क्या होता है ऐस्थमा
यह एक ऐसी अवस्था होती है जिसमें श्वसन मार्ग में किसी प्रकार की रुकावट जैसे सूजन, सिकुड़न या कफ़ आदि आ जाता है। रुकावट के कारण सांस लेने में और कफ़ बाहर निकालने में तकलीफ होने लगती हैं। इसमें सांस फूलने या सांस नहीं आने के दौरे पड़ते हैं, रोगी हवा को तरसता है।
किसको होता है
स्त्री, पुरुष, बच्चे किसी को भी हो सकता है।
प्रकार
ऐस्थमा दो प्रकार का होता है,
बाहरी (Extrinsic)
यह छोटे बच्चों को या किशोरावस्था में होता है। इसके मरीज को बचपन में एक्जिमा (skin-disease) की शिकायत रहती है, परिवार (Family History) में किसी को ऐस्थमा रहता है यानी यह अनुवांशिक होता है। इस प्रकार के ऐस्थमा में अटैक रुक-रुक कर होता है और पेशंट जल्दी संभल जाता है।
भीतरी (Intrinsic)
इस प्रकार का ऐस्थमा अधिकतर 35 से अधिक उम्र के लोगों को होता है। बचपन में किसी भी प्रकार के चर्मरोग (skin-disease) की शिकायत नहीं रहती है, न ही परिवार में किसी को ऐस्थमा होता है। अटैक एकाएक और बहुत ही तेज (Severe) होता है। किसी प्रकार के इन्फेक्शन या कसरत के बाद अटैक पड़ता है।
कारण
• ठंडी हवा या कोहरे से
• सांस की नली में वायरल इन्फेक्शन (viral respiratory tract infection) के कारण
• किसी दवा के कारण
• धूल, धुएं, पेंट या किसी प्रकार की गंध (अगबत्ती, परफ्यूम) के कारण
• तनाव के कारण
• किसी चीज की एलर्जी के कारण
• वातावरण के कारण
• गलत खान-पान के कारण
लक्षण
• सांस लेने में रोगी को कठिनाई होती है
• अधिकतर सूखी खांसी आती है
• तेज-तेज सांस चलती है
• कभी-कभी बलगम (sputum) डोरी जैसा लम्बा खिंचता है
• मुंह से सांस के साथ सीटी जैसी आवाज़ आती है
• मुंह से सांस लेती पड़ती है
• जब दौरा पड़ता है तो रोगी लेट नहीं पाता
• छाती (chest) में जकड़न और दर्द होता है
• पेशंट बहुत जल्दी थक जाता है, हांफने लगता है
• गले में बलगम (sputum) चिपक जाता है, जिसे निकालने के लिए पेशट बार-बार खांसता है
• रात को ज्यादा तकलीफ होती हैं
• कमजोरी लगती है
कब बढ़ता है ऐस्थमा
• अधिकतर रात को या सुबह-सुबह
• व्यायाम (Exercise) के बाद
• बारिश या ठंड के मौसम में
• ठंडी हवा या कोहरे से
होम्योपैथिक मेडिसिन
ऐस्थमा के लिए होम्योपैथिक दवायें बहुत सारी हैं, जिनमें से कुछ के बारे में जानकारी दे रही हूँ,
आर्सेनिक-एल्ब (Ars-Alb)
इसके पेशंट को रात को 12 बजे के बाद रोग बढ़ता है। बहुत ज्यादा बेचैनी और प्यास लगती है, दम घुटता है रोगी लेट नहीं पाता है, सीने में जलन होती है, सांस रुकती सी लगती है, कफ़ झागदार और कम मात्रा में निकलता है, हर समय मरने का डर लगता है।
इपिकाक (Ipecac)
लगातार खांसी आती है, एकाएक तेज अटैक होता है। रोग के शुरू में बैचेनी और उल्टी जैसा लगता है, फेफड़ों (Lungs) से खून आने लगता है, नाक से खून आने लगता है, सीने में जकड़न लगती है।
ब्लेटा-ओरिएंटा (Blatta-Ori)
दम घुटता है, सांस नहीं लेते बनती है, पस जैसा बलगम निकलता है, रोगी लेट नहीं पाता है, यह ऐस्थमा के अटैक को कम करता है, सांस की नालियों में सूजन रहती है।
सेनेगा (Senega)
आवाज़ भारी हो जाती है। वृद्ध लोगों को होने वाला ऐस्थमा, खांसते समय पीठ में दर्द करता है। सीने में भारीपन लगता है। बलगम बहुत ज्यादा होता है। आवाज़ कभी-कभी बंद हो जाती है। सूखी खांसी आती है।
एसिड-सल्फ ( Acid-Sulph)
वाहनों के धुएं, धूल आदि के कारण ऐस्थमा होता है। कफ़ के कारण गला चोक हो जाता है। गैस ज्यादा बनती है। सीने में जकड़न होती है।
कार्बो-वेज (Carbo-Veg)
वृद्ध लोगों का ऐस्थमा, फेफड़ों से खून आता है। बहुत ज्यादा डकारें आती हैं। सांस में सीटी सी बजती है। गले में खुजली होती है। आवाज़ फटी-फटी सी रहती है।
परहेज
ऐस्थमा के रोगी को ठंडी और खट्टी चीजों का परहेज रखना चाहिए।