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क्या है स्टीविया यानि हनी प्लांट

स्टीविया एक आयुर्वेदिक पौधा है जो मधुमेह और मोटापे में अमृत के समान है। यहां एक हैरानी की बात यह है कि स्टेविया गन्ने के मुकाबले 300 गुना ज्यादा मीठा होने के बावजूद यह मधुमेह को रोकने में सहायक साबित होता है। पेक्रियाज से इंसुलिन आसानी से मुक्त होता है,आयुर्वेद के विशेषज्ञों के मुताबिक स्टेविया के चार पत्तों का चायपत्ती की तरह से इस्तेमाल किया जाये तो यह मधुमेह और मोटापे में रामबाण का काम करता है। इसको पचाने से शरीर में एन्जाइम नहीं होता है और न ही ग्लुकोज ही मात्रा बढ़ती है। इसमे आवश्यक खनिज और विटामिन होते हैं। इसे चाय, कॉफी और दूध आदि के साथ उबाल कर प्रयोग किया जा सकता है।

स्टीविया पेंक्रियाज की बीटा कोशिकाओं पर असर डाल कर इंसुलिन तैयार करने में मदद करता है। इसे सीमित मात्रा में इस्तेमाल करने के लिए गमले में भी लगाया जा सकता है। घर की जरूरत के लिए 8-10 🌿गमले ही काफी हैं। और जो घर में नहीं लगा सकते वह इसकी पत्तियों का पावडर हम से खरीद सकते हैं। मधुमेह और मोटापे से पीड़ित लोगों के लिए यह फायदेमंद है जिससे वो मिठाई खाने का भी लुत्फ उठा सकते हैं और साथ ही हेल्थ का टेंशन भी नहीं होगा।

स्टेविया 🌿की औषधीय गुणों के कारण ही इसकी मांग धीरे धीरे बढ़ रही है। लिहाजा स्टेविया की खेती करके कृषक ठीक ठाक मुनाफा कमा सकते हैं।

स्टीविया 🌿की खेती के अपने कुछ उल्लेखनीय फायदे भी हैं। दूसरी आम फसल के मुकाबले इससे ज्यादा आमदनी होती है। इसमे किसी कीटनाशक छिड़कने की जरूरत नहीं होती है क्योंकि इसमे कोई कीड़ा नहीं लगता है, साथ ही इस फसल को कोई मवेशी या जानवर भी नहीं खाता है। यह फसल प्राकृतिक आपदा का सामना करने में पूरी तरह सक्षम है, जैसे कि इसे ना तो ज्यादा गर्मी के मौसम से परेशानी है और ना ही ज्यादा ठंड से कोई नुकसान पहुंचता है। इसकी खेती में एक और फायदा ये है कि इसमे सिर्फ देसी खाद से ही काम चल जाता है। सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसकी बुवाई सिर्फ एक बार की जाती है और सिर्फ जून और दिसंबर महीने को छोड़कर दसों महीनों में इसकी बुवाई होती है। एक बार फसल की बुवाई के बाद पांच साल तक इससे फसल हासिल कर सकते हैं। साल में हर तीन महीने पर इससे फसल प्राप्त कर सकते हैं।, एक साल में कम से कम चार बार कटाई की जा सकती है ।” पांच साल के बाद भी यह फसल पूरी तरह खत्म नहीं हो जाती है बल्कि इसकी जड़ें काफी फैल जाती है। पांच साल बाद इसकी मिट्टी में थोड़ा बदलाव कर इस पौधे की जड़ को दूसरी जगह स्थानांतरित किया जा सकता है।

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