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: 🌻व्याधीनुसार रस – चित्किसा

🍂🍂बवासीर के लिए – ताजी छाज १०० – २०० मि.ली., अनार, अंगूर और आँवले के रस १५ – २५ मि.ली. और ग्वारपाठा रस २५ मि.ली. |

🥀मधुमेह के लिए – नारियल पानी ५० – १०० मि.ली., करेला का रस २५ -५० मि.ली., बिल्वपत्र, नींम और तुलसी के पत्तों का रस १० – १५ मि.ली.|

🥀रक्तविकार (रक्तशुद्धि हेतु ) – आँवला, नींबू, गाजर और ताजी हल्दी का रस १० – २० मि.ली., सेवफल, मीठे अनार व गिलोय का रस १५ – २० मि.ली., दूब (घास) का रस १० – २० मि.ली., लौकी का रस २० – २५ मि.ली., तुलसी का रस ५ – १० मि.ली. नीम और बेल के पत्तों का रस १० – २० मि.ली.|

🌻उच्च रक्तचाप के लिए – आँवला, गाजर (बीच में पीला हिस्सा निकालकर), अंगूर, मोसंबी, मीठे अनार और ज्वारों का रस | मानसिक तथा शारीरिक आराम आवश्यक है |

🥀निम्न रक्तचाप – मीठे फलोंका रस लें किंतु खट्टे फलों का उपयोग न करें | आम, अंगूर और मोसंबी का रस अथवा दूध, खजूर भी लाभदायी है |

🌹पीलिया (jaundice) – अंगूर, सेफ, ग्वारपाठा, एरंड के पत्ते का रस १० मि.ली., रासबेरी और मोसंबी का रस, अंगूर अथवा किसमिस का पानी पीने से भी लाभ होता है | गन्ना चबा-चबाके खाकर उसका रस पीने से लाभ होता है | केला के ऊपर १.५ ग्राम चुना लगाकर थोड़ी देर रखकर खाने से भी फायदा होता है |

🍂केन्सर – ज्वारों का रस, आँवला, गिलोय और तुलसी के पत्तों का रस पीने से भी फायदा होता है
[आयुर्वेदिक दवाओं की जानकारी में हम अभी तक अनेक प्रकार की दवाएँ तथा विभिन्न रोगों की दवाएँ बता चुके हैं। इसी कड़ी के अंतर्गत हम बीमारी के अनुसार आयुर्वेदिक औषधियों की उपयोगी जानकारी दे रहे हैं।

🌸प्रत्येक मौसम में सेवन योग्य (शीतर, शांतिदायक, दिल व दिमाग को स्फूर्तिदायक, अधिक प्यास, गर्मी व सिर दर्द आदि से बचने के लिए) :गुलकन्द प्रवालयुक्त, मोती पिष्टी, प्रवाल पिष्टी, खमीरा संदल, शर्बत संदल, शर्बत अनार। स्नेहा समूह

🍁शरद ऋतु में विशेष रूप से सेवन योग्य (पौष्टिक) : बादाम पाक, बसंत, कुसुमाकर रस, च्यवनप्राश अवलेह (स्पेशल) दयाल तेल, दशमूलारिष्ट।

🍂विषम ज्वर (मलेरिया) : पु.प. विषम ज्वरांतक लौह, सुदर्शन चूर्ण, महा सुदर्शन काढ़ा, अमृतारिष्ट, ज्वरांकुश रस, सत्व गिलोय।

🍁वात श्लेष्मिक ज्वर (एन्फ्लूएन्जा) : त्रिभुवन कीर्ति रस, लक्ष्मी विलास रस, संजीवनी वटी, पीपल 64 प्रहरी, अमृतारिष्ट।

🌹श्लीपद (हाथी पाँव) : नित्यनंद रस, मल्ल सिंदूर।

🌺जीर्ण ज्वर व अन्य : स्वर्ण वसंत मालती, सितोपलादि चूर्ण, अमृतराष्टि, मत्युंजय रस, आनंद भैरव, गोदंती भस्म, सर्वज्वरहर लौह, संजीवनी, ज्वरांकुश रस, महालाक्षादि तेल।

🍃तमक श्वास (दवा) : कफकेयर, च्यवनप्राश अवलेह, सितोपलादि चूर्ण, श्वासकास, चिंतामणि कनकासव, शर्बत वासा, वासारिष्ट, वासावलेह, मयूर चन्द्रिका भस्म, अभ्रक भस्म तेल। स्नेहा समूह

🥀कास रोग (कफ खांसी) : कफकेयर शर्बत वासा, वासावलेह, वासारिष्ट खदिरादि वटी, मरिचादि वटी, लवंगादि वटी, त्रिकुट चूर्ण, द्राक्षारिष्ट, एलादि वटी, कालीसादि चूर्ण, कफकेतु रस, अभ्रक भस्म, श्रृंगारभ्र रस, बबूलारिष्ट।

🌹उर्ध्व रक्तपित्त (कफ के साथ अणवा उल्टी में खून आना) : कफकेयर, शर्बत वासा, कामदुधा रस मौ.यु. कहरवा पिष्टी, वासावलेह, प्रवाल पिष्टी, वासारिष्ट, बोलबद्ध चूर्ण, बोल पर्पटी, रक्त पित्तांतक लौह कुष्माण्ड अवलेह।

🌼राजयक्षमा (टीबी) : स्वर्ण वसंत मालती, लक्ष्मी विलास रस, मृगांक रस, वृहत्‌ श्रृंगारभ्र रस, राजमृगांक रस, वासावलेह, द्राक्षासव, च्यवनप्राश अवलेह, महालक्ष्मी विलास रस।

🌸पार्श्व शूल (प्लूरिसरी, फेफेड़ों में पानी भरना) : नारदीय लक्ष्मी विलास रस, स्वर्ण वसंत मालती, मृगश्रृंग भस्म, रस सिंदूर।

🥀हिक्का रोग (हिचकी आना) : सूतशेखर स्वर्णयुक्त, मयूर चन्द्रिका भस्म, एलादि वटी, एलादि चूर्ण।

🥀खालित्य (बालों का गिरना, गंजापन) : महाभृंगराज तेल, हस्तिदंतमसी, च्यवनप्राश अवलेह।

🌹पालित्य (बाल सफेद होना) : महाभृंगराज तेल, भृंगराजसव, च्यवनप्राश।

🌹विचर्चिका (छाजन, एग्जिमा) : चर्म रोगांतक मरहम, गुडुच्यादि तेल, रस माणिक्य, महामरिचादि तेल गंधक रसायन, त्रिफला चूर्ण, पुभष्पांजन, रक्त शोध, खदिरादिष्ट, महामंजिष्ठादि काढ़ा।

🥀दद्रु (दाद, रिंगवर्म) : सोमराजी तेल, गंधक रसायन।

🌻कुष्ठ (सफेद दाग) : सोगन बावची, खदिरादिष्ट, आरोग्यवर्द्धिनी वटी, रस माणिक्य, गंधक रसायन, चालमोगरा तेल, महामंजिष्ठादि क्वाथ।

🌹शीत पित्त (पित्ती) : हरिद्राखंड, कामदुधा रस, आरोग्यवर्द्धिनी वटी, सूतशेखर रस।

🌺पिदक (गर्मी की मरोरी, पसीना) : खमीरा संदल, प्रवालयुक्त, गुलकन्द, प्रवाल पिष्टी, जहर मोहरा पिष्टी, सारिवाद्यासव। स्नेहा समूह

🌾खाज-खुजली, फोड़े-फुंसी, रक्त विकार : रक्त शोधक, खदिराष्टि, महामंजिष्ठादि काढ़ा, सारिवाद्यासव, महामरिचादि तेल, रोगन नीम, गंधक रसायन, केशर गूगल, आरोग्यवर्द्धनी, जात्यादि तेल, चर्मरोगांतक मरहम,पुष्पांजन
बीमार पड़ने के पहले , ये काम केवल आयुर्वेद ही कर सकता है।

1–केंसर होने का भय लगता हो तो रोज़ाना कढ़ीपत्ते का रस पीते रहें,,,
2– हार्टअटेक का भय लगता हो तो रोज़ना अर्जुनासव या अर्जुनारिष्ट पीते रहिए,,
3– बबासीर होने की सम्भावना लगती हो तो पथरचटे के हरे पत्ते रोजाना सबेरे चबा कर खाएँ,,,,
4– किडनी फेल होने का डर हो तो हरे धनिये का रस प्रात: खाली पेट पिएँ,,,
5– पित्त की शिकायत का भय हो तो रोज़ाना सुबह शाम आंवले का रस पिएँ,,,
6– सर्दी – जुकाम की सम्भावना हो तो नियमित कुछ दिन गुनगुने पानी में थोड़ा सा हल्दी चूर्ण डालकर पिएँ,,,,
7– गंजा होने का भय हो तो बड़ की जटाएँ कुचल कर नारियल के तेल में उबाल कर छान कर,रोज़ाना स्नान के पहले उस तेल की मालिश करें,,,
8– दाँत गिरने से बचाने हों तो फ्रिज और कूलर का पानी पीना बंद कर दें,,,,
9– डायबिटीज से बचाव के लिए तनावमुक्त रहें, व्यायाम करें, रात को जल्दी सो जाएँ, चीनी नहीं खाएँ , गुड़ खाएँ,,,
10–किसी चिन्ता या डर के कारण नींद नहीं आती हो तो रोज़ाना भोजन के दो घन्टे पूर्व 20 या 25 मि. ली. अश्वगन्धारिष्ट ,200 मि. ली. पानी में मिला कर पिएँ,,,,

किसी बीमारी का भय नहीं हो तो भी — 15 मिनिट अनुलोम – विलोम, 15 मिनिट कपालभाती, 12 बार सूर्य नमस्कार करें,,,,

          स्वयं के स्वास्थ्य के लिए इतना तो करें,,,,,

स्वस्थ रहने के लिए धन नहीं लगता, थोड़ी स्फूर्ति, थोड़ी जागरूकता व थोड़ा परिश्रम लगता है।

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🍂हाथ और बाँह की सुन्दरता के लिए प्राकृतिक उपचार

🥀खूबसूरत हाथ
हाथ ज्यादा फटते हों तो थोड़ा-सा जामुन का सिरका रात को सोते समय हाथों पर लगाएं। सुबह हाथों को ताजे पानी से धो लें। यह उपाय प्रतिदिन करने से सप्ताह भर में ही आपके हाथ नाजुक-कोमल हो जायेंगे।
हाथों की झुर्रियां मिटाने के लिए आलू का रस हाथों पर मलें।
🌹आधा नींबू काट लें। उस पर एक चम्मच चीनी रखकर हाथों की त्वचा पर तब तक रगड़ें, जब तक चीनी पूरी तरह घुल न जाए। इस उपचार से हाथों का खुरदरापन, कालापन तथा झुर्रियां दूर होती हैं।
🥀हाथ ज्यादा खुरदरे हैं तो हाथों को कुछ देर तक गुनगुने पानी में रखें। फिर हाथों को सुखाकर बादाम का तेल लगाएं।
🌹आध चम्मच नींबू के रस में एक चम्मच बेसन मिलाकर पानी की मदद से पेस्ट बना लें। हाथों को साबुन की बजाए इस पेस्ट से साफ करने से मैल तथा खुरदरापन समाप्त हो जाता है।स्नेहा समूह
🌼एक चम्मच शहद, एक चम्मच बादाम का तेल, दोनों को मिलाकर हाथों पर मलें। एक घंटे तक कोई काम न करें। इसके बाद हाथों को ताजे पानी से धे लें। प्रतिदिन ऐसा करते रहने से कड़े हाथ मुलायम हो जाते हैं और झुर्रियां भी दूर होती हैं।
🌹एक चम्मच नींबू का रस, एक चम्मच ग्लिसरिन, एक चम्मच टमाटर का रस-तीनों को मिलाकर हाथों पर लगाएं। इससे हाथों की त्वचा का कालापन दूर होता है और त्वचा निखर उठती है।
🍂हाथों पर समय उभर आई झुर्रियां दूर करने के लिए एक चम्मच जैतून का तेल मिलाकर हलका गरम कर इसकी मालिश धीरे-धीरे हाथों पर करें। झुर्रियां दूर होकर हाथ कोमल तथा सुंदर बनते हैं।स्नेहा समूह
🥀हाथों की एक्सरसाइज
दोनों हाथों की मुट्ठियां बांध् लें। फिर उन्हें खोलकर उंगलियों को अधिक से अधिक फैलाएं। यह एक्सरसाइज 8-10 बार करें।
🌾उंगलियों को तेजी से पफैलाएं, फिर आपस में चिपकाएं और सिकोड़ें। इसे 10-12 बार करें।
हाथ को किसी टेबल पर रखकर उंगलियों को हारमोनियम बजाने के समान चलाएं। इससे रक्त संचार बढ़ता है।
🌹सावधानी
हाथों को अधिक समय तक गीला न रखें। इससे हाथों त्वचा शुष्क एवं खुरदरी हो जाती है। रोजाना पौष्टिक आहार लें। गीले हाथों को पोंछकर कोई तेल या क्रीम लगाएं।
🌹सुंदर बांहें
कच्चे दूध् में थोड़ा-सा नमक और आध चम्मच गुलाब जल मिलाकर बांहों पर लगाएं। 30 मिनट के बाद बांहों को धे लें। इससे त्वचा साफ होती है।
🌹एक चम्मच कच्चा दूध्, आध चम्मच नींबू का रस, दो चम्मच टमाटर का रस-इन तीनों को मिलाकर बांहों पर लगाएं। 30 मिनट के बाद ठंडे पानी से धेलें। बांहें कोमल बनती हैं।
🥀एक चम्मच कच्चे आलू का रस, एक चम्मच खीरे के रस में मिलाकर बांहों पर लेप करें। इससे बांहों की झुर्रियां मिटती हैं।
🌹धूप में बांहें काली हो जाने पर एक चम्मच खीरे का रस, एक चम्मच टमाटर का रस तथा 3-4 बूंद नींबू का रस – इन तीनों को मिलाकर बांहों पर लगाएं। एक घंटे के बाद पानी से धो लें। प्रतिदिन के प्रयोग से बांहें गोरी और कोमल हो जाती हैं।
🥀बांहों के एक्सरसाइज
बांहों की रोजाना मालिश करें। मालिश बांहों के लिए सबसे अच्छी एक्सरसाइज है। इससे नावश्यक चर्बी छंटती है मांसपेशियां मजबूत होती हैं तथा वे सुडौल हो जाती हैं।स्नेहा आयुर्वेद ग्रुप
🌾बांहों को दिन में चार-पांच बार सामने की तरपफ झाड़ें। इससे रक्त संचार का संतुलन सही रहता है।
कोहनियों पर भी ध्यान दें
🌺नींबू का छिलका रोजाना कुहनियों पर मलने से काली पड़ गयी कोहनियां साफ एवं चिकनी हो जाती हैं।
खुरदरी कोहनियां होने पर आधे नींबू पर चीनी रखकर रगड़ें। इससे वहां का मैल ठीक से साफ होकर कोहनी सुन्दर हो जाती है।
🌹एक चम्मच नींबू का रस एक गिलास गुनगुने पानी में डालें। रफमाल को इस पानी में भिगोकर काली हुई कोहनियों पर रखें ताकि मैल फूल जाए। फिर रफमाल से धीरे-धीरे रगड़कर मैल साफ करें।

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