: क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रह:।
धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम् ॥-मनु स्मृति 6/92
⚜️दस पुण्य कर्म-
🚩1. धृति- हर परिस्थिति में धैर्य बनाए रखना।
🚩2. क्षमा- बदला न लेना, क्रोध का कारण होने पर भी क्रोध न करना।
🚩3. दम- उदंड न होना।
🚩4. अस्तेय- दूसरे की वस्तु हथियाने का विचार न करना।
🚩5. शौच- आहार की शुद्धता। शरीर की शुद्धता।
🚩6. इंद्रियनिग्रह- इंद्रियों को विषयों (कामनाओं) में लिप्त न होने देना।
🚩7. धी- किसी बात को भलीभांति समझना।
🚩8. विद्या- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का ज्ञान।
🚩9. सत्य- झूठ और अहितकारी वचन न बोलना।
🚩10. अक्रोध- क्षमा के बाद भी कोई अपमान करें तो भी क्रोध न करना।
⚜️दस पाप कर्म-
🚩1. दूसरों का धन हड़पने की इच्छा।
🚩2. निषिद्ध कर्म (मन जिन्हें करने से मना करें) करने का प्रयास।
🚩3. देह को ही सब कुछ मानना।
🚩4. कठोर वचन बोलना।
🚩5. झूठ बोलना।
🚩6. निंदा करना।
🚩7. बकवास (बिना कारण बोलते रहना)।
🚩8. चोरी करना।
🚩9. तन, मन, कर्म से किसी को दु:ख देना।
🚩10. पर-स्त्री या पुरुष से संबंध बनाना।
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