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: सतकर्म और परिजनों की सेवा द्वारा ग्रहो को अनुकूल करने के आसान उपाय
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जब आप किसी ज्योतिष के पास जाते हैं, तो वह आपके कमजोर ग्रह के नग को पहनने की सलाह देता हैं।
पर क्या आपने कभी जानने की कोशिश की कि इन ग्रहों के साथ हम इन ग्रहों के कारक जो रिश्ते हम से जुड़े हैं, उनसे हम व्यवहार सुधार कर, उनकी सेवा करके, भी हम उस ग्रह की सकारात्मकता को बढ़ा सकते हैं।

हमारे परिवार मे कौन सा रिश्तेदार किस ग्रह की भूमिका निभाता हैं।

हम सप्ताह के सातो दिन को इस प्रकार बाटे जिससे हमारे गृह शांत रहें?देखिए मनुष्य के जीवन में जो सात दिनों को बांटा गया है वह कर्म करने के लिए है।रविवार पिता की सेवा करने से यदि आपकी कुंडली मे सूर्य कमजोर हैं, या नीच राशि का हो तो पिता से शुभ व्यवहार करे,रविवार को पिता के पसन्द की मिठाई, फल लाकर खिलाये, पिता के चरण छूकर आशीर्वाद ले।

सोमवार👉 को मां की सेवा करने से चंद्रमा शांत रहता है, हर सोमवार और पूर्णिमा को माँ का सम्मान करे। माँ को इस दिन दूध से बनी वस्तु खिलानी चाहियें । पानी का दुरुपयोग कम कीजिये। इससे चन्द्रमा ठीक होता हैं।

मंगलवार👉 को शांत रखने के लिए बड़े भाई का आदर सम्मान करना चाहिए।जो अपने भाई और मित्रो को धोखा देते हैं, उनसे छल कपट करते हैं उनका मंगल खराब होता हैं।

बुधवार👉 बहनों के लिए होता है, अर्थात बहन का जो हिस्सा है उसे जरूर देना चाहिए।बुधवार को बहन, बेटी और बुआ का सम्मान करे, समय समय पर उनको उचित उपहार दे ।साथ ही हरे पेड़ की सेवा करे ,या जीवन मे कम से कम 5 वृक्ष लगाकर उसकी देखभाल करे ।

गुरूवार👉 के दिन गुरू की सेवा करनी चाहिए और गुरू का सम्मान करना चाहिए। गुरु याने जो आपको ज्ञान देता हैं, गुरु याने जिसने आपके गलत समय पर सही मार्गदर्शन देकर आपको भटकने से बचाया ।गुरुवार को गुरु को पीला वस्त्र या कोई धार्मिक पुस्तक ,कलम आदि का दान अवश्य करे।

शुक्रवार👉 का दिन पत्नी के लिए है अर्थात पत्नी के जो अधिकार हैं उनका हनन नहीं करना चाहिए।यदि आपका शुक्र खराब हो जायगा तो आपके जीवन से ख़ुशी दूर हो जायगी।पत्नी का सम्मान करे, बेवजह उसके आत्म सम्मान को ठेस नही पहुचाये ।शुक्रवार उसको कोई उपहार अवश्य दे ।साथ ही गाय को इस दिन ज्वार अवश्य खिलाये ।

शनिवार👉 का दिन राहु केतू का दिन होता है अर्थात अपने कर्मो को ठीक रखना चाहिए, कर्म अच्छे रहेंगे तो शनि गृह शांत रहेगा।शनि याने आपका नोकर जो आपके यंहा कार्य
करता हैं, उसे बेवजह नही चिल्लाए और गाली दे, जो मजदूरो से पूरा काम करवाकर उसकी मजदूरी नही देते उनको शनि अधिक दंड देता हैं।

राहू याने सफाई कर्मी शनिवार को और बुधवार को सफाई कर्मी और कौड़ी लोगो को दान देने से राहु दोष हटते हैं। साथ ही पास के श्री भैरव मन्दिर जाकर सरसो तेल का 4 मुखी दीपक जलावे। केतु हेतु पुत्र को कभी अपशब्द नही बोले। साथ ही कुत्तो को एक रोटी अवश्य दे।

नोट👉 उपरोक्त उपाय वार से परिजनों का सम्बंधित होने के कारण बताये गए है। सेवा के लिए तिथि वार नक्षत्र की आवश्यकता नहीं होती।

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[: क्या आप के घर मे भी है वस्तुदोष ?
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आप भी अपने घर के वास्तु दोषों को दूर कर के अपने यहाँ मंगलमय वातावरण बना सकते हैंl

प्रस्तुत है कुछ प्रबल वास्तु दोष नाशक आजमाये हुए प्रयोग जिनको करके आप अपने घर मे विपुल लक्ष्मी एवं शांति का अनुभव प्राप्ति कर सकते हैl

1- घर में अखंड रूप से 9 बार रामायण का पाठ करने से वास्तुदोष का निवारण होता है।

2- भैरव मंदिर या हटकेश्वर-क्षेत्र में वास्तुपद नामक तीर्थ के दर्शन मात्र से ही वास्तुजनित दोषों का निवारण होता है।

3- मुख्य द्धार के ऊपर हनुमान जी के चरणों के सिंदूर से नो अंगुल लंबा नो अंगुल चोडा स्वास्तिक का चिन्ह बनाये और जहाँ पर भी वास्तु दोष है वहाँ इस चिन्ह का निर्माण करें वास्तुदोष का निवारण हो जाता है।

4- मकान में रसोई घर सही स्थान पर ना हो तो अग्निकोण में एक लाल बल्ब लगा दें और निरंतर जला कर रखें।

6- द्धार दोष और वेध दोष दूर करने के लिए शंख,सीप, समुद्र झाग, कौड़ी लाल कपड़े में
या मोली में बांधकर दरवाजे पर लटकायें।

5- बीम के दोष को शांत करने के लिए बीम
को सीलिंग टायल्स से ढंक दें। बीम के
दोनों ओर बांस की बांसुरी लगायें।

6- घर के द्वार पर घोड़े की लोहे वाली नाल लगायें। लेकिन नाल अपने आप गिरी होनी चाहिए।

7- घर के सभी प्रकार के वास्तु दोष दूर करने के लिए मुख्य द्धार पर एक ओर केले का वृक्ष दूसरी ओर तुलसी का पौधा गमले में लगायें।

8- दुकान की शुभता बढ़ाने के लिए प्रवेश द्धार के दोनों ओर गणपति की मूर्ति या स्टिकर लगायें। एक गणपति की दृष्टि दुकान पर पड़ेगी, दूसरे गणपति की बाहर की ओर।

9- यदि दुकान में चोरी होती हो या अग्नि लगती हो तो भौम यंत्र की स्थापना करें। यह यंत्र पूर्वोत्तर कोण या पूर्व दिशा में, फर्श से नीचे दो फीट गहरा गङ्ढा खोदकर स्थापित किया जाता है।

10- यदि पलाट खरीदे हुये बहुत समय हो गया हो और मकान बनने का योग ना आ रहा हो तो उस प्लाट में अनार का पौधा पुष्य नक्षत्र में लगायें।

11- 1 घर में 9 दिन तक अखंड कीर्तन करने से वास्तुजनित दोषों का निवारण होता है।

12- अगर आपका घर चारों ओर बड़े मकानों से घिरा हो तो उनके बीच बांस का लम्बा फ्लेग लगायें या कोई बहुत ऊंचा बढ़ने वाला पेड़ लगायें।

13- फैक्ट्री-कारखाने के उद्घाटन के समय चांदी का सर्प पूर्व दिशा में जमीन में स्थापित
करें।

14- अपने घर के उतर के कोण में तुलसी का पौधा लगाएं।

15- हल्दी को जल में घोलकर एक पान के पत्ते की सहायता से अपने सम्पूर्ण घर में छिडकाव
करें इससे घर में लक्ष्मी का वास तथा घर में शांति भी बनी रहती है।

16- अपने घर के मन्दिर में घी का एक दीपक नियमित जलाएं तथा शंख
की ध्वनि तीन बार सुबह और शाम के समय करने से नकारात्मक ऊर्जा घर से बहार
निकलती है।

17- घर में सफाई हेतु रखी झाडू को रास्ते के पास नहीं रखें. यदि झाडू के बार-बार पैर का स्पर्थ
होता है, तो यह धन-नाश का कारण होता है. झाडू के ऊपर कोई वजनदार वास्तु भी नहीं रखें।

18- अपने घर में दीवारों पर सुन्दर,हरियाली से युक्त और मन को प्रसन्न करने वाले चित्र
लगाएं. इससे घर के मुखिया को होने वाली मानसिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

19- वास्तुदोष के कारण यदि घर में किसी सदस्य को रात
में नींद नहीं आती या स्वभाव चिडचिडा रहता हो, तो उसे दक्षिण दिशा की तरफ सिर करके शयन कराएं. इससे उसके स्वभाव में बदलाव होगा और अनिद्रा की स्थिति में भी सुधार होगा।

20- अपने घर के ईशान कोण को साफ़ सुथरा और खुला रखें. इससे घर में शुभत्व की वृद्धि होती है।

21- अपने घर के मन्दिर में देवी-देवताओं पर चढ़ाए गए पुष्प-हार दूसरे दिन हटा देने चाहिए और भगवान को नए पुष्प-हार अर्पित करने चाहिए।

22- घर के उत्तर-पूर्व में कभी भी कचरा इकट्ठा न होने दें और ना ही इधर
भारी मशीनरी रखें।

23- अपने वंश की उन्नति के लिये घर के मुख्य द्धार पर अशोक के वृक्ष दोनों तरफ लगाएं।

24- यदि आपके मकान में उत्तर दिशा में स्टोररूम है, तो उसे यहाँ से हटा दें। इस स्टोररूम को अपने घर के पश्चिम भाग या नैऋत्य कोण में स्थापित करें।

25- घर में उत्पन्न वास्तुदोष घर के मुखिया को कष्टदायक होतेहैं इसके निवारण के लिये घर के
मुखिया को सातमुखी रूद्राक्ष धारण करना चाहिए।

26- यदि आपके घर का मुख्य द्धार दक्षिणमुखी है,तो यह भी मुखिया के लिये हानिकारक होता है। इसके लिये मुख्य द्धार पर श्वेतार्क के गणपति की स्थापना करनी चाहिए।

27- अपने घर के पूजा घर में देवताओं के चित्र भूलकर भी आमने-सामने नहीं रखने चाहिए इससे बड़ा दोष उत्पन्न होता है।

28- अपने घर के ईशान कोण में स्थित पूजा-घर में अपने बहुमूल्य वस्तुएँ नहीं छिपानी चाहिए।

29- पूजाकक्ष की दीवारों का रंग सफ़ेद हल्का पीला अथवा हल्का नीला होना चाहिए।

30- यदि आपके रसोई घर में रेफ्रिजरेटर नैऋत्य कोण में रखा है, तो इसे वहां से हटाकर उत्तर या पश्चिम में रखें।

31- दीपावली अथवा अन्य किसी शुभ मुहूर्त में अपने घर में पूजास्थल में वास्तुदोष नाशक कवच की स्थापना करें और नित्य इसकी पूजा करें। इस कवच को दोषयुक्त स्थान पर
भी स्थापित करके आप वास्तुदोषों से सरलता से मुक्ति पा सकते हैं।

32- अपने घर में ईशान कोण अथवा ब्रह्मस्थल में स्फटिक श्रीयंत्र की शुभ मुहूर्त में स्थापना करें। यह यन्त्र लक्ष्मीप्रदायक भी होता ही है, साथ ही साथ घर में स्थित वास्तुदोषों का भी निवारण करता है।

33- प्रातःकाल के समय एक कंडे/ उपले पर थोड़ी अग्नि जलाकर उस पर थोड़ी गुग्गल
रखें और ‘ॐ नारायणाय नम:’ मंत्र का उच्चारण करते हुए तीन बार घी की कुछ बूँदें डालें।
अब गुग्गल से जो धुँआ उत्पन्न हो, उसे अपने घर के प्रत्येक कमरे में जाने दें। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होगी और वास्तुदोषों का नाश होगा।

34- घर में किसी भी कमरे में सूखे हुए पुष्प ना रखें। यदि छोटे गुलदस्ते में रखे हुए फूल सूख जाएं, तो नए पुष्प लगा दें और सूखे पुष्पों को निकालकर बाहर फेंक दें।

35- सुबह के समय थोड़ी देर तक निरंतर बजने वाली गायत्री मंत्र की धुन चलने दें। इसके अतिरिक्त कोई अन्य पवित्र धुन भी आप बजा सकते हैं।

36- सायंकाल के समय घर के सदस्य सामूहिक आरती करें। इससे भी वास्तुदोष दूर होते हैं।

37- अगर आपके घर के पास कोई नाला या कोई नदी इस प्रकार बहती हो कि उसके बहाव की दिशा उत्तर-पूर्व को छोड़कर कोई और दिशा में है, या उसका घुमाव घडी कि विपरीत दिशा में है, तो यह वास्तु दोष है।
इसका निवारण यह है कि घर के उत्तर-पूर्व कोने में पश्चिम की ओर मुख किए हुए, नृत्य करते हुए गणेश की मूर्ति रखें।

38- यदि घर में जल निकालने का स्थान भूमिगत टेंक या बोरिंग गलत दिशा में हो तो भवन में दक्षिण-पश्चिम की ओर मुख किए हुए पंचमुखी हनुमानजी की तस्वीर लगाएं।

39- यदि आपके भवन के ऊपर से विद्धयुत तरंगे (उच्च सवेंदी) तार गुजरती हो तो इन तारो से प्रवाहित होने वाली ऊर्जा का घर से निकलने वाली ऊर्जा से प्रतिरोध होता है।
इस प्रकार के भवन में नींबुओ से भरी प्लास्टिक पाईप को फर्श से सटाकर या थोड़ा जमीन में गाड़ कर घर के इस पार से उस पार बिछा दें, नींबुओं से भरी पाईप दोनों और कम-से-कम तीन फिट बाहर निकली रहे।

40- यदि भवन में प्रवेश करते ही सामने खाली दीवार पड़े तो उस पर भावभंगिमापूर्ण गणेशजी की तस्वीर लगाएं या स्वास्तिक यंत्र का प्रयोग करके घर के ऊर्जा वृत्तों को बढ़ाया जा सकता है। पर, कुशल वास्तु कारीगर के द्वारा ही करवाना चाहिए।

41- अगर टॉयलेट घर के पूर्वी कोने में है तो टॉयलेट शीट इस प्रकार लगवाएं कि उस पर उत्तर की ओर मुख करके बैठ सकें या पश्चिम की ओर।

42- अपने घर मे सप्ताह मे3 दिन पानी मे नमक डाल
कर पोछा जरुर मारेl

43- पूजा स्थान के ईशान कोण में जल रखने से या अग्निकोण में दीपक जलाने से वास्तुदोष का शमन होता है।

44- आपकी रसोई दक्षिण पूर्व में और
पानी कि व्यवस्था ईशान में तथा पूजा स्थान ईशान कोण में
हो तो आपके घर के वास्तुदोष का शमन होता है।

45- अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध करने से वास्तु दोष प्रभावहीन हो जाता हैl

[ क्यों की जाती है गणेश-लक्ष्‍मी की पूजा एक साथ?
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कोई भी शुभ कार्य गणेश पूजन के बगैर कभी पूरा नहीं होता। गणेश जी बुद्धि प्रदान करते हैं। वे विघ्न विनाशक और विघ्नेश्वर हैं। यदि व्यक्ति के पास खूब धन-सम्पदा है और बुद्धि का अभाव है तो वह उसका सदुपयोग नहीं कर पायेगा।

इसलिए व्यक्ति का बुद्धिमान और विवेकी होना भी आवश्यक है। तभी धन के महत्व को समझा जा सकता है। गणेश लक्ष्मी की एक साथ पूजा के महत्त्व को कई कहानियों के माध्यम से बताया गया है। आइये जाने ऐसी ही कहानी।

शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी जी को धन और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। जिसकी वजह से लक्ष्मी जी को इसका अभिमान हो जाता है। विष्णु जी इस अभिमान को खत्म करना चाहते थे इसलिए उन्हों ने लक्ष्मी जी से कहा कि स्त्री तब तक पूर्ण नहीं होती है जब तक वह माँ ना बन जाये।

लक्ष्मी जी के कोई पुत्र नहीं था, इसलिए यह सुन के वे बहुत निराश हो गयी। तब वे देवी पार्वती के पास गयी मदद मांगने के लिए।

पार्वती जी को दो पुत्र थे इसलिए लक्ष्मी जी ने उनसे एक पुत्र को गोद लेने को कहा। पार्वती जी जानती थी कि लक्ष्मी जी एक स्थान पर लंबे समय नहीं रहती हैं।

इसलिए वे बच्चे की देख भाल नहीं कर पाएंगी। लेकिन उनके दर्द को समझते हुए उन्होंने अपने पुत्र गणेश को उन्हें सौप दिया।

इससे लक्ष्मी जो बहुत प्रसन्न हुई और उन्होंने कहा कि वे गणेश का बहुत ध्यान रखेंगी। और जो सुख और समृद्धि के लिए लक्ष्मी जी का पूजन करते हैं उन्हें उनसे पहले गणेश जी की पूजा करनी पड़ेगी, तभी मेरी पूजा संपन्न होगी।

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जय श्री गणेश जय लक्ष्मी माता
[ नरक चतुर्दशी पर इन उपायों से घर में लाएं सुख समृद्धि
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दिवाली का त्यौहार रोशनी का त्यौहार होता है। इस मौके पर घर की साफ-सफाई की जाती है। कहते हैं समृद्धि उसी घर में होती है जहां के लोगों को मन, तन और घर की सफाई पसंद होती है।
1- दिवाली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी होती है। इसे छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं में जिक्र है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नाम के राक्षस का वध किया था। इस दिन यमराज को भी प्रसन्न करने के लिए भी पूजा होती है।
2- यह पूजा और उपाय करने से मनुष्य नर्क में मिलने वाली यातनाओं से बच जाता है। शास्त्रों की माने तो लक्ष्मी जी वहीं वास करती हैं जहां स्वच्छाता और पवित्रता होती है। लक्ष्मी जी की प्राप्ति के लिए लोग घरों की सफाई करते हैं। नरक का अर्थ होता है गंदगी जिसका अंत करना भी बेहद आवश्यक है।
3- दिवाली के मौके पर लोग साफ-सफाई को बहुत महत्व देते हैं। इस मौके पर माता लक्ष्मी की गणेश जी के साथ पूजा-अर्चना होती है। लक्ष्मी-गणेश का स्वागत करने के लिए लोग अपने घरों को साफ करने में जुट जाते हैं। रंग-रोगन का काम शुरु हो जाता है। इस दौरान घरों को आकर्षक अंदाज में सजाने की परंपरा है।
4- छोटी दिवाली के दिन अपने घर की सफाई करना बहुत जरूरी होता है। इस दिन घर के हर कोने की सफाई होनी चाहिए। घर की सफाई के साथ तन और मन की सफाई भी जरूरी है। इसलिए उभटन लगा कर स्नान करना चाहिए। नरक चैदस के दिन तिल के तेल में 14 दीपक जलाने की परंपरा है। कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी नरक चैदस, रूप चतुर्दशी और छोटी दिवाली के नाम से जानी जाती है।
5- इस दिन घर की सफाई के दौरान निकला टूटा-फूटा सामान भी फेंक देना चाहिए। घर में टूटा-फूटा सामान रखना वास्तुदोष माना जाता है। घर में रखे काली पेंट के डिब्बे, रद्दी, टूटे-फूटे कांच या धातु के बर्तन किसी प्रकार का टूटा हुआ सजावटी सामान, बेकार पड़ा फर्नीचर व अन्य प्रयोग में ना आने वाली वस्तुओं को नरक माना जाता है। इसलिए ऐसी बेकार वस्तुओं को घर में नहीं रखना चाहिए।
6- कचरे को एकत्र कर डिब्बे या पॉलीथिन में बंद कर कचरे के डिब्बे में ही फेकना चाहिए। इसे कहीं भी नहीं फेका जाता है। कचरे को रोड पर यूं ही फेक देना ठीक नहीं होता है। इससे भी गंदगी फैलती है। स्वच्छता मुनुष्य के स्वास्थ के लिए भी आवश्यक है।
7- वास्तु शास्त्र में कचरे और गंदगी नकारात्मक ऊर्जा के सबसे बड़े स्त्रोत माने गए हैं। इसलिए समृद्धि को आकर्षित करने के लिए घर के कचरे के साथ ही साथ मन के कचरे को भी साफ करना बेहद जरूरी है।
8- इस दिन शाम के समय 4 बत्ती वाला मिट्टी का दीपक पूर्व दिशा में अपना मुख कर के घर के मुख्य द्वार पर रखना चाहिए। इस दिन नीले और पीले रंग के वत्र पहन की यम की पूजा करनी चाहिए।
सभी भक्तों को दीपावली की राम राम

[: झाड़ू में धन की देवी महालक्ष्मी का वास
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पौराणिक शास्त्रों में कहा गया है कि जिस घर में झाड़ू का अपमान होता है वहां धन हानि होती है, क्योंकि झाड़ू में धन की देवी महालक्ष्मी का वास माना गया है।

विद्वानों के अनुसार झाड़ू पर पैर लगने से महालक्ष्मी का अनादर होता है। झाड़ू घर का कचरा बाहर करती है और कचरे को दरिद्रता का प्रतीक माना जाता है।

जिस घर में पूरी साफ-सफाई रहती है वहां धन, संपत्ति और सुख-शांति रहती है। इसके विपरित जहां गंदगी रहती है वहां दरिद्रता का वास होता है।

ऐसे घरों में रहने वाले सभी सदस्यों को कई प्रकार की आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसी कारण घर को पूरी तरह साफ रखने पर जोर दिया जाता है ताकि घर की दरिद्रता दूर हो सके और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सके। घर से दरिद्रता रूपी कचरे को दूर करके झाड़ू यानि महालक्ष्मी हमें धन-धान्य, सुख-संपत्ति प्रदान करती है।

वास्तु विज्ञान के अनुसार झाड़ू सिर्फ घर की गंदगी को दूर नहीं करती है बल्कि दरिद्रता को भी घर से बाहर निकालकर घर में सुख समृद्घि लाती है।

झाड़ू का महत्व इससे भी समझा जा सकता है कि रोगों को दूर करने वाली शीतला माता अपने एक हाथ में झाड़ू धारण करती हैं।
यदि भुलवश झाड़ू को पैर लग जाए तो महालक्ष्मी से क्षमा की प्रार्थना कर लेना चाहिए।

जब घर में झाड़ू का इस्तेमाल न हो, तब उसे नजरों के सामने से हटाकर रखना चाहिए।
ऐसे ही झाड़ू के कुछ सतर्कता के नुस्खे अपनाये गये उनमें से आप सभी मित्रों के समक्ष हैं जैसे :-

शाम के समय सूर्यास्त के बाद झाड़ू नहीं लगाना चाहिए इससे आर्थिक परेशानी आती है।

झाड़ू को कभी भी खड़ा नहीं रखना चाहिए, इससे कलह होता है।

आपके अच्छे दिन कभी भी खत्म न हो, इसके लिए हमें चाहिए कि हम गलती से भी कभी झाड़ू को पैर नहीं लगाए या लात ना लगने दें, अगर ऐसा होता है तो मां लक्ष्मी रुष्ठ होकर हमारे घर से चली जाती है।

झाड़ू हमेशा साफ रखें ,गिला न छोडे ।

ज्यादा पुरानी झाड़ू को घर में न रखें।

झाड़ू को कभी घर के बाहर बिखराकर न फेके और इसको जलाना भी नहीं चाहिए।

झाड़ू को कभी भी घर से बाहर अथवा छत पर नहीं रखना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से घर में चोरी की वारदात होने का भय उत्पन्न होता है। झाड़ू को हमेशा छिपाकर रखना चाहिए। ऐसी जगह पर रखना चाहिए जहां से झाड़ू हमें, घर या बाहर के किसी भी सदस्यों को दिखाई नहीं दें।

गौ माता या अन्य किसी भी जानवर को झाड़ू से मारकर कभी भी नहीं भगाना चाहिए।

  • घर-परिवार के सदस्य अगर किसी खास कार्य से घर से बाहर निकले हो तो उनके जाने के उपरांत तुरंत झाड़ू नहीं लगाना चाहिए। यह बहुत बड़ा अपशकुन माना जाता है। ऐसा करने से बाहर गए व्यक्ति को अपने कार्य में असफलता का मुंह देखना पड़ सकता है।

शनिवार को पुरानी झाड़ू बदल देना चाहिए।

सपने मे झाड़ू देखने का मतलब है नुकसान।

घर के मुख्य दरवाजा के पीछे एक छोटी झाड़ू टांगकर रखना चाहिए। इससे घर में लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

पूजा घर के ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्वी कोने में झाडू व कूड़ेदान आदि नहीं रखना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और घर में बरकत नहीं रहती है इसलिए वास्तु के अनुसार अगर संभव हो तो पूजा घर को साफ करने के लिए एक अलग से साफ कपड़े को रखें।

जो लोग किराये पर रहते हैं वह नया घर किराये पर लेते हैं अथवा अपना घर बनवाकर उसमें गृह प्रवेश करते हैं तब इस बात का ध्यान रखें कि आपका झाड़ू पुराने घर में न रह जाए। मान्यता है कि ऐसा होने पर लक्ष्मी पुराने घर में ही रह जाती है और नए घर में सुख-समृद्घि का विकास रूक जाता है।

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[“क्यों कि जाती है दीपावली पर घर की साफ-सफाई”
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अभी कार्तिक मास चल रहा है और माह की अमावस्या पर महालक्ष्मी के पूजन का पर्व दीपावली है। इस विशेष दिन के लिए बहुत पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं। पुराने समय से ही परंपरा चली आ रही है कि दीपावली पर घर की साफ-सफाई, रंगाई-पुताई की जाती है। घर में रखी सभी छोटी-बड़ी चीजों को भी साफ करते हैं।

दीपावली पर साफ-सफाई से जुड़ी धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यता यह है कि दीपावली पर महालक्ष्मी धरती का भ्रमण करती हैं और जिन घरों में साफ-सफाई और पवित्रता का ध्यान रखा जाता है, उन्हीं घरों में देवी निवास करती हैं। लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए ही दीपावली से पहले घरों की साफ-सफाई की जाती है।

दीपावली पर घरों की साफ-सफाई करने की ये भी है खास वजह
दीपावली पर साफ-सफाई और रंगाई-पुताई की परंपरा के पीछे एक कारण यह भी है कि इस पर्व के बहाने साल में एक बार घर के कोने-कोने को पूरी तरह साफ कर लिया जाता है। घर की पुताई कर ली जाती है। जिससे घर की धूल-गंदगी दूर हो जाती है। कार्तिक मास से पूर्व बारिश का समय रहता है। बारिश की वजह से घर में कई जगह दीवारें गंदी हो जाती हैं और काली पड़ जाती है, दीवारों में शीत आ जाती है, बारिश की नमी के कारण घर में कई प्रकार के हानिकारक कीटाणु पनप सकते हैं। इस नमी के कारण स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है। इन सभी बातों से बचने के लिए बारिश के बाद साफ-सफाई और रंगाई-पुताई की परंपरा चली आ रही है।
जय श्री राम
[|#कुंडलीकेग्रहोकेअनुसारघरकीपुताईरंगाई| आजकल दिवाली आने के पर्व पर घरो में पुताई, रंगाई आदि का काम लगभग सभी के चल रहा है।ऐसे में घर मे जो रंग कराया जाता है वह आपकी कुंडली के अनुसार या यह कहे आपकी कुंडली शुभता देने वाले जैसे कि कारक ग्रहो, चौथे भाव मे बैठे शुभ ग्रहों या जो भी लग्न है उस लग्न के स्वामी के अनुरूप घर मे रंग, या पेंट आदि कराया जाए तो ग्रहो की शुभता का प्रभाव और जातक पर दोनो पर पड़ेगा क्योंकि रंग बहुत गहरा प्रभाव, सफलता, सुख ,शांति,सोभग्यता आदि पर डालते है रंग इंसान की ज़िंदगी मे खुशियो के सूचक है तो कुंडली का चौथा भाव जातक के घर(मकान) का होता है तो इस भाव का स्वामी जो भी ग्रह हो उस ग्रह के अनुसार या इस भाव मे कोई शुभ ग्रह बैठा हो तो उसके अनुसार या लग्न में कोई शुभ कारक ग्रह बैठा है तो उसके अनुसार या लग्न के स्वामी ग्रह के अनुसार घर मे रंग कराना ज़िन्दगी को रंगों से भरकर घर मे खुशियो का माहौल बन जायेगा क्योंकि यदि चौथे भाव से संबंधी ग्रहो का रंग घर मे कराया जाएगा तो यह अत्यधिक शुभ होगा और लग्न के स्वामी या लग्न में बैठे ग्रह ले अनुरूप रंग जैसे कि पेंट, पुताई आदि घर मे उसी ग्रह के रंग के अनुसार कराई जाने से घर मे खुशियो के साथ, धन,सफलता,शांति शुभता और सौभाग्य बढेगा क्योंकि रंग ग्रहो से संबंधित है और रंगों का प्रभाव हर जातक पर ग्रहो के अनुसार पड़ता है जैसे चौथे भाव मे गुरु शुभ और शुभ भाव पति होकर बैठे जैसे कि कुम्भ लग्न में गुरु धन और लाभ का स्वामी होता है यदि अब ऐसा गुरु चौथे भाव मे बेथ जाए तो ऐसे जातको को घर मे पिला रंग कराना धन वृद्धि, लाभ की मात्रा में वृद्धि और गुरु सुख शांति सफलता आदि का कारक होने से घर मे यह सब बढेगा।इसके विपरीत शत्रु ग्रहो या अकारक या अशुभ फल प्रदाता ग्रहो के रंग घर मे करा लिया जाए तो यह अशुभता, अशांति आड़े को घर मे बढ़ा देगा।जैसे मेष लग्न में बुध 3 और 6 भाव का स्वामी होकर अशुभ होता है और बुध हरे रंग का और हरे रंग से संबंधित रंगों का कारक है तो ऐसी स्थिति में बुध चौथे भाव मे हो तब बुध का घर मे हरा रंग कराना घर मे बीमारी, दुख, शत्रु वृद्धि, असफलता बढ़ा सकता क्योंकि बुध छठे का स्वामी होकर अशुभ है और छठे भाव का स्वामी छठे भाव मे शुभ नही ऐसी स्थिति में लग्न के स्वामी या योगकारकक, कारक या चौथे भाव या धन दायक या शुभ ग्रह का रंग घर मे पुताई के रूप में कराना शुभता और घर मे अच्छा फल ग्रहो का करेगा।। इसके अलावा किसी बलवान शुभ ग्रह की महादशा चल रही हो तब उस महादशा स्वामी ग्रह का जो रंग होता है उस रंग को घर मे कराना ऐसे महादशा नाथ ग्रह की शुभता और शुभ फल जातक के जीवन मे बढ़ेंगे जिसका प्रभाव घर पर पड़ेगा।। #नोट:- इसके अलावा घर मे शत्रु ग्रहो जैसे सफेद और नीला रंग नही कराना चाहिए क्योंकि सफेद रंग चंद्र है तो नीला रंग राहु है तो ऐसे में सफेद और नीला रंग कराना घर मे मानसिक तनाब, राहु चन्द्र का अशुभ प्रभाव बढ़ा देना क्योंकि दोनों शत्रु ग्रह है तो शत्रु ग्रहो के रंग की पुताई, पेंट आदि नही घर मे कराने चाहिए।मित्र ग्रहो के दो तरह के रंग घर मे चौथे भाव, लग्न के स्वामी ,योगकारक या कारक ग्रह के अनुसार रंग होना जातक को जीवन मे सफलता,उन्नति, शुभता,घर मर खुशियां, शांति आदि बढ़ने लगेगी।तो कुंडली अनुसार घर मे रंगाई पुताई आदि कराना भविष्य और ग्रहो के सकारात्मक फलो को प्राय किया जा सकता है।

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