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🌷🍃ओ३म् नमस्ते जी 🌷🍃
🌷🍃आपका दिन शुभ हो 🌷🍃

दिनांक – – २८ दिसम्बर २०१८
दिन – – शुक्रवार
तिथि – – सप्तमी
नक्षत्र – – पूर्वाफाल्गुनी
पक्ष – – कृष्ण
माह – – पौष
ऋतु – – शिशिर
सूर्य – – उत्तरायण
सृष्टि संवत – – १,९६,०८,५३,११९
कलयुगाब्द – – ५११९
विक्रम संवत – – २०७५
शक संवत – – १९४०
दयानंदाब्द – – १९५

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🌷प्रश्न :- स्थूल शरीर , सूक्ष्म शरीर ,कारण शरीर क्या होते हैं? ये किन – किन तत्त्वों से बनें है ?

💐 उत्तर :- स्थूल शरीर अर्थात् भौतिक शरीर पंञ्चमहाभूतों अर्थात् पृथ्वी- जल- अग्नि- वायु- और आकाश तत्त्वों से बना है। कारण शरीर जिसमें सुषुप्ति-सी अवस्था होती है , इन सबके लिए एक सा होता है और सर्वत्र विभु और उसका गोलक एक- सा होता है।

  सूक्ष्म शरीर में सत्रह तत्व होते है - पाँच प्राण + पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ + सूक्ष्म भूत अर्थात् पाँच तन्मात्राएं ( शब्द, स्पर्श, रूप, रस , गन्ध  ) + मन + बुद्धि।  इन सत्रह तत्त्वों के समुदाय को को ही सूक्ष्म शरीर कहते हैं। यह सूक्ष्म शरीर आत्मा के साथ मुक्ति तक रहता है। मुक्ति होने पर यह शरीर छूट जाता है। मृत्यु होने पर भौतिक अर्थात् स्थूल शरीर का नाश होता है, प्रन्तु सूक्ष्म शरीर जीवात्मा के साथ चला जाता है। 

  यस्मिन् वृक्षे सुपलाशे, देवै: संपिबते यम: ( ऋग्वेद १०\१३५\१ )

अर्थात् इस शरीर रुपी वृक्ष पर जीवात्मा इन्द्रियों के साथ रसों का पान करता है। 

 सूक्ष्म शरीर में पांच प्राण है , वे इस प्रकार है  - प्राण, अपान, व्यान, समान, और उदान।पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ है - नासिका, जिह्वा, नेत्र, त्वचा और श्रोत्र।पाँच सूक्ष्मभूत जिन्हें तन्मात्राएं कहते है वे इस प्रकार है  - गंध, रस, रूप, स्पर्श, और शब्द। एक मन और एक बुद्धि, इन सत्रह तत्त्वों के समुदाय को को ही सूक्ष्म शरीर कहते हैं।

  एक चौथा शरीर भी है  जिसमें समाधि- अवस्था में परमात्मा के आनन्दस्वरूप में जीवात्मा रहता है। यह आनन्द भरी अवस्था रहती है; वह तुरीय शरीर होता है। 

  जीव इन तीनों,चारों शरीर से अलग है जिसे जीवात्मा या आत्मा भी कहते हैं। इस आत्मा के होने से ही यह शरीर कार्य कर सकता है और इसके जुदा होने से यह शरीर निष्क्रिय हो जाता है। फिर उस निष्क्रिय शरीर का कोई उपयोग नही होता है उसे जला दिया जाता है। याद रहे, केवल भौतिक शरीर ही जलता है आत्मा  अजर- अमर - नित्य है, उसकी कभी मौत नही होती। 

  कारण शरीर में सूक्ष्म प्राण + चित्त + स्वयं जीव + प्रकृति + स्वयं ब्रह्म है। 

    तुरीय शरीर समाधि- अवस्था में ईश्वर के आनन्द का अनुभव करता है 

  सूक्ष्म शरीर के १७ तत्त्व और कारण शरीर के ६ तत्त्व मिलकर सूक्ष्म शरीर के ही नाम से व्यवहार में आते हैं। 

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💐🙏आज का वेद मंत्र 💐🙏

🌷 ओ३म् भद्रं कर्णेभि:श्रृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्रा:।स्थिरैरड्गैस्तुष्टुवां सस्तनूभिर्व्यशेमहि देवहितं यदायु:( यजुर्वेद १५\२१ )

🌷 हे दिव्य गुणयुक्त सृष्टिकर्ता देवेश्वर! आप की कृपा से कानों द्वारा हम सदैव भद्र- कल्याण को ही सुनें, अकल्याण की बात भी हम कभी न सुने।हे यज्ञनीश्वर! ।हम आखों से सदा शुभ देखें। हे जगदीश! हमारे सब अंग उपागं सदा दृढ़ और स्थिर बनें रहे जिससे हम लोग स्थिरता से आपकी स्तुति करते हुए सदा आपकी आज्ञा का पालन करते रहे।

🌷🍃🌷🍃ओ३म् सुदिनम् 🌷🍃🌷🍃ओ३म् सुप्रभातम् 🌷🍃🌷🍃ओ३म् सर्वेभ्यों नमः

💐🙏💐🙏कृण्वन्तो विश्वमार्यम 💐🙏💐🙏जय आर्यावर्त 💐🙏💐🙏जय भारत

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