इंद्र जौ के चमत्कारी फ़ायदे(शुगर की रामबाण औषधि )
आज हम आपको ऐसे चमत्कारी पौधे के बारे में बताएँगे जिसे इंद्रजौ कहते है, इन्द्रजौ का पौधा एक जंगली पौधा होता है।
इसका पौधा 5-10 फुट ऊंचा होता है।
इसके पत्ते बादाम के पत्तों की तरह लंबे होते हैं।
महाराष्ट्र के कोंकण में इन पत्तों का बहुत उपयोग किया जाता है।
इसके फूलों की सब्जी बनायी जाती है।
इसमें फलियां लगती हैं, जो पतली और लंबी होती हैं, इन फलियों का भी साग और अचार बनाया जाता है।
फलियों के अंदर से जौ की तरह बीज निकलता है।
उसी को इन्द्रजौ कहते हैं।
सिरदर्द तथा साधारण प्रकृति वाले मनुष्यों के लिए यह नुकसानदायक है।
इसके दोषों को दूर करने के लिए इसमें धनियां मिलाया जाता है।
इसकी तुलना हम जायफल से भी कर सकते हैं।
इसके फूल भी कड़वे होते हैं।
इनका एक पकवान भी बनाया जाता है।
इन्द्रजौ के पेड़ की दो जातियां होती हैं और इन दोनों में ये कुछ अन्तर होते हैं।
1.काली इन्द्र जौ
काली इन्द्र जौ के पेड़ बड़े होते हैं।
काली इन्द्र जौ के पत्ते हल्के काले होते हैं।
काली इन्द्र जौ के पेड़ की फलियां सफेद इन्द्र जौ के पेड़ की फलियों से दो गुने होते हैं।
काली इन्द्र जौ ज्यादा गर्म होता है।
काली इन्द्रजौ बवासीर, त्वचा के विकार और पित्त का नाश करती है।
और खून की गंदगी, कुष्ठ, अतिसार (दस्त), कफ, पेट के कीड़े, बुखार और जलन को नाश (खत्म) करता है।
बाकी काले इन्द्रजौ के सभी गुण सफेद इन्द्र जौ के गुण से मिलते जुलते हैं।
- सफेद इन्द्र जौ :
सफेद इन्द्र जौ के पेड़ काले इन्द्र जौ से छोटे होते हैं।
सफेद इन्द्र जौ के पत्ते हल्के सफेद होते हैं।
सफेद इन्द्र जौ की फलियां थोड़ी छोटी होती हैं।
सफेद इन्द्र जौ हल्का गर्म होता है।
सफेद इन्द्र जौ कड़वा, तीखा, भूखवर्द्धक, पाचक और फीका होता है।
इंद्रजौ के 10 चमत्कारी फ़ायदे :
1.मधुमेह :
दोस्तों आज शुगर या मधुमेह रोग मानवता के लिए एक नासूर बन गया है एलोपैथी में हजारों रुपए की दवाएं लोग खाते खाते थके जा रहें हैं पुरुष हो या स्त्री दोनों जातियों में यह रोग घुन लगा रहा है और बहुतयात से पाया जाता हैl
इसलिए कि मानवता से बढ़कर कोई चीज नहीं।
आवश्यक सामग्री :
इन्द्रजो कडवा या इन्द्रजो तल्ख़ (बीज) : 250 ग्राम
बादाम : 250 ग्राम
भुने चने : 250 ग्राम
इंद्रजौ के बीज जो जौ के समान होते हैं।
यह योग बिल्कुल अजूबा योग है अनेकों रोगियों पर आजमाया गया है मेरे द्वारा सौ प्रतिशत रिजल्ट आया है आप इस नुस्खे के रिजल्ट का अंदाजा यूं लगा सकते हैं कि अगर इसको उसकी मात्रा से ज्यादा लिया जाए तो शुगर इसके सेवन से लो होने लगती है बादाम को इस वजह से शामिल किया गया यह शुगर रोगी की दुर्बलता कमजोरी सब दूर कर देता है चने को इन्द्रजो की कड़वाहट थोड़ी कम करने के लिए मिलाया गया।
औषधियों का मिश्रण बनाने कि विधि :
तीनों औषधियों का अलग अलग पाउडर बनाए और तीनो को मिक्स कर लीजिये और कांच के जार में रख लें और खाने के बाद एक चाय वाला चम्मच एक दिन में केवल एक बार खाएं सादे जल से|
अगर आप दोस्तों में से कोई शुगर रोग से ग्रस्त हो तो स्वयं इस योग का सेवन कर नया जीवन पाईये और अगर कोई आपका अपना शुगर रोगी है तो उसे यह योग शेयर करके नया जीवन गिफ्ट में दीजिए सभी दोस्तों से अनुरोध है कि यह पोस्ट रुकनी नहीं चाहिए सम्पूर्ण भारत वासियों को यह योग मालूम हो जाना चाहिये मानवता का दुख अपना दुख यह मेरा मानना है और आज पता चल जाएगा कि मानवता के दुख को कौन अपना दुख मानता है और कौन कौन मित्र शेयर करके निर्धन गरीब लोगों को नयी उम्मीद और नयी रोशनी दिखाता है, इसी में मेरा और आपका कल्याण है।
- बवासीर :
कड़वे इन्द्रजौ को पानी के साथ पीसकर बेर के बराबर गोलियां बना लें। रात को सोते समय दो गोली ठंडे जल के साथ खायें।
इससे बादी बवासीर ठीक होती है।
- कुष्ठ या कोढ :
इन्द्र जौ को पीसकर गाय के पेशाब में मिलाकर लेप करने से चर्म-दल कोढ़ मिट जाता है। - पाचन की खराबी :
इन्द्रजौ के चूर्ण को 2-2 ग्राम खाने से पेट का दर्द और मंदाग्नि समाप्त हो जाती है। - पेट के कीड़े :
इन्द्रजौ को पीस और छानकर 1-1 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम पीने से पेट के कीडे़ मरकर, मल के साथ बाहर निकल जाते हैं। - पीलिया :
काले इन्द्रजौ के बीजों का रस निकालें और थोड़ा-थोड़ा तीन दिनों तक खायें। - पथरी :
इन्द्र जौ और नौसादर का चूर्ण दूध अथवा चावल के धोये हुए पानी में डालकर पीना चाहिए।
इससे 5 दिन में पथरी गलकर निकल जाती है।
नहीं निकले तो प्रयोग कुछ दिन आगे बढ़ाएं।
इन्द्र जौ की छाल को दही में पीसकर पिलाना चाहिए।
इससे पथरी नष्ट हो जाती है।
- दस्त :
इन्द्र-जौ को पीसकर चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में ठंडे पानी के साथ दिन में 3 बार पिलाने से अतिसार समाप्त हो जाती है। - पेट की ऐंठन :
इन्द्रजौ के बीजों को कुछ गर्म करके पानी में भिगोयें, बाद में उस पानी को सेवन करें।
इससे पेट की ऐंठन खत्म हो जाती है।
- मुंह के छाले :
इन्द्र जौ और काला जीरा 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर कूटकर चूर्ण बना लें।
इस चूर्ण को छालों पर दिन में 2 बार लगाने से छाले नष्ट होते हैं।