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गले में दर्द

1. 250 मिलीलीटर पालक के पत्ते लेकर 2 गिलास पानी में डालकर उबाल लें और जब उबलने के बाद पानी आधा बाकी रह जाये तो उसे छान लें। इसके गर्म-गर्म पानी से गरारे करने से गले का दर्द ठीक हो जाता है।

2. एक गिलास पानी में एक नींबू को निचोड़कर उससे कुल्ला और गरारे करने से आराम आता है या गर्म पानी में नींबू निचोड़कर पीने से भी आराम आता है।

3. एक छोटे चम्मच नींबू के रस में एक बड़ा चम्मच शहद मिलाकर दिन में 2 से 3 बार थोड़ा-थोड़ा खाने से गले का दर्द ठीक हो जाता है।

4. निर्गुण्डी के पत्तों का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से लाभ होता है।

5. 2 चम्मच नीम की पत्तियों के रस को एक गिलास गर्म पानी में, आधा चम्मच शहद को मिलाकर रोजाना गरारे करने से गले में जमा हुआ कफ दूर होता है।

6. पानी में नमक ( सेंधा नमक) को मिलाकर गरारे करने से टॉन्सिल, गले में दर्द, सूजन, दांत के दर्द आदि रोगों में आराम मिलता है।

Throat pain

1. Take 250 ml spinach leaves and boil in 2 glasses of water and when the water remains half after boiling, filter it. Gargling with its warm water cures throat pain.

2. Squeezing a lemon in a glass of water, rinse and gargle with it, or drinking lemon juice in warm water can help.

3. Mixing one tablespoon of honey with one teaspoon of lemon juice and eating little by 2-3 times a day cures throat pain.

4. Gargling with the decoction of the leaves of Nirgundi is beneficial.

5. Mixing 2 teaspoons of neem leaves in a glass of warm water, half a teaspoon of honey and gargling daily, removes the phlegm that accumulates in the throat.

6. Gargling mixed with salt (rock salt) in water provides relief in tonsils, throat pain, swelling, toothache etc.
🍁खाने के तुरन्त बाद पानी नहीं पीने का विज्ञान

“भोजनान्ते विषं वारी”
(मतलब खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है)

🔸हम पानी क्यों ना पीये खाना खाने के बाद.!
क्या कारण है.?

हमने दाल खाई,
हमने सब्जी खाई, 
हमने रोटी खाई,
हमने दही खाया,
लस्सी पी, दूध, दही, छाछ, लस्सी, फल आदि.!

ये सब कुछ भोजन के रूप मे हमनें ग्रहण किया।
ये सब कुछ हमको उर्जा देता है।
और पेट उस उर्जा को आगे ट्रांसफर करता है।
पेट में एक छोटा सा स्थान होता है
जिसको हम हिंदी मे कहते हैं “अमाशय”
उसी स्थान का संस्कृत नाम है “जठर”
उसी स्थान को अंग्रेजी में कहते है
“epigastrium”
ये एक थेली की तरह होता है
और यह जठर हमारे शरीर मे सबसे
महत्वपूर्ण है।
क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी में आता है।
ये बहुत छोटा सा स्थान है।
इसमें अधिक से अधिक 350gms खाना आ सकता है.!
हम कुछ भी खाते हैं
ये सब अमाशय मे आ जाता है.!

आमाशय मे अग्नि प्रदीप्त होती है।

उसी को कहते हे “जठराग्न”
ये जठराग्नि है
वो अमाशय मे प्रदीप्त होने वाली आग है ।
ऐसे ही पेट में होता है।
जेसे ही आपने खाना खाया
की जठराग्नि प्रदीप्त हो गयी..
यह ऑटोमेटिक है,
जेसे ही आपने रोटी का पहला टुकड़ा मुँह में डाला की इधर जठराग्नि प्रदीप्त हो गई।
ये अग्नि तब तक जलती है जब तक खाना पचता है।

अब आपने खाना खाते ही
गटागट पानी पी लिया और खूब ठंडा पानी पी लिया।

और कई लोग तो फ्रीज की बोतल पे बोतल पी जाते है.!

अब जो आग (जठराग्नि) जल रही थी
वो बुझ गयी.!
आग अगर बुझ गयी तो खाने की पचने की जो क्रिया है वो रुक गयी.!
You suffer from IBS,
Never CURABLE

आप हमेशा याद रखें खाना जाने पर
हमारे पेट में दो ही क्रिया होती है,
एक क्रिया है, जिसको हम कहते हैं, “Digestion” और दूसरी हैं, “fermentation” फर्मेंटेशन का मतलब है सड़ना
और डायजेशन का मतलब है, पचना

आयुर्वेद के हिसाब से आग जलेगी
तो खाना पचेगा, खाना पचेगा
तो उससे रस बनेगा.! जो रस बनेगा
तो उसी रस से
🔸मांस, मज्जा, रक्त, वीर्य, हड्डियाँ, मल, मूत्र और अस्थि बनेगी और सबसे अंत मे मेद बनेगा

ये तभी होगा जब खाना पचेगा.!
यह सब हमें जानना चाहिए।

ये तो हुई खाना पचने की बात।अब जब खाना सड़ेगा तब क्या होगा..?

खाने के सड़ने पर
सबसे पहला जहर जो बनता है
वो है यूरिक एसिड (Uric Acid)

कई बार आप डॉक्टर के पास जाकर कहते है, की मुझे घुटने मे दर्द हो रहा है, मुझे कंधे-कमर मे दर्द हो रहा है।

तो डॉक्टर कहेगा आपका यूरिक एसिड बढ़ रहा है। आप ये दवा खाओ, वो दवा खाओ यूरिक एसिड कम करो।
और एक दूसरा उदाहरणः-

खाना जब सड़ता है, तो यूरिक एसिड जैसा ही एक दूसरा विष बनता है। जिसको हम कहते हैं
LDL(Low Density lipoprotive) याने खराब कोलेस्ट्रोल (cholesterol)

🔸जब आप ब्लड प्रेशर(BP) चेक कराने डॉक्टर के पास जाते हैं तो वो आपको कहता है (HIGH BP)

हाई-बीपी है आप पूछोगे…
कारण बताओ.?

तो वो कहेगा कोलेस्ट्रोल बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है।

आप ज्यादा पूछोगे की कोलेस्ट्रोल कौनसा बहुत है ?

तो वो आपको कहेगा LDL बहुत है।

इससे भी ज्यादा
खतरनाक एक  विष है वो है.. VLDL(Very Low Density Lipoprotive)

ये भी कोलेस्ट्रॉल जैसा ही विष है।
अगर VLDL बहुत बढ़ गया तो आपको भगवान भी नहीं बचा सकता।

खाना सड़ने पर और जो जहर बनते है
उसमें एक ओर विष है जिसको अंग्रेजी में हम कहते है Triglycerides.!

जब भी डॉक्टर आपको कहे
की आपका “triglycerides” बढ़ा हुआ है तो समज लीजिए की आपके शरीर में विष निर्माण हो रहा है।

तो कोई यूरिक एसिड के नाम से कहे,
कोई कोलेस्ट्रोल के नाम से कहे,
कोई LDL -VLDL के नाम से कहे
समझ लीजिए की ये विष है और ऐसे विष 103 है।

ये सभी विष तब बनते है जब खाना सड़ता है।

और मतलब समझ लीजिए किसी का कोलेस्ट्रोल बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट मे ध्यान आना चाहिए की खाना पच नहीं रहा है।

कोई कहता है मेरा triglycerides बहुत बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट में डायग्नोसिस कर लीजिए कि उसका खाना पच नहीं रहा है।

कोई कहता है मेरा यूरिक एसिड बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट लगना चाहिए समझने में की खाना पच नहीं रहा है।

क्योंकि खाना पचने पर इनमें से कोई भी जहर नहीं बनता.!

खाना पचने पर जो बनता है वो है….
मांस, मज्जा, रक्त, वीर्य, हड्डिया, मल, मूत्र, अस्थि.!

और

खाना नहीं पचने पर बनता है….
यूरिक एसिड, कोलेस्ट्रोल, LDL-VLDL.-Triglycerides

और यही आपके शरीर को रोगों का घर बनाते है.!

पेट में बनने वाला यही जहर
जब ज्यादा बढ़कर खून में आता है !
तो खून दिल की नाड़ियों में से निकल नहीं पाता और रोज थोड़ा थोड़ा कचरा जो खून में आता है इकट्ठा होता रहता है और एक दिन नाड़ी को ब्लॉक कर देता है। जिसे आप
Heart Attack कहते हैं.!

तो हमें जिंदगी में ध्यान इस बात पर देना है, की जो हम खा रहे हैं वो शरीर में ठीक से पचना चाहिए और खाना ठीक से पचना चाहिए इसके लिए पेट में ठीक से आग (जठराग्नि) प्रदीप्त होनी ही चाहिए।

क्योंकि, बिना आग के खाना पचता नहीं है और खाना पकता भी नहीं है।

महत्व की बात कि..
खाने को खाना नहीं खाने को पचाना है।

आपने क्या खाया कितना खाया
वो महत्व नहीं है.!

खाना अच्छे से पचे इसके लिए वाग्भट्ट जी ने सूत्र दिया.!

“भोजनान्ते विषं वारी”
(मतलब खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है)

इसलिए खाने के तुरंत बाद पानी
कभी मत पियें..!

अब आपके मन मे सवाल आएगा
कितनी देर तक नहीं पीना.?

तो 1 घंटे 48 मिनट तक नहीं पीना !

अब आप कहेंगे इसका
क्या calculation हैं.?

बात ऐसी है….!

जब हम खाना खाते हैं तो जठराग्नि द्वारा सब एक दूसरे में मिक्स होता है
और फिर खाना पेस्ट में बदलता हैं.!

पेस्ट में बदलने की क्रिया होने तक
1 घंटा 48 मिनट का समय लगता है !

उसके बाद जठराग्नि कम हो जाती है.!

(बुझती तो नहीं लेकिन बहुत धीमी हो जाती है)

पेस्ट बनने के बाद शरीर मे रस बनने की परिक्रिया शुरू होती है !

तब हमारे शरीर को पानी की जरूरत होती हैं।

तब आप जितना इच्छा हो उतना पानी पिये.!

जो बहुत मेहनती लोग है (खेत में हल चलाने वाले, रिक्शा खीचने वाले, पत्थर तोड़ने वाले)

उनको 1 घंटे के बाद ही रस बनने लगता है उनको  घंटे बाद पानी पीना चाहिए !

अब आप कहेंगे खाना खाने के पहले
कितने मिनट तक पानी पी सकते हैं.?

तो खाना खाने के 45 मिनट पहले तक आप पानी पी सकते हैं !

अब आप पूछेंगे
ये मिनट का calculation….?

बात ऐसी ही जब हम पानी पीते हैं
तो वो शरीर के प्रत्येक अंग तक जाता है।

और अगर बच जाये तो 45 मिनट बाद मूत्र पिंड तक पहुंचता है।

तो पानी – पीने से मूत्र पिंड तक आने का समय 45 मिनट का है।

तो आप खाना खाने से 45 मिनट पहले ही पानी पियें.!

इसका जरूर पालन करें..!
अधिक अधिक लोगो को बताएं.!

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