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गेहूँ के चोकर का औषधीय गुण

गेहूं का चोकर क़ब्ज़ दूर करने में अद्वितीय प्राकृतिक औषध है। क़ब्ज़ दूर करने के साथ-साथ इसका सेवन करने से निम्नलिखित लाभ भी प्राप्त होते हैं

गेहूं का चोकर – इसके फायदे व स्वास्थ्य लाभ :

१-यह मल को सूखने नहीं देता।
२-आँतों में जाकर उत्तेजना पैदा नहीं करता, अपितु गुदगुदी पैदा करता है जो कि प्राकृतिक नियम है। आप पशुओंका मल निकलते देखिये तब मालूम पड़ेगा कि वे मल निकालते समय कैसा व्यवहार करते हैं। आँतों में गुदगुदाहट पैदा होने से शरीर की स्थिति ऐसी ही होती है।
३-इससे मल पतला नहीं अपितु मुलायम तथा बँधा हुआ आता है। आँतों में मरोड़ पैदा नहीं होती। मल बिना जोर लगाये आसानी से निकल जाता है। जोर लगाकर मल निकालने से नाडी कमजोर हो जाती है तथा शक्ति न रहना, वायु भरना, बवासीर, काँच निकलना इत्यादि रोग होने का डर रहता है।
४-यह देखने में खुरदरा (Rough) है, परंतु चबाते समय मुँह की लार से मुलायम हो जाता है। चूंकि यह मुंह की लार को काफी मात्रा में समेट लेता है, अतः भोजन के पचने में सहायता करता है।
५-चोकर हर दृष्टि से अच्छा है। भोजन में से गुणकारी चोकर को निकालकर हम शरीर के साथ अन्याय करते हैं। चोकर निकाले हुए आटे की रोटियाँ स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हैं, वे सुपाच्य नहीं हैं।
६-चोकर से शरीर पवित्र रहता है। यह पेट के अंदर का मल झाड़-बुहार कर पेट को साफ कर देता है। पेट साफ रहने से कोई बीमारी नहीं होती।
७-भोजन में चोकर को प्रधानता दें। इसको आटे में मिलाइये। सब्जी, दूध, दही, सलाद, शहद में मिलाकर खाइये। गुड़ में मिलाकर लड्डु बनाइ ये। इस प्रकार भोजन का आनन्द लें।
८-यह कैंसर से दूर रखता है तथा आँतों की सुरक्षा करता है, आमाशय के घाव को ठीक करता है। क्षयरोग भी दूर करता है, हृदय-रोग से बचाता है, कोलेस्टेरॉल से रक्षा करता है। चोकर से स्नान करने पर चर्म-रोग अच्छा होता है।
९-आपको स्वस्थ रहना है तो चोकर जरूर खाइये।
१०-चोकर खानेवालों को एपेंडीसाइटिस नहीं होती, आँतों की बीमारी नहीं होती। अर्श (Piles), भगंदर, बृहदान्त्र एवं मलाशयका कैंसर नहीं होता।
११-मोटापा घटाने के लिये चोकर निरापद औषधि है; क्योंकि भोजन में कमी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती, रोगी आसानी से पतला हो जाता है।
१२-चोकर मधुमेह निवारण में मदद करता है।
१३-चोकर का बिस्किट, चोकर-आलू की रोटी, हलवा बनाकर आनन्द के साथ खाया जा सकता है।
१४-चोकर को गाजर के हलवे में भी स्थान दें। यह मिस्सी रोटी को और भी स्वादिष्ठ बनाता है। चोकरदार बूंदी का रायता स्वाद के साथ खाया जा सकता है।
१५-इडली, डोसा, कचौड़ी बनाते समय चोकर को न भूलें। सरसों का शाक चोकर के साथ बनाइये।
१६-चोकर साफ-सुथरा, मोटा, स्वादिष्ठ ताजे आटा से निकाला हुआ एवं जर्स (Germs)-से मुक्त होना चाहिये।
१७-छोटी मिलका सफाई से बना चोकर मोटा एवं अच्छा होता है।
१८-चोकर खानेवालों का दिल-दिमाग स्वस्थ रहता है; क्योंकि चोकर से पेट साफ हो जाता है। याद रखें क़ब्ज़ ही अधिकतर रोगों की जड़ है।
१९-चोकर क्षारधर्मी होनेके कारण रक्तमें रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ाता है।
२०-सभी प्रकार के अन्नके रेशों में गेहूँ के चोकर को आदर्श स्थान मिला है अर्थात् गेहूं का चोकर आदर्श रेशा है।
२१-चोकर में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, केलोरीज, रेशा, कैल्सियम, सोडियम, आक्जेलिक एसिड, पोटेशियम, ताँबा, सल्फर, क्लोरीन, जिंक, थियामिन, विटामिन ए, रिवोफ्लोविन, निकोटिनिक एसिड, पायरिडोक्सिन,फोलिक एसिड, प्रेटाथेनिक एसिड एवं विटामिन K पाया जाता है।

निरोगी रहने हेतु महामन्त्र

मन्त्र 1 :-

• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें

• ‎रिफाइन्ड नमक,रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) व रिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें

• ‎विकारों को पनपने न दें (काम,क्रोध, लोभ,मोह,इर्ष्या,)

• ‎वेगो को न रोकें ( मल,मुत्र,प्यास,जंभाई, हंसी,अश्रु,वीर्य,अपानवायु, भूख,छींक,डकार,वमन,नींद,)

• ‎एल्मुनियम बर्तन का उपयोग न करें ( मिट्टी के सर्वोत्तम)

• ‎मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें

• ‎भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखें

मन्त्र 2 :-

• पथ्य भोजन ही करें ( जंक फूड न खाएं)

• ‎भोजन को पचने दें ( भोजन करते समय पानी न पीयें एक या दो घुट भोजन के बाद जरूर पिये व डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पिये)

• ‎सुबह उठेते ही 2 से 3 गिलास गुनगुने पानी का सेवन कर शौच क्रिया को जाये

• ‎ठंडा पानी बर्फ के पानी का सेवन न करें

• ‎पानी हमेशा बैठ कर घुट घुट कर पिये

• ‎बार बार भोजन न करें आर्थत एक भोजन पूणतः पचने के बाद ही दूसरा भोजन करें
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