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🌹सर्दी खांसी 🌹

  1. 🌹सर्दी खांसी होने पर बच्चे को तुलसी का रस पीने के लिए दें। इसके अलावा आप उन्हें काढ़ा बनाकर भी दे सकते हैं। इसके लिए 1/2 इंच अदरक, 1 ग्राम तेजपत्‍ते को 1 कप पानी में भिगो दें। इसके बाद इसमें 1 चम्मच मिश्री मिलाकर दिन में तीन बार बच्चों को पिलाएं।

🌹2. खांसी को दूर करने के लिए 2 चम्मच सरसों के तेल को थोड़ा गर्म करें। इसके बाद इसमें लहसुन की कलियां डालकर भून लें। इसके बाद इस तेल से बच्चे की छाती और गले की मालिश करें।

🌹3. बच्चों की खांसी का यह सबसे अच्छा इलाज है। एक कटोरी में 2 चम्मच शहद और 2 चुटकी काली मिर्च पाउडर को मिक्स करके हर दो घंटे में बच्चे को पीलाएं। इससे खांसी कुछ समय में ही दूर हो जाएगी।

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🌹अण्डवृद्धि एवं अंत्रवृद्धि का घरेलु उपचार

🌻अण्डवृद्धिः 20 से 50 मि.ली. सोंठ के काढ़े (2 से 10 ग्राम सोंठ को 100 से 300 मि.ली. पानी में उबालें) में 1 से 5 मि.ली. अरण्डी का तेल डालकर पीने से तथा अरनी के पत्तों को पानी में पीसकर बाँधने से अण्डवृद्धि रोग में लाभ होता है।

🌻अंत्रवृद्धिः 1 से 10 मिलिग्राम अरण्डी के तेल में छोटी हरड़ का 1 से 5 ग्राम चूर्ण मिलाकर देने से व मेग्नेट का बेल्ट बाँधने से हार्निया में लाभ होता है ।

भोजन तथा परहेज :
इस रोग में अधिक खाना खाना, अधिक परिश्रम, मल-मूत्र और शुक्र का वेग रोकना, गरिष्ठ यानी भारी खाना, दही, उड़द, मिठाई, बासी अन्न, मैथुन, साइकिल की सवारी सभी हानिकारक है।
इस रोग में वमन, पाचक पदार्थ सेवन, ज्वार, स्वेद, विरेचन (दस्त लाने वाली वस्तुएं), ब्रह्मचर्य-पालन (संयासी जीवन), गेहूं, शालिधान्य, पुराना चावल, ताजा मठ्ठा, गाय का दूध और हरे शाक सभी अण्डवृद्धि में फायदेमन्द है।

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🌹शरद ऋतुचर्या🌹

🌹शरद ऋतु 23 अगस्त से 22 अक्टूबर तक

🌹भाद्रपद एवं आश्विन – ये दो महीने शरद ऋतु के हैं । शरद ऋतु स्वच्छता के बारे में सावधान रहने की ऋतु है अर्थात् इस मौसम में स्वच्छता रखने की खास जरूरत है क्योंकि रोगाणां शारदी माता । अर्थात् शरद ऋतु रोगों की माता है ।

🌹शरद ऋतु में स्वाभाविक रूप से ही पित्तप्रकोप होता है । इससे इन दो महीनों में ऐसा ही आहार एवं औषधि लेनी चाहिए जो पित्त का शमन करे । मध्याह्न के समय पित्त बढ़ता है । तीखे, नमकीन, खट्टे, गरम एवं दाह उत्पन्न करनेवाले द्रव्यों का सेवन, मद्यपान, क्रोध अथवा भय, धूप में घूमना, रात्रि-जागरण एवं अधिक उपवास – इनसे पित्त बढ़ता है । दही, खट्टी छाछ, इमली, टमाटर, नींबू, कच्चा आम, मिर्ची, लहसुन, राई, खमीर लाकर बनाये गये व्यंजन एवं उड़द जैसी चीजें भी पित्त की वृद्धि करती हैं ।

🌹इस ऋतु में पित्तदोष की शांति के लिए ही शास्त्रकारों द्वारा खीर खाने, घी का हलवा खाने तथा श्राद्धकर्म करने का संकेत दिया गया है । इसी उद्देश्य से चन्द्रविहार, गरबा नृत्य तथा शरद पूर्णिमा के उत्सव के आयोजन का विधान है । गुड़ एवं घूघरी (उबाली हुई ज्वार-बाजरा आदि) के सेवन से तथा निर्मल, स्वच्छ वस्त्र पहनकर फूल, कपूर, चंदन द्वारा पूजन करने से मन प्रफुल्लित एवं शांत होता है और पित्तदोष के शमन में सहायता मिलती है ।

🌹सावधानियाँ :

🌹श्राद्ध के दिनों में 16 दिन तक दूध, चावल, खीर का सेवन पित्तशामक है । परवल, मूँग, पका पीला पेठा (कद्दू) आदि का भी सेवन कर सकते हैं ।

🌹दूध के विरुद्ध पड़नेवाले आहार जैसे कि सभी प्रकार की खटाई, अदरक, नमक, मांसाहार आदि का त्याग करें । दही, छाछ, भिंडी, ककड़ी आदि अम्लविपाकी (पचने पर खटास उत्पन्न करनेवाली) चीजों का सेवन न करें ।

🌹कड़वा रस पित्तशामक एवं ज्वर-प्रतिरोधी है । अतः कटुकी, चिरायता, नीम की अंतरछाल, गुड़ूची (गिलोय), करेले, सुदर्शन चूर्ण, इन्द्रजौ (कुटज) आदि का सेवन हितावह है ।

🌹धूप में न घूमें । नवरात्रि में एवं श्राद्ध के दिनों में पितृपूजन हेतु संयमी रहना चाहिए । ब्रह्मचर्य का कठोरता से पालन करना चाहिए । आश्रम से प्रकाशित ‘दिव्य-प्रेरणा प्रकाश’ पुस्तक का पाठ करने से ब्रह्मचर्य में मदद मिलेगी ।

🌹 इन दिनों में रात्रि-जागरण, रात्रि-भ्रमण अच्छा होता है, इसीलिए नवरात्रों में रात को गरबा नृत्य, भजन-कीर्तन (जागरण) आदि का आयोजन किया जाता है । रात्रि-जागरण 12 बजे तक का ही माना जाता है । अधिक जागरण से तथा सुबह और दोपहर को सोने से त्रिदोष प्रकुपित होते हैं, जिससे स्वास्थ्य बिगड़ता है ।

🌹हमारे दूरदर्शी ऋषि-मुनियों ने शरद पूनम जैसा त्यौहार भी इस ऋतु में विशेषकर स्वास्थ्य की दृष्टि से ही आयोजित किया है । शरद पूनम के दिन रात्रि-जागरण, रात्रि-भ्रमण, मनोरंजन आदि को उत्तम पित्तनाशक विहार के रूप में आयुर्वेद ने स्वीकार किया है ।

🌹शरद पूनम की शीतल रात्रि में छत पर चन्द्रमा की किरणों में रखी हुई दूध-चावल की खीर सर्वप्रिय, पित्तशामक, शीतल एवं सात्त्विक आहार है । इस रात्रि में ध्यान, भजन, सत्संग, कीर्तन, चन्द्रदर्शन आदि शारीरिक व मानसिक आरोग्यता के लिए अत्यंत लाभदायक हैं ।

🌹इस ऋतु में भरपेट भोजन, दिन की निद्रा, बर्फ, ओस, तेल व तले हुए पदार्थों का सेवन न करें ।

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🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🌹पपीते से स्वास्थ्य लाभ

🌹नाटे,अविकसित एवं दुबले-पतले बालकों को रोज पका हुआ पपीता उचित मात्रा में खिलाने से उनकी लम्बाई बढ़ती है,शरीर मजबूत व तंदुरुस्त बनता है।

ऋषि प्रसाद/सितम्बर 2000

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🌹वात रोग का घरेलू उपचार
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🌹वात रोग में मेथी दाना,अजवाइन,02 सबूत काली मिर्च रात को कटोरी में भिगो दें । पानी उतना रखे ,जिस में भीग जाए । सुबह खाली पेट चबा कर खा ले,पानी पी ले । 040 दिन के भीतर वात रोग मिट जाएगा ।

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दांतों के पीलेपन को दूर करने के नुस्खे

पीलों दांतों का उपाय

किसी को अपनी ओर जल्दी से आकर्षित करने के लिए मोतियों जैसे खिलखिलाती मुस्कान की जरूरत पड़ती है। लेकिन मौजूदा समय में अधिकतर लोग पीले दांतों की समस्या से घिरे हुए हैं। दांतों में पीलापन आने के कई कारण हो सकते हैं। कई लोग रोजाना दातुन नहीं करते हैं, तो कई लोगों में दूषित खाने का सेवन करने से दांतों में पीलापन आ जाता है। इसके अलावा पानी में मौजूद कैमिकल्स, तंबाकू और कलर्ड फूड्स के ज्यादा इस्तेमाल से भी दांतों में पीलापन आ जाता है।

दूध के उत्पाद

दांत चमकाने के लिए वैसे तो आपको बाजार में कई तरह के प्रॉडक्ट्स मिल जाएंगे। लेकिन इनसे दांतों को फायदा मिलने के बजाय नुकसान पहुंचने के चांस ज्यादा रहते हैं। जिस तरह से प्राकृतिक उत्पाद आपके दांतों को साफ और मजबूत कर सकते हैं उस तरह कोई और नहीं कर सकते हैं। दूध और दूध से बने उत्पाद हमारे दांतों से बहुत जल्द पीलापन दूर करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि दूध में भारी मात्रा में कैल्शियम होता है, जो दांतों के लिए बहुत जरूरी है। जिन लोगों को पीले दांतों की शिकायत होती है, उन्हें चाय और कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए।

नमक है सबसे ज्यादा असर

दांतों को साफ और मोतियों जैसा सफेद बनाने के लिए नमक का इस्तेमाल हमारी संस्कृति में बहुत पहले से चला आ रहा है। नमक में भारी मात्रा में सोडियम और क्लोराइड होता है, जो दांतों का पीलापन कम करने में मदद करता है। दांत साफ करते वक्त हमेशा ब्रश में पेस्ट के साथ थोड़ा सा नमक जरूर रखें। आप खुद देखेंगे कि कुछ ही दिनों में आपके दांत साफ हैं। लेकिन ध्यान रहे नमक के ज्यादा इस्तेमाल से दांतों के इनेमल को नुकसान पहुंच सकता है।

नींबू से करें दातुन

दांत के बैक्टीरिया को मारने और दांतों को सफेद करने के लिए नींबू वाकई बहुत असरदार है। खाना खाने के बाद नींबू से दांत साफ करने पर बहुत लाभ मिलता है। रोजाना रात के खाने के बाद एक नींबू का रस निकालकर उसमें सामान मात्रा में पानी मिला लें। खाने के बाद इस पानी का कुल्ला करें। रोजाना ऐसा करने से दांतों का पीलापन और सांसों की दुर्गंध दूर हो जाती है। अगर आप ऐसा रोज नहीं कर सकते हैं तो सप्ताह में एक बार जरूर करें।

बेकिंग सोडा से करें दांत साफ

दांतों का पीलापन दूर करने के लिए बेकिंग सोडा बहुत कारगार है। जिस तरह हम दांत साफ करते वक्त नमक का इस्तेमाल करते हैं उसी तरह बेकिंग सोडा का इस्तेमाल भी करना है। यानि कि दातुन करते वक्त अपने ब्रश में थोड़ा सा बेकिंग सोडा मिला लें और अब धीरे-धीरे अपने दांत साफ करें। कुछ ही दिनों में आप देखेंगे कि आपके दांतों पर जमी पीली परत धीरे-धीरे साफ हो रही है।
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: 💐सिस्टाइटिस (Cysitis)
 

🌻परिचय:-

जब मू़त्राशय में संक्रमण हो जाता है तो वह सिस्टाइटिस का रोग कहलाता है। सिस्टाइटिस रोग ज्यादातर महिलाओं में पाया जाता है लेकिन कभी-कभी ये रोग बच्चों में भी पाया जाता है।

🌹कारण-

          मलाशय के अन्दर या उसके आसपास रहने वाले बैक्टीरिया जब पेशाब की नली के द्वार पर पहुंच जाते हैं तो ये वहां जाकर सक्रिय हो जाते हैं और सिस्टाइटिस रोग का कारण बनते हैं। इस रोग के होने का एक कारण यह भी है कि जब स्त्रियां अपने यौन अंगों को अच्छी तरह साफ नहीं करती तो बैक्टीरिया संभोग के दौरान भी यह मूत्रद्वार में पहुंच सकते हैं।

🏵️लक्षण-

          सिस्टाइटिस रोग के शुरुआती लक्षणों में रोगी को बार-बार पेशाब करने का मन होता है और जब वह पेशाब करता है तो उसे काफी जलन महसूस होती है, पेशाब से काफी बदबू आती है और पेशाब के साथ खून भी आ जाता है। इस रोग में रोगी के पेट के नीचे या पीठ में दर्द होने लगता है तथा उसे तेज बुखार की शिकायत भी हो जाती है। रोगी का शरीर थका-थका सा रहता है तथा उसका किसी भी काम में मन नहीं लगता।

🌼चिकित्सा-

          अगर किसी व्यक्ति को लगता है कि उसे सिस्टाइटिस रोग है या उसमें वो सारे लक्षण है जो एक सिस्टाइटिस रोगी में होते है तो उसे तुरन्त ही अपने पेशाब की जांच करानी चाहिए ताकि उसके रोग का पता चल सके। रोगी को जितना हो सके ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए हों सके तो पानी में सोड़ा बाईकार्बोनेट जैसा कोई क्षारीय पदार्थ डाल लें ताकि बैक्टीरिया या अन्य वायरस जल्द खत्म हो जाए या पेशाब के साथ बाहर आ जाए। अगर आप हृदय या गुर्दे के रोगी है तो पानी में सोड़ा बाईकार्बोनेट न मिलाएं।

          🌻जो लोग तंबाकू और शराब का सेवन करते हैं उन्हे तुरंत ही इनका सेवन बंद कर देना चाहिए। इसके अलावा इस रोग में अम्ल वाले पदार्थ जैसे- संतरे, अंगूर, तेज मसालेदार चाय, कॉफी, कार्बोनेटिक सॉफ्ट ड्रिंक आदि।
[जुकाम और खांसी के लिए रामबाण है गेहूं की भूसी, जानें इस्तेमाल करने का तरीका

हल्‍दी

जुकाम और खांसी से बचाव के लिए हल्‍दी बहुत ही अच्‍छा उपाय है। यह बंद नाक और गले की खराश की समस्‍या को भी दूर करता है। जुकाम और खांसी होने पर दो चम्‍मच हल्‍दी पावडर को एक गिलास दूध में मिलकार सेवन करने से फायदा होता है। दूध में मिलाने से पहले दूध को गर्म कर लें। इससे बदं नाक और गले की खराश दूर होगी। सीने में होने वाली जलन से भी यह बचाता है। हती नाक के इलाज के लिए हल्दी को जलाकर इसका धुआं लें, इससे नाक से पानी बहना तेज हो जाएगा व तत्काल आराम मिलेगा।

गेहूं की भूसी

जुकाम और खांसी के उपचार के लिए आप गेहूं की भूसी का भी प्रयोग कर सकते हैं। 10 ग्राम गेहूं की भूसी, पांच लौंग और कुछ नमक लेकर पानी में मिलाकर इसे उबाल लें और इसका काढ़ा बनाएं। इसका एक कप काढ़ा पीने से आपको तुरंत आराम मिलेगा। हालांकि जुकाम आमतौर पर हल्का-फुल्का ही होता है जिसके लक्षण एक हफ्ते या इससे कम समय के लिए रहते हैं। गेंहू की भूसी का प्रयोग करने से आपको तकलीफ से निजात मिलेगी।
तुलसी

समान्‍य कोल्‍ड और खांसी के उपचार के लिए बहत की कारगर घरेलू उपाय है तुलसी, यह ठंक के मौसम में लाभदायक है। तुलसी में काफी उपचारी गुण समाए होते हैं, जो जुकाम और फ्लू आदि से बचाव में कारगर हैं। तुलसी की पत्तियां चबाने से कोल्ड और फ्लू दूर रहता है। खांसी और जुकाम होने पर इसकी पत्तियां (प्रत्येक 5 ग्राम) पीसकर पानी में मिलाएं और काढ़ा तैयार कर लें। इसे पीने से आराम मिलता है।

अदरक

सर्दी और जुकाम में अदरक बहुत फायदेमंद होता है। अदरक को महाऔषधि कहा जाता है, इसमें विटामिन, प्रोटीन आदि मोजूद होते हैं। अगर किसी व्यक्ति को कफ वाली खांसी हो तो उसे रात को सोते समय दूध में अदरक उबालकर पिलाएं। अदरक की चाय पीने से जुकाम में फायदा होता है। इसके अलावा अदरक के रस को शहद के साथ मिलाकर पीने से आराम मिलता है।

काली मिर्च पाउडर

जुकाम और खांसी के इलाज के लिए यह बहुत अच्‍छा देसी ईलाज है। दो चुटकी, हल्दी पाउडर दो चुटकी, सौंठ पाउडर दो चुटकी, लौंग का पाउडर एक चुटकी और बड़ी इलायची आधी चुटकी, लेकर इन सबको एक गिलास दूध में डालकर उबाल लें। इस दूध में मिश्री मिलाकर पीने से जुकाम ठीक हो जाता है। शुगर वाले मिश्री की जगह स्टीविया तुलसी का पाउडर मिलाकर प्रयोग करें।

इलायची

इलायची न केवल बहुत अच्‍छा मसाला है बल्कि यह सर्दी और जुकाम से भी बचाव करता है। जुकाम होने पर इलायची को पीसकर रुमाल पर लगाकर सूंघने से सर्दी-जुकाम और खांसी ठीक हो जाती है। इसके अलावा चाय में इलायची डालकर पीने से आराम मिलता है।

हर्बल टी

सर्दी और जुकाम में औषधीय चाय पीना बहुत फायदेमंद होता है। सर्दी के कारण जुकाम, सिरदर्द, बुखार और खांसी होना सामान्‍य है, ऐसे में हर्बल टी पीना आपके लिए फायदेमंद है। इससे ठंड दूर होती है और पसीना निकलता है, और आराम मिलता है। यदि जुकाम खुश्‍क हो जाये, कफ गाढ़ा, पीला ओर बदबूदार हो और सिर में दर्द हो तो इसे दूर करने के लिए हर्बल टी का सेवन कीजिए।

कपूर

सर्दी से बचाव के लिए कपूर का प्रयोग भी फायदेमंद है। कपूर की एक टिकिया को रुमाल में लपेटकर बार-बार सूंघने से आराम मिलता है और बंद नाक खुल जाती है। इसके आलाव यह कपूर सूंघने से ठंड भी दूर होती है। कपूर की टिकिया का प्रयोग करके आप सर्दी और जुकाम से बचाव कर सकते हैं।

नींबू

गुनगुने पानी में नींबू को निचोड़कर पीने से सर्दी और खांसी में आराम मिलता है। एक गिलास उबलते हुए पानी में एक नींबू और शहद मिलाकर रात को सोते समय पीने से जुकाम में लाभ होता है। पका हुआ नींबू लेकर उसका रस निकाल लीजिए, इसमें शुगर डालकर इसे गाढ़ा बना लें, इसमें इलायची का पावडर मिलाकर इसका सेवन करने से आराम‍ मिलता है।

कालीमिर्च

आधा चम्‍मच कालीमिर्च के चूर्ण और एक चम्‍मच मिश्री को मिलाकर एक कप गर्म दूध के साथ दिन में लगभग तीन बार पीने से आराम मिलता है। रात को 10 कालीमिर्च चबाकर उसके ऊपर से एक गिलास गरम दूध पीने से आरा‍म मिलता है। कालीमिर्च को शहद में मिलाकर चाटने से सर्दी और खांसी ठीक हो जाती है।

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इन 6 लक्षणों से जानें, आप खा रहे हैं ज्यादा नमक

1. निर्णय लेने में कमी :- आपको भरोसा नहीं होगा लेकिन 2011 में आई एक कैनेडियन स्टडी में यह सामने आया कि ज्यादा नमक का आपके दिमाग पर असर होता है। जो अधिक नमक खा रहे थे उनका काम कम नमक खाने वालों की तुलना में अस्पष्ट था। उनमें अधिक नमक के कारण अपने काम को समझ कर फैसला लेने की शक्ति में कमजोरी पाई गई।
2. आपको ज्यादा प्यास लगती है :- हर बार प्यास लगने का मतलब नमक की अधिकता नहीं हो सकती, लेकिन ज्यादातर मामलों में शरीर में नमक की मात्रा बढ़ने पर प्यास बढ़ सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि आपका शरीर अपने सिस्टम से अधिक सोडियम निकालना चाहता है। 
3. आपको बेवजह सूजन आती है :- जी हां सुनने में अजीब लगे लेकिन एक रात ही अधिक नमक आपके शरीर पर कई तरह असर छोड़ सकता है, इसे इडिमा (edema) कहते हैं। आपको शरीर में बिना वजह सूजन आ जाती है।
4. पथरी हो सकती है :- डाइट में ज्यादा नमक आपकी किडनी के फंक्शन प्रभावित कर सकता है। नमक से यूरिन में होने वाले प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है यह खतरनाक है। आपको पथरी हो सकती है।
5. ब्लड प्रेशर ज्यादा होना :- आपने ये तो सूना ही होगा कि जिन्हें ब्लड प्रेशर हो वे कम नमक खाएं। जान लीजिए कि ज्यादा नमक आपको ब्लड प्रेशर का मरीज बना सकता है।
6. पेट में छाले :- कई केस में अधिक नमक पेट में छाले पैदा कर सकता है। नमक इतना भयानक है कि जानवरों में यह कैंसर पैदा कर सकता है।

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हड्डियों से आती है कट-कट की आवाज? ये 3 चीजें खाएं तुरंत मिलेगी राहत

1. मेथी दाने :- मेथी दाने का सेवन हड्डियों के लिए फायदेमंद होगा। इसके लिए रात को आधा चम्मच मेथी दाने पानी में भिगो दें, फिर सुबह मेथी दानों को चबा-चबा कर खाएं साथ ही इसके पानी को भी पी लें। नियमित रूप से ऐसा करने से हड्डियों से आवाज आना बंद होने में मदद मिलेगी। 

2. दूध पीएं :- हड्डियों से कट-कट की आवाज आने का मतलब ये भी हो सकता है कि उनमें लुब्रिकेंट की कमी हो गई हो। अक्सर उम्र बढ़ने के साथ-साथ यह समस्या बढ़ने लगती है। इसलिए शरीर को पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम देना बहुत जरूरी है। कैल्शियम के अन्य स्त्रोत लेने के अलावा भरपूर दूध पिएं।

3. गुड़ और चना खाएं :- भूने चने के साथ गुड़ का भी सेवन शरीर के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। भुने चने में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन और विटामिन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। दिन में एक बार गुड़ और भुने हुए चने जरूर खाएं। इससे हड्डियों की कमजोरी दूर हो जाएगी और कट-कट की आवाज आना भी बंद हो जाएगी।

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[पपीते के पत्तो की चाय किसी भी स्टेज के कैंसर को सिर्फ 60 से 90 दिनों में कर देगी जड़ से खत्म,

पपीते के पत्ते 3rd और 4th स्टेज के कैंसर को सिर्फ 35 से 90 दिन में सही कर सकते हैं।

अभी तक हम लोगों ने सिर्फ पपीते के पत्तों को बहुत ही सीमित तरीके से उपयोग किया होगा, बहरहाल प्लेटलेट्स के कम हो जाने पर या त्वचा सम्बन्धी या कोई और छोटा मोटा प्रयोग, मगर आज जो हम आपको बताने जा रहें हैं, ये वाकई आपको चौंका देगा, आप सिर्फ 5 हफ्तों में कैंसर जैसी भयंकर रोग को जड़ से ख़त्म कर सकते हैं।

ये प्रकृति की शक्ति है और बलबीर सिंह शेखावत जी की स्टडी है जो वर्तमान में as a Govt. Pharmacist अपनी सेवाएँ सीकर जिले में दे रहें हैं।

आपके लिए नित नवीन जानकारी कई प्रकार के वैज्ञानिक शोधों से पता लगा है कि पपीता के सभी भागों जैसे फल, तना, बीज, पत्तिया, जड़ सभी के अन्दर कैंसर की कोशिका को नष्ट करने और उसके वृद्धि को रोकने की क्षमता पाई जाती है।

विशेषकर पपीता की पत्तियों के अन्दर कैंसर की कोशिका को नष्ट करने और उसकी वृद्धि को रोकने का गुण अत्याधिक पाया जाता है। तो आइये जानते हैं उन्ही से।

University of florida ( 2010) और International doctors and researchers from US and japan में हुए शोधो से पता चला है की पपीता के पत्तो में कैंसर कोशिका को नष्ट करने की क्षमता पाई जाती है।

Nam Dang MD, Phd जो कि एक शोधकर्ता है, के अनुसार पपीता की पत्तियां डायरेक्ट कैंसर को खत्म कर सकती है, उनके अनुसार पपीता कि पत्तिया लगभग 10 प्रकार के कैंसर को खत्म कर सकती है जिनमे मुख्य है।

breast cancer, lung cancer, liver cancer, pancreatic cancer, cervix cancer, इसमें जितनी ज्यादा मात्रा पपीता के पत्तियों की बढ़ाई गयी है, उतना ही अच्छा परिणाम मिला है, अगर पपीता की पत्तिया कैंसर को खत्म नहीं कर सकती है लेकिन कैंसर की प्रोग्रेस को जरुर रोक देती है।।

तो आइये जाने पपीता की पत्तिया कैंसर को कैसे खत्म करती है?

  1. पपीता कैंसर रोधी अणु Th1 cytokines की उत्पादन को ब़ढाता है जो की इम्यून system को शक्ति प्रदान करता है जिससे कैंसर कोशिका को खत्म किया जाता है।
  2. पपीता की पत्तियों में papain नमक एक प्रोटीन को तोड़ने (proteolytic) वाला एंजाइम पाया जाता है जो कैंसर कोशिका पर मौजूद प्रोटीन के आवरण को तोड़ देता है जिससे कैंसर कोशिका शरीर में बचा रहना मुश्किल हो जाता है।
    Papain blood में जाकर macrophages को उतेजित करता है जो immune system को उतेजित करके कैंसर कोशिका को नष्ट करना शुरू करती है, chemotheraphy / radiotheraphy और पपीता की पत्तियों के द्वारा ट्रीटमेंट में ये फर्क है कि chemotheraphy में immune system को दबाया जाता है जबकि पपीता immune system को उतेजित करता है, chemotheraphy और radiotheraphy में नार्मल कोशिका भी प्रभावित होती है पपीता सोर्फ़ कैंसर कोशिका को नष्ट करता है।

सबसे बड़ी बात के कैंसर के इलाज में पपीता का कोई side effect भी नहीं है।।

कैंसर में पपीते के सेवन की विधि :
कैंसर में सबसे बढ़िया है पपीते की चाय। दिन में 3 से 4 बार पपीते की चाय बनायें, ये आपके लिए बहुत फायदेमंद होने वाली है। अब आइये जाने लेते हैं पपीते की चाय बनाने की विधि।

  1. 5 से 7 पपीता के पत्तो को पहले धूप में अच्छी तरह सुखा ले फिर उसको छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ लो आप 500 ml पानी में कुछ पपीता के सूखे हुए पत्ते डाल कर अच्छी तरह उबालें।
    इतना उबाले के ये आधा रह जाए। इसको आप 125 ml करके दिन में दो बार पिए। और अगर ज्यादा बनाया है तो इसको आप दिन में 3 से 4 बार पियें। बाकी बचे हुए लिक्विड को फ्रीज में स्टोर का दे जरुरत पड़ने पर इस्तेमाल कर ले। और ध्यान रहे के इसको दोबारा गर्म मत करें।
  2. पपीते के 7 ताज़े पत्ते लें इनको अच्छे से हाथ से मसल लें। अभी इसको 1 Liter पानी में डालकर उबालें, जब यह 250 ml। रह जाए तो इसको छान कर 125 ml. करके दो बार में अर्थात सुबह और शाम को पी लें। यही प्रयोग आप दिन में 3 से 4 बार भी कर सकते हैं।

पपीते के पत्तों का जितना अधिक प्रयोग आप करेंगे उतना ही जल्दी आपको असर मिलेगा। और ये चाय पीने के आधे से एक घंटे तक आपको कुछ भी खाना पीना नहीं है।

कब तक करें ये प्रयोग वैसे तो ये प्रयोग आपको 5 हफ़्तों में अपना रिजल्ट दिखा देगा, फिर भी हम आपको इसे 3 महीने तक इस्तेमाल करने का निर्देश देंगे। और ये जिन लोगों का अनुभूत किया है उन लोगों ने उन लोगों को भी सही किया है, जिनकी कैंसर में तीसरी और चौथी स्टेज थी।

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