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🔮 डिप्रेशन होने का मुख्य कारण 🔮
*कोई प्रॉब्लम बड़ी नही होती है*
बल्कि हम उस प्रॉब्लम को सोच सोच कर बड़ी कर देते है
🍥 -संसार दुःखों का घर है। अनेक कारणों से दुःख पैदा होते है। परंतु दुःख का मूल कारण है, दो शब्द :-
🍥 -सहमती और दूसरा असहमती
🍥 -जब हम किसी बात या घटना के साथ सहमत होते है तो दुःख नहीं होता। जब घटना से असहमत होते है तो दुःख होता है।
🍥 -अचानक अधिक बरसात, गर्मी या सर्दी पड़ गई। अगर हम सहमत होते है कि यह तो प्रभु कि इच्छा व ड्रामा है तो हम दुःखी नहीं होगे। अगर हम असहमत होते है कि इतनी बरसात, गर्मी व सर्दी नहीं पड़नी चाहिये थी तो हमे दुःख होगा।
🍥 -माँ बाप बच्चों को भगवान की सौगात समझ, सहमत होते है तो दुःख नहीं होगा अगर दूसरों के बच्चों से तुलना करते है तो यह असहमती है, इस से दुःख पैदा होगा।
🍥 -बच्ची की शादी हमारी सहमती से होती है तो हम खुश होते है। अगर वह भाग कर शादी करा ले तो हमारी सहमती नहीं होती , इसलिये हमे दुःख होता है।
🍥 -हम व्यक्तियों को कंट्रोल नहीं कर सकते। उनके व्यवहार, गाली, बुरे शब्दों से सहमत हो जाये, ये नादान है तो हमे दुःख नहीं होगा, जब हम असहमत होंगे तो दुःख होगा।
🍥 -इसलिये जिंदगी में कोशिश करो, जो घटनाएँ, बातें, व्यवहार होते है उनके साथ सहमती बनायी जाये, इससे हम दुःख से बचे रहेंगे।
🍥 -किसी दूसरे की टाँग टूट जाये तो हम मानते है की यह ड्रामा है यह तो होना ही था इसलिये हमे दुःख नहीं होता।
🍥 -अगर हमारी टाँग टूट जाये तो हम दुःखी हो जाते है क्योंकि हम मानते है की ड्रामा में यह नहीं होना चाहिये था।
🍥 -माँ बाप को हम चुन नहीं सकते ये तो हमारे हम ने पिछले जनम मे जैस करम किए है उस पर आधारित होता है कि वह हमे कैसे माँ बाप मिलते है, इसलिये हम खुश रहे चाहे वह कैसे भी है।
🍥 -ऐसे ही हम अपना बॉस और निमित्त टीचर नहीं चुन सकते। आप सहमत हो कर खुशी मनाएँ।
🍥 -हम नदी की धारा बदल नहीं सकते। धारा के साथ चले ना की विरूद्ध तभी जीवन में सुख बना रहेगा।
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