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बवासीर होने के कारण, लक्षण और अचूक आयुर्वेदिक इलाज

बवासीर एक ऐसी बीमारी है. जिसमें बहुत ज्यादा कष्ट से गुजरना पड़ता है. बवासीर को अंग्रेजी में पाइल्स कहा जाता है. जिस इंसान को यह रोग हो जाता है. वह न तो आराम से बैठ पाता है और न ही ज्यादा चल फिर पाता है.



बवासीर दो प्रकार की होती है. एक खूनी बवासीर और दूसरा बादी बवासीर. 

हालांकि हमारे शरीर में जितनी भी बीमारियां होती है. उन्हें व्यक्ति खुद ही निमंत्रण देता है. चाहे खानपान की वजह से हो या अन्य कारणों की वजह से हो बवासीर चाहे किसी भी व्यक्ति को वादी हो या फिर खूनी इसकी उत्पत्ति का सबसे मुख्य कारण है. पेट की गड़बड़ी होना. ऐसे बहुत से लोग होते हैं. जिन्हें कब्ज की समस्या बनी रहती है. उन्हें इस छोटी सी समस्या की वजह से आने वाले समय में बवासीर यानी पाइल्स का सामना करना पड़ता.

कब्ज का सबसे बड़ा कारण है. समय पर भोजन न करने, मौसम और ऋतु के अनुसार से भोजन न करने, ज्यादा मिर्च मसालेदार चीजों का सेवन करना, बहुत ज्यादा अनियमित रूप से मांसाहार करना भी कब्ज की उत्पत्ति का कारण बनता है.

इसी कब्ज की समस्या से व्यक्ति का पेट साफ नहीं होता है. जिसकी वजह से उसके पेट में ही मल सड़ता रहता है जो धीरे-धीरे सूखने लगता है. जिसके कारण व्यक्ति को पेट में दर्द और पेट फूलने की समस्या भी उत्पन्न होती है.

बवासीर है क्या ?

जब भी ऐसा व्यक्ति जिसके पेट में मल सूख गया हो. वह मल विसर्जन करते समय अत्यधिक जोर लगाता है. जिससे मल निकल जाए. इसी दबाव की वजह से मल त्याग करने वाली जगह या मलद्वार की जगह की स्किन सूज जाती है और वहां घाव बनना शुरू हो जाता है.

ऐसी ही स्थिति अधिक समय तक बनी रहने की वजह से वह जख्म मस्से में परिवर्तित हो जाता है. जिसे बवासीर का मस्सा कहा जाता है. जब किसी व्यक्ति के गुदाद्वार में मस्से हो जाते हैं तो मल त्याग करते समय कुछ मस्से बाहर निकल आते हैं और कुछ मस्से खुद ही मल विसर्जन के बाद अंदर चले जाते हैं. लेकिन कुछ दिनों बाद यह सभी मस्से अस्थाई रूप से गुदाद्वार के बाहर निकल आते हैं. फिर अंदर नहीं जाते हैं.

यही मस्से मल त्याग करने पर रगड़ने लगते हैं. जिसकी वजह से इस में सूजन आ जाती है और कुछ मस्से सूज कर बड़े हो जाते हैं. जिसके बाद इसमें बहुत तेज जलन होने लगती है. जिससे रोगी हमेशा दर्द से बेचैन रहने लगता है. यदि मस्से का इलाज सही समय पर नहीं किया गया तो इन मस्सों से खून निकलने लगता है. जो आगे चलकर खूनी बवासीर रोग बन जाता है.

यदि खूनी बवासीर का इलाज भी सही समय पर न लिया जाए तो रोगी के शरीर से अत्यधिक ब्लड निकल जाने की वजह से उनके शरीर में खून की कमी हो जाती है और एनीमिया की समस्या हो सकती है. इसमें शरीर का रंग पीला दिखाई देने लगता है. रोगी का शरीर बहुत कमजोर होता चला जाता है. जिसकी वजह से उठने- बैठने या चलने पर आंखों के आगे अंधेरा छाने लगता है.

बवासीर होने के कारण-

वैसे तो बवासीर रोग के बहुत से कारण होते हैं. लेकिन कुछ प्रमुख कारण है. जिसके बारे में बताने की कोशिश करेंगे.

  • नियमित समय पर भोजन ना करना, शराब, प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना, यूरिन से संबंधित बीमारी और मूत्राशय में पथरी की शिकायत होने की वजह से भी बवासीर रोग की उत्पत्ति होती है.
  • यदि कोई व्यक्ति ज्यादा चाय, कॉफी का सेवन करता है तो उसे हमेशा कब्ज की समस्या बनी रहती है जो बवासीर का कारण बनता है.
  • अधिक गर्म मसाले, चटनी या रायता जैसी चीजों का ज्यादा सेवन करने से भी बवासीर की शिकायत हो सकती है.
  • यदि कोई व्यक्ति दूध का सेवन करने के बाद मांसाहार सेवन करता है तो बवासीर की समस्या हो सकती है.
  • यदि कोई व्यक्ति पर्याप्त भोजन का सेवन नहीं करता है तो भी बवासीर की समस्या हो सकती है.

 * यदि कोई व्यक्ति ज्यादा धूम्रपान और गुटखा, सुपारी का सेवन करता है तो बवासीर होने की संभावना अधिक हो जाती है.

  • ऐसी महिलाएं जो कई बार शिशु को जन्म दे चुकी है. उन्हें बवासीर रोग या अर्श रोग की समस्या उत्पन्न हो सकती है. कई महिलाओं में तो गर्भावस्था में बवासीर की शिकायत हो जाती है जो प्रसव के बाद स्वतः ही ठीक हो जाती है.
  • यदि कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा शारीरिक संबंध बनाता है तो भी बवासीर होने की संभावना अधिक हो जाती है.

खूनी बवासीर के लक्षण-

  • खूनी बवासीर रोग में रोगी के गुदा से कभी-कभी खून निकलने लगता है. जिससे वह मानसिक रूप से कष्ट होता है.
  • रोगी की गुदा से अनचाहे समय पर भी आप बैठे- बैठे ही या चलते- फिरते ही खून निकलने की वजह से उसके कपड़े खराब हो जाते हैं.
  • जिस व्यक्ति को खूनी पाइल्स की शिकायत रहती है वह सीधा तन कर बैठ नहीं पाता है और न ही सीधा तन कर चल पाता है.
  • गुदा में बहुत तेज दर्द होता है और कभी-कभी पीड़ा के साथ तेज जलन भी होती है.
  • जिस व्यक्ति को यह बीमारी होती है. वह मल त्याग आसानी से नहीं कर सकता है. उसे मल त्याग करते समय तीव्र दर्द का सामना करना पड़ता है साथ ही खून भी निकल आता है.
  • यदि रोगी को पाद भी आती है तो गैस निष्कासन भी नहीं होता है. जिसके कारण रोगी के पैरों में पीड़ा होती है. और चेहरा फीका पड़ जाता है.

बादी बवासीर के लक्षण-

  • यदि किसी रोगी का इस रोग से पीड़ित है तो उसके मस्से गुदा के अंदर रहते हैं और उसमें किसी प्रकार का खून नहीं निकलता है लेकिन पीड़ा होती है.
  • ऐसे रोगी का मल कठोर होने पर मल त्याग करते समय असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है और मस्से सूज जाते हैं. जिसके कारण उसे जलन के साथ तीव्र खुजली होती है जो अत्यधिक कष्टदायक होती है.
  • ऐसे रोगी का हाथ बार-बार गुदा को खुजलाने की कोशिश करता है. क्योंकि इसमें हमेशा खुजली होती रहती है.

खूनी एवं बादी बवासीर का शर्तिया आयुर्वेदिक इलाज-

1 .कांचनार गुग्गुल-

दो- दो गोली सुबह- शाम ठंडे पानी के साथ.

2 .गंधक रसायन-

1- 1 ग्राम ठंडे पानी के साथ सुबह- शाम.

3 .त्रिफला चूर्ण-

एक चम्मच रात को खाना खाने के बाद गुनगुने पानी के साथ.

यह बादी बवासीर का शर्तिया इलाज है. यदि खूनी बवासीर हो तो इसके साथ लाल फिटकिरी को भूनकर पीसकर पाउडर बना लें. अब गंधक रसायन में आधा ग्राम की मात्रा में मिलाकर सेवन करें. इससे खून आना बंद हो जाता है.

इसके नियमित 3 महीने तक सेवन करने से खूनी एवं बादी बवासीर जड़ से खत्म हो जाता है. यह आजमाया हुआ आयुर्वेदिक उपाय है.

बबासीर का घरेलू उपाय-

  • 10 ग्राम गुलकंद को एक गिलास गर्म दूध के साथ रात को सोते समय सेवन करने से बादी बवासीर में बहुत जल्दी आराम होता है.
  • आधा चम्मच आंवले का चूर्ण गर्म पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से बवासीर रोग जल्दी ठीक हो जाता है.
  • तुलसी के ताजे पत्तियों को पीसकर मस्से पर लेप करने से मस्सा बहुत जल्दी ठीक हो जाते हैं. लेकिन इसका लेप गुदा को गर्म पानी से साफ करने के बाद करना चाहिए.
  • 20 ग्राम नीम की हरी पत्तियां और 20 ग्राम पीपल की हरी पत्तियों को लेकर उन्हें बारीक पीस लीजिए और फिर गुदा मार्ग को गर्म पानी से अच्छी तरह साफ करके इस लेप को लगाएं. इससे मस्से खत्म हो जाते हैं.
  • पका हुआ केला को बीच से फाड़ कर उसमें एक मसूर के बराबर भीमसेनी कपूर को रखकर इसे शीत में रात भर के लिए रख दें और सुबह खाली पेट इसे खा लें. नियमित इसका 7 दिनों तक सेवन करने से किसी भी तरह के बबासीर से छुटकारा मिलता है.

बवासीर में क्या खाएं और क्या ना खाएं-

बवासीर रोग खानपान की लापरवाही के कारण ही होता है. इसलिए इससे बचने के लिए और इसे ठीक करने के लिए खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए. यदि कब्ज की शिकायत बनी रहती है तो इसे दूर करने का उपाय तुरंत करना चाहिए. ताकि बबासीर की समस्या उत्पन्न ना हो.

  • बवासीर से ग्रसित व्यक्ति के लिए मिर्च, मसालेदार भोजन का सेवन करना बंद कर देना चाहिए.
  • बवासीर के रोगी को चाय, कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए.
  • भोजन करने के बाद तुरंत नहीं सोना चाहिए.
  • कभी भी ऐसे रोगी को मूत्र को ज्यादा देर तक रोककर नहीं रखना चाहिए.
  • सुबह के समय मॉर्निंग वॉक करना फायदेमंद होता है.
  • मल त्याग करने से 10 मिनट पहले एक गिलास पानी सेवन करना चाहिए.
  • भोजन में हरे शाग, सब्जियों को नियमित शामिल करना चाहिए.
  • बवासीर के रोगी को प्रतिदिन दोपहर के समय एक गिलास छाछ यानी माठा का सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है.
  • बवासीर रोग को जल्दी ठीक करने के लिए परहेज करना आवश्यक है. इसलिए ऊपर बताए गए परहेज के साथ दवाइयों का सेवन करें बवासीर बहुत जल्दी ठीक हो जाएगा.

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