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: खुजली-दाद-*

खुजली, दाद, घाव, एग्जिमा आदि चर्मरोगों में गेहूँ को जलाकर राख बना ले। इसे कपड़छान कर तेल (सरसों पीला)-में भिगोकर लगाये तो खुजली आदि में तुरंत आराम हो जायगा।*

गौ माता के गोबर के कंडे की भस्म लगाने से आराम होगा।*
: पुदीने के आयुर्वेदिक लाभ

  1. स्वस्थ पाचन तंत्र पुदीना हमारे पाचन तंत्र को स्वस्थ बनता है, यह पेट में बनाने वाली गैस और दर्द को भी खत्म करता है। साथ ही पाचन क्रिया को सुधरता है और भोजन को पचाने में भी मदद करता है।
  2. मितली और चक्कर की परेशानियों से राहत बहुत से लोगों को कार, बस, और ट्रेन में चक्कर और मतली कि परेशानी होती है। इससे बचने के लिए एक कप गर्म पुदीने कि चाय ही काफी है इसकी खुशबू आपको तरो ताज़ा रखती है और पेट कि परेशानियाँ जैसे पेट दर्द और दस्त से दूर रखती है।
  3. मुँहासे से बचाव पुदीना मुहासों के लिए भी बहुत लाभदायक होता है। इसमें मेंथोल होता है जो त्वचा को ठंडक देता है, इसकी शीतलता, त्वचा में अत्यअधिक तेल को रोकता है और मुहासों से भी बचाता है।
  4. त्वचा की जलन कम करता है अगर आपकी त्वचा बहुत ज्यादा संवेदनशील और उसमें जलन और एलर्जी हो जाती है तो एक कप पुदीना की चाय बहुत ज्यादा लाभदायक सिद्ध होगी। यह चकत्ते, जलन, कीड़े के काटने, खुजली और त्वचा में सूजन जैसी त्वचा समस्याओं का इलाज करने में भी सहायक है।
  5. त्वचा के तेल को कम करता है त्वचा में अधिक तेल होने से उसमें गंदगी और अन्य जीवाणु जमा होने लगता ते हैं, पुदीना में पाए जाने वाले मेंथोल, त्वचा के तेल को कण्ट्रोल करता है और आपको आयल फ्री त्वचा प्रदान करता है।
    [ गर्भ गिरना/ गिरने का डर लगता हैं-*
    अशोक के बीज का एक दाना लेकर सिलपर घिसकर बछड़े वाली गाय के दूध में मिलाकर स्त्री को देने से गर्भपात रुक जाता है, स्त्री पुत्रवती हो जाती है।*

स्त्री का गर्भ न टिकता हो-*
आम के वृक्षका अतरछाल, गाय के घी में पुराना गुड़ तथा एक फूल लवंग गर्भवती स्त्री को खिला देने से गर्भधारण हो जायगा।

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