||जानियें, क्या होती है -#अक्षौहिणी_सेना ||
हम में से अधिकतर लोगों ने अक्षौहिणी सेना के सम्बन्ध में महाभारत में ही
सुना है। आइये विस्तार से जानतें हैं कि अक्षौहिणी सेना का अर्थ क्या है
और प्राचीन काल में इसका निर्माण कैसे होता था ।
अक्षौहिणी प्राचीन भारत में सेना का माप एक हुआ करता था जिसका संक्षिप्त
विवरण इस प्रकार है :-
- किसी भी अक्षौहिणी सेना के चार विभाग होते थे:
- गज (हाँथी सवार)
- रथ (रथी)
- घोड़े (घुड़सवार)
- सैनिक (पैदल सिपाही)
इसके प्रत्येक भाग की संख्या के अंकों का कुल जमा 18 आता है। एक घोडे पर
एक सवार बैठा होगा. हाथी पर कम से कम दो व्यक्तियों का होना आवश्यक है,
एक पीलवान और दूसरा लडने वाला योद्धा। इसी प्रकार एक रथ में दो मनुष्य और
चार घोडे रहे होंगें ।
- एक अक्षौहिणी सेना 9भागों में बटी होती थी:
- पत्ती: 1 गज + 1 रथ + 3 घोड़े + 5 पैदल सिपाही ।
- सेनामुख (3 x पत्ती): 3 गज + 3 रथ + 9 घोड़े + 15 पैदल सिपाही ।
- गुल्म (3 x सेनामुख): 9 गज + 9 रथ + 27 घोड़े + 45 पैदल सिपाही ।
- गण (3 x गुल्म): 27 गज + 27 रथ + 81 घोड़े + 135 पैदल सिपाही ।
- वाहिनी (3 x गण): 81 गज + 81 रथ + 243 घोड़े + 405 पैदल सिपाही ।
- पृतना (3 x वाहिनी): 243 गज + 243 रथ + 729 घोड़े + 1215 पैदल सिपाही ।
- चमू (3 x पृतना): 729 गज + 729 रथ + 2187 घोड़े + 3645 पैदल सिपाही ।
- अनीकिनी (3 x चमू): 2187 गज + 2187 रथ + 6561 घोड़े + 10935 पैदल सिपाही ।
- अक्षौहिणी (10 x अनीकिनी): 21870 गज + 21870 रथ + 65610 घोड़े +
109350 पैदल सिपाही ।
- इस प्रकार एक अक्षौहिणी सेना में गज, रथ, घुड़सवार तथा सिपाही की सेना
निम्नलिखित होती थी:
- गज: 21870
- रथ: 21870
- घुड़सवार: 65610
- पैदल सिपाही: 109350
- इसमें चारों अंगों के 218700सैनिक बराबर-बराबर बंटे हुए होते थे।
प्रत्येक इकाई का एक प्रमुख होता था ।
पत्ती, सेनामुख, गुल्म तथा गण के नायक अर्धरथी हुआ करते थे ।
वाहिनी, पृतना, चमु और अनीकिनी के नायक रथीहुआ करते थे।
एक अक्षौहिणी सेना का नायक अतिरथीहोता था ।
एक से अधिक अक्षौहिणी सेना का नायक सामान्यतः एक महारथीहुआ करता था ।
पांडवों के पास (7 अक्षौहिणी सेना):
153090 रथ ।
153090 गज ।
459270 अश्व ।
765270 पैदल सैनिक । - कौरवों के पास (11 अक्षौहिणी सेना):
240570 रथ ।
240570 गज ।
721710 घोड़े ।
1202850 पैदल सैनिक ।
इस प्रकार महाभारत की सेना के मनुष्यों की संख्या कम से कम 4681920,
घोडों की संख्या (रथ में जुते हुओं को लगा कर) 2715620 और इसी अनुपात में
गजों की संख्या थी। इससे आप सहज ही अनुमान लगा सकते हैं कि महाभारत का
युद्ध कितना विनाशकारी था ।