Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM

गैसांतक चुंर्ण

जवा हरड़, सनाय पत्ती, सोफ,पीपल,कालानमक,प्रत्येक, 100, 100 ग्राम, यष्टिमधु, शुक्ति भस्म, अजवायन भुनी हुई, नोसादर, सफेद जीरा, प्रत्येक 50, 50 ग्राम।
निर्माण विधि, नवसादर एवं शुक्ति भस्म छोड़ कर अन्य सभी कुट पीस कर चुंर्ण बनाले। फिर नवसादर, शुक्ति भस्म को अच्छी तरह मिला कर काच की शीशी में भर ले।
मात्रा, 3 से 6 ग्राम तक नीम गर्म पानी से प्रातः नास्ते के बाद एवं रात को सोते समय दो बार ले।
उपयोग एवं क्रिया, गैस बनना, उदर में भारीपन, उदरशूल, अरुचि कब्ज, खाये हुए आहार का ठीक ढंग से पाचन नही होना आदि विकारों को शीघ्र नष्ट करता है। पुराने से पुराने गैस बनने और कब्जियात को अनुभूत।
[मासिक धर्म में दर्द के लक्षण :

इस रोग ( डिसमेनोरिया ) में स्त्रियों को मासिकधर्म ( पीरियड्स ) आने से 1 – 2 दिन पूर्व और आने के समय गर्भाशय पेडू और कमर में दर्द हुआ करता है । इसी स्थिति में रोगिणी को मासिक कम या अधिक मात्रा में भी आ सकता है । अनिद्रा , सिरदर्द और बेचैनी इत्यादि लक्षण पाये जाते हैं । नोट – जब जवान लड़कियों को प्रथम बार मासिक धर्म आता है तो भीतरी जननेन्द्रियों की ओर रक्त संचार तेज होकर वहाँ की रक्तवाहिनियां रक्त की अधिकता के कारण उभर और तन जाती हैं । इसी कारण पेडू , कमर , गर्भाशय , जांघों और पिडलियों में थोड़ा या बहुत दर्द होने लगता है किंतु 2 – 3 बार आ चुकने पर यह कष्ट स्वयं दूर हो जाते हैं ।

मासिक धर्म में दर्द के कारण :

मासिक धर्म में दर्द के दो कारण होते हैं :

  • 1.जन्मजात दोष तथा गर्भाशय की रचना में भी विकार – गर्भाशय की गर्दन का लम्बा होना , गर्भाशय के मुख का छोटा होना , गर्भाशय की मांसपेशियों की कमजोरी , डिम्बाशय के तरल में कमी , स्नायविक संस्थान की दुर्बलता आदि ।

2.गर्भाशय में असाधारण रूप से रक्त एकत्रितहो जाना जैसे – गर्भाशय का पीछे की ओर झुक जाना , गर्भाशय या उसकी झिल्ली , का उत्पन्न हो जाना इत्यादि

यदि जन्मजात दोष के कारण यह रोग हो तो महिला चिकित्सक द्वारा निरीक्षण कराने से इस रोग का पता चल जाता है । यदि डिम्बाशय में तरल की कमी होने के कारण यह रोग हो तो गर्भ ठहर जाने के बाद यह कष्ट स्वयं दूर हो जाता है । गर्भाशय में रक्त एकत्रित हो जाने पर मासिक होने के 1 – 2 दिन पूर्व तथा समाप्त होने के 1 – 2 दिन बाद तक दर्द होता रहता है ।गर्भाशय के पुराने शोथ में भी मासिक धर्म आने के समय रक्त अधिक मात्रा में आता है तथा दर्द भी होता है और गर्भाशय से पानी आने का कष्ट भी होता है । डिम्बाशय में शोथ होने पर 1 या दोनों ओर उभार होता है , जिसको दबाने से मितली या कै होती है तथा दर्द भी होता है । गर्भाशय के अन्दर अस्थायी झिल्ली उत्पन्न हो जाने पर मासिकधर्म आने से 2 – 3 दिन पूर्व ही दर्द होने लगता है । और स्राव आरम्भ हो जाने के बाद यह दर्द बढ़कर प्रसव – पीड़ा जैसा रूप धारण कर लेता है तथा जब तक यह अस्थायी झिल्ली निकल न जाए तब तक निरन्तर पाईये | दर्द होता रहता है । स्नायविक कमजोरी के कारण यदि रोग उत्पन्न हुआ हो तो मासिक 1 – 2 दिन आकर बन्द हो जाता है और अत्यधिक दर्द होता है । इसके बाद काफी मात्रा में रक्त स्राव होकर गर्भाशय में ऐंठनयुक्त दर्द होने लगता है , जिसके कारण रोगिणी बहुत दुखी रहती है । प्रायः दिल की धड़कन बढ़ जाती है और बेहोशी छा । जाने का कष्ट रहता है । कई बार सिर दर्द होकर सिर भी चकराता रहता है

खौलते हुए गर्म पानी में घी डालकर मासिक धर्म के एक दिन पहले से जब तक रहे तब तक पीने से मासिकधर्म के समय होने वाले सभी असहनीय दर्द की अचूक रामबाण औषधि है नियमित 5 6 माह इस औषधि का सेवन मासिक चक्र के समय करने से भविष्य में मासिकधर्म सामान्य हो जाता है

मासिक धर्म के दर्द का उपचार- अशोकारिष्ट , अशोक घृत , रजःप्रवर्तनी वटी इत्यादि का सेवन इस रोग में अत्यन्त ही लाभप्रद है

2 – उलटकम्बल – उलटकम्बल की जड़ का चूर्ण 2 – 3 ग्राम की मात्रा में मासिकधर्म आने के 4 – 5 दिन पहले से दिन में 2 – 3 बार खिलाना अत्यन्त लाभकारी है । अंग्रेजी में इस औषधि को “ एब्रोमा अगेस्टा ‘ ( Abroma Augusta ) कहा जाता है । इससे मासिकधर्म अधिक आने को भी आराम आ जाता है और इसके प्रयोग से जवान स्त्रियों को गर्भ भी ठहर जाता है । कपास की जड़ का क्वाथ पिलाना भी लाभप्रद है ।
*
3 – धतूरा – धतूरा के पत्तों को पानी में उबालकर , उस क्वाथ से पेडू का सेंक करना भी अत्यन्त लाभकारी है ।

4 – लाजवन्ती – लाजवन्ती का 5 ग्राम चूर्ण फांककर ऊपर से बताशों का शर्बत पिलाने से स्त्रियों का मासिक अधिक आना रुक जाता है ।

5 – इन्द्रायण – इन्द्रायण को पीसकर इसकी 6 ग्राम लुगदी योनि में रखने से 3 दिन में ऋतु स्राव खुलकर होने लगता है । | इन्द्रायण के बीज 4 ग्राम , काली मिर्च 6 नग दोनों को कूटकर 200 ग्राम जल में औटावें , 50 ग्राम । शेष रह जाने पर उतार – छानकर पिलाये । इस प्रयोग से रजोदर्शन प्रारम्भ हो जाता है ।

6 – मूली – मूली के बीज और काले तिल 10 – 10 ग्राम लेकर 250 ग्राम पानी में औटावें । जब पानी चौथाई रह जाए तब उतारकर छान लें और इसमें थोड़ा – सा गुड़ मिलाकर दिन में 3 – 4 बार पीने से मासिकधर्म खुलकर आना प्रारंभ हो जाता है ।

7 – सुहागा – कच्चा सुहागा 3 ग्राम , केसर 2 ग्रेन लें । दोनों को खरल में बारीक घोटकर प्रात : काल ठण्डे पानी के साथ देने से मासिकधर्म की अनियमितता का रोग नष्ट हो जाता है । ( दूसरी खुराक देने की आवश्यकता बहुत कम पड़ती है ) मासिक धर्म के 2 – 3 दिन पूर्व इस प्रयोग को करने से मासिक धर्म नियत समय पर खुलकर आने लगता है ।
*
8 – धनिया – 20 ग्राम धनिये को 200 ग्राम पानी में औटावें जब । जब 50 ग्राम पानी शेष रह जाए तब उतार छानकर पीने से मासिक धर्म की अधिकता ( अधिक रक्त आना ) रुक जाता है

9 . समुद्रसोख – समुद्रसोख 10 ग्राम को खूब बारीक पीसकर सुरक्षित रखें । इसे प्रातः 1 ग्राम की मात्रा में ठण्डे पानी से सेवन करने से 3 – 4 दिन में ही माहवारी का अधिक रक्त आना बन्द हो जाता है । सफल एवं अनुभूत योग है

10 – राई – राई 50 को बारीक पीसकर सुरक्षित रखें । इसे 2 – 2 ग्राम की मात्रा में सुबह – शाम बकरी के दूध से मासिकधर्म प्रारम्भ होने से 2 – 4 दिन पूर्व ही सेवन प्रारम्भ करायें । जब तक दवा खत्म न हो तब तक सेवन करते रहने से मासिक धर्म अधिक होने का रोग जड़ से नष्ट हो जाता है और जीवन में दुबारा नहीं होता है

11 – काशगरी – सफेदा काशगरी 10 ग्राम , लालगेरू 1 आम लें । दोनों को भली प्रकार मिलाकर शीशी में सुरक्षित रखलें । आवश्यकता पड़ने पर 2 ग्रेन ( 1 रत्ती ) की मात्रा में बताशे में रखकर पिलाकर ऊपर से थोड़ा सा दूध या पानी पिलाने से भी ( मात्र 3 मात्राओं के प्रयोग से ) मासिकधर्म अधिक आने के रोग को आश्चर्यजनक रूप से आराम आ जाता है

12 – मुलहठी – मुलहठी का छिलका उतारकर कूट पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रखलें । इसे 3 ग्राम की मात्रा में दिन में 3 बार चावल के धोवन ( पानी ) से 4 – 5 दिन सेवन कराने से मासिकधर्म की अधिकता का रोग नस्ट होता है

13 – राल – राल 6 ग्राम में 100 ग्राम दही में मीठा मिलाकर पिलाने से 3 – 4 दिन में ही मासिक धर्म की अधिकता का रक्त गायब हो जाती है

14 – नीम – हड़ताल गोदन्ती बढ़िया 25 ग्राम को नीम के पत्तों के रस में भली प्रकार खरल करके टिकिया बनालें । फिर नीम की पत्तियों की 60 ग्राम लुग्दी के मध्य में रखकर मिट्टी के प्यालों में बन्द करके 4 किलो उपलों की आग के मध्य में रखकर भस्म बना लें । यह गोदन्ती भस्म रजोधर्म की अधिकता , गर्भाशय से रक्तस्राव की रामबाण दवा है । इसके अतिरिक्त यह योग नाक , फेफड़ों , गुदा अथवा मूत्रमार्ग से रक्त आने में भी अत्यन्त ही लाभप्रद है

15 – पीपल – माहवारी की अधिकता में पीपल वृक्ष के कोमल पत्तों का रस पिलायें

16 – गूलर – गूलर वृक्ष के फल का चूर्ण में खान्ड मिलाकर 2 – 3 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 – 3 बार मासिकधर्म की अधिकता में सेवन करना लाभप्रद है

17 – केला – पके केलों में बनारसी आँवलों का रस खान्ड मिलाकर खाना मासिक धर्म की अधिकता में लाभप्रद है

18 – वासक – वासक का रस या पत्ती का चूर्ण 2 – 3 ग्राम पिलाते रहने से शरीर के किसी भी भाग से होने वाले रक्तस्राव में अत्यन्त उपयोगी है

19 – बबूल – बबूल ( कीकर ) की छाल का क्वाथ बनाकर उससे इश करना मासिकधर्म की अधिकता में लाभकारी

20 – आम – आम की गुठली की गिरी का चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार पिलाना मासिकधर्म की अधिकता में लाभकारी है

21 – लोध – लोध के चूर्ण में खान्ड मिलाकर 8 रत्ती ( 1 ग्राम ) दिन में 2 – 3 बार खिलाना मासिकधर्म की अधिकता में लाभकारी है

22 – जीरा – जीरा तथा इमली के बीज की गिरी को सममात्रा में लेकर चूर्ण बनालें । उसे 3 माशा की मात्रा में चावलों के पानी के साथ दिन में 2 – 3 बार खिलाना मासिकधर्म की अधिकता में अत्यन्त लाभकारी है

23 – कपास – कपास के पौधे की जड़ 6 माशा , गाजर के बीज 6 माशा , खरबूजा के बीज 4 माशा लें । इनका क्वाथ बनाकर पिलाना मासिक कम और दर्द से आने में लाभकारी है । अनुभूत योग है

24 – कलमीशोरा – रेवन्द चीनी , कलमीशोरा 6 – 6 माशा , यवक्षार , जीरा 3 – 3 माशा पीसकर बराबर खान्ड मिला लें । इसे 3 से 6 माशा की मात्रा में सुबह शाम गरम पानी से सेवन करने से प्रदरे कम व दर्द से आना नष्ट हो जाता है । । गन्धक आमलासार , काली जीरी 1 1 तोला , रसौत 3 माशा , एक्सट्रैक्ट बेलाडोना 3 माशा लें । सभी को मकोय के रस में खरल करके मटर के समान गोलियाँ बनालें । यह 1 – 1 गोली सुबह – शाम दूध या पानी से खाने से मासिक कम आना , अधिक आना , दर्द से आना , गर्भाशय से स्राव होना तथा प्रत्येक प्रकारप्रत्येक प्रकार के स्त्री ( गुप्त ) रोगों में रामबाण योग है

25 – पिप्पली – पिप्पली , मैनफल , यवक्षार , इन्द्रायण के बीज , मीठा कूठ और पुराना गुड़ सभी औषधियाँ अलग – अलग कूट पीसकर सममात्रा में लेकर गाय की दूध की सहायता से बत्तियाँ बना लें । शाम को 1 – 1 बत्ती गर्भाशय के मुख में रखें । मासिक खोलने में रामबाण प्रयोग है

नोट – मासिक लाने वाली औषधियाँ मासिक आने से 5 7 दिन पूर्व प्रयोग करना प्रारम्भ कर दें तथा आने के दिनों में भी प्रयोग जारी रखें । योनि में रखने वाली बत्तियाँ मासिक आने से 3 – 4 दिन पहले रखनी आरम्भ की जाती है । मासिक धर्म ( पीरियड्स ) में दर्द की दवा :-अशोकारिष्ट – प्रदरकम आने , थोड़े समय तक आने या देर से आने के लिए अशोकारिष्ट 2 चम्मच सुबह दोपहर शाम*

पीरियड्स का समय महिलाओं के लिए बहुत मुश्किल का होता है। कई औरतें तो इस परेशानी में बहुत चिडचिडी हो जाती है। इन दिनों में शीशा देखने से चेहरे पर मुहांसे होने लगते है अौर एेसी स्थिति में दर्द का सामना भी करना पड़ता है लेकिन क्या अापको पता है हमारे शरीर का सेंट्रल प्वॉइंट नाभि का सीधा कनेक्शन हमारे चेहरे होता है इसलिए इन दिनों होने बाले बहुत सी समस्याएं नाभि से दूर हो सकता है। अाइए जानते कैसे…

1.मुहांसे:-अगर पीरीयड्स के दिनों में मुहांसे होते हैं अौर अाप इनसे छुटकारा पाने के लिए तरीके पनाते है तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता तो नाभि में नीम का तेल लगाइए। कुछ ही दिनों में आपके मुहांसे गायब हो जाएंगे।

2.दर्द:-जिन अौरतों को पीरियड्स में बहुत दर्द होता हो तो नाभि में थोड़ी सी ब्रांडी रुई में भिगोकर लगाने से कुछ ही देर में आपका दर्द छूमंतर हो जाएगा।

3.फटे होंठ:-अगर आपके होंठ बहुत फटते हैं तो थोड़ा सरसों के तेल लेकर नाभि में लगाए। इससे आपके होठों के फटने की समस्या दूर हो जाएगी।

4.चमकदार चेहरा:-अगर आप गलोइंग त्वचा पाना चाहते है तो बादाम के तेल को अपनी नाभि में लगाए। इससे आपके चेहरे में एक अलग सी चमक आएगी।

5.खुजली:-अगर आपको किसी कारण से खुजली हो रही है और शरीर में चकत्ते पड़ रहे हों तो नीम का तेल नाभि पर लगाने से तुरंत राहत मिलती है।

6.चेहरे के दाग धब्बे:-चेहरे के दाग-धब्बों से निजात पाना चाहते हैं तो नींबू का तेल अपनी नाभि में लगाइए। जल्दी फायदा होगा।


[🥀तेजपत्ता से विभिन्न रोगों का घरेलु उपचार : Tej patta ke Fayde in Hindi

1) कमर का दर्द (backache): Kamar dard (Back pain) me tej patta ke fayde

10 ग्राम अजवायन, 5 ग्राम सौंफ तथा 10 ग्राम तेजपत्ता इन सब को कूट-पीसकर 1 लीटर पानी में उबालें। जब यह 100 ग्राम रह जाए तब इसे ठंडा करके पीएं इससे शीत लहर के कारण उत्पन्न कमर का दर्द ठीक हो जाता है।

2) मोच(sprain) : moch me tej patta ke fayde

तेजपत्ता और लौंग को एक साथ पीसकर बना लेप बना लें। इस लेप को मोच वाले स्थान पर लगाएं इससे धीर-धीरे सूजन दूर हो जाती है और मोच ठीक हो जाता है।

3) मधुमेह (शूगर) का रोग(diabetes): sugar me tej patta ke fayde

तेजपत्ता के पत्तों का चूर्ण 1-1 चुटकी सुबह, दोपहर तथा शाम को ताजे पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह रोग ठीक हो जाता है।

) पेट के कीड़े : pet ke kide me tej patta ke fayde

तेजपत्ता और जैतून के तेल को मिलाकर गुदाद्वार पर लगाने से पेट के कीड़े मर कर बाहर निकल जाते हैं।

5) अपच (indigestion): apach me tej patta ke fayde

तेजपत्ता (तेजपात) का पीसा हुआ चूर्ण 1 से 4 ग्राम सुबह और शाम सेवन करने से पेट की गैस तथा अपच (भोजन का न पचना) की समस्या दूर हो जाती है।

6) नाक के रोग : naak ke rog me tej patta ke fayde

लगभग 250 मिलीग्राम से 600 मिलीग्राम तक तेजपत्ता का चूर्ण सुबह और शाम खाने से और इसके फल के काढ़े से रोजाना 2-3 बार नाक को धोने से नाक के रोग ठीक हो जाते हैं।

7) मानसिक उन्माद (पागलपन) : pagalpan me tej patta ke fayde

तेजपत्ता को पानी के साथ पकाकर खाने से सर्दी के कारण हुआ पागलपन दूर हो जाता है।

8) bachon ke rog( kids diseases) me tej patta ke fayde

• 2 से 3 ग्राम तेजपत्ता के चूर्ण को अदरक के रस और शहद के साथ बच्चो को खिलाने से बच्चों को होने वाले सभी रोगों में लाभ मिलता है।
• लगभग 3 ग्राम तेजपत्ता (तेजपात) का चूर्ण बच्चों को सुबह-शाम देने से बच्चें के सभी प्रकार के रोग ठीक हो सकते हैं।

दोषों को दूर करने वाला : मस्तगी और बिही का शर्बत तेजपत्ते के दोषों को दूर करता है।

9) सर्दी-जुकाम(cough and cold) : sardi jukam me tej patta ke fayde

• चाय पत्ती की जगह (स्थान) तेजपत्ता के चूर्ण की चाय पीने से छीकें आना, नाक बहना, जलन, सिर दर्द दूर होता है।
• तेजपत्ता की छाल 5 ग्राम और छोटी पिप्पली 5 ग्राम को पीसकर 2 चम्मच शहद के साथ चटाने से खांसी और जुकाम नष्ट होता है।

• 1 से 4 ग्राम तेजपत्ता के चूर्ण को सुबह और शाम गुड़ के साथ खाने से धीरे-धीरे जुकाम ठीक हो जाता है।

10) सिर की जुंए(lice in scalp) :तेजपत्ता के 5 से 6 पत्तों को 1 गिलास पानी में इतना उबालें कि पानी आधा रह जाये और इस पानी से प्रतिदिन सिर में मालिश करने के बाद स्नान करना चाहिए। इससे सिर की जुंए मरकर निकल जाती हैं।

11) आंखों के रोग(eye disease) : aankhon ke rog me tej patta ke fayde

तेजपत्ते को पीसकर आंख में लगाने से आंख का जाला और धुंध मिट जाती है। आंख में होने वाला नाखूना रोग भी इसके प्रयोग से कट जाता है।

12) रक्तस्राव (खून का बहना)bleeding from wounds or in passing the stools : khoon behna me tej patta ke fayde

नाक, मुंह, मल व मूत्र किसी भी अंग से रक्त (खून) निकलने पर ठंडा पानी 1 गिलास में 1 चम्मच पिसा हुआ तेजपत्ता मिलाकर हर 3 घंटे के बाद से सेवन करने से खून का बहना बंद हो जाता है।

13) दांतों पर मैल जमना(tartar in teeth) :

सूखे तेज पत्तों को बारीक पीसकर हर तीसरे दिन मंजन करना चाहिए। इसके उपयोग से दांत मोतियों की तरह चमकने लगते हैं।

,14) दमा (श्वास) asthma: dama me tej patta ke fayde

• तेजपत्ता और पीपल को 2-2 ग्राम की मात्रा में अदरक के मुरब्बे की चाशनी में छिड़ककर चटाने से दमा और श्वासनली के रोग ठीक हो जाते हैं।
• सूखे तेजपत्ता का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में 1 कप गरम दूध के साथ सुबह-शाम को प्रतिदिन खाने से श्वास और दमा रोग में लाभ मिलता है।

15) खांसी : khasi me tej patta ke fayde

• लगभग 1 चम्मच तेजपत्ता का चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से खांसी ठीक हो जाती है।
• तेजपत्ता की छाल और पीपल को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बनाकर उसमें 3 ग्राम शहद मिलाकर चाटने से खांसी में आराम मिलता है।
• तेजपत्ता (तेजपत्ता) का चूर्ण 1 से 4 ग्राम की मात्रा सुबह-शाम शहद और अदरक के रस के साथ सेवन करने से खांसी ठीक हो जाती है
• तेजपत्ता (तेजपत्ता) की छाल का काढ़ा सुबह तथा शाम के समय में पीने से खांसी और अफारा दूर हो जाता है।
• 60 ग्राम बिना बीज का मुनक्का, 60 ग्राम तेजपत्ता, 5 ग्राम पीपल का चूर्ण, 30 ग्राम कागजी बादाम या 5 ग्राम छोटी इलायची को एकसाथ पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इसके बाद इस चूर्ण को गुड़ में मिला दें। इसमें से चुटकी भर की मात्रा लेकर दूध के सेवन करने से खांसी आना बंद हो जाता है।

16) अफारा (पेट फूलना) : pet fulna me tej patta ke fayde

• तेजपत्ते का काढ़ा पीने से पसीना आता है और आंतों की खराबी दूर होती है जिसके फलस्वरूप पेट का फूलना तथा दस्त लगना आदि में लाभ मिलता है।
• तेजपत्ता का चूर्ण 1 से 4 ग्राम की मात्रा सुबह और शाम पीने से पेट में गैस बनने की शिकायत दूर होती है।

17)
भूख न लगना :

तेजपत्ता का रायता सुबह-शाम सेवन करने से अरुचि (भूख न लगना) दूर होती है।

18) उबकाई:

तेजपत्ता का चूर्ण 2 से 4 ग्राम फांकने से उबकाई मिटती है।

19) पीलिया और पथरी :

प्रतिदिन पांच से छ: तेजपत्ते चबाने से पीलिया और पथरी नष्ट हो जाती है।

20) प्रसव का दर्द :

तेजपत्ता की धूनी देने से स्त्री को प्रसव के समय होने वाला दर्द में आराम मिलता है।

21) गर्भाशय शुद्धि के लिए :

• तेजपत्ता का बारीक चूर्ण 1 से 3 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से गर्भाशय शुद्ध होता है।
• तेजपत्ता को पानी में डालकर उबालें। जब पानी हल्का गर्म रहे तब उस पानी को किसी टब आदि में डालकर उसमें बैठ जाए इससे गर्भाशय का दर्द (पीड़ा) ठीक होता है।
• प्रसूता (बच्चें को जन्म देने वाली महिला) को तेजपत्ता का काढ़ा लगभग 50 मिलीग्राम सुबह-शाम पिलाने से उसके शरीर में खून से सम्बंधित दोष तथा गर्भाशय के अन्य विकार नष्ट हो जाते हैं और गर्भाशय शुद्ध हो जाता है।

22) bleeding or mences : rakt pradar me tej patta ke fayde

गर्भाशय की शिथिलता के कारण यदि बार -बार या लगातार रक्तस्राव हो रहा है तो तेजपत्ता का चूर्ण 1 से 4 ग्राम सुबह-शाम ताजे पानी के साथ सेवन करने से गर्भाशय की शिथिलता दूर हो जाती है और रक्त प्रदर नष्ट हो जाता है।

23) वायुगोला :

तेजपत्ते की छाल का चूर्ण 2 से 4 ग्राम फांकने से पेट में वायु का गोला बनने की समस्या दूर हो जाती है।

24) जोड़ों के दर्द :

तेजपत्ते को जोड़ों पर लेप करने से संधिवात ठीक हो जाता है।
🌹दांत मसूड़े, पायरिया, दर्द और सूजन 🌹

🌹1. पिसी हल्दी, नमक व सरसो का तेल मिलाकर पेस्ट सा बना कर उसे डिब्वे में रख ले सुबह इस पेस्ट को ब्रुश अथवा उगली के द्वारा दाँतों व मसूड़ों पर लगा लें थोड़ी देर लगा कर रखे फिर बाद में कुल्ला कर लें इस प्रयोग से हिलते हुए दाँत जम जाते हैं दाँतो से पीलापन दुर होकर दाँत विल्कुल सफेद हो जाते हैं।इस प्रयोग करते रहने से कभी भी पायरिया नही होगा।

🌹2. नींबू के छिलकों पर थोड़ा-सा सरसों का तेल डालकर दाँत एवं मसूढ़ों पर लगाने से दाँत सफेद एवं चमकदार होते हैं, मसूढ़े मजबूत होते हैं, हर प्रकार के जीवाणुओं तथा पायरिया आदि रोगों से बचाव होता है।

🌹तिल के तेल में पीसा हुआ नमक मिलाकर उँगली से दाँतों को रोज घिसने से दाँत की पीड़ा दूर होती है ।

🙏

Recommended Articles

Leave A Comment