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गठिया रोग को जड़ से खत्म कर देगी यह चाय*

आजकल लोग कई तरह की हैल्थ प्रॉब्लम से परेशान हैं। उन्ही में से एक है गठिए की समस्या। इस प्रॉब्लम के कारण इंसान को लंबे समय तक जोड़ों के दर्द से परेशान रहना पड़ता है। जब शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है तो गठिया की समस्या होने लगती है। यूरिक एसिड कई प्रकार के आहारों को लेने से होता है। गठिया रोग होने पर जोड़ों में सूजन दिखाई देने लगती है। इसके साथ ही चलने-फिरने या हिलने-डुलने में भी परेशानी होने लगती हैं। इस समस्या से राहत पाने के लिए लोग कई तरह की दवाईयों की इस्तेमाल करते हैं। मगर फिर भी कोई फायदा नहीं होता। एेसे में आज हम आपको एक खास नुस्खा बताएंगे तो हमेशा के लिए इस रोग से छुटकारा दिलाने का काम करेगा। वह नुस्खा है पपीते की चाय।

पपीते की चाय गठिया रोग में बहुत ही हैल्पफूल है। इसे नियमित पीने से गठिया के दर्द से भी राहत मिलती है और हड्डियां भी मजबूत होती हैं। आज हम आपको पपीते की चाय बनाने का तरीका बताएंगे। तो आइए जानते हैं कैसे पपीते की चाय बनाकर पी सकते हैं।

चाय बनाने के लिए सामग्री

▪750 मिलीग्राम पानी
▪180 ग्राम कच्चा पपीते के टुकड़ें
▪2 ग्रीन टी बैग

🔸 पपीते की चाय बनाने की विधि

पपीते की चाय बनाने के सबसे पहले हरा पपीते को छोट-छोटे टुकड़ों में काट लें। फिर इन टुकड़ो को धीमी आंच पर पकने के लिए रख दें। जब पानी में उबाले आने लगें तो इसको बंद कर दें। तकरीबन 10 मिनट के लिए इस पानी को ठंडा होने दें। पानी ठंडा हो जाए तो पपीते के टुकड़ों को अलग कर लें। अब इस पानी में ग्रीन टी बैग डालकर 3 मिनट के लिए एेसे ही रहने दें। जब चाय पीने का मन करे पपीते वाली चाय पीएं। कुछ दिनों तक एेसा करने से गठिया की समस्या से राहत मिलेगी।

🔹 पपीते की चाय पीने के फायदे

गठिया के दर्द से राहत मिलने के साथ ही इस चाय को पीने से शरीर के बाकि हिस्सों की सूजन भी कम होती है। ये चाय पाचन तंत्र को मजबूत रखने काम भी करती है। इसके अलावा यह चाय बॉडी को डिटॉक्स करने में भी सहायक।
🏵 क्यां होता है आमवात (Rhumetoid Arthritist) आैर क्यां है उनकां आयुर्वेदिक इलाज

आयुर्वेद मे इस रोग को आमवात से जानां जातां है | आैर आधुनिक विग्यान इस रोग को रुमेटाइड आर्थराइटीस से जानां जातां है | यह रोग का मूल कारन कच्चा “आम” है | आम का मतलब होतां है | हमारे शरीरका वह चिकनां पदार्थ जो अपक्व मतलब की जिसका पाचन नही हुवां जिसके कारन वह “आम”बनतां है | इस आम को ही यह आमवात का मुख्य कारन मानां गया है | इस रोग मे वायु की प्रधानतां वं आम की प्रधानतां रहती है | आैर वायुनाशक पदार्थ वं आमनाशक पदार्थ वं खुराक का सेवन करके इस रोग पर कन्ट्रोल पाया जा सकतां है |

® आमवात के लक्षण ®
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❇ सुबह से ही जोइन्टस जकडना शुरु हो जाते है |
❇ कोइ भी एक जोइन्टस पर सुजन( Swelling) अा जाती है |
❇ शरीरमे १ जोइन्टसमे जकडन होने के ३ महिने के भीतर दूसरां जोइन्टस भी धीरे धीरे जकडने लगतां है |
❇ धुंटनो मे असह्य दर्द होतां है आैर धुंटने मे पानी भरा हे वैसा फील होतां है |
❇ यह रोग की शरुआत मे रोगी को बुखार भी आ सकतां है |
❇ इसकी जांच करवाने पर R.A. Factor पोजिटीव आतां है
❇ आयुर्वेदानुसार “वृश्चिक दंशवत वेदनां ” अर्थात बिच्छू के दंश की वेदनां समान होतां है |

आमवात आैर आधुनिक एलोपैथी विग्यान
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आधुनिक विग्यानमे एलोपैथ की जांच हो सकती है लेकीन आज भी ऐलोपैथी विग्यान इस रोग के सामने फैल साबित हो रहां है | सिर्फ ऐलोपैथी मे दर्द निवारक दवाइयां वं स्टीराइड खिलाकर इस रोग को दबा सकतां है लेकीन आयुर्वेद, युनानी, होमियोपैथी आैर नेचरोपैथी मे इसका सटिक इलाज होतां है | तो अगर आपको इस रोग से भयमुक्त होनां है आैर सही इलाज चाहते है तो आयुर्वेद की शरण मे जाइये क्योकी यह वातरोग है जिसका आयुर्वेद से इलाज संभव है |

आमवात आैर उसकी आयुर्वेदिक चिकित्सा
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✳ गोखरु काढ़ा ३-३ चम्मच मिक्स करके सुबह शाम खाने के ३० मिनिट बाद सेवन करीए |
✳ सिंहनाद गुगुल २-२ गोली सुबह शाम खाने के बाद सेवन करीए |
✳ लशुनादी वटी २-२-२ गोली तीने समय खाने के बाद गुनगुने पानी से लिजिए |
✳ चिंचाभल्लांतक वटी २-२ गोली सुबह शाम दूध के साथ खाने के बाद सेवन करीए |
✳ दशांग लैप को पानी मे मिलाकर गरम करके दिनमे १ बार लैप लगा सकते है |
✳ एलारसीन आर.कम्पाउन्ड , हिमाल्या की रुमालीयां फोर्ट धन्वंतरी की रुमोन केप्सुल वगेरह इसकी पेटन्ट दवाइयां भी इस रोग मे कारगर है |

आमवात आैर खानपान मे परहेज
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▪इस रोग मे एरण्डीका तैल रात को १ चम्मच जरुर सेवन करनां चाहिए |
▪मेंदे से बनी चिजे, बेकरी आइटम, दूध से बनी चिजे, दही, इमली, टमाटर, आलू वगेरह चिजे बंध करनी है |
▪सौंठ १ चम्मच + २ लीटर पानी मे उबालकर ठंडा होने पर बोटल मे भरकर वही पानी दिनभर पीनां है |
: जुकाम, खांसी

काली मिर्च और बताशे पानी मे औटा कर गरमागरम पीने से जुकाम, खांसी, हल्की हरारत, और देह का दर्द में आराम आता है और पसीना आकर शरीर फूल सा हो जाता है । एक व्यक्ति आराम से 10 से 15 काली मिर्च 4से5 बतासे को एक गिलास पानी मे उबाले व चौथाई बचने पर पिलाये बच्चे की और बूड़ो की खुराक अपने हिसाब से कम कर ले ।
या
सोंठ या बतासे का काढ़ा पिये जुकाम व छाती का दर्द भी ठीक होता है

या
काली मिर्चो का पिसा छना चूर्ण शहद से चाटे।

या
लोंग भूनकर मिश्री की चाशनी में मिला कर चाटे।

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