॥ बीज मंन्त्र ॥
१. ह्रीं:-ह=शिव, र= प्रकृति, ई= महामाया नाद= विश्वमाता और बिन्दु= दुख हरण इस प्रकार इस शक्ति बीज का अर्थ होता है शिव सहित विश्व माता शक्ति मेरे दुःख कष्टों को दुर करे।
२.ऐं:- ऐ= सरस्वती और बिन्दु= दुख हरण। इसप्रकार इस वाग्भवबीज का अर्थ है– सरस्वती मेरे कष्टों का निवारण करें।
३.क्लीं:- क= कृष्ण काम या काली, ल= इन्द्र (लोकपाल), ई= महामाया या तृष्टि और बिन्दु= सुखकर। इस तरह कृष्ण बीज या काम बीज के अर्थ होते हैं मन्मथमन्मथ भगवान कृष्ण और लोक नायिका महाकाली मुझे सुख व शान्ति दे।
४.श्री:-श= महालक्ष्मी, र= धन सम्पत्ति, ई= तुष्टि,नाद= विश्वमाता बिन्दू= दुख हरण ।इस प्रकार श्री बीज या लक्ष्मी बीज काअर्थ होता है । धन सम्पत्ति और तुष्टि- पुष्टि की अधिष्ठात्री महालक्ष्मी मेरे दुःखो या नाश करें।
५.दूं:-द= दुर्गा, ऊ= रक्षा, बिन्दु= दुख हरण । इस दुर्गा बीज का अर्थ है- मां दुर्गा मेरी रक्षा करें।
६.स्त्री:-स= दुर्गोंत्तारण, त= तारक, र= मुक्ति, ई= महामाया, नाद= विश्व माता, और बिन्दु= दुःख हरण। इस प्रकार वधू बीज का अर्थ है। तारिणी विश्वमाता भगवती महामाया मेरे दुखों का नाश करें ।
७:- हौं:- ह= शिव, औ= सदाशिव और बिन्दु= दुःख हरण। इस प्रसाद बीज का अर्थ है- शिव एवं सदाशिव के प्रसाद से मेरे सभी दुःखों का नाश करें।
८:-हूँ:-ह= शिव, ऊ= भैरव , नाद= लोकनायक, बिन्दु= दुःख हरण। इस कुर्चबीज का अर्थ है– भीषण नाद करने वाले लोकनायक शिव मेरे दुःखों को नष्ट करें।
९:-क्रीं:- क= काली, र= ब्रह्म, ई= महामाया, नाद= लोक नायिका एवं बिन्दु= दुःख हरण। इस काली बीज या कर्पुर बीज का अर्थ है । ब्रह्म शक्ति स्वरूपिणी, लोक नायिका महाकाली मेरे दुःखों का नाश करें।
१०.गं:-ग= गणेश, और बिन्दु= दुःख हरण। इस गणेश बीज का अर्थ है । भगवान गणपति मेरे विघ्न और दुखों का नाश करें।
११.ग्लौं:- ग= गणेश, ल= व्यापक, औ=तेज और बिन्दु= दुःख हरण। इस गणेश बीज का अर्थ है- परम व्यापक एवं ज्योतिमय भगवान गणपति मेरे दुःखों कि नाश करें।
१२.क्ष्रौं:- क्ष= नृसिंह , र= ब्रह्म , औ= उर्ध्व दन्त तथा बिन्दु= दुःख हरण। इस नृसिंह बीज का अर्थ है ब्रह्म स्वरूप उर्ध्व दन्त भगवान नृसिंह मेरे दुःखों को नष्ट करें
इसी प्रकार सभी बीज मंत्रों के देवी देवताओं के अनुसार अर्थ होते हैं ।