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एक व्यक्ति ने फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर की जिसमें उस व्यक्ति ने लिखा कि दिल्ली के एक सुप्रसिद्ध कैंसर हस्पताल( उन्होंने नाम लिखा था मगर हम नहीं लिख रहे) के डॉक्टर ने यह बात बताई है की आगर गर्म पदार्थ को किसी भी प्लास्टिक के बर्तनों में डालकर सेवन किया जाए तो वह कैंसर को बढ़ावा देता है, बस फिर क्या था धड़ल्ले से सोशल मीडिया यह पोस्ट शेयर की जाने लगी, किसी ने कुछ किसी ने कुछ इस पोस्ट को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया ऊपर वाली पोस्ट की हालत भी कुछ ऐसी ही है जिसमें इतना बड़ा लेख है बस बात एक ही है कि प्लास्टर का प्रयोग मत कीजिए।

कैंसर क्यों होता है ?? आधुनिक चिकित्सा शास्त्र के पास अभी तक इसका कोई उत्तर नहीं है, मगर आयुर्वेद में इसका पूरा पूरा निदान और चिकित्सा का वर्णन है।

कैंसर होने के संभावित कारण

धूम्रपान-सिगरेट या बीडी, के सेवन से मुंह, गले, फेंफडे, पेट और मूत्राशय का कैंसर होता है।
तम्‍बाकू, पान, सुपारी, पान मसालों, एवं गुटकों के सेवन से मुंह, जीभ खाने की नली, पेट, गले, गुर्दे और अग्‍नाशय (पेनक्रियाज) का कैंसर होता है।
शराब के सेवन से श्‍वांस नली, भोजन नली, और तालु में कैंसर होता है।
धीमी आचॅं व धूंए मे पका भोजन (स्‍मोक्‍ड) और अधिक नमक लगा कर संरक्षित भोजन, तले हुए भोजन और कम प्राकृतिक रेशों वाला भोजन(रिफाइन्‍ड) सेवन करने से बडी आंतो का कैंसर होता है।
कुछ रसायन और दवाईयों से पेट, यकृत(लीवर) मूत्राशय के कैंसर होता है।
लगातार और बार-बार घाव पैदा करने वाली परिस्थितियों से त्‍वचा, जीभ, होंठ, गुर्दे, पित्‍ताशय, मुत्राशय का कैंसर होता है।
कम उम्र में यौन सम्‍बन्‍ध और अनेक पुरूषों से यौन सम्‍बन्‍ध द्वारा बच्‍चेदानी के मुंह का कैंसर होता है,
विरुद्ध आहार वे लंबे समय सेवन करने के बाद कैंसर होना लाजमी है जिसके लिए भी समय चाहिए समय मिलते ही आपको पुनः की जानकारी भेजने की कोशिश करूंगा।

कैंसर से बचाव के उपाय

धूम्रपान, तम्‍बाकु, सुपारी, चना, पान, मसाला, गुटका, शराब आदि का सेवन न करें।
विटामिन युक्‍त और रेशे वाला ( हरी सब्‍जी, फल, अनाज, दालें) पौष्टिक भोजन खायें।
कीटनाशक एवं खाद्य संरक्षण रसायणों से युक्‍त भोजन धोकर खायें।
अधिक तलें, भुने, बार-बार गर्म किये तेल में बने और अधिक नमक में सरंक्षित भोजन न खायें।
अपना वजन सामान्‍य रखें।
नियमित व्‍यायाम करें नियमित जीवन बितायें।
साफ-सुथरे, प्रदूषण रहित वातावरण की रचना करने में योगदान दें।
प्रारम्भिक अवस्‍था में कैंसर के निदान के लिए निम्‍नलिखित बातों का विशेष ध्‍यान दें
मूंह में सफेद दाग या बार-बार होने वाला घाव।
शरीर में किसी भी अंग या हिस्‍से में गांठ होने पर तुरन्‍त जांच करवायें।
महिलायें माहवारी के बाद हर महीने स्‍तनों की जॉंच स्‍वयं करे स्‍तनों की जॉंच स्‍वयं करने का तरीका चिकित्‍सक से सीखें।
दो माहवारी के बीच या माहवारी बन्‍द होने के बाद रक्‍त स्‍त्राव होना खतरे की निशानी है पैप टैस्‍ट करवायें।
शरीर में या स्‍वास्‍थ्‍य में किसी भी असामान्‍य परिवर्तन को अधिक समय तक न पनपने दें।


दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन के दस नियम

🌻 प्रत्येक मनुष्य दीर्घ जीवन, स्वस्थ जीवन और सुखी जीवन जीना चाहता है । यदि स्वस्थ और दीर्घजीवी बनना हो तो इन दस नियमों को अवश्य समझ लेना चाहिए :

🌹1. रात्रि में जल्दी सोयें एवं सुबह जल्दी उठें ।

🌻2. शरीर को रगड़-रगड़कर ताजे पानी से स्नान करें ।

🌹3. मोटे एवं सूती वस्त्र ही पहनें । सिंथेटिक वस्त्र स्वास्थ्य के लिए हितकर नहीं है ।

🌻4. चाय -काफी, शराब-कबाब, धूम्रपान बिल्कुल त्याग दें । पान-मसाले की मुसीबत से भी सदैव बचें । यह धातु को क्षीण व रक्त को दूषित करके कैन्सर रोग को जन्म देता है अतः इसका त्याग करें ।

🌻 5. भोजन सात्विक करें एवं दिन में केवल दो बार ही करें । दिन में बार-बार न खायें व चौबीस घण्टे में एक बार ठूँस-ठूँसकर भी न खायें । पेट का चौथा हिस्सा हमेशा खाली रखें।

🌹6. आपको स्वस्थ रहने के लिए कम-से कम छ: घण्टे की नींद करनी चाहिए, उससे कम-ज्यादा नहीं । वृद्ध को चार एवं श्रमिक को छ: से साढ़े सात घण्टे ही नींद करनी चाहिए ।

🌻7. जब आप शयन करें तब कमरे की खिड़कियाँ खुली हों और रोशनी न हो ।

🌹8. रात्रि को सोते समय पूर्व अथवा दक्षिण दिशा की ही ओर सिर करके सोयें । पश्चिम अथवा उत्तर की ओर सिर करके सोनेवाले व्यक्ति की जीवनशक्ति का ह्रास होता है ।

🌻9. विवाह तो करें किन्तु संयम-नियम से रहें, ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए रहें ।

🌹 10. आप जो कार्य करते हैं सप्ताह में कम-से कम एक दिन उससे मुक्त हो जायें ।

🌻 वैज्ञानिक कहते हैं कि जो आदमी सदा एक जैसा काम करता रहता है उसमें थकान या बुढ़ापा जल्दी आ जाता है ।

🌻 ये कुछ ऐसे नियम हैं जिन्हें अपने जीवन में अपनाकर मनुष्य दीर्घकाल तक स्वस्थ रह सकता है । साथ ही प्राणायाम, ध्यान आदि अपनाकर दीर्घकाल तक स्वस्थ रह सकता है ।

🌹आँखों के लिए हितकर आहार :

🌻शहद , गाय के दूध , घी, अंगूर , केला , संतरा, पुनर्नवा , पालक , सेंधा नमक, हरा धनिया , सौंफ , बादाम व गोमूत्र नेत्रों के लिए हितकर हैं |

🌹अहितकर आहार :

🌻अंकुरित अनाज , तरबूज , ताड़फल , सादा नमक तथा आम का अधिक सेवन , देर रात का भोजन , अधिक जलपान एवं उष्ण- तीक्ष्ण – अम्ल-विदाहि पदार्थ का सेवन हानिकारक है |

🌹हितकर विहार :

🌻प्रातः सूर्योदय के समय बगीचे की हरी घास पर घूमना , शीर्षासन , सूर्य नमस्कार , त्राटक व प्रतिदिन प्रातः काल जलनेति करना खूब लाभदायी है |

🌹अहितकर विहार :

🌻सूर्योदय के बाद व दिन में सोना , रात्रि-जागरण व रात्रि-स्नान ,धूल , धुआँ, तेज धूप, सूर्यावलोकन नंगे पैर घूमना ,टीवी , चमकीले व आती शसूक्ष्म पदार्थ को देखना तथा तेज वायु का सेवन आँखों के लिए हानिकारक है |

🌹कर्ण-सुरक्षा🌹

🌹कान वायु का स्थान है | यहाँ की वायु के शमनार्थ कानों में प्रतिदिन तेल डालना चाहिए | इसके लिए सरसों का तेल उत्तम हैं | तेल डालने के बाद कान के मूल में धीरे-धीरे मालिश करें | इस से कानों की उच्च श्रवण, बहरेपन व अन्य रोगों से सुरक्षा होती हैं | ऊँची आवाज ,तेज व ठंडी हवा तथा पानी से कानों को बचना चाहिए |

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