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ज्योतिष ज्ञान
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मेष राशि एवं लग्न जातको का प्रेम एवं वैवाहिक सुख एवं दशा-अंतर्दशा का फल एवं शुभा-शुभ फल विचार
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मेष राशि एवं लग्न के जातको का प्रेम एवं वैवाहिक सुख
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मेष राशि अथवा लग्न के जातकों का प्रेम एवं विवाहेत्तर स्त्री सुख जन्म कुंडली में शुक्र एवं चंद्र की स्तिथि पर निर्भर करता है।यदि कुंडली में चंद्र-शुक्र के साथ मंगल भी शुभस्त हो तो जातक में विशेष सौन्द्रयाभूति होती है।वह स्त्री या विपरीत सेक्स को शीघ्र प्रभावित कर लेते है।इन्हें विवाह के बाद विशेष धन का लाभ एवं सुख के साधन प्राप्त होते है।जातक की स्त्री सुन्दर एवं गुण संपन्न होती है।

कुंडली में यदि चंद्र/शुक्र एवं भौम पाप युक्त या पाप दृष्ट हों,तो स्त्री के सम्बन्ध से तनाव और कष्ट मिलता है तथा पारिवारिक उलझनों का सामना करना पड़ता है।इसी तरह का योग यदि लड़की की कुंडली में हो तो पति के साथ तनाव एवं कलह क्लेश रहता है।

दशा-अंतर्दशा का फल एवं शुभा-शुभ फल विचार
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मेष राशि/लग्न के जातक-जातिका को सूर्य,मंगल एवं चंद्र ग्रहों की दशा-अंतर्दशा प्रायः अच्छा फल देने वाली होती है।
यदि सूर्य-चंद्र शुभ भावस्थ या शुभ दृष्ट हों तो उत्तम फल के कारक होंगे।जैसे विद्या एवं प्रतिस्पर्धा में सफलता एवं भूमि ,भवन सवारी आदि सुखों की प्राप्ति होती है।बुध की दशा-अंतर्दशा अशुभ फल देगी।इनको गुरु,शुक्र,एवं शनि की दशा-अंतर्दशा मिश्रित फल देती है।

गुरु की दशा-अंतर्दशा का पहला भाग शुभ एवं शेष भाग व्ययशील रहता है।शनि की प्रारंभिक दशा में कार्य विलम्ब से एवं शेष दशा में सफलता प्राप्त होगी।
राहु-केतु अपने भाव/राशि एवं ग्रह के साहचर्य अनुसार ही अपनी दशा में शुभाशुभ फल प्रदान करते है।

शुभ रत्न👉 मेष राशि/लग्न के जातक को सवा आठ रत्ती का मूँगा या सवा पांच रत्ती का माणिक्य सोने की अंगूठी में तर्जनी उंगली में धारण करना शुभ एवं लाभदायक रहता है।

शुभ रंग👉 लाल,पीला,श्वेत,संतरी, हल्का नीला एवं भूरा आदि।

शुभ दिन👉 सोमवार,मंगलवार,गुरुवार,शुक्रवार,एवं रविवार के दिन सामान्यतः शुभ एवं अनूकूल रहते है।

भाग्यांक👉 मेष राशि/लग्न का भाग्यांक ९ है।यह मूलांक विशेष उथल-पुथल एवं संघर्ष का प्रतीक है।इस अंक वाला व्यक्ति अत्यंत कठिनाइयों के बाद अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है।इसके अतिरिक्त १ एवं ५ अंक भी इन जातकों के लिए शुभ रहते है।

उपासना👉 इन जातकों को गायत्री मंत्र का जप एवं श्री हनुमान उपासना करना शुभ एवं कल्याणप्रद रहती है।

भाग्योदयकारक वर्ष👉 २८, ३०, ३२, ३६,३७ एवं ४१ वां वर्ष भाग्योदय कारक सिद्ध होता है।


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कुण्डली मिलान

भूकूट मिलान

पिछले अंक मे हमने गण मिलान के बारे मे जानकारी प्राप्त की।
चंद्रमा जन्मसमय जिस खास राशी मे हो उसे भूकुट कहते है अर्थात जन्म राशी जातक/जातिका के भूकुट को बताते है।

भूकूट मिलान की विधी

भूकूट गुण मिलान को 7अंक आवंटित किया गया है। भूकुट मिलान के लिए हम वर और कन्या के भूकूट यानि जन्म राशी को एक दुसरे से गिनती करते है जिससे हमे निम्नलिखित भूकुट संबध प्राप्त होगा
1st – 7th (सम सप्तक)– इस संबंध को शुभ माना जाता है क्योकि इस राशी संबंध मे विवाह मे एक दुसरे के प्रति आकर्षण बना रहता है और अच्छे संतान की उत्पति का कारक होता है।

2nd – 12th (द्वि द्वादश)— इस संबंध को अशुभ माना जाता है क्योकि इस राशी संबंध मे धन के मामले मे आपसी सामंजस्य ठीक नही होते है जो पारिवारिक मतभेद के कारक हो सकते है।

3rd-11th(त्रि ऐकादश) — इस संबंध को सबसे शुभ माना जाता है। यह वंश वृद्धि, धन वृद्धि, प्रेम वृद्धि का सूचक है।

4th-10th(चतुर्थ दशम) – इस संबंध मे आपसी तालमेल और लगाव अच्छा होता है। यह भी शुभ माना जाता है।

5th-9th(नवपंचम) – इस संबंध को अशुभ माना जाता है। यह संबंध आपस मे अहम की समस्या़, वैराग्य भाव, संबंध मे अनिच्छा का संकेत देता है। जो वंश वृद्धि और मानसिक अवसाद का कारक हो सकता है।

6th-8th(षड्अष्टक) — इस संबंध को सबसे अशुभ माना जाता है। यह संबंध आपसी झगड़े, कलह, अलगाव, स्वास्थय की समस्या़ का कारक हो सकता है।

यदि 2nd-12th, 5th-9th, 6th-8th संबंध हो तो इसे भूकूट दोष माना जाता है। कई बार यह दोष समाप्त हो जाता है ।


[ मंगल का १२ राशियों में फल
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जन्म कुंडली में मंगल का मेषादि राशियों में स्थित होने का फल इस प्रकार है :-

मेष 🐏
में मंगल हो तो जातक तेजस्वी ,सत्यप्रिय ,वीर ,युद्ध प्रिय ,साहसी ,कार्य में तत्पर , भ्रमणशील ,धनी ,दानी, क्रोधी होता है |

वृष 🐂
में मंगल हो तो जातक अधिक बोलने वाला ,मंद धन व पुत्र से युत, द्वेषी ,अविश्वासी, उदंड ,अप्रिय भाषी ,संगीत रत , मित्र व बन्धुविरोधी ,पाप करने वाला होता है |

मिथुन 👥
में मंगल हो तो जातक कष्ट को सहन करने वाला ,बहुत विषयों का ज्ञाता ,शिल्प कला में कुशल,विदेशगमनरत ,धर्मात्मा ,बुद्धिमान शुभचिंतक ,अधिक कार्यों में लीन होता है |

कर्क 🐙
में मंगल हो तो जातक परगृह निवासी,रोग व पीड़ा से विकल , अशांत ,कृषि से धन प्राप्त करने वाला,जल के कार्यों से धनी होता है

सिंह 🐯
में मंगल हो तो जातक असहनशील ,वीर ,मांसाहारी ,दूसरों की वस्तुओं का अपहरण करने वाला, पहली पत्नी से हीन ,धर्मफल हीन तथा क्रिया में उद्यत होता है |

कन्या 👸
में मंगल हो तो जातक पूज्य,धनी ,प्रिय भाषी ,अधिक व्यय करने वाला ,संगीत प्रिय ,शत्रु से अधिक डरने वाला तथा स्तुति करने में चतुर होता है

तुला 🌰🌰
मे मंगल हो तो जातक पर्यटन शील ,हीनांग ,दूषित व्यापार वाला ,युद्ध का इच्छुक ,दूसरे की वस्तु का उपभोग करने वाला ,पहली स्त्री से रहित होता है |

वृश्चिक🍈
में मंगल हो तो जातक कार्य चतुर ,चोर ,युद्ध प्रिय ,अपराधी ,द्वेष- हिंसा और अकल्याण में रूचि रखने वाला ,चुगलखोर ,विष –अग्नि व घाव से पीड़ित होता है |

धनु ♐
में मंगल हो तो जातक कृशांग,कटु भाषी ,युद्ध कर्ता,अधिक मेहनत से सुखी,क्रोध के कारण अपने धन व सुख का नाशक होता है |

मकर 🐊
में मंगल हो तो जातक धन्य ,धनी ,सुख भोग से युक्त ,स्वस्थ ,प्रसिद्ध ,सेनापति ,युद्ध में विजय प्राप्त करने वाला ,सुशीला स्त्री का पति, स्वतंत्र होता है |

कुम्भ 🍯
में मंगल हो तो जातक विनय तथा पवित्रता से रहित ,वृद्धाकार ,अधिक रोम से युक्त देह वाला ,ईर्ष्यालु, निंदा व असत्य वादन से धन नष्ट कर्ता ,लाटरी जुए में धन खोने वाला ,दुखी ,मद्य पीने वाला भाग्य हीन होता है |

मीन 🐋
में मंगल हो तो जातक रोगी ,अल्प पुत्रवान ,परदेस वासी ,अपने बंधुओं से तिरस्कृत ,कपट व धूर्तता के कारण धन नष्ट करने वाला ,गुरु ब्राह्मण का अनादर करने वाला ,हीन बुध्धि का ,स्तुति प्रिय होता है |

मंगल का सामान्य दशा फल
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जन्म कुंडली में मंगल स्व ,मित्र ,उच्च राशि -नवांश का ,शुभ भावाधिपति ,षड्बली ,शुभ युक्त -दृष्ट हो तो मंगल की शुभ दशा में साहस और पराक्रम से समस्त कार्यों की सिध्धि,भूमि लाभ ,धन धान्य व संपत्ति लाभ, भाई का सुख ,युद्ध व विवाद में शत्रु की पराजय ,व्यवसाय में सफलता ,पद प्राप्ति व पदोन्नति ,विदेश यात्रा होती है | लाल रंग के पदार्थों,ताम्बा व स्वर्ण धातु ,जुआ ,सर्प विष ,शस्त्र ,भूमि, आसव,मदिरा चोरी ,मुकद्दमे बाजी और गलत कार्यों से लाभ होता है |, खेल कूद और साहसिक कार्यों से लाभ होता है | दक्षिण दिशा में सफलता मिलती है | बल ,पौरुष व स्वाभिमान में वृद्धि होती है |खतरा उठा कर भी व्यक्ति अपने लक्ष्य की प्राप्ति करता है | |जिस भाव का स्वामी मंगल होता है उस भाव से विचारित कार्यों व पदार्थों में सफलता व लाभ होता है |

यदि मंगल अस्त ,नीच शत्रु राशि नवांश का ,षड्बल विहीन ,अशुभभावाधिपति पाप युक्त दृष्ट हो तो मंगल दशा में राजा चोर अग्नि शत्रु बिजली व दुर्घटना से भय ,भाइयों से विवाद या उनको कष्ट ,क्रोध व आवेश की अधिकता ,दुष्टों की संगति ,ईर्ष्या व द्वेष की भावना रक्त विकार ,उच्च रक्त चाप ,फोड़ा फुंसी ,बवासीर ,अधर्म में प्रीति,विवाद में हार ,असफलता ,शारीरिक कमजोरी तथा हिंसा से भय होता है | जिस भाव का स्वामी मंगल होता है उस भाव से विचारित कार्यों व पदार्थों में असफलता व हानि होती है |

गोचर में मंगल
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जन्म या नाम राशि से तीसरे ,छटे तथा ग्यारहवें स्थान पर मंगल शुभ फल देता है |

जन्मकालीन चन्द्र से
प्रथम स्थान पर🌟
मंगल का गोचर रक्त विकार असफलता,ज्वर,अग्नि,से हानि करता है | यात्रा में दुर्घटना का भय रहता है ,इस्त्री को कष्ट होता है |

दूसरे स्थान पर🌟
मंगल का गोचर नेत्र दोष , कठोर वचन ,विद्या हानि ,परिवार में मतभेद ,कुभोजन व असफलता दिलाता है |

तीसरे स्थान पर🌟
मंगल का गोचर धन लाभ, शत्रु पराजय ,प्रभाव में वृद्धि ,राज्य से लाभ , शुभ समाचार प्राप्ति कराता है | मन प्रसन्न रहता व भाग्य अनुकूल रहता है|

चौथे स्थान पर🌟
मंगल का गोचर स्वजनों से विवाद ,सुख हीनता ,छाती में कफ विकार ,जल से भय करता है|जमीन –जायदाद की समस्या ,माँ को कष्ट ,जन विरोध का सामना होता है | |

पांचवें स्थान पर 🌟
मंगल का गोचर मन में अशांति ,उदर विकार,संतान कष्ट ,विद्या में असफलता करता है | मन पाप कार्यों की तरफ जाता है |

छ्टे स्थान पर 🌟
मंगल का गोचर धन लाभ ,उत्तम स्वास्थ्य ,शत्रु पराजय , यश मान में वृद्धि देता है|

सातवें स्थान पर🌟
मंगल के गोचर से स्त्री से कलह ,स्त्री को कष्ट ,यात्रा में हानि ,दांत में पीड़ा ,व्यापार में हानि करता है |

आठवें स्थान पर🌟
मंगल के गोचर से पित्त रोग ,विवाद ,शारीरिक कष्ट ,पाचन हीनता दुर्घटना अग्नि ,हिंसा व बिजली से भय होता है |गुदा सम्बन्धी रोग होता है | भाई से अनबन व कार्य हानि होती है |

नवें 🌟
स्थान पर मंगल के गोचर से संतान कष्ट ,भाग्य की विपरीतता ,सरकार की और से परेशानी होती है | धर्म के विरुद्ध आचरण होता है | कूल्हे में चोट का भय होता है |

दसवें 🌟
स्थान पर मंगल के गोचर से रोजगार में बाधा ,पिता को कष्ट व राज्य से प्रतिकूलता होती है |

ग्यारहवें🌟
स्थान पर मंगल के गोचर से आय वृध्धि ,व्यापार में लाभ , आरोग्यता, भूमि लाभ,भाइयों को सुख ,कार्यों में सफलता ,शत्रु पराजय , मित्र सुख व लाल पदार्थों से लाभ होता है |

बारहवें 🌟
स्थान पर मंगल के गोचर से अपव्यय , स्थान हानि,स्त्री को कष्ट , शारीरिक कष्ट ,मानसिक चिंता होती है तथा किसी गलत कार्य में रूचि होती है |

मंगल शान्ति के उपाय
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जन्मकालीन मंगल निर्बल होने के कारण अशुभ फल देने वाला हो तो निम्नलिखित उपाय करने से बलवान हो कर शुभ फल दायक हो जाता है |
रत्न धारण – लाल रंग का मूंगा सोने या ताम्बे की अंगूठी में मृगशिरा ,चित्रा या अनुराधा नक्षत्रों में जड़वा कर मंगलवार को सूर्योदय के बाद पुरुष दायें हाथ की तथा स्त्री बाएं हाथ की अनामिका अंगुली में धारण करें | धारण करने से पहले ॐ क्रां क्रीं क्रों सः भौमाय नमः मन्त्र के १०८ उच्चारण से इस में ग्रह प्रतिष्ठा करके धूप,दीप , लाल पुष्प, गुड ,अक्षत आदि से पूजन कर लें |
दान व्रत ,जाप – मंगलवार के नमक रहित व्रत रखें , ॐ क्रां क्रीं क्रों सः भौमाय नमः मन्त्र का १०००० संख्या में जाप करें | मंगलवार को गुड शक्कर ,लाल रंग का वस्त्र और फल ,ताम्बे का पात्र ,सिन्दूर ,लाल चन्दन केसर ,मसूर की दाल इत्यादि का दान करें | श्री हनुमान चालीसा का पाठ करना भी शुभ रहता है |


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